Ramdhari singh dinkar pramukh kavi hain

  1. रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय
  2. रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी
  3. महाकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध 5 कविताएं
  4. रामधारी सिंह 'दिनकर'
  5. रामधारी सिंह दिनकर: वो कवि जिसकी रचनाएं राष्ट्रवाद/देशभक्ति के लिए खाद हैं!
  6. रामधारी सिंह दिनकर: वो कवि जिसकी रचनाएं राष्ट्रवाद/देशभक्ति के लिए खाद हैं!
  7. रामधारी सिंह 'दिनकर'
  8. महाकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध 5 कविताएं
  9. रामधारी सिंह दिनकर
  10. रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी


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रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय

रामधारी सिंह दिनकर जी की संपूर्ण जीवनीको इस आर्टिकल में हम बिल्कुल विस्तारपूर्वक से समझेंगे। बोर्ड के परिक्षा में हिन्दी के विषय में एक प्रश्न जीवनी का भी सामिल रहता है। यह बात लगभग सभी विद्यार्थियों को पता है और इसलिए बोर्ड के परिक्षा की तैयारी कर रहे सभी विद्यार्थी किसी भी लेखक या कवि का जीवन परिचय अच्छे से पढ़ कर उसे याद करते है। ताकी वो परिक्षा में पुछे गये जीवनी को अच्छे से लिख सके और अच्छे अंक हासिल कर सके। तो इसी को ध्यान में रखते हुए हमने इस लेख में रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय एकदम विस्तारपूर्वक से शेयर किया है। क्योकी बोर्ड के परिक्षा में इनकी जीवनी के आने की सम्भावना सबसे अधिक होती है। तो, अगर आप इस समय बोर्ड के एग्ज़ाम की तैयारी कर रहे है तो, इस जीवनी को आप ध्यानपूर्वक से जरुर पढ़े एवं समझे, क्योकी इससे आपको परिक्षा में काफी मदद मिल सकती है। साथ ही दिनकर जी की जीवनी, केवल बोर्ड परिक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिये ही फायदेमंद नही है। बल्कि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा एवं सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए इनकी जीवनी को जानना बेहद ही महत्वपूर्ण है। ऐसा इसलिए क्योकी बहुत से प्रतियोगी परीक्षाओं में दिनकर जी के जीवन से जुड़े प्रश्न पुछे जा सकते है। ऐसे में यदि आप इनकी जीवनी को अच्छे से पढ़ कर समझे रहेंगे तो, उन प्रश्नों को करने में आपको काफी असानी होगी। रामधारी सिंह दिनकर के जीवन से सम्बंधित, जिन महत्त्वपूर्ण प्रश्नों की हम बात कर रहे है वो कुछ इस प्रकार है- रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था, रामधारी सिंह दिनकर के माता-पिता का नाम क्या था, रामधारी सिंह दिनकर की पत्नी जी का नाम क्या था, रामधारी सिंह दिनकर की पहली रचना कौन सी थी और रामधारी सिंह ...

रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी

Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi रामधारी सिंह दिनकर एक हिंदी कवी, निबंधकार, देशभक्त और विद्वान इंसान थे। जिन्हें भारत के मुख्य आधुनिक कवियों में से एक माना जाता है। भारतीय स्वतंत्रता अभियान के समय में उन्होंने अपनी कविताओ से ही जंग छेड़ दी थी। रामधारी सिंह दिनकर देशभक्ति पर कविताये लिखकर लोगो को देश के प्रति जागरूक करते थे। रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी – Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री 23 अक्टूबर 2012 को भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 21 प्रसिद्ध लेखको और सामाजिक कार्यकर्ताओ को इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति ने आज़ादी के संघर्ष में रामधारी सिंह के योगदान को लोगो के सामने उजागर किया था। भारत के कवी और भूतपूर्व प्रधानमंत्री, दुसरे और भी बहुत से लोग है जिन्होंने दिनकरजी की कविताओ और हिंदी साहित्य में उनके योगदान की सराहना की और प्रशंसा भी की, उन लोगो में मुख्य रूप से शिवराज पाटिल, भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के समय दिनकर क्रांतिकारी अभियान की सहायता करने लगे थे लेकिन बाद में वे गाँधी विचारो पर चलने लगे थे। जबकि बहुत सी बार वे खुद को बुरा गांधियन भी कहते थे। क्योकि वे अपनी कविताओ से देश के युवाओ में अपमान का बदला लेने की भावना को जागृत कर रहे थे। कुरुक्षेत्र में उन्होंने स्वीकार किया की निश्चित ही विनाशकारी था लेकिन आज़ादी की रक्षा करने के लिये वह बहुत जरुरी था। तीन बार दिनकर राज्य सभा में चुने गए और 3 अप्रैल 1952 CE से 26 जनवरी 1964 CE तक वे इसके सदस्य भी बने रहे और उनके योगदान के लिये उन्हें 1959 में पद्म भुषण अवार्ड से सम्मानित भी किया गया। इसके साथ-साथ वे 1960 के शुरू-शुरू में भागलपुर यूनिवर्सिटी (भागलपुर, बिहार) के वाईस-चांसलर भी...

महाकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध 5 कविताएं

सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो सिंहासन खाली करो कि जनता आती है जनता ? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली जब अँग-अँग में लगे साँप हो चूस रहे तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहनेवाली जनता ? हाँ, लम्बी-बडी जीभ की वही कसम "जनता,सचमुच ही, बडी वेदना सहती है।" "सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है ?" 'है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है ?" मानो,जनता ही फूल जिसे अहसास नहीं जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में अथवा कोई दूधमुँही जिसे बहलाने के जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में लेकिन होता भूडोल, बवण्डर उठते हैं जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढाती है दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो सिंहासन खाली करो कि जनता आती है हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ ? वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है अब्दों, शताब्दियों, सहस्त्राब्द का अन्धकार बीता; गवाक्ष अम्बर के दहके जाते हैं यह और नहीं कोई, जनता के स्वप्न अजय चीरते तिमिर का वक्ष उमड़ते जाते हैं सब से विराट जनतन्त्र जगत का आ पहुँचा तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तय करो अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ? देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं धूसरता सोने से शृँगार सजाती है दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो सिंहासन खाली करो कि जनता आती है जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी प...

रामधारी सिंह 'दिनकर'

पूरा नाम रामधारी सिंह दिनकर अन्य नाम दिनकर जन्म जन्म भूमि सिमरिया, मृत्यु मृत्यु स्थान अभिभावक श्री रवि सिंह और श्रीमती मनरूप देवी संतान एक पुत्र कर्म भूमि कर्म-क्षेत्र मुख्य रचनाएँ विषय भाषा विद्यालय राष्ट्रीय मिडिल स्कूल, मोकामाघाट हाई स्कूल, पटना विश्वविद्यालय पुरस्कार-उपाधि ' प्रसिद्धि राष्ट्रकवि नागरिकता भारतीय हस्ताक्षर अन्य जानकारी वर्ष इन्हें भी देखें पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. ऑनर्स करने के बाद अगले ही कार्यक्षेत्र विशिष्ट महत्त्व दिनकर जी की प्राय: 50 कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं। हिन्दी काव्य द्विवेदी युगीन स्पष्टता द्विवेदी युग और छायावाद आरम्भ में दिनकर ने छायावादी रंग में कुछ कविताएँ लिखीं, पर जैसे-जैसे वे अपने स्वर से स्वयं परिचित होते गये, अपनी काव्यानुभूति पर ही अपनी कविता को आधारित करने का आत्म विश्वास उनमें बढ़ता गया, वैसे ही वैसे उनकी कविता छायावाद के प्रभाव से मुक्ति पाती गयी पर छायावाद से उन्हें जो कुछ विरासत में मिला था, जिसे वे मनोनुकूल पाकर अपना चुके थे, वह तो उनका हो ही गया। उनकी काव्यधारा जिन दो कुलों के बीच में प्रवाहित हुई, उनमें से एक छायावाद था। भूमि का ढलान दूसरे कुल की ओर था, पर धारा को आगे बढ़ाने में दोनों का अस्तित्व अपेक्षित और अनिवार्य था। दिनकर अपने को द्विवेदी युगीन और छायावादी काव्य पद्धतियों का वारिस मानते थे। उन्हीं के शब्दों में " आत्म परीक्षण दिनकर ने अपने कृतित्व के विषय में एकाधिक स्थानों पर विचार किया है। सम्भवत: सामाजिक चेतना के चारण वे अहिन्दीभाषी जनता में भी बहुत लोकप्रिय थे क्योंकि उनका दिनकर जी ने श्रमसाध्य जीवन जिया। उनकी साहित्य साधना अपूर्व थी। कुछ समय पहले मुझे एक सज्जन ने कलकत्ता से पत्र लिखा कि दिनकर को उनकी राष्ट्रीय...

रामधारी सिंह दिनकर: वो कवि जिसकी रचनाएं राष्ट्रवाद/देशभक्ति के लिए खाद हैं!

रामधारी सिंह दिनकर: वो कवि जिसकी रचनाएं राष्ट्रवाद/देशभक्ति के लिए खाद हैं! रामधारी सिंह दिनकर बर्थडे (Ramdhari Singh Birthday): आज भले ही राष्ट्रवाद (Nationalism) और देशभक्ति पर तमाम तरह की बातें हो रही हों लेकिन अगर हमें वाक़ई राष्ट्रवाद और देशभक्ति को समझना है तो हमें दिनकर को पढ़ना चाहिए जिनका लेखन देशभक्तों के लिए खाद से कम नहीं है. समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध. जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध.. एक ऐसे समय में जब देश और देश की जनता राष्ट्रवाद (Nationalism) और देशभक्ति को सर्वोपरि रख कर फैसले ले रही हो सियासी दल राष्ट्रवाद के नाम पर राजनीति (Politics) कर रहे हों बॉलीवुड (Bollywood) देश भक्ति को केंद्र में रखकर फिल्मों का निर्माण कर रहा हो उस साहित्य को हरगिज़ नकारा नहीं जा सकता जिसने देश की जनता के बीच असल राष्ट्रवादी भावना का संचार किया. बात राष्ट्रवाद और साहित्य (Litreature) पर चल रही है ऐसे में अगर हम आज की के दिन यानी 23 सिंतबर 1908 में बिहार के सिमरिया में जन्में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' (Ramdhari Singh Dinkar) का जिक्र न करें तो राष्ट्रवाद के विषय पर पूरा चिंतन अधूरा रह जाता है. दिनकर की रचनाओं में जैसा शब्दों का सामंजस्य है शायद ही किसी की हस्ती हो कि उसकी आलोचना या फिर उस पर किसी तरह की कोई टिप्पणी कर सके लेकिन फिर भी अगर हम दिनकर के लिखे या ये कहें कि उनकी रचनाओं का अवलोकन करते हैं तो मिलता है कि विषय से लेकर शब्दों तक जैसा सामंजस्य दिनकर ने अपनी रचनाओं में दिखाया विरले ही लोग होते हैं जो इतना प्रभावशाली लिख पाते हैं. बात अगर उसदौर की हो तो मैथलीशरण गुप्त के अलावा ये रामधारी सिंह दिनकर की ही कलम थी जिनसे ऐसा बहुत कुछ लिख दिया जो एक नजीर ब...

रामधारी सिंह दिनकर: वो कवि जिसकी रचनाएं राष्ट्रवाद/देशभक्ति के लिए खाद हैं!

रामधारी सिंह दिनकर: वो कवि जिसकी रचनाएं राष्ट्रवाद/देशभक्ति के लिए खाद हैं! रामधारी सिंह दिनकर बर्थडे (Ramdhari Singh Birthday): आज भले ही राष्ट्रवाद (Nationalism) और देशभक्ति पर तमाम तरह की बातें हो रही हों लेकिन अगर हमें वाक़ई राष्ट्रवाद और देशभक्ति को समझना है तो हमें दिनकर को पढ़ना चाहिए जिनका लेखन देशभक्तों के लिए खाद से कम नहीं है. समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध. जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध.. एक ऐसे समय में जब देश और देश की जनता राष्ट्रवाद (Nationalism) और देशभक्ति को सर्वोपरि रख कर फैसले ले रही हो सियासी दल राष्ट्रवाद के नाम पर राजनीति (Politics) कर रहे हों बॉलीवुड (Bollywood) देश भक्ति को केंद्र में रखकर फिल्मों का निर्माण कर रहा हो उस साहित्य को हरगिज़ नकारा नहीं जा सकता जिसने देश की जनता के बीच असल राष्ट्रवादी भावना का संचार किया. बात राष्ट्रवाद और साहित्य (Litreature) पर चल रही है ऐसे में अगर हम आज की के दिन यानी 23 सिंतबर 1908 में बिहार के सिमरिया में जन्में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' (Ramdhari Singh Dinkar) का जिक्र न करें तो राष्ट्रवाद के विषय पर पूरा चिंतन अधूरा रह जाता है. दिनकर की रचनाओं में जैसा शब्दों का सामंजस्य है शायद ही किसी की हस्ती हो कि उसकी आलोचना या फिर उस पर किसी तरह की कोई टिप्पणी कर सके लेकिन फिर भी अगर हम दिनकर के लिखे या ये कहें कि उनकी रचनाओं का अवलोकन करते हैं तो मिलता है कि विषय से लेकर शब्दों तक जैसा सामंजस्य दिनकर ने अपनी रचनाओं में दिखाया विरले ही लोग होते हैं जो इतना प्रभावशाली लिख पाते हैं. बात अगर उसदौर की हो तो मैथलीशरण गुप्त के अलावा ये रामधारी सिंह दिनकर की ही कलम थी जिनसे ऐसा बहुत कुछ लिख दिया जो एक नजीर ब...

रामधारी सिंह 'दिनकर'

पूरा नाम रामधारी सिंह दिनकर अन्य नाम दिनकर जन्म जन्म भूमि सिमरिया, मृत्यु मृत्यु स्थान अभिभावक श्री रवि सिंह और श्रीमती मनरूप देवी संतान एक पुत्र कर्म भूमि कर्म-क्षेत्र मुख्य रचनाएँ विषय भाषा विद्यालय राष्ट्रीय मिडिल स्कूल, मोकामाघाट हाई स्कूल, पटना विश्वविद्यालय पुरस्कार-उपाधि ' प्रसिद्धि राष्ट्रकवि नागरिकता भारतीय हस्ताक्षर अन्य जानकारी वर्ष इन्हें भी देखें पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. ऑनर्स करने के बाद अगले ही कार्यक्षेत्र विशिष्ट महत्त्व दिनकर जी की प्राय: 50 कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं। हिन्दी काव्य द्विवेदी युगीन स्पष्टता द्विवेदी युग और छायावाद आरम्भ में दिनकर ने छायावादी रंग में कुछ कविताएँ लिखीं, पर जैसे-जैसे वे अपने स्वर से स्वयं परिचित होते गये, अपनी काव्यानुभूति पर ही अपनी कविता को आधारित करने का आत्म विश्वास उनमें बढ़ता गया, वैसे ही वैसे उनकी कविता छायावाद के प्रभाव से मुक्ति पाती गयी पर छायावाद से उन्हें जो कुछ विरासत में मिला था, जिसे वे मनोनुकूल पाकर अपना चुके थे, वह तो उनका हो ही गया। उनकी काव्यधारा जिन दो कुलों के बीच में प्रवाहित हुई, उनमें से एक छायावाद था। भूमि का ढलान दूसरे कुल की ओर था, पर धारा को आगे बढ़ाने में दोनों का अस्तित्व अपेक्षित और अनिवार्य था। दिनकर अपने को द्विवेदी युगीन और छायावादी काव्य पद्धतियों का वारिस मानते थे। उन्हीं के शब्दों में " आत्म परीक्षण दिनकर ने अपने कृतित्व के विषय में एकाधिक स्थानों पर विचार किया है। सम्भवत: सामाजिक चेतना के चारण वे अहिन्दीभाषी जनता में भी बहुत लोकप्रिय थे क्योंकि उनका दिनकर जी ने श्रमसाध्य जीवन जिया। उनकी साहित्य साधना अपूर्व थी। कुछ समय पहले मुझे एक सज्जन ने कलकत्ता से पत्र लिखा कि दिनकर को उनकी राष्ट्रीय...

महाकवि रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध 5 कविताएं

सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो सिंहासन खाली करो कि जनता आती है जनता ? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली जब अँग-अँग में लगे साँप हो चूस रहे तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहनेवाली जनता ? हाँ, लम्बी-बडी जीभ की वही कसम "जनता,सचमुच ही, बडी वेदना सहती है।" "सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है ?" 'है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है ?" मानो,जनता ही फूल जिसे अहसास नहीं जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में अथवा कोई दूधमुँही जिसे बहलाने के जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में लेकिन होता भूडोल, बवण्डर उठते हैं जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढाती है दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो सिंहासन खाली करो कि जनता आती है हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ ? वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है अब्दों, शताब्दियों, सहस्त्राब्द का अन्धकार बीता; गवाक्ष अम्बर के दहके जाते हैं यह और नहीं कोई, जनता के स्वप्न अजय चीरते तिमिर का वक्ष उमड़ते जाते हैं सब से विराट जनतन्त्र जगत का आ पहुँचा तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तय करो अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ? देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं धूसरता सोने से शृँगार सजाती है दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो सिंहासन खाली करो कि जनता आती है जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी प...

रामधारी सिंह दिनकर

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (Ramdhari Singh Dinkar) का Ramdhari Singh Dinkar रामधारी सिंह दिनकर के जीवन वृत्त पर प्रकाश डालिए तथा उनकी कृतियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ राष्ट्रीय जीवन की आकांक्षाओं के उत्कृष्ट प्रतिनिधि कवि हैं। इनकी कविताओं में विद्रोह, राष्ट्र-प्रेम, अन्याय तथा शोषण के प्रति आवाज उठी है। राष्ट्रकवि का सम्मान देकर राष्ट्र ने उनके प्रति कृतज्ञता का परिचय दिया है। दिनकर की कविता युगीन समस्याओं को प्रस्तुत करती है। वे ‘ओज’ और ‘माधुर्य’ के कवि के रूप में हिन्दी को अनेक काव्य रचनाएँ दे चुके हैं। क्रान्तिवीर दिनकर की कविताएँ मन को झकझोर देने में समर्थ हैं। उनके कृतित्व की श्रेष्ठता का प्रमाण है उनकी कृति ‘ उर्वशी‘ पर मिला ‘ ज्ञानपीठ‘ पुरस्कार। दिनकर जी सच्चे अर्थों में राष्ट्र कवि कहे जाने योग्य हैं। रामधारी सिंह दिनकर का जीवन परिचय रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का जन्म बिहार के मुंगेर जिले में सिमरिया गाँव में 30 सितम्बर, सन् 1908 ई. को हुआ था। इनके पिता का नाम रविसिंह एवं माता का नाम मनरूपदेवी था। बाल्यावस्था में ही इनके पिता का देहान्त हो जाने के कारण इनकी माताजी ने इनका पालन किया। मोकामघाट से हाईस्कूल करके पटना विश्वविद्यालय से बी. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। मोकामघाट के विद्यालय में प्रधानाचार्य में पद पर कार्य किया और फिर उसके बाद सब-रजिस्टार के पद पर भी कार्य किया। ये मुजफ्फरपर कॉलेज के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष भी रहे। तत्पश्चात् वे भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे और भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार पद पर भी कार्य किया। अनेक वर्षों तक ये राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। 24 अप्रैल, सन 1974 को इनका देहान्त हो गया। ‘दिनकर’ प्रारम्भ से ही लोक के प्रति निष्ठा...

रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी

Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi रामधारी सिंह दिनकर एक हिंदी कवी, निबंधकार, देशभक्त और विद्वान इंसान थे। जिन्हें भारत के मुख्य आधुनिक कवियों में से एक माना जाता है। भारतीय स्वतंत्रता अभियान के समय में उन्होंने अपनी कविताओ से ही जंग छेड़ दी थी। रामधारी सिंह दिनकर देशभक्ति पर कविताये लिखकर लोगो को देश के प्रति जागरूक करते थे। रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी – Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री 23 अक्टूबर 2012 को भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 21 प्रसिद्ध लेखको और सामाजिक कार्यकर्ताओ को इस अवसर पर भारत के राष्ट्रपति ने आज़ादी के संघर्ष में रामधारी सिंह के योगदान को लोगो के सामने उजागर किया था। भारत के कवी और भूतपूर्व प्रधानमंत्री, दुसरे और भी बहुत से लोग है जिन्होंने दिनकरजी की कविताओ और हिंदी साहित्य में उनके योगदान की सराहना की और प्रशंसा भी की, उन लोगो में मुख्य रूप से शिवराज पाटिल, भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के समय दिनकर क्रांतिकारी अभियान की सहायता करने लगे थे लेकिन बाद में वे गाँधी विचारो पर चलने लगे थे। जबकि बहुत सी बार वे खुद को बुरा गांधियन भी कहते थे। क्योकि वे अपनी कविताओ से देश के युवाओ में अपमान का बदला लेने की भावना को जागृत कर रहे थे। कुरुक्षेत्र में उन्होंने स्वीकार किया की निश्चित ही विनाशकारी था लेकिन आज़ादी की रक्षा करने के लिये वह बहुत जरुरी था। तीन बार दिनकर राज्य सभा में चुने गए और 3 अप्रैल 1952 CE से 26 जनवरी 1964 CE तक वे इसके सदस्य भी बने रहे और उनके योगदान के लिये उन्हें 1959 में पद्म भुषण अवार्ड से सम्मानित भी किया गया। इसके साथ-साथ वे 1960 के शुरू-शुरू में भागलपुर यूनिवर्सिटी (भागलपुर, बिहार) के वाईस-चांसलर भी...