रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए

  1. गद्दी को रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए? » Gaddi Ko Rekhankit Ansh Ki Vyakhya Kijiye
  2. UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 ममता (गद्य खंड) – UP Board Solutions
  3. रेखांकित अंश की व्याख्या क्या है?
  4. Up Board Class 9th Hindi Solutions of Chapter
  5. UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi काव्यांजलि Chapter 2 मैथिलीशरण गुप्त


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गद्दी को रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए? » Gaddi Ko Rekhankit Ansh Ki Vyakhya Kijiye

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UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 ममता (गद्य खंड) – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 ममता (गद्य खंड) These Solutions are part of जीवन-परिचय एवं कृतियाँ प्रश्न 1. जयशंकर प्रसाद के जीवन-परिचय एवं रचनाओं पर प्रकाश डालिए। [2009, 10, 11] या जयशंकर प्रसाद का जीवन-परिचय दीजिए तथा उनकी एक रचना का नाम लिखिए। [2011, 12, 13, 14, 15, 16, 18] उत्तर- हिन्दी-साहित्य को प्रसाद जी की उपलब्धि एक युगान्तरकारी घटना है। ऐसा प्रतीत होता है कि ये हिन्दी-साहित्य की श्रीवृद्धि के लिए ही अवतरित हुए थे। यही कारण है कि हिन्दी-साहित्य का प्रत्येक पक्ष इनकी लेखनी से गौरवान्वित हो उठा है। ये हिन्दी के महान् कवि, नाटककार, कहानीकार, निबन्धकार आदि के रूप में जाने जाते हैं। हिन्दी-साहित्य इन्हें सदैव याद रखेगा। जीवन-परिचय – हिन्दी-साहित्य के महान् कवि, नाटककार, कहानीकार एवं निबन्धकार श्री जयशंकर प्रसाद जी का जन्म सन् 1889 ई० में वाराणसी के प्रसिद्ध हुँघनी साहू परिवार में हुआ था। इनके पिता बाबू देवीप्रसाद काशी के प्रतिष्ठित और धनाढ्य व्यक्ति थे। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई तथा स्वाध्याय से ही इन्होंने अंग्रेजी, संस्कृत, उर्दू और फारसी का श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त किया और साथ ही वेद, पुराण, इतिहास, दर्शन आदि का (UPBoardSolutions.com) भी गहन अध्ययन किया। माता-पिता तथा बड़े भाई की मृत्यु हो जाने पर इन्होंने व्यवसाय और परिवार का उत्तरदायित्व सँभाला ही था कि युवावस्था के पूर्व ही भाभी और एक के बाद दूसरी पत्नी की मृत्यु से इनके ऊपर विपत्तियों का पहाड़ ही टूट पड़ा। फलतः वैभव के पालने में झूलता इनका परिवार ऋण के बोझ से दब गया। इनको विषम परिस्थितियों से जीवन-भर संघर्ष करना पड़ा, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी और निरन्तर साहित्य-सेवा में लगे रहे। क्रमश...

रेखांकित अंश की व्याख्या क्या है?

रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए? दोस्तों रेखांकित अंश की व्याख्या करें तो, यदि आपने किसी भी शब्द या वाक्य को रेखांकित करना चाहे तो उस शब्द के नीचे एक रेखा खिचना होता हैं, उस शब्द को अतिरिक्त महत्व देने के लिए. उसे ही रेखांकित अंश कहा जाता हैं. निष्कर्ष – दोस्तों आपको यह “रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए – Rekhankit Ansh Ki Vyakhya Kijiye” का आर्टिकल कैसा लगा? निचे हमे कमेंट करके जरुर बताये. साथ ही इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर जरुर करे. लेटेस्ट अपडेट्स पाने के लिए Techly360 को Facebook, Twitter और Instagram पर फॉलो करे. और वीडियोज देखने के लिए YouTube पर सब्सक्राइब करे. UP Board Solutions for Class 10 Hindi Chapter 3 क्या लिखें? (गद्य खंड), the students can refer to these answers to prepare for the examinations. The solutions provided in the Free PDF download of UP Board Solutions for Class 10 are beneficial in enhancing conceptual knowledge. जीवन-परिचय एवं कृतियाँ क्या लिखूं पाठ के प्रश्न उत्तर प्रश्न 1. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी के जीवन-परिचय एवं रचनाओं पर प्रकाश डालिए। [2009] या पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन-परिचय दीजिए तथा उनकी एक रचना का नाम लिखिए। [2011, 12, 13, 14, 15, 16, 17] उत्तर प्रचार से दूर हिन्दी के मौन साधक पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हिन्दी के प्रतिष्ठित निबन्धकार, कवि, सम्पादक तथा साहित्य मर्मज्ञ थे। साहित्य-सृजन की प्रेरणा आपको विरासत में मिली थी, जिसके कारण आपने विद्यार्थी जीवन से ही लिखना प्रारम्भ कर दिया था। ललित निबन्धों के लेखन के लिए आपको प्रभूत यश प्राप्त हुआ। एक गम्भीर विचारक, शिष्ट हास्य-व्यंग्यकार और कुशल आलोचक के रूप में आप हिन्दी-साहित्य में विख्यात ...

Up Board Class 9th Hindi Solutions of Chapter

Up Board Class 9th Hindi Solutions of Chapter-7 thele par himalay – ठेले पर हिमालय ( गद्य खण्ड) – कक्षा 9 हिंदी पाठ 7 मंत्र के गद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर Chapter-7 Thele Par Himalay- Solutions of बात (गद्य खंड). 7 Thele Par Himalay Written By Dharmveer Bharti . पाठ – ठेले पर हिमालय – हिन्दी कक्षा-9 हिन्दी – गद्यांश आधारित प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. निम्नलिखित गद्यांशों के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1) ठेले पर बर्फ की सिलें लादे हुए बर्फ वाला आया। ठण्डे, चिकने, चमकते बर्फ से भाप उड़ रही थी। मेरे मित्र का जन्म स्थान अल्मोड़ा है, वे क्षण भर उस बर्फ को देखते रहे, उठती हुई भाप में खोये रहे और खोये-खोये से ही बोले, “यही बर्फ तो हिमालय की शोभा है।” और तत्काल शीर्षक मेरे मन में कौंध गया, ‘ठेले पर हिमालय’। पर आपको इसलिए बता रहा हूँ कि अगर आप नये कवि हों तो भाई, इसे ले जायँ और इस शीर्षक पर दो-तीन सौ पंक्तियाँ बेडौल – बेतुकी लिख डालें – शीर्षक मौजूँ है और अगर नयी कविता से नाराज हों, सुललित गीतकार हों तो भी गुंजाइश है, इस बर्फ को डाँटें, “उतर आओ। ऊँचे शिखर पर बन्दरों की तरह क्यों चढ़े बैठे हो ? ओ नये कवियो ! ठेले पर लादो। पान की दुकानों पर बिको।” प्रश्न (i) उपर्युक्त गद्यांश का संदर्भ लिखिए। उत्तर — (i) सन्दर्भ – प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य पुस्तक ‘हिन्दी गद्य’ के ‘ठेले पर हिमालय’ नामक पाठ से उद्धृत –– है। इसके लेखक डॉ० धर्मवीर भारती जी हैं। प्रस्तुत अवतरण में लेखक ने बर्फ का वर्णन किया है। प्र.(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए । उ.रेखांकित अंश की व्याख्या -ठेले पर लदे हुए बर्फ को देखकर लेखक कहता है कि एक मेरा मित्र है जिनका जन्म स्थान अल्मोड़ा है। वे पल भर उस बर्फ को एकटक दे...

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi काव्यांजलि Chapter 2 मैथिलीशरण गुप्त

UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi काव्यांजलि Chapter 2 मैथिलीशरण गुप्त UP Board Solutions for Class 12 Samanya Hindi काव्यांजलि Chapter 2 मैथिलीशरण गुप्त कवि का साहित्यिक परिचय और कृतिया प्रश्न 1. मैथिलीशरण गुप्त का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए। [2009, 10, 11, 16] था मैथिलीशरण गुप्त का साहित्यिक परिचय दीजिए और उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए। [2012, 13, 14, 15, 16, 17, 18] उत्तर जीवन-परिचय-राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म संवत् 1943 वि० (सन् 1886 ई०) में, चिरगाँव (जिला झाँसी) में हुआ था। इनके पिता का नाम सेठ रामचरण गुप्त था। सेठ रामचरण गुप्त स्वयं एक अच्छे कवि थे। गुप्त जी पर अपने पिता का पूर्ण प्रभाव पड़ा। आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी से भी इन्हें बहुत प्रेरणा मिली। ये द्विवेदी जी को अपना गुरु मानते थे। गुप्त जी को प्रारम्भ में अंग्रेजी पढ़ने के लिए झाँसी भेजा गया, किन्तु वहाँ इनका मन न लगा; अत: घर पर ही इनकी शिक्षा का प्रबन्ध किया गया, जहाँ इन्होंने अंग्रेजी, संस्कृत और हिन्दी का अध्ययन किया। गुप्त जी बड़े ही विनम्र, हँसमुख और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। इनके काव्य में भारतीय संस्कृति को प्रेरणाप्रद चित्रण हुआ है। इन्होंने अपनी कविताओं द्वारा राष्ट्र में जागृति तो उत्पन्न की ही, साथ ही सक्रिय रूप से असहयोग आन्दोलनों में भी भाग लेते रहे, जिसके फलस्वरूप इन्हें जेल भी जाना पड़ा। ‘साकेत’ महाकाव्य पर इन्हें हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन, प्रयाग से मंगलाप्रसाद पारितोषिक भी मिला। भारत सरकार ने गुप्त जी को इनकी साहित्य-सेवा के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया और राज्यसभा का सदस्य भी मनोनीत किया। जीवन के अन्तिम क्षणों तक ये निरन्तर साहित्य-सृजन करते र...