रमेश विश्वकर्मा की देसी देवारी

  1. national coal workers union leader ramesh vishwakarma murdered grj
  2. विश्वकर्मा मंदिर में आस्था का जनसैलाब, हजारों श्रद्धालु हुए नतमस्तक
  3. देवताओं के शिल्पी ऋषि विश्वकर्मा की 5 अनसुनी बातें
  4. विश्वकर्मा समाज
  5. Vishwakarma ji ki Aarti
  6. विश्वकर्मा (जाति)
  7. श्री विश्वकर्मा पुराण
  8. देवताओं के शिल्पी ऋषि विश्वकर्मा की 5 अनसुनी बातें
  9. विश्वकर्मा (जाति)
  10. विश्वकर्मा समाज


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national coal workers union leader ramesh vishwakarma murdered grj

Jharkhand News: रामगढ़ में राष्ट्रीय कोयला मजदूर यूनियन के नेता रमेश विश्वकर्मा की हत्या, जांच में जुटी पुलिस बताया जा रहा है कि रमेश विश्वकर्मा केवल विजय, नंदकिशोर सिंह, धनेश्वर राम, चरित्र राम के साथ अपने कार्यालय में बैठकर कुछ कार्य कर रहे थे. इस बीच दो अपराधी घुसे और किसी कागजात में हस्ताक्षर करवाने की बात कहकर पूछने लगे कि रमेश विश्वकर्मा कौन है. बताते ही चाकू से ताबड़तोड़ वार करना शुरू कर दिया. रजरप्पा : झारखंड के रामगढ़ जिले के रजरप्पा में राष्ट्रीय कोयला मजदूर यूनियन रजरप्पा के क्षेत्रीय सचिव रमेश विश्वकर्मा की उनके कार्यालय में शनिवार रात लगभग 8:30 बजे हत्या कर दी गयी. इनकी हत्या की खबर सुनते ही पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गयी. खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच में जुट गयी है. पुलिस ने घटनास्थल से एक देसी कट्टा और एक गोली बरामद की है. कार्यालय पहुंचे अपराधियों ने चाकू से किए कई बार वार बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय कोयला मजदूर यूनियन रजरप्पा के क्षेत्रीय सचिव रमेश विश्वकर्मा केवल विजय, नंदकिशोर सिंह, धनेश्वर राम, चरित्र राम के साथ अपने कार्यालय में बैठकर कुछ कार्य कर रहे थे. इस बीच दो अपराधी घुसे और किसी कागजात में हस्ताक्षर करवाने की बात कहकर पूछने लगे कि रमेश विश्वकर्मा कौन है. इस पर रमेश विश्वकर्मा ने कहा कि मैं हूं. इसके बाद इनके साथ बैठे चार लोगों के साथ अपराधियों ने मारपीट कर इन्हें दूसरे कमरे में बंद कर दिया. इसके बाद रमेश विश्वकर्मा की गर्दन पर चाकू से कई बार वार किए. इससे घटनास्थल पर ही इनकी मौत हो गयी. जांच में जुटी पुलिस घटना की सूचना मिलते ही रजरप्पा पुलिस पहुंची और मामले की जांच पड़ताल में जुट गयी. पुलिस ने घटनास्थल से एक देसी कट्टा और एक गोली बर...

विश्वकर्मा मंदिर में आस्था का जनसैलाब, हजारों श्रद्धालु हुए नतमस्तक

• 13 days ago • 13 days ago • 13 days ago • 1 months ago • 1 months ago • 1 months ago • 1 months ago • 1 months ago • 2 months ago • 2 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 5 months ago • 5 months ago • 5 months ago • 37.3°C Edited By prashant sharma, Updated: 15 Nov, 2020 12:57 PM • • • • जिला ऊना में विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर भगवान विश्वकर्मा मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं का खूब जमावड़ा उमड़ा। वहीं संतोषगढ़ नगर में स्थित सुप्रसिद्ध प्राचीन विश्वकर्मा मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने नतमस्तक होकर भगवान विश्वकर्मा से व्यापार... ऊना (अमित शर्मा) : जिला ऊना में विश्वकर्मा दिवस के अवसर पर भगवान विश्वकर्मा मंदिरों में दिनभर श्रद्धालुओं का खूब जमावड़ा उमड़ा। वहीं संतोषगढ़ नगर में स्थित सुप्रसिद्ध प्राचीन विश्वकर्मा मंदिर में हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने नतमस्तक होकर भगवान विश्वकर्मा से व्यापार में लाभ की कामना की। इस दौरान मुख्य द्वार पर जहां कोविड नियमों की पालना करते हुए थर्मल स्क्रीनिंग और सैनेटाइजर की व्यवस्था की गई थी, वहीं सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क भी जरूरी किया गया था। 1948 में निर्मित इस विश्वकर्मा मंदिर में हिमाचल ही नहीं बल्कि पंजाब तथा हरियाणा से भी श्रद्धालु हर वर्ष मंदिर में पहुंचकर बाबा विश्वकर्मा का आर्शीवाद प्राप्त करते है। आज पूरे देश में सृष्टि के रचयिता भगवान विश्वकर्मा को नमन किया जा रहा है। वहीं जिला ऊना के संतोषगढ़ नग...

देवताओं के शिल्पी ऋषि विश्वकर्मा की 5 अनसुनी बातें

C.वराह पुराण के अ.56 में उल्लेख मिलता है कि सब लोगों के उपकारार्थ ब्रह्मा परमेश्वर ने बुद्धि से विचार कर विश्वकर्मा को पृथ्वी पर उत्पन्न किया, वह महान पुरुष विश्वकर्मा घर, कुआं, रथ, शस्त्र आदि समस्त प्रकार के शिल्पीय पदार्थों की रचना करने वाला यज्ञ में तथा विवाहादि शुभ कार्यों के मध्य, पूज्य ब्राह्मणों का आचार्य हुआ। कहते हैं कि प्राचीन समय में इंद्रपुरी, लंकापुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, द्वारिका, शिवमण्डलपुरी, हस्तिनापुर जैसे नगरों का निर्माण विश्‍वकर्मा ने ही किया था। उन्होंने ही कर्ण का कुंडल, विष्णु का सुदर्शन चक्र, पुष्पक विमान, शंकर भगवान का त्रिशुल, यमराज का कालदंड आदि वस्तुओं का निर्माण किया था। 3.विश्‍वकर्मा की पुत्र से उत्पन्न हुआ महान कुल : राजा प्रियव्रत ने विश्वकर्मा की पुत्री बहिर्ष्मती से विवाह किया था जिनसे आग्नीध्र, यज्ञबाहु, मेधातिथि आदि 10 पुत्र उत्पन्न हुए। प्रियव्रत की दूसरी पत्नी से उत्तम, तामस और रैवत ये 3 पुत्र उत्पन्न हुए, जो अपने नाम वाले मन्वंतरों के अधिपति हुए। महाराज प्रियव्रत के 10 पुत्रों में से कवि, महावीर तथा सवन ये 3 नैष्ठिक ब्रह्मचारी थे और उन्होंने संन्यास धर्म ग्रहण किया था। पुराणों में विश्वकर्मा के पांच स्वरूपों का वर्णन मिलता है- 1.विराट विश्वकर्मा- सृष्टि के रचयिता, 2.धर्मवंशी विश्वकर्मा- महान् शिल्प विज्ञान विधाता और प्रभात पुत्र, 3.अंगिरावंशी विश्वकर्मा- आदि विज्ञान विधाता वसु पुत्र, 4.सुधन्वा विश्वकर्म- महान् शिल्पाचार्य विज्ञान जन्मदाता अथवी ऋषि के पौत्र और 5.भृंगुवंशी विश्वकर्मा- उत्कृष्ट शिल्प विज्ञानाचार्य (शुक्राचार्य के पौत्र)। How many shravan somvar in 2023 : आषाढ़ माह से वर्षा ऋ‍तु प्रारंभ ह...

विश्वकर्मा समाज

विश्वकर्मा समाज को पूर्ण रूप से समर्पित समाज की वेबसाइट पर आप सभी लोगों का स्वागत है विश्वकर्मा समाज रायपुर, छ.ग. हम अपने प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का अवलोकन करें तो पायेगें कि आदि काल से ही विश्वकर्मा शिल्पी अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न मात्र मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित और वंदित है। भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कोर्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण इनके द्वारा किया गया है। पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोगी होनेवाले वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाया गया है। कर्ण का कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। विश्वकर्मा पूजा 2021 भगवान विश्वकर्मा का जन्म मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन से माना गया है। वह प्रत्येक निर्माण के देवता माने गए हैं। अतः अस्त्र-शस्त्र,आयुध आदि संपूर्ण रचना विश्वकर्मा जी ने की। इतना ही नहीं भगवान शिव शंकर ने जब अपने लिए सोने की लंका का निर्माण कराने का सोचा तो इस निर्माण के लिए विश्वकर्मा जी को याद किया। गया राम ने पर्णकुटी का निर्माण भी विश्वकर्मा से करवाया। इतना ही नहीं द्वापरयुग में भी अनेकों शानदार कलाकृतियों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया। 2021 में विश्वकर्मा पूजा सितंबर माह के 17 तारीख शुक्रवार के दिन है। इस दिन आप अपने घर में साफ-सफाई करते हुए भगवान विश्वकर्मा की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कीजिए। इनकी प्रसन्नता से आपका वैभव बना रहेगा सदैव नए विचार आपके मन में आते रहेंगे, सृजनात्मक शक्ति आपकी ...

Vishwakarma ji ki Aarti

Vishwakarma ji ki Aarti | भगवान विश्वकर्मा जी की आरती, भगवान विश्वकर्मा जी को प्रसन्न करने और उनकी आराधना करने का एक महामंत्र है. सबसे पहले हमें श्रद्धा और भक्तिपूर्वक विश्वकर्मा भगवान की पूजा करनी चाहिए और विश्वकर्मा चालीसा का पाठ करना चाहिए. विश्वकर्मा चालीसा – हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को सृजन और निर्माण का देवता माना जाता है. ऐसा माना जाता है की इस श्रृष्टि के सभी निर्माणों में भगवान विश्वकर्मा जी का ही योगदान होता है. सारे शिल्पकारों, मिस्त्रियों और निर्माण और रिपेयर से जुड़े लोगों का भगवान विश्वकर्मा जी पर अत्यंत श्रद्धा और विश्वास रहता है. वे सभी लोग भगवान विश्वकर्मा का पूजन और आराधना अवस्य करतें हैं. भारत वर्ष में विश्वकर्मा भगवान के प्रति लोगों में बहुत ही विश्वास है. विश्वकर्मा पूजा के दिन भारत के अधिकाँश घरों मर भगवान विश्वकर्मा की पूजा अवस्य की जाती है. लोग अपने वाहनों की भी पूजा करतें हैं. इस अंक में आप लोगों के लिए भगवान विश्वकर्मा जी की आरती हिंदी में ( Vishwakarma ji ki aarti in Hindi ) और भगवान विश्वकर्मा जी की आरती इंग्लिश में ( Vishwakarma aarti in English ) प्रकाशित की जा रही है. साथ ही इसे आप i कर सकते है. भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा और आराधना करने के पश्चात खड़े होकर भगवान विश्वकर्मा जी की आरती करना चाहिए. सम्पूर्ण विधि और लाभ निचे दी जा रही है. पहले भगवान विश्वकर्मा जी की आरती हिंदी में. ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई | ऋषि अंगीरा तप से, शांति नहीं पाई || ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु ……….. रोग ग्रस्त राजा ने जब आश्रय लीना | संकट मोचन बनकर, दूर दुःखा कीना || ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु ………. जब रथकार दंपति, तुम्हारी टेर करी | सुन...

विश्वकर्मा (जाति)

विश्वकर्मा एक भारतीय उपनाम है जो मूलतः शिल्पी (क्राफ्ट्समैंन) लोगों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। विश्वकर्मा [ • (वाराही संहिता अ.२,श्लोक ६) अर्थात – वास्तुकला ज्योतिष शास्त्र का विषय है। वास्तुकला के अन्तर्गत घर , मकान , कुँवा, बावड़ी , पुल , नहर , किला , नगर, देवताओं के मंदिर आदि शिल्पादि पदार्थो की रचना की उत्तम विधि होती है। ब्राह्मणो के इष्टकर्म और पूर्तकर्म ब्राह्मणो के दो प्रकार के कर्मो से परिचय कराएंगे। एक है ‘ इस्ट ‘ कर्म और दूसरा है ‘ पूर्त ‘ कर्म। इस्ट कर्म से ब्राह्मणो को स्वर्गप्राप्ति होती है और पूर्त कर्मो से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अर्थात जो ब्राह्मण इस्ट कर्म ही सिर्फ करके पूर्त कर्म ना करें उसे मोक्ष नहीं मिल सकता है जो सनातन धर्म में मनुष्यों का अंतिम लक्ष्य है। इसके प्रमाण स्वरूप कुछ धर्मशास्त्र से प्रमाण निम्न है , इस्टापूर्ते च कर्तव्यं ब्राह्मणेनैव यत्नत:। इस्टेन लभते स्वर्ग पूर्ते मोक्षो विधियते॥ • (अत्रि स्मृति) • (अष्टादशस्मृति ग्रन्थ पृष्ठ – ६ – पं.श्यामसुंदरलाल त्रिपाठी) अर्थात – इष्टकर्म और पूर्तकर्म ये दोनों कर्म ब्राह्मणो के कर्तव्य है इसे बड़े ही यत्न से करना चाहिए है। ब्राह्मणो को इष्टकर्म से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और पूर्तकर्म से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार की व्याख्या यम ऋषि ने भी धर्मशास्त्र यमस्मृति में की है जो निम्न है; इस्टापूर्ते तु कर्तव्यं ब्राह्मणेन प्रयत्नत:। इस्टेन लभते स्वर्ग पूर्ते मोक्षं समश्नुते • (यमस्मृति) • (अष्टादशस्मृति ग्रन्थ पृष्ठ १०६ – पं.श्यामसुंदरलाल त्रिपाठी) अब अत्रि ऋषि की अत्रि स्मृति नामक धर्मशास्त्र के आगे के श्लोक से इष्ट कर्म और पूर्त कर्मो के अन्तर्गत कौन से कर्म आते है उसकी व्याख्या न...

श्री विश्वकर्मा पुराण

||श्री विश्वकर्मा पुराण|| श्री विश्वकर्मा भगवान हम अपने प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का अवलोकन करें तो पायेगें कि आदि काल से ही विश्वकर्मा शिल्पी अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न मात्र मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित और वंदित है। भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कोर्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण इनके द्वारा किया गया है। पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोगी होनेवाले वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाया गया है। कर्ण का कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। भगवान विश्वकर्मा ने ब्रम्हाजी की उत्पत्ति करके उन्हे प्राणीमात्र का सृजन करने का वरदान दिया और उनके द्वारा 84 लाख योनियों को उत्पन्न किया। श्री विष्णु भगवान की उत्पत्ति कर उन्हे जगत में उत्पन्न सभी प्राणियों की रक्षा और भगण-पोषण का कार्य सौप दिया। प्रजा का ठीक सुचारु रूप से पालन और हुकुमत करने के लिये एक अत्यंत शक्तिशाली तिव्रगामी सुदर्शन चक्र प्रदान किया। बाद में संसार के प्रलय के लिये एक अत्यंत दयालु बाबा भोलेनाथ श्री शंकर भगवान की उत्पत्ति की। उन्हे डमरु, कमण्डल, त्रिशुल आदि प्रदान कर उनके ललाट पर प्रलयकारी तिसरा नेत्र भी प्रदान कर उन्हे प्रलय की शक्ति देकर शक्तिशाली बनाया। यथानुसार इनके साथ इनकी देवियां खजाने की अधिपति माँ लक्ष्मी, राग-रागिनी वाली वीणावादिनी माँ सरस्वती और माँ गौरी को देकर देंवों को सुशोभित किया। हमारे धर्मशास्त्रो और ग्रथों में विश्वकर्मा के पाँच स्वरुपों और अवतारों क...

देवताओं के शिल्पी ऋषि विश्वकर्मा की 5 अनसुनी बातें

C.वराह पुराण के अ.56 में उल्लेख मिलता है कि सब लोगों के उपकारार्थ ब्रह्मा परमेश्वर ने बुद्धि से विचार कर विश्वकर्मा को पृथ्वी पर उत्पन्न किया, वह महान पुरुष विश्वकर्मा घर, कुआं, रथ, शस्त्र आदि समस्त प्रकार के शिल्पीय पदार्थों की रचना करने वाला यज्ञ में तथा विवाहादि शुभ कार्यों के मध्य, पूज्य ब्राह्मणों का आचार्य हुआ। कहते हैं कि प्राचीन समय में इंद्रपुरी, लंकापुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, द्वारिका, शिवमण्डलपुरी, हस्तिनापुर जैसे नगरों का निर्माण विश्‍वकर्मा ने ही किया था। उन्होंने ही कर्ण का कुंडल, विष्णु का सुदर्शन चक्र, पुष्पक विमान, शंकर भगवान का त्रिशुल, यमराज का कालदंड आदि वस्तुओं का निर्माण किया था। 3.विश्‍वकर्मा की पुत्र से उत्पन्न हुआ महान कुल : राजा प्रियव्रत ने विश्वकर्मा की पुत्री बहिर्ष्मती से विवाह किया था जिनसे आग्नीध्र, यज्ञबाहु, मेधातिथि आदि 10 पुत्र उत्पन्न हुए। प्रियव्रत की दूसरी पत्नी से उत्तम, तामस और रैवत ये 3 पुत्र उत्पन्न हुए, जो अपने नाम वाले मन्वंतरों के अधिपति हुए। महाराज प्रियव्रत के 10 पुत्रों में से कवि, महावीर तथा सवन ये 3 नैष्ठिक ब्रह्मचारी थे और उन्होंने संन्यास धर्म ग्रहण किया था। पुराणों में विश्वकर्मा के पांच स्वरूपों का वर्णन मिलता है- 1.विराट विश्वकर्मा- सृष्टि के रचयिता, 2.धर्मवंशी विश्वकर्मा- महान् शिल्प विज्ञान विधाता और प्रभात पुत्र, 3.अंगिरावंशी विश्वकर्मा- आदि विज्ञान विधाता वसु पुत्र, 4.सुधन्वा विश्वकर्म- महान् शिल्पाचार्य विज्ञान जन्मदाता अथवी ऋषि के पौत्र और 5.भृंगुवंशी विश्वकर्मा- उत्कृष्ट शिल्प विज्ञानाचार्य (शुक्राचार्य के पौत्र)। How many shravan somvar in 2023 : आषाढ़ माह से वर्षा ऋ‍तु प्रारंभ ह...

विश्वकर्मा (जाति)

विश्वकर्मा एक भारतीय उपनाम है जो मूलतः शिल्पी (क्राफ्ट्समैंन) लोगों द्वारा प्रयोग में लाया जाता है। विश्वकर्मा [ • (वाराही संहिता अ.२,श्लोक ६) अर्थात – वास्तुकला ज्योतिष शास्त्र का विषय है। वास्तुकला के अन्तर्गत घर , मकान , कुँवा, बावड़ी , पुल , नहर , किला , नगर, देवताओं के मंदिर आदि शिल्पादि पदार्थो की रचना की उत्तम विधि होती है। ब्राह्मणो के इष्टकर्म और पूर्तकर्म ब्राह्मणो के दो प्रकार के कर्मो से परिचय कराएंगे। एक है ‘ इस्ट ‘ कर्म और दूसरा है ‘ पूर्त ‘ कर्म। इस्ट कर्म से ब्राह्मणो को स्वर्गप्राप्ति होती है और पूर्त कर्मो से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अर्थात जो ब्राह्मण इस्ट कर्म ही सिर्फ करके पूर्त कर्म ना करें उसे मोक्ष नहीं मिल सकता है जो सनातन धर्म में मनुष्यों का अंतिम लक्ष्य है। इसके प्रमाण स्वरूप कुछ धर्मशास्त्र से प्रमाण निम्न है , इस्टापूर्ते च कर्तव्यं ब्राह्मणेनैव यत्नत:। इस्टेन लभते स्वर्ग पूर्ते मोक्षो विधियते॥ • (अत्रि स्मृति) • (अष्टादशस्मृति ग्रन्थ पृष्ठ – ६ – पं.श्यामसुंदरलाल त्रिपाठी) अर्थात – इष्टकर्म और पूर्तकर्म ये दोनों कर्म ब्राह्मणो के कर्तव्य है इसे बड़े ही यत्न से करना चाहिए है। ब्राह्मणो को इष्टकर्म से स्वर्ग की प्राप्ति होती है और पूर्तकर्म से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार की व्याख्या यम ऋषि ने भी धर्मशास्त्र यमस्मृति में की है जो निम्न है; इस्टापूर्ते तु कर्तव्यं ब्राह्मणेन प्रयत्नत:। इस्टेन लभते स्वर्ग पूर्ते मोक्षं समश्नुते • (यमस्मृति) • (अष्टादशस्मृति ग्रन्थ पृष्ठ १०६ – पं.श्यामसुंदरलाल त्रिपाठी) अब अत्रि ऋषि की अत्रि स्मृति नामक धर्मशास्त्र के आगे के श्लोक से इष्ट कर्म और पूर्त कर्मो के अन्तर्गत कौन से कर्म आते है उसकी व्याख्या न...

विश्वकर्मा समाज

विश्वकर्मा समाज को पूर्ण रूप से समर्पित समाज की वेबसाइट पर आप सभी लोगों का स्वागत है विश्वकर्मा समाज रायपुर, छ.ग. हम अपने प्राचीन ग्रंथो उपनिषद एवं पुराण आदि का अवलोकन करें तो पायेगें कि आदि काल से ही विश्वकर्मा शिल्पी अपने विशिष्ट ज्ञान एवं विज्ञान के कारण ही न मात्र मानवों अपितु देवगणों द्वारा भी पूजित और वंदित है। भगवान विश्वकर्मा के आविष्कार एवं निर्माण कोर्यों के सन्दर्भ में इन्द्रपुरी, यमपुरी, वरुणपुरी, कुबेरपुरी, पाण्डवपुरी, सुदामापुरी, शिवमण्डलपुरी आदि का निर्माण इनके द्वारा किया गया है। पुष्पक विमान का निर्माण तथा सभी देवों के भवन और उनके दैनिक उपयोगी होनेवाले वस्तुएं भी इनके द्वारा ही बनाया गया है। कर्ण का कुण्डल, विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र, शंकर भगवान का त्रिशुल और यमराज का कालदण्ड इत्यादि वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया है। विश्वकर्मा पूजा 2021 भगवान विश्वकर्मा का जन्म मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन से माना गया है। वह प्रत्येक निर्माण के देवता माने गए हैं। अतः अस्त्र-शस्त्र,आयुध आदि संपूर्ण रचना विश्वकर्मा जी ने की। इतना ही नहीं भगवान शिव शंकर ने जब अपने लिए सोने की लंका का निर्माण कराने का सोचा तो इस निर्माण के लिए विश्वकर्मा जी को याद किया। गया राम ने पर्णकुटी का निर्माण भी विश्वकर्मा से करवाया। इतना ही नहीं द्वापरयुग में भी अनेकों शानदार कलाकृतियों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया। 2021 में विश्वकर्मा पूजा सितंबर माह के 17 तारीख शुक्रवार के दिन है। इस दिन आप अपने घर में साफ-सफाई करते हुए भगवान विश्वकर्मा की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कीजिए। इनकी प्रसन्नता से आपका वैभव बना रहेगा सदैव नए विचार आपके मन में आते रहेंगे, सृजनात्मक शक्ति आपकी ...