रूपक अलंकार की परिभाषा, उदाहरण

  1. Alankar in Hindi
  2. रूपक अलंकार Roopak Alankar की परिभाषा, प्रकार 10 उदाहरण
  3. Rupak alankar
  4. अलंकार की परिभाषा, प्रकार, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी


Download: रूपक अलंकार की परिभाषा, उदाहरण
Size: 18.18 MB

Alankar in Hindi

- Advertisement - प्रिय विद्यार्थियों आज के इस लेख में हम आपको काव्य की शोभा अर्थात अलंकारों की महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएंगे. अलंकार क्या है, अलंकार कितने प्रकार के होते हैं, अलंकार के कितने भेद होते हैं? (what is Alankar in Hindi, types of Alankar in Hindi, Examples of Alankar in Hindi) इन सभी प्रश्नों का उत्तर इस लेख को पढ़ने के पश्चात आपको मिल जाएगा. Sandeh alankar in Hindi (संदेह अलंकार) Alankar in Hindi by multi-knowledge.com What is Alankar in Hindi ( अलंकार क्या है) “काव्यशोभाकरान् धर्मानलंकारान् प्रत्यक्षते” काव्य की शोभा बढाने वाले शब्दों को अलंकार का शाब्दिक अर्थ “ आभूषण” होता है. जिस प्रकार किसी स्त्री या पुरुष की शोभा या सुंदरता को बढ़ाने के लिए आभूषण का प्रयोग होता है उसी प्रकार काव्य की शोभा बढ़ाने के लिए अलंकार का प्रयोग होता है. दूसरे शब्दों में “किसी बात को ऐसे ढंग से प्रस्तुत करना कि जिससे शब्द या अर्थ अथवा दोनों से चमत्कार उत्पन्न हो जाये तथा काव्य का सौन्दर्य बढ जाये, काव्य की शोभा बढाने वाले इन धर्मों को ही “अलंकार” कहते हैं”। Part of Alankar in Hindi (अलंकार के भेद ) मुख्य रुप से अलंकार तीन प्रकार के होते हैं – 1.शव्द अलंकार 2.अर्थालंकार 3.उभया अलंकार । 1.शव्दालंकार – जो अलंकार शव्दों के व्दारा चमत्कार उत्पन्न कर काव्य की शोभा बढाते हैं, शब्दालंकार (Shabdalankar in Hindi) कहलाते हैं। 1.अनुप्रास अलंकार (anupras Alankar) 2.यमक अलंकार (yamak Alankar) 3.पुनरुक्ति अलंकार (punarukti Alankar) 4.विप्सा अलंकार (vipsa Alankar) 5.वक्रोक्ति अलंकार (vakrokti Alankar) 6.शलेष अलंकार(slesh Alankar) 2.अर्थालंकार- जो अलंकार अर्थ के व्दारा चमत्कार उत्पन्न कर काव्य ...

रूपक अलंकार Roopak Alankar की परिभाषा, प्रकार 10 उदाहरण

Roopak Alankar की परिभाषा प्रमुख उदाहरण सहित रूपक अलंकार की परिभाषा परिभाषा –जहाँ उपमेय और उपमान मेंअसमानता दिखाई गई हो अर्थात छोटे को बड़ा बताया गया हो, वहाँ Roopak Alankar होता है। इसके दो भेद है – (1) अभेद रूपक, (2) तद्रूप रूपक रूपक अलंकार के उदाहरण 1. मुख चंद्रमा है। 2. चरण-कमल बंदौ हरि राई । 3. बीती विभावरी जाग री। अम्बर-पनघट में डुबो रही तरा घट ऊषा-नागरी।। 4. मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों । 5. मुख रूपी चाँद पर राहु भी धोखा खा गया। 6. ये तेरा शिशु जग है उदास रूपक अलंकार के प्रकार – 1. अभेद रूपक 2. तद्रूप रूपक • Click to share on Facebook (Opens in new window) • Click to share on Twitter (Opens in new window) • Click to share on Telegram (Opens in new window) • Click to share on WhatsApp (Opens in new window) • Click to share on Tumblr (Opens in new window) • Click to share on Pinterest (Opens in new window) • Click to share on LinkedIn (Opens in new window) • Click to email a link to a friend (Opens in new window) • Click to print (Opens in new window) •

Rupak alankar

रूपक अलंकार रूपक अलंकार की परिभाषा जहां रूप और गुण की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान का आरोप कर अभेद स्थापित किया जाए वहां रूपक अलंकार होता है। इसमें साधारण धर्म और वाचक शब्द नहीं होते हैं। उपमेय और उपमान के मध्य प्रायः योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे आए महंत, वसंत आदि वसंत में महंत का आरोप होने से यहां रूपक अलंकार है। Or जहां उपमेय और उपमान एकरूप हो जाते हैं यानी उपमेय को उपमान के रूप में दिखाया जाता है अर्थात जब उपमेय में उपमान का आरोप किया जाता है वहां पर रूपक अलंकार होता। Rupak Alankar Rupak Alankar Ke Udaharan In Hindi 1. उदित उदयगिरि मंच पर, रघुबर बालपतंग। बिकसे संत सरोज सब, हरषे लोचन-भृंग।। स्पष्टीकरण-प्रस्तुत दोहे मेंउदयगिरिपर मंच का,रघुवरपरबाल पतंगका,संतोंपर सरोज का एवंलोचनओंपर भृगोंका अभेद आरोप होने से रूपक अलंकार है। 2. विषय-वारि मन-मीन भिन्न नहिं, होत कबहुँ पल एक। स्पष्टीकरण– इस काव्य पंकित मेंविषयपर वारि का औरमनपर मीन का अभेद आरोप होने से यहां रूपक अलंकार है। 3. सिर झुका तूने नियति की मान की यह बात। स्वयं ही मुर्झा गया तेरा हृदय-जलजात।। स्पष्टीकरण– उपयुक्त काव्य पंक्ति मेंहृदय जल जातमेंहृदयउपमेय परजलजात(कमल) उपमान का अभेद आरोप किया गया है। अतः यहां पर रूपक अलंकार होगा। रूपक अलंकार के महत्वपूर्ण अन्य उदाहरण- १-मैया मैं तो चंद्र-खिलौना लैहों। २-मन-सागर, मनसा लहरि, बड़े-बहे अनेक। ३-शशि-मुख पर घूंघट डाले अंचल में दीप छिपाए। ४-अपलक नभ नील नयन विशाल ५-चरण-कमल बंदों हरिराइ। ६-सब प्राणियों के मत्तमनोममयूर अहा नाच रहा.

अलंकार की परिभाषा, प्रकार, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी

• • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • हिन्दी काव्य साहित्य में अलंकार अथवा काव्य में अलंकारों का स्थान— मानव समाज सौन्दर्योपासक है, उसकी इसी प्रवृत्ति ने अलंकारों को जन्म दिया है। काव्य को सुन्दरतम बनाने के लिए अनेक उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है। इन उपकरणों में एक अलंकार(Alankar) भी है। जिस प्रकार मानव अपने शरीर को अलंकृत करने के लिए विभिन्न प्रकार के वस्त्र, आभूषण आदि को धारण करके समाज में गौरवान्वित होता है, उसी प्रकार कवि भी कवितारूपी नारी को अलंकारों से अलंकृत करके गौरव प्राप्त करता है। आचार्य दण्डीने कहा भी है— “ काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकरान् प्रचक्षते।” अर्थात् काव्य के शोभाकार धर्म, अलंकारहोते हैं। अलंकारों के बिना कवितारूपी नारी विधवा-सी लगती है। अलंकारों के महत्त्व का एक कारण यह भी है कि इनके आधार पर भावाभिव्यक्ति में सहायता मिलती है तथा काव्य रोचक एवं प्रभावशाली बनता है। और इससे अर्थ में चमत्कार उत्पन्न होता है तथा अर्थ को समझना सुगम हो जाता है। अलंकार की परिभाषा अथवा अलंकार क्या है। अथवा अलंकार किसे कहते हैं? • काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्वोंअथवा शब्दोंअथवा धर्मको अलंकारकहते है। • शरीर की सुन्दरता बढ़ाने के लिए जिस प्रकार मनुष्य ने विभिन्न प्रकार के आभूषणों व गहनों का प्रयोग किया, उसी प्रकार कवियों ने भाषा को सुन्दर बनाने के लिए अलंकारों का सृजन किया। काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकारकहते हैं। जिस प्रकार नारी के सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए आभूषण होते हैं, ठीक उसी प्रकार भाषा के सौन्दर्य के उपकरणों को अलंकारकहते हैं। • संस्कृत के अलंकार सम्प्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य दण्डीके शब्दों में अलंकार की परिभाषा— “ काव्य शोभाकरान् धर्मान् अलं...

अलंकार

By Oct 1, 2020 अलंकार-परिभाषा और उदाहरण अलंकार-परिभाषा और उदाहरण ? ये काव्य के अंग होते हैं | इनसे कविता की सुंदरता बढ़ जाती है | जिससे पाठक को पढ़ते या सुनते समय प्रश्न-1. अलंकार किसे कहते हैं ? जिस प्रकार किसी स्त्री की शोभा आभूषणों से बढ़ जाती है, उसी प्रकार अलंकारों से काव्य की सुन्दरता बढ़ जाती है |स्पष्ट है कि अलंकारों से काव्य की शोभा उत्पन्न नहीं होती, केवल बढ़ती है | उदाहरण :- “चारू चन्द्र की चंचल किरणें; खेल रहीं हैं जल – थल में |” स्पष्टीकरण:- कवि यहाँ पर चारू के स्थान पर चतुर, चन्द्र के स्थान पर चाँद या चंद्रमा, चंचल के स्थान पर हलचल लिख सकताथालेकिन उसने ऐसा नहीं किया, कवि ने कविता को सुन्दर – सुन्दर शब्दों से सजाया है | कवि का शब्दों के द्वारा सजाना ही अलंकार कहलाता है| अलंकार की परिभाषा :- काव्य की शोभा बढाने वाले कारक, गुण, धर्म या तत्व को अलंकार कहते हैं| अथवा काव्य की शोभा बढाने वाले तत्व अलंकार कहे जाते हैं| अलंकार का शाब्दिक अर्थ है- 1-सजावट, 2-श्रृंगार , 3-आभूषण, 4-गहना आदि | अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना है– अलम् + कार= अलंकार ‘अलम्’ का अर्थ –भूषित ‘कार’ का अर्थ – करने वाला अन्य अलंकार की परिभाषा- ‘अलंकरोति इति अलंकार:’ अर्थात् जो अलंकृत (सुशोभित) करे, उसे अलंकार कहते हैं | अथवा दंडी के अनुसार:– “काव्य शोभा करान् धर्मान् अलंकरान् प्रचक्षते” अर्थात् काव्य के शोभा कारक धर्म अलंकार कहलाते हैं | प्रश्न-2.अलंकार के कितने भेद या प्रकार है ? उत्तर- दो भेद या प्रकार हैं – 1-शब्दालंकार 2-अर्थालंकार 1-शब्दालंकार:- जो शब्द पर आधारित होते हैं, उन्हें शब्दालंकार कहते हैं | जैसे- अनुप्रास, यमक, श्लेष, पुनरुक्ति,वक्रोक्ति| 2-अर्थालंकार:- जहाँ केवल शब्द में(शब्द के अर्थ मे...