संक्रांति 2022 लिस्ट

  1. मिथुन संक्रांति 2022: आज के दिन क्यो होती है सिलबट्टे की पूजा? दिलचस्प है वजह
  2. Makar Sankranti 2022: कब है मकर संक्रांति? जानें महा पुण्य काल एवं धार्मिक महत्व
  3. Makar Sankranti 2022: जानिए मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त, तिथि और महत्व
  4. Singh Sankranti 2022 Date Muhurat Daan Benefit Lord Vishnu Narsingh Puja Vidhi
  5. kark sankranti 2022 date when is surya sankranti know correct date do not do this work in surya dakshinayan tvi
  6. Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति के दिन दान का मिलता है बड़ा पुण्य, जान लें शुभ मुहूर्त
  7. Makar Sankranti 2022 :Date, History, Significance, Importance, shubh timing puja vidhi and more


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मिथुन संक्रांति 2022: आज के दिन क्यो होती है सिलबट्टे की पूजा? दिलचस्प है वजह

• • Faith Hindi • मिथुन संक्रांति 2022: आज के दिन क्यो होती है सिलबट्टे की पूजा? दिलचस्प है वजह मिथुन संक्रांति 2022: आज के दिन क्यो होती है सिलबट्टे की पूजा? दिलचस्प है वजह Raja Sankranti 2022: जब सूर्य मिथुन राशि में प्रवेश करने की स्थिति में होते हैं इसे सूर्य की मिथुन संक्रांति कहते हैं. बता दें इस दिन पूरी विधि-विधान के साथ सूर्यदेव की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसे में जानते हैं इस दिन क्यों करते हैं सिलबट्टे की पूजा Raja Sankranti 2022: इस साल 15 जून 2022 दिन बुधवार यानि आज मिथुन संक्रांति मनाई जा रही है. बता दें कि एक साल में 12 संक्रांति आती हैं, जिसमें भगवान सूर्य अलग-अलग राशि और नक्षत्र में विराजमान होते है. जब सूर्यदेव मिथुन राशि में प्रवेश करने की स्थिति में होते है तो इसे सूर्य की मिथुन संक्रांति कहते हैं. आज के दिन सूर्यदेव की पूजा का विधान है. मान्यता है कि आज से ही वर्षा ऋतु की भी शुरूआत हो जाती है. अच्छी फसल के लिए जोरदार बारिश जरूरी है. ऐसे में लोग जोरदार बारिश के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं. ध्यान दें कि मिथुन संक्रांति को रज संक्रांति भी कहते हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आज के दिन सिलबट्टे की पूजा क्यों होती है. आज का हमारा लेख इसी विषय पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि सिलबट्टे की पूजा क्यों की जाती है पढ़ते हैं आगे… क्यों की जाती है सिलबट्‌टे की पूजा मान्यता है कि जैसे महिलाओं को मासिक धर्म होते हैं वैसे ही घरती मां के लिए भी ये दिन मासिक धर्म वाले होते हैं. मासिक धर्म शरीर के विकास का प्रतीक होते हैं. ऐसे में इस दिन भू देवि यानी धरती मां के मासिक धर्म होने से पृथ्वी का विकास होता है. चौथा दिन धरती के स्नान का दिन होता है. इ...

Makar Sankranti 2022: कब है मकर संक्रांति? जानें महा पुण्य काल एवं धार्मिक महत्व

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति का पर्व हिन्दू धर्म ​में ​विशेष महत्व रखता है. हर वर्ष जब सूर्य देव (Surya Dev) मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करते हैं, तो उसे सूर्य की मकर संक्रांति कहा जाता है. इस दिन से गुरु और सूर्य के प्रभाव में वृद्धि होने लगती है, जिससे मकर संक्रांति के दिन ही खरमास (Kharmas) का समापन होता है. उस दिन से ही मांगलिक कार्यों पर से लगी रोक हट जाती है.. शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश आदि के लिए मुहूर्त देखे जाने लगते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन से सूर्य देव अपने सातों घोड़ों की मदद से चारों दिशाओं में भ्रमण करने लगते हैं और उनकेरथ से खर या गधे निकल जाते हैं. इस वजह से सूर्य की चाल तेज हो जाती है और खरमास खत्म हो जाता है. आइए जानते हैं कि नए साल 2022 में मकर संक्रांति कब है और उसका महा पुण्य काल कब है? मकर संक्रांति 2022 तिथि एवं महा पुण्य काल नए साल 2022 की मकर संक्रांति 14 जनवरी दिन शुक्रवार को है. इस दिन पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है. 14 जनवरी को सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश दोपहर 02 बजकर 43 मिनट पर होना है. मकर संक्रांति का पुण्य काल 03 घंटा 02 मिनट का है. यह दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर शाम 05 बजकर 45 मिनट तक है. मकर संक्रांति का महा पुण्य काल 01 घंटा 45 मिनट का है. यह दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से शाम 04 बजकर 28 मिनट तक है. यह भी पढ़ें: मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में लगभग 1 माह के लिए आते हैं. एक माह तक रहने के बाद सूर्य की कुंभ संक्रांति आती है. उस दिन सूर्य मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं. मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व मकर संक्रांति के दिन से मांगलिक क...

Makar Sankranti 2022: जानिए मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त, तिथि और महत्व

नई दिल्ली, 14 जनवरी। 'मकर संक्रांति' हिंदूओ के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस पर्व के साथ ही सारे शुभ और मंगल काम शुरू हो जाते हैं क्योंकि इस दिन से खरमास भी समाप्त होता है। आपको बता दें कि पौष मास में जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस काल विशेष को ही संक्रांति कहते हैं। कहीं-कहीं इस दिन को 'खिचड़ी' के नाम से जाना जाता है। इस पावन दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। इस दिन काले तिल को विशेष रूप से दान किया जाता है। 'मकर संक्रांति' का शुभ मुहूर्त • मकर संक्रांति : 14 जनवरी 2022 • पुण्य काल- 14 जनवरी को दोपहर 02.43 से शाम 05.45 तक • पुण्य काल की कुल अवधि- 03 घंटे 02 मिनट • मकर संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल- 14 जनवरी को दोपहर 02.43 से 04:28 तक • कुल अवधि - 01 घंटा 45 मिनट Mundan & Namkaran Muhurat 2022: मुंडन और नामकरण के मुहूर्त की लिस्ट महत्व इस दिन को कहीं-कहीं 'उत्तरायण' कहा जाता है। तो वहीं यूपी में इस दिन माघ मेले का आयोजन होता है। लोग इस दिन संगम नगरी या काशी में भारी संख्या में स्नान करते हैं तो वहीं बिहार में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी नाम से जाना जाता है। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र दान करने का रिवाज है। इस दिन लोग घरों में खिचड़ी बनाकर भी खाते हैं और घरों में तिल और गुड़ के पकवान भी बनते हैं। ऐतिहासिक महत्व अगर ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान भास्कर यानी कि सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं और चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं इसलिए इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। भीष्म पितामह ने अपना देह त्याग किया था तो वहीं कुछ लोग ये भी कहते हैं क...

Singh Sankranti 2022 Date Muhurat Daan Benefit Lord Vishnu Narsingh Puja Vidhi

Singh Sankranti 2022: 17 अगस्त 2022 को सिंह संक्रांति है. सूर्य कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में एक महीने तक विराजमान रहेंगे. सालभर में 12 संक्रांति मनाई जाती है. जिस राशि में सूर्य प्रवेश करते है उस दिन को उस राशि के नाम पर संक्रांति मनाई जाती है. भादो माह में आने वाली सिंह संक्रांति पर स्नान-दान का विशेष महत्व है. साथ ही विशेषतौर पर इस दिन घी का सेवन करने की परंपरा निभाई जाती है. आइए जानते हैं सिंह संक्रांति का मुहूर्त और क्या दान करें. सिंह संक्रांति 2022 मुहूर्त • सिंह संक्रांति पुण्य काल - 12.15 PM • सिंह संक्रांति पर सूर्य देव, भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की पूजा का विधान है. इस दिन सूर्य देव अपनी स्वराशि सिंह में प्रवेश करेंगे. सिंह संक्रांति पर दान का महत्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सिंह संक्रांति पर किया दान आम दिनों की तुलना में बेहद पुण्यकारी होता है. इस दिन गरीबों या जरुरतमंदों को वस्त्र, कंबल, दाल-चावल, घी, गेंहू का विशेषतौर पर दान करना चाहिए. मान्यता है इससे भगवान विष्णु और सूर्य देव का विशेष वरदान प्राप्त होता है. सिंह संक्रांति पर घी के सेवन का महत्व • सिंह संक्रांति पर घी खाने से कफ, वात और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य क्रांति के दिन घी नहीं खाने से व्यक्ति अगले जन्म में घोंघा के रूप में जन्म लेता है. • भादो माह में घी खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. साथ ही घी के सेवन से शरीर से विशैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. सिंह संक्रांति पूजा विधि • सिंह संक्रांति पर सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी का जल पानी में मिलाकर स्नान करें. फिर सूर्य देव को जल चढ़ाएं. • अब भगवान विष्णु की प्रतिमा पर पीले पुष्प, चंदन, मिठाई, ध...

kark sankranti 2022 date when is surya sankranti know correct date do not do this work in surya dakshinayan tvi

Kark Sankranti 2022 Date: सूर्य संक्रांति कब है? जानें सही डेट,सूर्य के दक्षिणायन होने पर न करें ये कार्य संक्रांति का अर्थ होता है सूर्य का परिवर्तन. जब सूर्य मिथुन राशि से कर्क राशि में गोचर करते हैं तो इस गोचर को कर्क संक्रांति कहा जाता है. हिंदू धर्म के अनुसार कर्क संक्रांति से सूर्य की दक्षिण यात्रा शुरू हो जाती है जिसे सूर्य का दक्षिणायन होना भी कहा जाता है. Kark Sankranti 2022 Date: सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश करने के दिन को कर्क संक्रांति (Kark Sankranti) कहते हैं. इस दिन से सूर्य देव की दक्षिणी यात्रा शुरू होती है, जिसे दक्षिणायन भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इन 6 महीने के चरण में भगवान की रात्रि शुरू हो जाती है. इस दिन भक्तों के साथ भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा की जाती है और आशीर्वाद के लिए उपवास किया जाता है. इस दिन को देवशयनी एकादशी भी कहते हैं. कहा जाता है कि इस दिन अन्न और वस्त्र दान करना अत्यंत फलदायी होता है. कर्क संक्रांति को श्रावण संक्रांति ( Shravan Sankranti) भी कहते हैं. सूर्य (Surya) के दक्षिणायन होने से रात लंबी और दिन छोटे हो जाते हैं. कर्क संक्रांति ( Kark Sankranti) मानसून के मौसम की शुरुआत है जो कृषि के समय का प्रतीक है. और कृषि देश में आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. दक्षिणायन का समापन मकर संक्रांति के साथ होता है और उत्तरायण इसके बाद आता है. दक्षिणायन के सभी 6 महीनों के दौरान, लोग भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. जो लोग अपने पूर्वजों के लिए पितृ तर्पण करना चाहते हैं, वे दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करने के लिए कर्क संक्रांति की प्रतीक्षा करते हैं. • सभी तरह के पापों से मुक्ति के लिए कर्क संक्रांति के दिन भक्तों को सूर्योदय में पवित...

Makar Sankranti 2022: मकर संक्रांति के दिन दान का मिलता है बड़ा पुण्य, जान लें शुभ मुहूर्त

मकर संक्रांति का पर्व हिन्दू धर्म का एक विशेष त्योहार है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है। यह ऋतु में परिवर्तन का भी प्रतीक है और साथ ही शुभ कार्यों के आरम्भ होने का भी संकेत देता है। उत्तर भारत में जहां इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है तो वहीं दक्षिण भारत में पोंगल और असम में बिहू के रूप में इस पर्व की धूम रहती है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यह हर वर्ष 14 जनवरी के दिन मनाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव की विशेष पूजा, दान करने और खिचड़ी खाने की विशेष परंपरा रही है। जानते हैं मकर संक्रांति 2022 के विशेष मुहूर्त, इस पर्व से जुड़ी परंपरा और पौराणिक कथाओं के बारे में। मकर संक्रांति से सम्बंधित पौराणिक कथाएं और महत्व: पौराणिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। शनिदेव मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं और उस समय वे मकर राशि का ही प्रतिनिधित्व कर रहे थे, इसलिए सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस पर्व को पिता पुत्र के मिलन का पर्व भी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने भी पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिर को काट कर मंदार पर्वत पर गाड़ दिया था। भारत में मकर संक्रांति को कुछ जगहों पर उत्तरायण कहा जाता है। इसके साथ ही महाभारत काल में भीष्म पितामह ने भी अपने प्राण त्यागने के लिए मकर संक्रांति के दिन को ही चुना था। भीष्म ने मोक्ष पाने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने के पश्चात अपने शरीर को त्यागा था क्योंकि उत्तरायण में शरीर त्यागने वाले व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष प्राप्ति होती है। परम्पराएं और रीति-रिवाज़: मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर नदी में स्नान करना, व्रत करना, दान ...

Makar Sankranti 2022 :Date, History, Significance, Importance, shubh timing puja vidhi and more

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