Ram pustak padhta hai sanskrit mein anuvad

  1. संस्कृत अनुवाद के नियम
  2. हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद
  3. UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद – UP Board Solutions
  4. अनुवाद का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप एवं सीमाएं
  5. NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Bhag 2
  6. हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद
  7. UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद – UP Board Solutions
  8. संस्कृत अनुवाद के नियम


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संस्कृत अनुवाद के नियम

1:संस्कृत में तीन पुरुष होते है – i- प्रथम पुरुष या अन्य पुरुष , ii- मध्यम पुरुष , iii- उत्तम पुरुष 2:संस्कृत म्रें तीन वचन होते है – i- एकवचन , ii- व्दिवचन ,iii-बहुवचन 3:संस्कृत में तीन लिंग होते है – i-पुल्लिंग ,ii-स्त्रीलिंग , iii-नपुंसकलिंग 4:अनुवाद करते समय सबसे पहले हम वाक्य का कर्त्ता पहचानना चाहिये |क्रिया से ‘कौन’ लगा कर प्रश्न करने से जो उत्तर मिलता है ,वह कर्त्ता होता है |जैसे -रमेश खेलता है | यदि कहा जाय- कौन खेलता है ? , इसका उत्तर होगा -रमेश | अत: इस वाक्य मे रमेश कर्त्ता है | 5:कर्त्ता के अनुसार क्रिया का प्रयोग होता है | अर्थात यदि कर्ता एक वचन है तो उसकी क्रिया भी एकवचन तथा यदि कर्ता व्दिवचन है तो उसकी क्रिया व्दिवचन और यदि कर्ता बहुवचन हो तो क्रिया भी बहुवचन होती है 6:प्राय: क्रियाओ के काल का बोध कराने के लिए 5 लकारो का प्रयोग होता है , जो निम्न है – (i) लट्लकार -वर्तमान काल की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है | जैसे -स: पठति | (ii)लड्.लकार -भूतकाल काल की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है | जैसे -स: अपठत् | (iii)लृट लकार -भविष्यत् काल की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है | जैसे -स: पठिष्यति | (iv)लोट् लकार -आज्ञा देने या प्रार्थना करने की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है |जैसे ‌- त्वं पठ| ( v) बिधिलिंग लकार – चाहिये या उपदेश आदि की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है |जैसे -स: पठेत्| 7. कर्त्ता और क्रिया के पुरुष के वचन मे समानता होती है |अर्थात जिस पुरुष और जिस वचन मे कर्त्ता होगा क्रिया भी उसी पुरुष और वचन में होगी | कर्त्ता के लिंग का क्रिया पर कोई प्रभाव नही पड़ता है | 8. युष्मद् (त्वं-तुम आदि )के लिए मध्यम पुरुष , अस्मद् (अहम्-मैं ,हम आदि ) के लिए उत्...

संस्कृत

मूल पृष्ठ पर चलें - ' पंक --- कीचड़ पंगु --- अपंग पंच --- पांच पंचत्वंगं --- मरने पंचमः --- (Masc.Nom.S) 5 पंडितः --- (Masc.nom.Sing) व्यक्ति सीखा पंथा --- रास्ता पंथाः --- (Masc.Nom.Sing) मार्ग, रास्ता पंथानः --- तरीके, पथ पक्वं --- परिपक्व पक्षवाद्यं --- Pakhaavaj (नपु) पङ्क --- कीचड़ पङ्क्ति --- स्पेक्ट्रम पङ्क्तिदर्शी --- स्पेक्ट्रोस्कोप पङ्क्तिमापी --- स्पेक्ट्रोमीटर पङ्क्तिलेखा --- वर्ण - क्रमलेखी संबंधी पचति --- (प्रपु एक) पकाने के लिए पचन्ति --- भोजन तैयार पचामि --- मैं पचाने में पच्यन्ते --- पकाया जाता है? पञ्च --- पांच पञ्चमं --- पांचवां पट --- वर्ण - क्रमलेखी यंत्र से प्राप्त चित्र पटगृहम् --- (नपु) एक तम्बू पटु --- (विशे) कुशल चालाक, पठ् --- पढ़ने के लिए पठनं --- पढ़ना पठनीया --- पढ़ना चाहिए पठामि --- पढ़ना पठित्वा --- पढ़ने के बाद पठेत् --- हो सकता है पढ़ने के पण --- खेल पणन --- सौदा पणनयोग्य --- विक्रेय पणनयोग्यता --- विक्रेयता पणवानक --- छोटे ड्रम और kettledrums के पण्डित --- सीखा आदमी पण्डितं --- सीखा पण्डिताः --- सीखा पण्दित --- बुद्धिमान व्यक्ति पत् --- गिर करने के लिए पतग --- पक्षी पतङ्गाः --- पतिंगे पतति --- (प्रपु एक) गिर करने के लिए पतत्रिन् --- पक्षी पतन --- गिरने पतन्ति --- नीचे गिर पतये --- पति पति --- पति पतिगृहं --- (Nr.Acc.sing) पति के घर पतितं --- गिर (पिछले भाग.) पतिरेक --- वह भगवान एक है पत्तः --- (मीटर) पट्टा पत्नि --- पत्नी पत्नी --- पत्नी पत्युः --- लॉर्ड्स पत्रं --- एक पत्ता पत्रकारः --- (मीटर) पत्रकार पत्रता --- (स्त्री) पात्रता पत्रपेटिका --- (पु) लैटर बक्स पत्रम् --- (नपु) के एक पत्र ध्यान दें, पत्रवाहः --- (मीटर) डाकिया पत्रालयम् --- ...

हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद

• 1. बालक विद्यालय जाता है। बालकः विद्यालयं गच्छति। • 2. झरने से अमृत को मथता है। सागरं सुधां मथ्नाति। • 3. राम के सौ रुपये चुराता है। रामं शतं मुष्णाति। • 4. राजा से क्षमा माँगता है। नृपं क्षमां याचते। • 5. सज्जन पाप से घृणा करता है। सज्जनः पापाद् जुगुप्सते। • 6. विद्यालय में लड़के और लड़कियाँ है। विद्यालये बालकाः बालिकाश्च वर्तन्ते। • 7. मैं कंघे से बाल सँवारता हूँ। अहं कंकतेन केशप्रसाधनं करोमि। • 8. बालिका जा रही है। बालिका गच्छन्ती अस्ति। • 9. यह रमेश की पुस्तक है। इदं रमेशस्य पुस्तकम् अस्ति। • 10. बालक को लड्डू अच्छा लगता है। बालकाय मोदकं रोचते। • 11. माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करना उचित है। पितरौ गुरुजनाश्च सम्माननीयाः। • 12. जो होना है सो हो, मैं उसके सामने नहीं झुकूँगा। यद्भावी तद् भवतु, नाहं तस्य पुरः शिरोऽवनमयिष्यामि। • 13. वह वानर वृक्ष से उतरकर नीचे बैठा है। वानरः वृक्षात् अवतीर्य्य नीचैः उपविष्टोऽस्ति। • 14. मेरी सब आशाओं पर पानी फिर गया। सर्वा ममाशा मोघाः सञ्जाताः। • 15. मैने सारी रात आँखों में काटी। पर्यङ्के निषण्णस्य ममाक्ष्णोः प्रभातमासीत्। • 16. गुरु से धर्म पूछता है। उपाध्यायं/गुरुं धर्मं पृच्छति। • 17. बकरी का दूध दुहता है। अजां दुग्धं दोग्धि। • 18. मन्दिर के चारों ओर भक्त है। मन्दिरं परितः भक्ताः सन्ति। • 19. इस आश्रम में ब्रह्मचारी, वानप्रस्थी और संन्यासी हैं। ब्रह्मचारिणः वानप्रस्थाः संन्यासिनश्च अस्मिन् आश्रमे सन्ति। • 20. नाई उस्तरे से बाल काटता है। नापितः क्षुरेण केशान् वपति। • 21. रंगरेज वस्त्रों को रंगता है। रज्जकः वस्त्राणि रञ्जयति। • 22. मन सत्य से शुद्ध होता है। मनः सत्येन शुध्यति। • 23. आकाश में पक्षी उड़ते हैं। वियति (आकाशे) पक्षिणः उड...

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद part of Board UP Board Textbook SCERT, UP Class Class 12 Subject Sahityik Hindi Chapter Name हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद Category UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद अनुवाद। एक भाषा की किसी पंक्ति को किसी अन्य भाषा में परिवर्तित करना ही अनुवाद कहलाता है। जैसे—यदि हम संस्कृत के किसी वाक्य को हिन्दी में परिवर्तित करते हैं तो यह ‘संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद’ कहा जाता है। ठीक उसी प्रकार यदि हम हिन्दी के किसी वाक्य को संस्कृत में परिवर्तित करते हैं तो यही ‘हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद’ कहा जाता है। हिन्दी भाषा के वाक्यों को संस्कृत भाषा में परिवर्तित करने के लिए निश्चित नियम हैं। उन नियमों के अनुसार हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद ठीक प्रकार से किया जा सकता है। वे नियम या बातें निम्न प्रकार हैं। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करने के लिए संस्कृत व्याकरण के इन नियमों को भली-भाँति समझना आवश्यक है संस्कृत में तीन पुरुष, तीन वचन और तीन लिंग होते हैं। संस्कृत में कर्ता के पुरुष एवं वचन के आधार पर क्रिया का रूप निर्धारित होता है, किन्तु क्रिया पर लिंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।। उदाहरणार्थ-‘राम पढ़ता है’ वाक्य के लिए संस्कृत में लिखा जाएगा ‘रामः पठति’, जबकि ‘सीता पढ़ती है’ के लिए भी ‘सीता पठति’ ही लिखा जाएगा। इस प्रकार यहाँ क्रिया कर्ता के लिंग से अप्रभावित है। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करने के लिए कर्ता के पुरुष और वचन की पहचान करना अति आवश्यक है। संस्कृत में प्रथम पुरुष, मध्यम पुरुष एवं उत्तम पुरुष के प्रत्येक वचन के लिए एक-एक कर्ता होता है। अतः तीन वचन होने से...

अनुवाद का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप एवं सीमाएं

हिन्दी में अनुवाद के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले अन्य शब्द हैं : छाया, टीका, उल्था, भाषान्तर आदि। अन्य भारतीय भाषाओं में‘अनुवाद’ के समानान्तर प्रयोग होने वाले शब्द हैं : भाषान्तर(संस्कृत, कन्नड़, मराठी), तर्जुमा (कश्मीरी, सिंधी, उर्दू), विवर्तन, तज्र्जुमा(मलयालम), मोषिये चण्र्यु(तमिल), अनुवादम्(तेलुगु), अनुवाद (संस्कृत, हिन्दी, असमिया, बांग्ला, कन्नड़, ओड़िआ, गुजराती, पंजाबी, सिंधी)। अंग्रेजी विद्वान मोनियर विलियम्स ने सर्वप्रथम अंग्रेजी में‘translation’ शब्द का प्रयोग किया था।‘अनुवाद’ के पर्याय के रूप में स्वीकृत अंग्रेजी‘translation’ शब्द, संस्कृत के‘अनुवाद’ शब्द की भाँति, लैटिन के‘trans’ तथा‘lation’ के संयोग से बना है, जिसका अर्थ है‘पार ले जाना’-यानी एक स्थान बिन्दु से दूसरे स्थान बिन्दु पर ले जाना। यहाँ एक स्थान बिन्दु‘स्रोत-भाषा’ या 'Source Language’ है तो दूसरा स्थान बिन्दु‘लक्ष्य-भाषा’ या‘Target Language’ है और ले जाने वाली वस्तु‘मूल या स्रोत-भाषा में निहित अर्थ या संदेश होती है। ऐसे ही‘वैब्स्टर डिक्शनरी’ का कहना है-’Translation is a rendering from one language or representational system into another. Translation is an art that involves the recreation of work in another language, for readers with different background.’ अनुवाद के इस दोहरी क्रिया को निम्नलिखित आरेख से आसानी से समझा जा सकता है : भारतीय संदर्भ में, अनुवाद पाली, प्राकृत, देवनागरी और अन्य क्षेत्राीय भाषाओं में पवित्रा ग्रंथों के अनुवाद के साथ शुरू हुआ। यह दुनिया भर में नैतिक मूल्यों, लोकाचार, परंपरा, मान्यताओं और संस्कृति के संचारण करने में मदद करता है। अनुवाद के क्षेत्र आज की दुनिया में अनुवाद का क्षेत्र...

NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Bhag 2

NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Bhag 2: Detailed, Step-by-Step NCERT Solutions of Class 7th Sanskrit रुचिरा भाग 2 | Class 7 Sanskrit NCERT Solutions Class 7th Sanskrit Solution • • • • • • • • • • • • • • • NCERT Class 7 Sanskrit Grammar Book Solutions Sanskrit Grammar Class 7 | NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Grammar Book pdf CBSE Class 7th Sanskrit व्याकरण भागः • • • • • • • • • • • • CBSE Class 7th Sanskrit रचना भागः • • • • • CBSE Class 7 Sanskrit Sample Paper with Solutions • • • • • Ruchira Bhag 2 • • • • • • • • • • • • • • • We hope the given NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit रुचिरा भाग 2 will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Bhag 2, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.

हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद

• 1. बालक विद्यालय जाता है। बालकः विद्यालयं गच्छति। • 2. झरने से अमृत को मथता है। सागरं सुधां मथ्नाति। • 3. राम के सौ रुपये चुराता है। रामं शतं मुष्णाति। • 4. राजा से क्षमा माँगता है। नृपं क्षमां याचते। • 5. सज्जन पाप से घृणा करता है। सज्जनः पापाद् जुगुप्सते। • 6. विद्यालय में लड़के और लड़कियाँ है। विद्यालये बालकाः बालिकाश्च वर्तन्ते। • 7. मैं कंघे से बाल सँवारता हूँ। अहं कंकतेन केशप्रसाधनं करोमि। • 8. बालिका जा रही है। बालिका गच्छन्ती अस्ति। • 9. यह रमेश की पुस्तक है। इदं रमेशस्य पुस्तकम् अस्ति। • 10. बालक को लड्डू अच्छा लगता है। बालकाय मोदकं रोचते। • 11. माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करना उचित है। पितरौ गुरुजनाश्च सम्माननीयाः। • 12. जो होना है सो हो, मैं उसके सामने नहीं झुकूँगा। यद्भावी तद् भवतु, नाहं तस्य पुरः शिरोऽवनमयिष्यामि। • 13. वह वानर वृक्ष से उतरकर नीचे बैठा है। वानरः वृक्षात् अवतीर्य्य नीचैः उपविष्टोऽस्ति। • 14. मेरी सब आशाओं पर पानी फिर गया। सर्वा ममाशा मोघाः सञ्जाताः। • 15. मैने सारी रात आँखों में काटी। पर्यङ्के निषण्णस्य ममाक्ष्णोः प्रभातमासीत्। • 16. गुरु से धर्म पूछता है। उपाध्यायं/गुरुं धर्मं पृच्छति। • 17. बकरी का दूध दुहता है। अजां दुग्धं दोग्धि। • 18. मन्दिर के चारों ओर भक्त है। मन्दिरं परितः भक्ताः सन्ति। • 19. इस आश्रम में ब्रह्मचारी, वानप्रस्थी और संन्यासी हैं। ब्रह्मचारिणः वानप्रस्थाः संन्यासिनश्च अस्मिन् आश्रमे सन्ति। • 20. नाई उस्तरे से बाल काटता है। नापितः क्षुरेण केशान् वपति। • 21. रंगरेज वस्त्रों को रंगता है। रज्जकः वस्त्राणि रञ्जयति। • 22. मन सत्य से शुद्ध होता है। मनः सत्येन शुध्यति। • 23. आकाश में पक्षी उड़ते हैं। वियति (आकाशे) पक्षिणः उड...

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद part of Board UP Board Textbook SCERT, UP Class Class 12 Subject Sahityik Hindi Chapter Name हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद Category UP Board Solutions for Class 12 Sahityik Hindi हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद अनुवाद। एक भाषा की किसी पंक्ति को किसी अन्य भाषा में परिवर्तित करना ही अनुवाद कहलाता है। जैसे—यदि हम संस्कृत के किसी वाक्य को हिन्दी में परिवर्तित करते हैं तो यह ‘संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद’ कहा जाता है। ठीक उसी प्रकार यदि हम हिन्दी के किसी वाक्य को संस्कृत में परिवर्तित करते हैं तो यही ‘हिन्दी का संस्कृत में अनुवाद’ कहा जाता है। हिन्दी भाषा के वाक्यों को संस्कृत भाषा में परिवर्तित करने के लिए निश्चित नियम हैं। उन नियमों के अनुसार हिन्दी वाक्यों का संस्कृत में अनुवाद ठीक प्रकार से किया जा सकता है। वे नियम या बातें निम्न प्रकार हैं। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करने के लिए संस्कृत व्याकरण के इन नियमों को भली-भाँति समझना आवश्यक है संस्कृत में तीन पुरुष, तीन वचन और तीन लिंग होते हैं। संस्कृत में कर्ता के पुरुष एवं वचन के आधार पर क्रिया का रूप निर्धारित होता है, किन्तु क्रिया पर लिंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।। उदाहरणार्थ-‘राम पढ़ता है’ वाक्य के लिए संस्कृत में लिखा जाएगा ‘रामः पठति’, जबकि ‘सीता पढ़ती है’ के लिए भी ‘सीता पठति’ ही लिखा जाएगा। इस प्रकार यहाँ क्रिया कर्ता के लिंग से अप्रभावित है। हिन्दी से संस्कृत में अनुवाद करने के लिए कर्ता के पुरुष और वचन की पहचान करना अति आवश्यक है। संस्कृत में प्रथम पुरुष, मध्यम पुरुष एवं उत्तम पुरुष के प्रत्येक वचन के लिए एक-एक कर्ता होता है। अतः तीन वचन होने से...

संस्कृत

मूल पृष्ठ पर चलें - ' पंक --- कीचड़ पंगु --- अपंग पंच --- पांच पंचत्वंगं --- मरने पंचमः --- (Masc.Nom.S) 5 पंडितः --- (Masc.nom.Sing) व्यक्ति सीखा पंथा --- रास्ता पंथाः --- (Masc.Nom.Sing) मार्ग, रास्ता पंथानः --- तरीके, पथ पक्वं --- परिपक्व पक्षवाद्यं --- Pakhaavaj (नपु) पङ्क --- कीचड़ पङ्क्ति --- स्पेक्ट्रम पङ्क्तिदर्शी --- स्पेक्ट्रोस्कोप पङ्क्तिमापी --- स्पेक्ट्रोमीटर पङ्क्तिलेखा --- वर्ण - क्रमलेखी संबंधी पचति --- (प्रपु एक) पकाने के लिए पचन्ति --- भोजन तैयार पचामि --- मैं पचाने में पच्यन्ते --- पकाया जाता है? पञ्च --- पांच पञ्चमं --- पांचवां पट --- वर्ण - क्रमलेखी यंत्र से प्राप्त चित्र पटगृहम् --- (नपु) एक तम्बू पटु --- (विशे) कुशल चालाक, पठ् --- पढ़ने के लिए पठनं --- पढ़ना पठनीया --- पढ़ना चाहिए पठामि --- पढ़ना पठित्वा --- पढ़ने के बाद पठेत् --- हो सकता है पढ़ने के पण --- खेल पणन --- सौदा पणनयोग्य --- विक्रेय पणनयोग्यता --- विक्रेयता पणवानक --- छोटे ड्रम और kettledrums के पण्डित --- सीखा आदमी पण्डितं --- सीखा पण्डिताः --- सीखा पण्दित --- बुद्धिमान व्यक्ति पत् --- गिर करने के लिए पतग --- पक्षी पतङ्गाः --- पतिंगे पतति --- (प्रपु एक) गिर करने के लिए पतत्रिन् --- पक्षी पतन --- गिरने पतन्ति --- नीचे गिर पतये --- पति पति --- पति पतिगृहं --- (Nr.Acc.sing) पति के घर पतितं --- गिर (पिछले भाग.) पतिरेक --- वह भगवान एक है पत्तः --- (मीटर) पट्टा पत्नि --- पत्नी पत्नी --- पत्नी पत्युः --- लॉर्ड्स पत्रं --- एक पत्ता पत्रकारः --- (मीटर) पत्रकार पत्रता --- (स्त्री) पात्रता पत्रपेटिका --- (पु) लैटर बक्स पत्रम् --- (नपु) के एक पत्र ध्यान दें, पत्रवाहः --- (मीटर) डाकिया पत्रालयम् --- ...

संस्कृत अनुवाद के नियम

1:संस्कृत में तीन पुरुष होते है – i- प्रथम पुरुष या अन्य पुरुष , ii- मध्यम पुरुष , iii- उत्तम पुरुष 2:संस्कृत म्रें तीन वचन होते है – i- एकवचन , ii- व्दिवचन ,iii-बहुवचन 3:संस्कृत में तीन लिंग होते है – i-पुल्लिंग ,ii-स्त्रीलिंग , iii-नपुंसकलिंग 4:अनुवाद करते समय सबसे पहले हम वाक्य का कर्त्ता पहचानना चाहिये |क्रिया से ‘कौन’ लगा कर प्रश्न करने से जो उत्तर मिलता है ,वह कर्त्ता होता है |जैसे -रमेश खेलता है | यदि कहा जाय- कौन खेलता है ? , इसका उत्तर होगा -रमेश | अत: इस वाक्य मे रमेश कर्त्ता है | 5:कर्त्ता के अनुसार क्रिया का प्रयोग होता है | अर्थात यदि कर्ता एक वचन है तो उसकी क्रिया भी एकवचन तथा यदि कर्ता व्दिवचन है तो उसकी क्रिया व्दिवचन और यदि कर्ता बहुवचन हो तो क्रिया भी बहुवचन होती है 6:प्राय: क्रियाओ के काल का बोध कराने के लिए 5 लकारो का प्रयोग होता है , जो निम्न है – (i) लट्लकार -वर्तमान काल की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है | जैसे -स: पठति | (ii)लड्.लकार -भूतकाल काल की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है | जैसे -स: अपठत् | (iii)लृट लकार -भविष्यत् काल की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है | जैसे -स: पठिष्यति | (iv)लोट् लकार -आज्ञा देने या प्रार्थना करने की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है |जैसे ‌- त्वं पठ| ( v) बिधिलिंग लकार – चाहिये या उपदेश आदि की क्रिया के लिए प्रयोग किया जाता है |जैसे -स: पठेत्| 7. कर्त्ता और क्रिया के पुरुष के वचन मे समानता होती है |अर्थात जिस पुरुष और जिस वचन मे कर्त्ता होगा क्रिया भी उसी पुरुष और वचन में होगी | कर्त्ता के लिंग का क्रिया पर कोई प्रभाव नही पड़ता है | 8. युष्मद् (त्वं-तुम आदि )के लिए मध्यम पुरुष , अस्मद् (अहम्-मैं ,हम आदि ) के लिए उत्...