रूठी रानी की कहानी

  1. सौतेली माँ : पंजाब की लोक
  2. Short Story: रूठी रानी उमादे
  3. रूठी रानी उमादे: क्यों संसार में अमर हो गई जैसलमेर की रानी
  4. रूठी रानी का महल उदयपुर
  5. Ruthi Rani Novel By Munshi Premchand


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सौतेली माँ : पंजाब की लोक

एक राजा और उसकी दो रानियाँ थीं। दोनों ही अधिकतर आपस में ही लड़ती-झगड़ती रहती थीं। बड़ी रानी के एक पुत्र और एक पुत्री थे, जबकि छोटी रानी का एक ही पुत्र था। जब बड़ी रानी की मृत्यु हो गई तब छोटी रानी मनमानियाँ करने लगी। वह बड़ी रानी के पुत्र और पुत्री दोनों से अच्छा व्यवहार नहीं करती थी,क्योंकि वे दोनों उसे एक आँख नहीं भाते थे। बड़ी रानी का पुत्र और पुत्री अपनी सौतेली माँ से बहुत तंग आ गए थे, क्योंकि छोटी रानी उन्हें भरपेट खाना तक भी नहीं दिया करती थी, परन्तु राजा अपनी पत्नी को अच्छा समझ कर उसकी प्रत्येक बात खुशी-खुशी मानता था। एक दिन रानी अपने पति से रूठ गयी। जब राजा राजदरबार से वापस आया, तो वह अपनी रूठी हुई रानी को देखकर हैरान हो गया। राजा ने पूछा, "क्या बात है, तुम आज इस तरह से क्यों लेटी हुई हो ?" पहले तो रानी ने कहा, "नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं है। राजा ने दूसरी बार पूछा तो रानी ने फिर उससे कहा, "कुछ नहीं। राजा ने फिर तीसरी बार पूछा, “बता तो दो कि क्या बात है ?” रानी ने कहा, यदि तुम मेरी बात मानोगे, तो मैं अपने रूठने का कारण बता दूंगी। राजा ने उसकी यह शर्त मान ली। अब छोटी रानी ने कहा, 'बड़ी रानी के पुत्र को काट कर यदि उसे स्वाद से खाया जाए, तो हम सभी के लिए यह बहुत ही शुभ होगा, ऐसा मुझे किसी पण्डित ने बताया है। राजा ने रानी की यह बात सच मान कर एक दिन अपने पुत्र को काट दिया और उसके टुकड़े-टुकड़े करके कुछ गोश्त कुत्तों को डाल दिया और कुछ को मसाले में डाल कर राजा रानी दोनों ने ही एक साथ बैठ कर खा लिया। बड़ी रानी की पुत्री ने अपने भाई का गोश्त खाते देखकर रोना शुरू कर दिया। सौतेली माँ ने उसे दरवाजे की तरफ खड़ा कर दिया और उसे भी अपने भाई का वही गोश्त खाने के लिए कहा, परन्तु लड़...

Short Story: रूठी रानी उमादे

रेतीले राजस्थान को शूरवीरों की वीरता और प्रेम की कहानियों के लिए जाना जाता है. राजस्थान के इतिहास में प्रेम रस और वीर रस से भरी तमाम ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं, जिन्हें पढ़सुन कर ऐसा लगता है जैसे ये सच्ची कहानियां कल्पनाओं की दुनिया में ढूंढ कर लाई गई हों. मेड़ता के राव वीरमदेव और राव जयमल के काल में जोधपुर के राव मालदेव शासन करते थे. राव मालदेव अपने समय के राजपूताना के सर्वाधिक शक्तिशाली शासक थे. शूरवीर और धुन के पक्के. उन्होंने अपने बल पर जोधपुर राज्य की सीमाओं का काफी विस्तार किया था. उन की सेना में राव जैता व कूंपा नाम के 2 शूरवीर सेनापति थे. यदि मालदेव, राव वीरमदेव व उन के पुत्र वीर शिरोमणि जयमल से बैर न रखते और जयमल की प्रस्तावित संधि मान लेते, जिस में राव जयमल ने शांति के लिए अपने पैतृक टिकाई राज्य जोधपुर की अधीनता तक स्वीकार करने की पेशकश की थी, तो स्थिति बदल जाती. जयमल जैसे वीर, जैता कूंपा जैसे सेनापतियों के होते राव मालदेव दिल्ली को फतह करने में समर्थ हो जाते. राव मालदेव के 31 साल के शासन काल तक पूरे भारत में उन की टक्कर का कोई राजा नहीं था. लेकिन यह परम शूरवीर राजा अपनी एक रूठी रानी को पूरी जिंदगी नहीं मना सका और वह रानी मरते दम तक अपने पति से रूठी रही. जीवन में 52 युद्ध लड़ने वाले इस शूरवीर राव मालदेव की शादी 24 वर्ष की आयु में वर्ष 1535 में जैसलमेर के रावल लूनकरण की बेटी राजकुमारी उमादे के साथ हुई थी. उमादे अपनी सुंदरता व चतुराई के लिए प्रसिद्ध थीं. राठौड़ राव मालदेव की शादी बारात लवाजमे के साथ जैसलमेर पहुंची. बारात का खूब स्वागतसत्कार हुआ. बारातियों के लिए विशेष ‘जानी डेरे’ की व्यवस्था की गई.

रूठी रानी उमादे: क्यों संसार में अमर हो गई जैसलमेर की रानी

लेखक- कुंवर कस्तूर सिंह भाटी रेतीले राजस्थान को शूरवीरों की वीरता और प्रेम की कहानियों के लिए जाना जाता है. राजस्थान के इतिहास में प्रेम रस और वीर रस से भरी तमाम ऐसी कहानियां भरी पड़ी हैं, जिन्हें पढ़सुन कर ऐसा लगता है जैसे ये सच्ची कहानियां कल्पनाओं की दुनिया में ढूंढ कर लाई गई हों. मेड़ता के राव वीरमदेव और राव जयमल के काल में जोधपुर के राव मालदेव शासन करते थे. राव मालदेव अपने समय के राजपूताना के सर्वाधिक शक्तिशाली शासक थे. शूरवीर और धुन के पक्के. उन्होंने अपने बल पर जोधपुर राज्य की सीमाओं का काफी विस्तार किया था. उन की सेना में राव जैता व कूंपा नाम के 2 शूरवीर सेनापति थे. यदि मालदेव, राव वीरमदेव व उन के पुत्र वीर शिरोमणि जयमल से बैर न रखते और जयमल की प्रस्तावित संधि मान लेते, जिस में राव जयमल ने शांति के लिए अपने पैतृक टिकाई राज्य जोधपुर की अधीनता तक स्वीकार करने की पेशकश की थी, तो स्थिति बदल जाती. जयमल जैसे वीर, जैता कूंपा जैसे सेनापतियों के होते राव मालदेव दिल्ली को फतह करने में समर्थ हो जाते. राव मालदेव के 31 साल के शासन काल तक पूरे भारत में उन की टक्कर का कोई राजा नहीं था. लेकिन यह परम शूरवीर राजा अपनी एक रूठी रानी को पूरी जिंदगी नहीं मना सका और वह रानी मरते दम तक अपने पति से रूठी रही. जीवन में 52 युद्ध लड़ने वाले इस शूरवीर राव मालदेव की शादी 24 वर्ष की आयु में वर्ष 1535 में जैसलमेर के रावल लूनकरण की बेटी राजकुमारी उमादे के साथ हुई थी. उमादे अपनी सुंदरता व चतुराई के लिए प्रसिद्ध थीं. राठौड़ राव मालदेव की शादी बारात लवाजमे के साथ जैसलमेर पहुंची. बारात का खूब स्वागतसत्कार हुआ. बारातियों के लिए विशेष ‘जानी डेरे’ की व्यवस्था की गई.

रूठी रानी का महल उदयपुर

जोधपुर। राजस्थान के राजवंशों के गौरवशाली इतिहास के साथ इनके किस्से भी बड़े रोचक हैं। बात राजा मालदेव की शादी के समय की है। रानी उमादेसुहाग की सेज पर राजा का इंतजार करती रही और वो पहुंचे ही नहीं। रानी ने राजा को बुला लाने के लिए दासी को भेजा। राजा ने दासी को रानी समझ उसे अपने पास बैठा लिया, ये देख रानी गुस्सा हो गई और राजा से जिंदगी भर बात नहीं की। जब राजा रानी को मनाने पहुंचे तो उमादे ने कहा कि अब आप मेरे लायक नहीं रहे। जानें क्या है पूरी कहानी... Dainikbhaskar.com जानों राजस्थान सीरीज के तहत यहां के राज परिवारों की कही अनकही कहानियां बता रहा है। इसी कड़ी में आज पढ़िए मारवाड़ के राजा राव मालदेव की एक रानी की कहानी... एक गलती पड़ी भारी पांच सदी पूर्व मारवाड़ में राजा राव मालदेव थे।इनकी एक गलती के कारण उनका नई रानी उनसे रूठ गई थीं। रानी ने भी ऐसा प्रण लिया कि जीवनभर अपनी बात पर कायम रही और इतिहास में रूठीं रानी के नाम से प्रसिद्ध हो गई। जीवनभर अपने पति से नहीं बोलने वाली रूठी रानी ने मरने के बाद अपने पति का साथ दिया और उसके साथ ही सती हो गई। कुछ ऐसी है पूरी कहानी - पूरे राजपूताना में आज तक राव मालदेव की टक्कर का अन्य कोई राजपूत शासक नहीं हुआ। जीवन में 52 युद्ध लड़ने वाले इस शूरवीर की शादी 24 वर्ष की आयु में वर्ष 1535 में जैसलमेर की राजकुमारी उमादे के साथ हुआ। - उमादे अपनी सुंदरता व चतुरता के लिए प्रसिद्ध थी। राठौड़ राव मालदेव की बरात शाही लवाजमे के साथ जैसलमेर पहुंची। राजकुमारी उमादे राव मालदेव जैसा शूरवीर और महाप्रतापी राजा को पति के रूप में पाकर बहुत खुश थी। - शादी होने के बाद राव मालदेव अपने सरदारों व संबंधियों के साथ महफिल में बैठ गए और रानी उमादे सुहाग की सेज पर उनकी राह दे...

Ruthi Rani Novel By Munshi Premchand

Ruthi Rani Novel By Munshi Premchand By Munshi Premchand (रूठी रानी एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसमें राजाओं की वीरता और देश भक्ति को कलम के आदर्श सिपाही प्रेमचन्द ने जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया है। उपन्यास में राजाओं की पारस्परिक फूट और ईर्ष्या के ऐसे सजीव चित्र प्रस्तुत किये गये हैं कि पाठक दंग रह जाता है। ‘रूठी रानी’ में बहुविवाह के कुपरिणामों, राजदरबार के षड़्यंत्रों और उनसे होने वाले शक्तिह्रास के साथ-साथ राजपूती सामन्ती व्यवस्था के अन्तर्गत स्त्री की हीन दशा के सूक्ष्म चित्र हैं। दूसरी कृति प्रेमा में प्रेमचंद ने देश की स्वतन्त्रता के प्रेमियों का आह्वान करते हुए कहा है कि साहस एवं शौर्य के साथ एकता और संगठन भी आवश्यक हैं।) Chapter List Chapter 1 Chapter 2 Chapter 3 Chapter 4 Chapter 5 Chapter 6 Chapter 7 Chapter 8 Chapter 9 Chapter 10 [last]