रिश्तों का चक्रव्यूह

  1. Ayesha Jhulka To Debut On Tv With Star Plus Show Chakravyuh
  2. रिश्तों के चक्रव्यूह में पिता
  3. ‘रिश्तों का चक्रव्यूह‘, एक मां
  4. रिश्तों का चक्रव्यूह – Indu
  5. चक्रव्यूह रिश्तों का
  6. चक्रव्यूह रिश्तों का
  7. ‘रिश्तों का चक्रव्यूह‘, एक मां
  8. रिश्तों का चक्रव्यूह – Indu
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Ayesha Jhulka To Debut On Tv With Star Plus Show Chakravyuh

90 के दशक की कई सुपरहिट फिल्मों कि हीरोइन आयशा जुल्का आपको याद हैं ना. वही आयशा जिनका नाम अक्षय कुमार के साथ सबसे पहले जुड़ा था. अब अक्षय कुमार को डेट कर चुकीं आयशा जल्द ही छोटे पर्दे पर दिखेंगी. आयशा ने 'खिलाड़ी', 'रंग' 'बलमा' 'जो जीता वही सिकंदर' और दलाल जैसी हिट फिल्मों में काम किया था. आयशा और अक्षय हिट फिल्म 'खिलाड़ी' में साथ दिखाई दिए थे. उस समय दोनों के अफेयर की भी खूब चर्चा थी और आयशा वाकई अक्षय से शादी करना चाहती थीं. हालांकि अक्षय उस वक्त सीरियस रिलेशनशिप के लिए तैयार नहीं थे जिस पर हुई अनबन के बाद दोनों अलग हो गए. बताया जाता है कि मिथुन चक्रवर्ती के साथ फिल्म के 'दलाल' के वक्त हुए विवाद ने उनको बॉलीवुड से लगभग बाहर ही कर दिया था. सूत्रों के मुताबिक आयशा बहुत जल्द स्टार प्लस के टीवी शो 'रिश्तों का चक्रव्यूह' में एक अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे सकती हैं. बता दें कि इस सीरियल में नारायणी शास्त्री और महिमा मकवाना मां-बेटी के रोल में नजर आने वाली हैं. सूत्रों के मुताबिक, इस सीरियल में आयशा का किरदार बड़ी मां का होगा उनका जो परिवार के सभी सदस्यों पर हुकूम चलाती है. बताया गया है कि यह रोल पहले तो पॉजिटिव होगा, लेकिन बाद में नेगेटिव हो जाएगा. • Sri Lanka vs Ireland Sri Lanka beat Ireland by an innings and 10 runs • England vs Ireland England beat Ireland by 10 wickets • Australia vs India Australia beat India by 209 runs • Sunrisers Hyderabad vs Mumbai Indians Mumbai Indians beat Sunrisers Hyderabad by 14 runs • Rajasthan Royals vs Lucknow Super Giants Lucknow Super Giants beat Rajasthan Royals by 10 runs • Delhi Capitals vs Kolkata Knight Riders Delhi Capitals beat K...

रिश्तों के चक्रव्यूह में पिता

छोटा था, तो पिताजी के सामने जाने की हिम्मत नहीं होती थी। वह जिस कमरे में बैठते, उस कमरे से बचता था। पिताजी से बात कहनी होती, तो मां का सहारा लेता। वह हमारे बीच में डाकिये की भूमिका निभाती और मेरे लिए वकील बन जाती। उनसे जिरह करने का साहस मेरे फरिश्तों में भी नहीं था। यही हाल मेरे दोस्तों का भी था। पिताजी मुझसे बेहद प्यार करते थे। लेकिन यह कभी उन्होंने कहा नहीं और न ही मैंने यह कभी जानने की कोशिश की। यह रिश्ता दोनों तरफ से मूक था। इसमें एक अजीब किस्म की अजनबियत थी। वह बोलते कम, हुक्म ज्यादा सुनाते थे। मेरी जिंदगी के सारे फैसले वही करते। मानने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। लेकिन मेरे जवान होते ही दुनिया बदलने लगी। पिता दोस्त बन गए। उनके सामने बैठना, उनसे गप्पें मारना सामान्य-सी बात हो गई। हम स्कूल की फीस मांगने में झिझकते थे, आज के बच्चे डैड से रिलेशनशिप पर बात करने से नहीं सकुचाते। पीढ़ी बदल गई, रिश्ते बदल गए। हमारी पीढ़ी में रिश्ते समूह से तय और निर्धारित होते थे। परिवार बड़ा था, व्यक्ति छोटा। रिश्तों में बराबरी नहीं, एक हायरार्की थी। ऐसे में जब मैंने पिछले दिनों जिंदगी न मिलेगी दुबारा फिल्म देखी, तो रिश्तों का एक नया संसार दिखा। समूह नहीं, व्यक्ति दिखा। न परिवार बड़ा, और न व्यक्ति छोटा। दोनों बराबर। व्यक्ति परिवार के सामने सरेंडर नहीं करता। बेटा और बाप, दोनों को पता है कि जिंदगी सिर्फ एक बार ही मिलती है। और उसे अपने तरीके से ही जीने में मजा है। फरहान खान पूरी फिल्म में अपने पिता से मिलने की ख्वाहिश लिए अपने दोस्तों के साथ स्पेन जाता है। उसके पिता और उसकी मां के बीच जवानी के दिनों में एक रिश्ता बन गया था। उस रिश्ते ने फरहान को जन्म दिया। लेकिन पिता नसीरुद्दीन शाह शादी ...

चक्रव्यूह

ये कैसा चक्रव्यूह है ...जिन्दगी का जिसे जितना तोडते जाओ... उतना ही बडा होता जाता है.. इस भवर को तोडने की कला है किसी के पास, तो उसको और घेरे जाता है... रिश्तों का चक्रव्यूह, परम्पराओं का चक्रव्यूह,सांसारिक जीवन जीने का एक बहुत बडा चक्रवात।जो ना जाने कितने समय के लिये जीवन मे आता है...और कितने घर उजाड जाता है.. या यूँ कहले की जब तक विरानी ना आ जाये.. तब तक ये शान्त नही होता.. और जब शान्त होता है तो बर्बादी का इतना गहरा सन्नाटा छोड़ जाता है, कि इन्सान अपनी ही सांसों की गहराई से डर जाता है.. ये ऐसा सन्नाटा है जो अकेले मे कम और अपनो के बीच ज्यादा मह्सूस होता है.... समर्पणऔर विश्वास् के भाव के विभोर होके... जो रिश्तों के नाम पे अपनेआप को, अपनी भावनाओं को चोट पहुचाता रह्ता है ,दुनिया को उसकी आदत पड जाती है और उसका त्याग ना समझकर अपना अधिकार मान लेती है.... त्याग करने वाला अपने संस्कारों तले दबा होता है... लेकिन जब ये सन्नाटा उसके ऊपर हावी होने लगता है ...तो यही त्याग,समर्पण और संस्कार उसकी ताकत बन जाते हैं... उसको दुनिया की भीड की जरुरत नही होती... वो अपनी निष्ठा के बल पे दुनिया का सामना कर लेता है ...और उस सन्नाटे मे एक चीख छोड़ देता है और उस एक चीख का रूदन इतना भयावह होता है.... कि सिर्फ उसे सुनने के लिये दुनिया को भीड की जरुरत होती है ...और उस भीड का शोर भी उस चीख को नही दबा पाता। तूने मुझे जीने के काबिल किया है, तेरा शुक्रिया है.तेरा शुक्रिया है... उसे क्या कमी जो तेरा हो गया है... तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है... तूने मुझे दाता सब कुछ दिया है... तेरा शुक्रिया है ,तेरा शुक्रिया है..🙏 हे प्रभु सबकी झोलियां भरे रखना🙏 आज का ये सन्नाटा...ये सूनापन ...ये खाली सड़कें लेकिन एक बहु...

‘रिश्तों का चक्रव्यूह‘, एक मां

‘रिश्तों का चक्रव्यूह‘, एक मां-बेटी के बीच असाधारण ‘ईष्र्या से भरपूर‘ कहानी ‘‘जिंदगी से हमें जितने भी उपहार मिले हैं, उनमें से मां सबसे अच्छा तोहफा है।‘‘ – यह एक सशक्त कहावत है। ‘मां‘ का महत्व सारी दुनिया में एकसा है, नहीं? जब वे कहते हैं कि ‘प्यार‘ की शुरूआत और अंत मातृत्व के साथ होता है, तो क्या आपने कभी मां-बेटी की ऐसी जोड़ी की कल्पना की है, जिनके बीच ‘प्यार‘ की कोई भावना ही नहीं है। स्टार प्लस पर एकदम नया ड्रामा ‘रिश्तों का चक्रव्यूह‘ आने जा रहा है, जोकि मां सतरूपा और उसकी बेटी अनामी के बीच के टकराव को दिखाता है। शाही पृष्ठभूमि पर आधारित इस शो में एक अमीर औद्योगिक परिवार पर केंद्रण किया गया है, जोकि एक भव्य लाल महल में रहता है। यह लाल महल कई षड़यंत्रों का घर है। इस शो में सत्तावादी महिला सतरूपा और उसकी बेटी अनामी की कहानी दिखाई गई है। इस दिलचस्प जोड़ी के बीच हमेशा विवाद रहता है। आखिर उन्हें किसने अलग किया है? क्या यह परिवार में होने वाला आम झगड़ा है, जो समय के साथ ठीक हो जाता है? अथवा यह एक स्थायी दरार है जिसका उत्पत्ति एक ईष्र्या से भरे अतीत के कारण हुई? एक मां और बेटी का रिश्ता बेहद पवित्र माना जाता है, आखिरकारयह इतना द्वेषपूर्ण कैसे हो सकता है? सतरूपा की भूमिका बहुमुखी अदाकारा नारायणी शास्त्री निभा रही है। सतरूपा एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाली कामयाब बिजनेस वुमेन है। वह अपने माता-पिता की अकेली लड़की होती है और बहुत कम उम्र से ही बिजनेस की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा लेती है। वह आज जिस मुकाम पर है, वहां तक पहुंचने के लिए उसने जिंदगी में काफी बलिदान किये हैं। लाल महल की डोर पूरी तरह से सतरूपा के हाथों में हैं। पुरूष प्रधान समाज में अपनी जगह बनाने के लिए वह अपने रवैये को कतई नहीं ...

रिश्तों का चक्रव्यूह – Indu

मेघा धड़धड़ाती हुई आयी, डाईनिंग टेबल से टिफ़िन उठाया, साइड टेबुल से गाड़ी की चाबी और “बाए माँ” कहते-कहते ये जा और वो जा। “अरे, रुक दूध तो पी ले, कुछ खा ही ले” कहते-कहते सुधा पीछे भागी तब तक मेघा ने गाड़ी स्टार्ट कर ली थी।, “ऑफिस में खा लूंगी मां, लेट हो रही हूं”। कहते-कहते उसने गाड़ी भगा दी । यूँ तो ये रोज़ की ही बात थी मेघा देर रात जगती, देर से उठती और यूँ ही मिनटों में तैयार हो कर ऑफिस भागती। घर की ज़िम्मेदारी थी नहीं, तीस की होने जा रही थी और शादी के नाम पर टालमटोल। सुधा बहुत विचलित हो जाती पर कर क्या सकती थी। उस के पति तो बिल्कुल मस्त अपनी ही दुनिया में। एक लक्ष्मणरेखा खींची हुई थी अपने आसपास उन्होंने, न कोई उन तक पहुंच सकता न ही वो किसी की ज़िंदगी में दखल देते। कैसे रह लेते हैं लोग ऐसे निर्लिप्त से, सुधा हैरान होती तो वो हँस के कहते तुमने कौन सा मैदान मार लिया है बार-बार कह कर, तो सुधा कट के रह जाती। बात तो ठीक ही है, उनके इतना कहने के बावजूद मेघा ने कभी दिल की बात नहीं बतायी। कितनी बार पूछा कि अगर कोई पसंद है तो बता दो, आजकल कहाँ लड़कियां अर्रेंज मैरिज करती हैं। सुधा इतनी परेशान हो जाती की कब शादी करेगी, कब बच्चे होंगे। हर बात समय से ही अच्छी लगती है। आज की पीढ़ी की बातें उसे ज़रा पसंद नहीं। अनुशासन नाम की कोई चीज़ नहीं इन की ज़िंदगी में। ना समय से उठना न सोना, ना खाना पीना। पहले पढाई ही पढ़ाई फिर काम ही काम। ऑफिस में भी काम, घर लौट के भी लैपटॉप में घुसे रहना। शादी के बाद पहला बच्चा लड़का था तो सुधा की मां बोलीं “चलो अच्छा है पहले बहु आ कर सेवा करेगी”। फिर मेघा हुई। बेटा मयंक तो शादी कर के विदेश चला गया, सो बहु का सुख भी मृग तृष्णा हो कर रह गया। फिर सोचा था कि बेटियां तो माँ के दुखद...

चक्रव्यूह रिश्तों का

मैं अपने उन तमाम पाठकों का सादर अभिनंदन करती हूँ जिन्होंने हमेशा मेरी लेखनी को बहुत सराहा है ।ओर मुझे लिखने को प्रेरित किया है ।मेरी कहानी ' चक्रव्यूह रिश्तों का ' ने काफी लंबी होने के कारण नॉवेल की शक्ल अख्तियार कर ली है पर दोस्तों के आग्रह पर अपनी इस कहानी को कई भागों में आपके सामने प्रस्तुत करने जा रही हूँ।आशा है आप को अच्छी लगेगी।कृपया अपने विचारों से हमे जरूर अवगत कराएं ।आप का स्नेह ही हमारी ताकत है। चक्रव्यूह रिश्तों का ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,भाग ,,,1 बादलों के बीच झांकता चांद बेहद खूबसूरत लग रहा था । मेरी आंखें ,उसकी खूबसूरती को निहारने पर विवश हो रही थी ।ऐसा लग रहा था मानो बादलों की बारात ढोल बाजे के साथ निकल पड़ी हो ! कहीं काले,कही सफेद पोशाक में सजे बारातियों की भीड़ के बीच बीच से झांकता नन्हें-नन्हें टुकड़ों में आकाश अपने अस्तित्व की उपस्थिति का एहसास दिला रहा था । उसे डर था, कहीं बादलों के झुंड में उसका अपना अस्तित्व खो ना जाए। गाजे बाजे की गड़गड़ाहट के बीच चांद भी कभी कभी पहलू से निकलकर झाँक लेता और अपनी चांदनी बिखेर कर फिर पहलू में छुप जाता । झील के किनारे घास पर लेटे लेटे मैं एक बार फिर चांद को देखने की तड़प लिएआकाश को निहारता रहा । प्रकृति के इस खूबसूरत नजारे में खोकर पल भर के लिए मैं सब कुछ भूल बैठा था । मन में दबीपीड़ान जाने कब आसूँ बन कर आंखों के कोरों से बहते हुए घास पर ओसकी बूंदों की तरह झिलमिलाने लगे थे । अचानकतेजशोर के साथ आकाश में काले काले घने बादल घिर आए, और धीरे-धीरे चारों तरफ घनघोर अंधकार छाने लगा । ऐसा लगा मानो आकाश में भयंकर काले राक्षसों का युद्ध छिड़ गया हो । बिजली की चमक ,बादलों की गड़गड़ाहट ,दिलों को दहला रही...

चक्रव्यूह रिश्तों का

मैं अपने उन तमाम पाठकों का सादर अभिनंदन करती हूँ जिन्होंने हमेशा मेरी लेखनी को बहुत सराहा है ।ओर मुझे लिखने को प्रेरित किया है ।मेरी कहानी ' चक्रव्यूह रिश्तों का ' ने काफी लंबी होने के कारण नॉवेल की शक्ल अख्तियार कर ली है पर दोस्तों के आग्रह पर अपनी इस कहानी को कई भागों में आपके सामने प्रस्तुत करने जा रही हूँ।आशा है आप को अच्छी लगेगी।कृपया अपने विचारों से हमे जरूर अवगत कराएं ।आप का स्नेह ही हमारी ताकत है। चक्रव्यूह रिश्तों का ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,भाग ,,,1 बादलों के बीच झांकता चांद बेहद खूबसूरत लग रहा था । मेरी आंखें ,उसकी खूबसूरती को निहारने पर विवश हो रही थी ।ऐसा लग रहा था मानो बादलों की बारात ढोल बाजे के साथ निकल पड़ी हो ! कहीं काले,कही सफेद पोशाक में सजे बारातियों की भीड़ के बीच बीच से झांकता नन्हें-नन्हें टुकड़ों में आकाश अपने अस्तित्व की उपस्थिति का एहसास दिला रहा था । उसे डर था, कहीं बादलों के झुंड में उसका अपना अस्तित्व खो ना जाए। गाजे बाजे की गड़गड़ाहट के बीच चांद भी कभी कभी पहलू से निकलकर झाँक लेता और अपनी चांदनी बिखेर कर फिर पहलू में छुप जाता । झील के किनारे घास पर लेटे लेटे मैं एक बार फिर चांद को देखने की तड़प लिएआकाश को निहारता रहा । प्रकृति के इस खूबसूरत नजारे में खोकर पल भर के लिए मैं सब कुछ भूल बैठा था । मन में दबीपीड़ान जाने कब आसूँ बन कर आंखों के कोरों से बहते हुए घास पर ओसकी बूंदों की तरह झिलमिलाने लगे थे । अचानकतेजशोर के साथ आकाश में काले काले घने बादल घिर आए, और धीरे-धीरे चारों तरफ घनघोर अंधकार छाने लगा । ऐसा लगा मानो आकाश में भयंकर काले राक्षसों का युद्ध छिड़ गया हो । बिजली की चमक ,बादलों की गड़गड़ाहट ,दिलों को दहला रही...

‘रिश्तों का चक्रव्यूह‘, एक मां

‘रिश्तों का चक्रव्यूह‘, एक मां-बेटी के बीच असाधारण ‘ईष्र्या से भरपूर‘ कहानी ‘‘जिंदगी से हमें जितने भी उपहार मिले हैं, उनमें से मां सबसे अच्छा तोहफा है।‘‘ – यह एक सशक्त कहावत है। ‘मां‘ का महत्व सारी दुनिया में एकसा है, नहीं? जब वे कहते हैं कि ‘प्यार‘ की शुरूआत और अंत मातृत्व के साथ होता है, तो क्या आपने कभी मां-बेटी की ऐसी जोड़ी की कल्पना की है, जिनके बीच ‘प्यार‘ की कोई भावना ही नहीं है। स्टार प्लस पर एकदम नया ड्रामा ‘रिश्तों का चक्रव्यूह‘ आने जा रहा है, जोकि मां सतरूपा और उसकी बेटी अनामी के बीच के टकराव को दिखाता है। शाही पृष्ठभूमि पर आधारित इस शो में एक अमीर औद्योगिक परिवार पर केंद्रण किया गया है, जोकि एक भव्य लाल महल में रहता है। यह लाल महल कई षड़यंत्रों का घर है। इस शो में सत्तावादी महिला सतरूपा और उसकी बेटी अनामी की कहानी दिखाई गई है। इस दिलचस्प जोड़ी के बीच हमेशा विवाद रहता है। आखिर उन्हें किसने अलग किया है? क्या यह परिवार में होने वाला आम झगड़ा है, जो समय के साथ ठीक हो जाता है? अथवा यह एक स्थायी दरार है जिसका उत्पत्ति एक ईष्र्या से भरे अतीत के कारण हुई? एक मां और बेटी का रिश्ता बेहद पवित्र माना जाता है, आखिरकारयह इतना द्वेषपूर्ण कैसे हो सकता है? सतरूपा की भूमिका बहुमुखी अदाकारा नारायणी शास्त्री निभा रही है। सतरूपा एक दृढ़ इच्छाशक्ति वाली कामयाब बिजनेस वुमेन है। वह अपने माता-पिता की अकेली लड़की होती है और बहुत कम उम्र से ही बिजनेस की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा लेती है। वह आज जिस मुकाम पर है, वहां तक पहुंचने के लिए उसने जिंदगी में काफी बलिदान किये हैं। लाल महल की डोर पूरी तरह से सतरूपा के हाथों में हैं। पुरूष प्रधान समाज में अपनी जगह बनाने के लिए वह अपने रवैये को कतई नहीं ...

रिश्तों का चक्रव्यूह – Indu

मेघा धड़धड़ाती हुई आयी, डाईनिंग टेबल से टिफ़िन उठाया, साइड टेबुल से गाड़ी की चाबी और “बाए माँ” कहते-कहते ये जा और वो जा। “अरे, रुक दूध तो पी ले, कुछ खा ही ले” कहते-कहते सुधा पीछे भागी तब तक मेघा ने गाड़ी स्टार्ट कर ली थी।, “ऑफिस में खा लूंगी मां, लेट हो रही हूं”। कहते-कहते उसने गाड़ी भगा दी । यूँ तो ये रोज़ की ही बात थी मेघा देर रात जगती, देर से उठती और यूँ ही मिनटों में तैयार हो कर ऑफिस भागती। घर की ज़िम्मेदारी थी नहीं, तीस की होने जा रही थी और शादी के नाम पर टालमटोल। सुधा बहुत विचलित हो जाती पर कर क्या सकती थी। उस के पति तो बिल्कुल मस्त अपनी ही दुनिया में। एक लक्ष्मणरेखा खींची हुई थी अपने आसपास उन्होंने, न कोई उन तक पहुंच सकता न ही वो किसी की ज़िंदगी में दखल देते। कैसे रह लेते हैं लोग ऐसे निर्लिप्त से, सुधा हैरान होती तो वो हँस के कहते तुमने कौन सा मैदान मार लिया है बार-बार कह कर, तो सुधा कट के रह जाती। बात तो ठीक ही है, उनके इतना कहने के बावजूद मेघा ने कभी दिल की बात नहीं बतायी। कितनी बार पूछा कि अगर कोई पसंद है तो बता दो, आजकल कहाँ लड़कियां अर्रेंज मैरिज करती हैं। सुधा इतनी परेशान हो जाती की कब शादी करेगी, कब बच्चे होंगे। हर बात समय से ही अच्छी लगती है। आज की पीढ़ी की बातें उसे ज़रा पसंद नहीं। अनुशासन नाम की कोई चीज़ नहीं इन की ज़िंदगी में। ना समय से उठना न सोना, ना खाना पीना। पहले पढाई ही पढ़ाई फिर काम ही काम। ऑफिस में भी काम, घर लौट के भी लैपटॉप में घुसे रहना। शादी के बाद पहला बच्चा लड़का था तो सुधा की मां बोलीं “चलो अच्छा है पहले बहु आ कर सेवा करेगी”। फिर मेघा हुई। बेटा मयंक तो शादी कर के विदेश चला गया, सो बहु का सुख भी मृग तृष्णा हो कर रह गया। फिर सोचा था कि बेटियां तो माँ के दुखद...

Ayesha Jhulka To Debut On Tv With Star Plus Show Chakravyuh

90 के दशक की कई सुपरहिट फिल्मों कि हीरोइन आयशा जुल्का आपको याद हैं ना. वही आयशा जिनका नाम अक्षय कुमार के साथ सबसे पहले जुड़ा था. अब अक्षय कुमार को डेट कर चुकीं आयशा जल्द ही छोटे पर्दे पर दिखेंगी. आयशा ने 'खिलाड़ी', 'रंग' 'बलमा' 'जो जीता वही सिकंदर' और दलाल जैसी हिट फिल्मों में काम किया था. आयशा और अक्षय हिट फिल्म 'खिलाड़ी' में साथ दिखाई दिए थे. उस समय दोनों के अफेयर की भी खूब चर्चा थी और आयशा वाकई अक्षय से शादी करना चाहती थीं. हालांकि अक्षय उस वक्त सीरियस रिलेशनशिप के लिए तैयार नहीं थे जिस पर हुई अनबन के बाद दोनों अलग हो गए. बताया जाता है कि मिथुन चक्रवर्ती के साथ फिल्म के 'दलाल' के वक्त हुए विवाद ने उनको बॉलीवुड से लगभग बाहर ही कर दिया था. सूत्रों के मुताबिक आयशा बहुत जल्द स्टार प्लस के टीवी शो 'रिश्तों का चक्रव्यूह' में एक अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई दे सकती हैं. बता दें कि इस सीरियल में नारायणी शास्त्री और महिमा मकवाना मां-बेटी के रोल में नजर आने वाली हैं. सूत्रों के मुताबिक, इस सीरियल में आयशा का किरदार बड़ी मां का होगा उनका जो परिवार के सभी सदस्यों पर हुकूम चलाती है. बताया गया है कि यह रोल पहले तो पॉजिटिव होगा, लेकिन बाद में नेगेटिव हो जाएगा. • Sri Lanka vs Ireland Sri Lanka beat Ireland by an innings and 10 runs • England vs Ireland England beat Ireland by 10 wickets • Australia vs India Australia beat India by 209 runs • Rajasthan Royals vs Lucknow Super Giants Lucknow Super Giants beat Rajasthan Royals by 10 runs • Delhi Capitals vs Kolkata Knight Riders Delhi Capitals beat Kolkata Knight Riders by 4 wickets • Punjab Kings vs Royal Challengers Bangalore Royal Chall...