रूपक अलंकार के 10 उदाहरण

  1. रूपक अलंकार, भेद व 72 उदाहरण
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रूपक अलंकार, भेद व 72 उदाहरण

रूपक अलंकार, भेद व 72 उदाहरण :– मैं भूप सिंह पूनिया आप सभी को शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ। आप स्वस्थ, दीर्घायु व यशस्वी बने रहें। मैं हिंदी प्रेमी व हिंदी भाषा का सेवक हूँ। माँ सरस्वती की कृपा से जो कुछ सीख पाया हूँ उसे नई पीढ़ी को सिखाकर जाना चाहता हूँ इसलिए मैंने You tube पर एक चैनल भी बनाया हुआ है – Saransh Hindi Classes. इस चैनल पर बहुत ही सरल शब्दावली में, सरल भाषा शैली में व सरल उदाहरणों से हिंदी व्याकरण समझाने का प्रयास किया हुआ है। छोटे बच्चे (विद्यार्थी) भी आसानी से समझ पायेंगे। कम्पटीशन की तैयारी में जुटे विद्यार्थी भी इससे जुड़कर लाभ उठा सकते हैं। आप चैनल पर जाकर Play list में जाकर अपनी पसंद का टॉपिक पढ़ या देख सकते हैं। ★गूगल पर ‘शिक्षालय’ पर भी आप विस्तार से पढ़ सकते हैं।★ Note – यहाँ रूपक अलंकार को सरल उदाहरणों से व सरल भाषा शैली में समझाया जाएगा। और हाँ, रूपक अलंकार के सभी भेदों को भी सरलतम रूप से समझाया जाएगा। रूपक अलंकार के 72 उदाहरण भी यहाँ दिए जाएँगे, अतः आप विश्वास के साथ पूरा पढ़ें। ADVERTISEMENT ध्यान दें – पहले के कवि स्वयं को ‘कवि’ कहलवाने की बजाय ‘आचार्य’ कहलवाना अधिक पसंद करते थे। वे अपने काव्यों को अलंकारों से / रसों से / काव्य रीतियों व काव्य गुणों से सजाना पसंद करते थे। [इन सब पर विस्तार से चर्चा आगे के वीडियोज में जारी रहेगी।] यहाँ तो इतनी सी जानकारी देना चाहूँगा कि आचार्य भामह व आचार्य दंडी ने अलंकारों को बहुत महत्त्व दिया था। इन्होंने तो अलंकारों को काव्य की आत्मा माना था, जबकि आचार्य विश्वनाथ (वाक्यम रसात्मकम काव्यम) रसों को काव्य की आत्मा माना था। आचार्य भरतमुनि में भी आपने ‘नाट्यशास्त्र’ में रसों की चर्चा की है। अलंकारवादी आचार्यों ने अपनी काव...

रूपक अलंकार के १० उदाहरण

रूपक साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें बहुत अधिक साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप करके अर्थात् उपमेय या उपमान के साधर्म्य का आरोप करके और दोंनों भेदों का अभाव दिखाते हुए उपमेय या उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है। इसके सांग रूपक, अभेद रुपक, तद्रूप रूपक, न्यून रूपक, परम्परित रूपक आदि अनेक भेद हैं। उदाहरण- चरन कमल बन्दउँ हरिराई अन्य अर्थ व्युत्पत्ति : [सं०√रूप्+णिच्+ण्वुल्-अक] जिसका कोई रूप हो। रूप से युक्त। रूपी। १. किसी रूप की बनाई हुई प्रतिकृति या मूर्ति। २. किसी प्रकार का चिह्न या लक्षण। ३. प्रकार। भेद। ४. प्राचीन काल का एक प्रकार का प्राचीन परिमाण। ५. चाँदी। ६. रुपया नाम का सिक्का जो चाँदी का होता है। ७. चाँदी का बना हुआ गहना। ८. ऐसा काव्य या और कोई साहित्यिक रचना, जिसका अभिनय होता हो, या हो सकता हो। नाटक। विशेष—पहले नाटक के लिए रूपक शब्द ही प्रचलित था और रूपक के दस भेदों में नाटक भी एक भेद मात्र था। पर अब इसकी जगह नाटक ही विशेष प्रचलित हो गया है। रूपक के दस भेद ये हैं—नाटक प्रकरण, भाण, व्यायोग, समवकार, डिम, ईहामृग, अंक, वीथी और प्रहसन। ९. बोल-चाल में कोई ऐसी बनावटी बात, जो किसी को डरा धमकाकर अपने अनुकूल बनाने के लिए कही जाय। जैसे—तुम जरो मत, यह सब उनका रूपक भर है। क्रि० प्र०—कसना।—बाँधना। १०. संगीत में सात मात्राओं का एक दो ताला ताल, जिसमें दो आघात और एक खाली होता है।