रवींद्रनाथ टैगोर की रचनाएँ

  1. रविंद्रनाथ टैगोर जीवनी
  2. रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानियाँ और उपन्यास हिन्दी में
  3. रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय
  4. Rabindranath Tagore Biography In Hindi
  5. रवींद्रनाथ टागोर
  6. रवीन्द्रनाथ टैगोर : संगीत, कला और साहित्य का विलक्षण संगम
  7. Biography, General Knowledge, History,current affairs in hindi, And Many More
  8. रबीन्द्रनाथ ठाकुर


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रविंद्रनाथ टैगोर जीवनी

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रबीन्द्रनाथ टैगोर की कहानियाँ और उपन्यास हिन्दी में

रबीन्द्रनाथ टैगोर रवीन्द्रनाथ ठाकुर (7 मई 1861–7 अगस्त 1941), जिनको गुरुदेव दे नाम के साथ भी जाना जाता है, प्रसिद्ध बंगाली लेखक, संगीतकार, चित्रकार और विचारक थे। उनकी रचनायों में, उपन्यास: गोरा, घरे बाइरे, चोखेर बाली, नष्टनीड़, योगायोग; कहानी संग्रह: गल्पगुच्छ; संस्मरण: जीवनस्मृति, छेलेबेला, रूस के पत्र; कविता : गीतांजलि, सोनार तरी, भानुसिंह ठाकुरेर पदावली, मानसी, गीतिमाल्य, वलाका; नाटक: रक्तकरवी, विसर्जन, डाकघर, राजा, वाल्मीकि प्रतिभा, अचलायतन, मुक्तधारा, शामिल हैं। वह पहले ग़ैर-यूरोपीय थे जिनको 1913 में साहित्य के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया। वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बाँग्ला' उनकी ही रचनाएँ हैं।

रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय

3.9.1 Rabindranath Tagore biography questions in Hindi रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय | Rabindranath Tagore Biography in hindi Rabindranath Tagore Biography in hindi , Rabindra Nath Tagore’s book, poetry, novels, achievements, famous lectures, travelogues, plays, stories, compositions, establishment of Shantiniketan, marriage, education, family, birth भारत एक ऐसा महान देश है, जहां पर हमें कई महान पुरुष देखने को मिले जिन्होंने अपना पूरा जीवन प्रेरणा और शिक्षा देने में बिता दिया | आज हम कुछ ऐसे ही महान पुरुष की बारे में बात करने वाले हैं जो आज हमारे बीच में जरूर नहीं है लेकिन उनके विचार उनकी कविताएं उनकी बातें उनके किस्से आज भी हमारे मन में हमारे दिलों में राज करते हैं . साथ ही आज हम उन्हें पढ़ते हैं यही कारण है कि उन्हें भारत का एक असीम महान पुरुष कहा जाता है | आज किस ब्लॉक में हम बात करने वाले हैं भारत के है कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के बारे में आज किस ब्लॉक में हम आपको रवींद्रनाथ टैगोर के Rabindranath Tagore Biography In Hindi, history ,Age, education ,First Novel ,poems ,Height, nobel prize ,Caste, family ,Career, bengali romantic quotes by rabindranath tagore , rabindranath tagore artist ,award ,Death और भी अन्य कई चीजों के बारे में आपको बताने वाले हैं| Rabindranath Tagore Biography in hindi नाम (Name) रवींन्द्रनाथ टैगोर असली नाम (Real Name) रवीन्द्रनाथ ठाकुर निक नेम (Nick Name) भानुसिंघा ,गुरुदेव ,बंगाल का बार्ड जन्म तारीख (Date of birth) 7 मई 1861 जन्म स्थान (Place of born) कोलकाता , पश्चिम बंगाल ,ब्रिटिश भारत गृहनगर (Hometown) कोलकाता , पश्चिम बंगाल ,ब्रिटिश भारत शिक...

Rabindranath Tagore Biography In Hindi

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय: रवींद्रनाथ टैगोर एक भारतीय नीति-निर्देशक, कवि, कलाकार, संगीतकार और आयुर्वेद-शोधकर्ता थे। भारत के सबसे सम्मानित कवियों में से एक, टैगोर ने ऐसे समय में कई लोगों को प्रेरित किया जब देश ब्रिटिश शासन के दौरान एक कठिन दौर से गुजर रहा था। भारत के सबसे अधिक प्रशंसित शब्दों में से एक, टैगोर को अक्सर गुरुदेव ’या कवियों के कवि के रूप में देखा जाता था। अपने आख्यानों और अतुलनीय काव्यात्मक प्रसंग की सरासर प्रतिभा के कारण, उन्होंने अपने पाठकों के मन में एक अप्रभावी छाप खोली। एक बच्चे के कौतुक, टैगोर ने बहुत कम उम्र से साहित्य, कला और संगीत के लिए एक आकर्षण दिखाया। समय के कारण, उन्होंने एक असाधारण संस्था का निर्माण किया जिसने भारतीय साहित्य का चेहरा बदल दिया। वह साहित्य के एक नए युग के अग्रदूत थे और इस प्रकार उन्हें भारत का सांस्कृतिक राजदूत माना जाता था। आज भी, वह बंगाल के लोगों के दिलों में रहता है जो हमेशा अपनी विरासत को समृद्ध करने के लिए उनके ऋणी हैं। वह सबसे प्रशंसित भारतीय लेखक थे जिन्होंने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पश्चिम में पेश किया। वह प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार ’से सम्मानित होने वाले पहले गैर-यूरोपीय भी हैं। Childhood & Early Life– बचपन और प्रारंभिक जीवन Rabindranath Tagore kon hai– रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कलकत्ता, ब्रिटिश भारत में, देबेंद्रनाथ टैगोर और सरदा देवी के घर में हुआ था। वह परिवार में 13 बच्चों में सबसे छोटे थे। उनके पिता एक महान हिंदू दार्शनिक थे और एक धार्मिक आंदोलन के संस्थापकों में से एक थे जिन्हें ‘ब्रह्म समाज’ कहा जाता था। ‘रबी ’का नाम, टैगोर बहुत छोटा था जब उनकी मां की मृत्यु हो गई थी। चूंकि उनके पिता ज्य...

रवींद्रनाथ टागोर

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रवीन्द्रनाथ टैगोर : संगीत, कला और साहित्य का विलक्षण संगम

साहित्य, संगीत, कला और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी अनूठी प्रतिभा का परिचय देने वाले नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ऐसे मानवतावादी विचारक थे जिन्हें प्रकृति का सान्निध्य काफी पसंद था। उनका मानना था कि छात्रों को प्रकृति के सान्निध्य में शिक्षा हासिल करनी चाहिए। अपनी इसी सोच को ध्यान में रखकर उन्होंने शांति निकेतन की स्थापना की थी। टैगोर दुनिया के संभवत: एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं को दो देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया। बचपन से कुशाग्र बुद्धि के रवींद्रनाथ ने देश और विदेशी साहित्य, दर्शन, संस्कृति आदि को अपने अंदर समाहित कर लिया था और वह मानवता को विशेष महत्व देते थे। इसकी झलक उनकी रचनाओं में भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होती है। साहित्य के क्षेत्र में उन्होंने अपूर्व योगदान दिया और उनकी रचना 'गीतांजलि' के लिए उन्हें साहित्य के नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। समीक्षकों के अनुसार उनकी कृति 'गोरा' कई मायनों में अद्भुत रचना है। इस उपन्यास में ब्रिटिश कालीन भारत का जिक्र है। राष्ट्रीयता और मानवता की चर्चा के साथ पारंपरिक हिन्दू समाज और ब्रह्म समाज पर बहस के साथ विभिन्न प्रचलित समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है। भारत पाकिस्तान विभाजन पर केंद्रित 'पानी और पुल' जैसी चर्चित कहानी लिखने वाले महीप सिंह के अनुसार यह अपने समय को दर्शाने वाली बेहतरीन कृति है जिसमें धर्म, समाज जैसे मुद्दों से ज्यादा मानवीय संबंधों पर जोर दिया गया है। गोरा हिंदू, ईसाई आदि बातों को व्यर्थ मानते हुए मानवीय संबंधों को महत्वपूर्ण मानने लगता है। गुरुदेव सही मायनों में विश्व कवि होने की योग्यता रखते हैं। उनके काव्य के मानवतावाद ने उन्हें दुनिया भर में पहचान दिलाई। टैगोर की रचनाएँ बा...

Biography, General Knowledge, History,current affairs in hindi, And Many More

रवींद्रनाथ टैगोर बाँगला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे | भारतीय संस्कृति के सर्वश्रेष्ट रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर की बड़ी भूमिका रही। आम तौर पर उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार माना जाता है। दुनिया के समकालीन सांस्कृतिक रुझान से वे भली-भाँति अवगत थे। साठ के दशक के उत्तरार्द्ध में टैगोर की चित्रकला यात्रा शुरू हुई। यह उनके कवि व्यक्तित्व का विस्तार था। हालाँकि उन्हें कला की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिली थी। उन्होंने एक सशक्त एवं सहज दृश्य शब्दकोश का विकास कर लिया था। टैगोर की इस उपलब्धि के पीछे आधुनिक पाश्चात्य, पुरातन एवं पारंपरिक कला जैसे दृश्य कला के विभिन्न स्वरूपों की उनकी गहरी समझ थी। रवींद्रनाथ टैगोर की स्कूली शिक्षा प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल में हुई। टैगोर ने बैरिस्टर बनने की चाहत में 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजटोन पब्लिक स्कूल में नाम दर्ज कराया। उन्होंने लंदन कॉलेज विश्वविद्यालय में कानून का अध्ययन किया, लेकिन 1880 में बिना डिग्री हासिल किए ही वापस आ गए। रवींद्रनाथ टैगोर को बचपन से ही कविताएँ और कहानियाँ लिखने का शौक था। उनके पिता देवेंद्रनाथ टैगोर एक जाने-माने समाज-सुधारक थे। वे चाहते कि रवींद्र बड़े होकर बैरिस्टर बनें। उन्होंने रवींद्र को कानून की पढ़ाई के लिए लंदन भेजा, लेकिन रवींद्र का मन साहित्य में ही रमता था। उन्हें अपने मन के भावों को कागज पर उतारना पसंद था। आखिरकार, उनके पिता ने दो-दो राष्ट्रगानों के रचयिता रवींद्रनाथ टैगोर पारंपरिक ढाँचे के लेखक नहीं थे। वे एकमात्र कवि हैं, जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान 'जन-ग...

रबीन्द्रनाथ ठाकुर

पूरा नाम रबीन्द्रनाथ ठाकुर अन्य नाम रबीन्द्रनाथ टैगोर, गुरुदेव जन्म जन्म भूमि मृत्यु मृत्यु स्थान अभिभावक पति/पत्नी मृणालिनी देवी कर्म भूमि कर्म-क्षेत्र मुख्य रचनाएँ राष्ट्र-गान विषय भाषा विद्यालय सेंट ज़ेवियर स्कूल, लंदन कॉलेज विश्वविद्यालय पुरस्कार-उपाधि सन विशेष योगदान नागरिकता भारतीय अन्य जानकारी इन्हें भी देखें रबीन्द्रनाथ ठाकुर अथवा रबींद्रनाथ टैगोर ( Rabindranath Thakur, जन्म- जीवन परिचय रबीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म शारदा देवी के पुत्र के रूप में एक संपन्न बांग्ला परिवार में हुआ था। बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री टैगोर सहज ही दुनिया की समकालीन सांस्कृतिक रुझान से वे भली-भाँति अवगत थे। साठ के दशक के उत्तरार्ध में टैगोर की शिक्षा रबीन्द्रनाथ टैगोर की स्कूल की पढ़ाई प्रतिष्ठित सेंट ज़ेवियर स्कूल में हुई। टैगोर ने बैरिस्टर बनने की चाहत में रचनाएँ रबीन्द्रनाथ ठाकुर एक बांग्ला कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। जिन्हें गल्पगुच्छ की तीन जिल्दों में उनकी सारी चौरासी कहानियाँ संग्रहीत हैं, जिनमें से केवल दस प्रतिनिधि कहानियाँ चुनना टेढ़ी खीर है। सबुज पत्र (हरे पत्ते) में छपाते थे। आज भी पाठकों को उनकी कहानियों में 'हरे पत्ते' और 'हरे गाछ' मिल सकते हैं। उनकी कहानियों में सूर्य, वर्षा, नदियाँ और नदी किनारे के सरकंडे, वर्षा ऋतु का आकाश, छायादार गाँव, वर्षा से भरे अनाज के प्रसन्न खेत मिलते हैं। उनके साधारण लोग कहानी खत्म होते-होते असाधारण मनुष्यों में बदल जाते हैं। महान्ता की पराकाष्ठा छू आते हैं। उनकी मूक पीड़ा की करुणा हमारे हृदय को अभिभूत कर लेती है। उनकी कहानी पोस्टमास्टर इस बात का सजीव उदाहरण है कि एक सच्चा कलाकार साधारण उपकरणों से कैसी अद्भुत सृष्...