संक्रामक रोग एवं उनकी रोकथाम

  1. रोगों की खोज कहां हुई, संक्रामक रोग एवं लक्षण, communicable diseases and their elimination in hindi
  2. संक्रमण
  3. संक्रामक रोग का अर्थ, प्रकार तथा नियंत्रण के उपाय


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रोगों की खोज कहां हुई, संक्रामक रोग एवं लक्षण, communicable diseases and their elimination in hindi

आदिकालीन मानव रोग आया बीमारियों के बारे में अधिक नहीं जानते थे वे सारी बीमारियों के कारण देवी क्रॉप या भूत प्रेत आत्माओं की को मानते थे लेकिन प्रथम बार यूनान के चिकित्सक हैप्पी योगरोस ने सारी बीमारियों या रोगों के बारे में विस्तारपूर्वक लिखा इसी कारण हिप्पो क्रॉस्ट को चिकित्सा शास्त्र का जनक कहा जाता है इसके बाद रॉबर्ट कोच ने बीमारियों के वास्तविक कारणों का अनेक अध्ययन करने के बाद निर्णय निश्चय किया कि बीमारियां जीवाणुओं के कारण ही होती है इसके बाद तो सारी बीमारियों से संबंधित अनेक खोजे हुई। i) संक्रामक रोग वे लोग होते हैं जो भोजन जल, मल मूत्र या साँस के माध्यम से फैलते हैं जैसे फ्लैग, पिक्चर्स, तपेदिक, निमोनिया आदि संक्रामक रोगों में रोगाणु प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से साथ भोजन या जल व पानी करने के माध्यम से स्वास्थ्य व्यक्ति में दाखिल होकर उनको रोग ग्रस्त कर देते हैं यह सूक्ष्म रोगाणु, कीटाणु, बैक्टीरिया, वायरस आदि शरीर में दाखिल होकर शरीर शरीर को रोग ग्रस्त एवं कमजोर बना देते हैं और शरीर को कमजोर कर देते हैं शरीर में ताकत नहीं बस्ती और शरीर इन रोगाणुओं से लड़ नहीं पाता और अंततः मनुष्य बहुत गंभीर रूप से इन से रोग ग्रस्त हो जाता है इससे मनुष्य की मौत भी हो सकती है इनमें सबसे खतरनाक वायरस को माना गया है क्योंकि वायरस नहीं जीवित होता है और नहीं मिला इसलिए इस पर एंटीबायोटिक दवाइयां कार्य नहीं करती एंटीबायोटिक दवाइयां केवल बैक्टीरिया परी कार्य करती है क्योंकि बैक्टीरिया को जीवित माना गया है वायरस जीवित नहीं होता परंतु यह मानव शरीर में विकसित या किसी भी जीवित वस्तु में अपना संख्या बढ़ा लेता है। • संक्रामक रोगों में अन्य लोगों से मिलते जुलते लक्षण पाए जाते हैं। इसमें बीमारी ब...

संक्रमण

संक्रमण एक चूहे के मिडगुट एपिथेलियम के माध्यम से पलायन करने वाले एक मलेरिया स्पोरोज़ोइट को दिखाने वाले इलेक्ट्रॉन माइक्रोग्राफ संक्रामक रोग कारण रोगों में कुछ रोग तो ऐसे हैं जो पीड़ित व्यक्तियों के प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क, या उनके रोगोत्पादक, विशिष्ट तत्वों से दूषित पदार्थों के सेवन एवं निकट संपर्क, से एक से दूसरे व्यक्तियों पर संक्रमित हो जाते हैं। इसी प्रक्रिया को संक्रमण (Infection) कहते हैं। सामान्य बोलचाल की भाषा में ऐसे रोगों को छुतहा रोग या छूआछूत के रोग कहते हैं। रोगग्रस्त या रोगवाहक पशु या मनुष्य संक्रमण के कारक होते हैं। संक्रामक रोग तथा इन रोग के संक्रमित होने की क्रिया समाज की दृष्टि से विशेष महत्व की है, क्योंकि विशिष्ट उपचार एवं अनागत बाधाप्रतिषेध की सुविधाओं के अभाव में इनसे रसायनिक एजेंट होते हैं जो निष्क्रिय सतहों और वस्तुओं पर लगाया जाता हैं ताकि वहाँ मौजूद वायरस, बैक्टीरिया, फंगल जीवाणु, फंगस, फंफूदी आदि को नष्ट कर सकें। कीटाणुनाशक आमतौर पर जीवाणुओं की बढ़ोतरी को मार देते हैं या उनकी खुराक पर हमला करते dr.MN sing अनुक्रम • 1 इतिहास • 2 परिचय • 3 जीवाणु-संक्रमण एवं विषाणु-संक्रमण में भेद • 4 इन्हें भी देखें • 5 सन्दर्भ • 6 बाहरी कड़ियाँ इतिहास [ ] 19वीं शताब्दी में पाश्चात्य वैज्ञानिक अब इस दिशा में अत्यधिक सफलता प्राप्त की गई है तथा इस प्रकार के अधिकांश रोगों के जीवाणुओं का निश्चित रूप से पता लगा लिया गया है। परिणामत: इनके संक्रमण की रोकथाम की तथा चिकित्सा में भी पर्याप्त सफलता मिलने लगी है। ये रोगजनक जीवाणु अत्यंत सूक्ष्म होते हैं और केवल परिचय [ ] रोगजनक, संक्रमण में किसी न किसी जीवाणु का प्राय: हाथ होता है। ये जीवाणु वायु, जल, भूमि तथा प्राणि...

संक्रामक रोग का अर्थ, प्रकार तथा नियंत्रण के उपाय

अनुक्रम (Contents) • • • • • • • • • • • • • संक्रामक रोग का अर्थ वह रोग जो विशिष्ट संक्रमण प्रतिनिधि या उसके विषाक्त उत्पादों के द्वारा समुदाय के अन्य व्यक्तियों में फैलता है, संक्रामक रोग कहलाता है। मानव में किसी भी रोग की उत्पत्ति के लिए तीन कारक आवश्यक हैं— रोग के कारक, परपोषी घटक या होस्टल और पर्यावरणीय घटक। इन तीन घटकों को जानपदिकरोगी विज्ञान त्रयी कहते हैं। किसी भी रोग के होने की पहली आवश्यकता रोग के कारक हैं। रोग कारक जीवित या अजीवित दोनों में से एक या दोनों ही हो सकते हैं। एक रोग के लिए कोई एक कारक या अनेक कारक भी हो सकते हैं। रोग से सम्बन्धित उल्लेखनीय कारक निम्न हैं- (i) जैविक कारक- ऐसे जीवित कारक जो संक्रमण के लिए उत्तरदायी होते हैं और जो मानव, जानवर, कीट, मृदा एवं वायु में विद्यमान होते हैं, जीवित कारक कहलाते हैं। कुछ प्रमुख जैविक रोग कारक जीवाणु विषाणु, कवक एवं प्रोटोजोआ आदि हैं। (ii) पोषण कारक- भोजन में विद्यमान विभिन्न प्रकार के मुख्य एवं सूक्ष्म पोषक तत्त्व जैसे, कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण और जल में असंतुलन, कमी या वृद्धि के कारण भी अनेक रोग उत्पन्न हो सकते हैं। (iii) यांत्रिक कारक-यांत्रिक मशीनों के कारण मानव शरीर में चोट, घाव, अस्थिभंग आदि भी हो सकते हैं। (vi) सामाजिक कारक- सामाजिक कारकों के अंतर्गत गरीबी, अशिक्षा, जनसंख्या वृद्धि मादक पदार्थों का सेवन, धूम्रपान, मद्यपान आदि कारकों से भी अनेक रोग हो सकते हैं। 2. परपोशी घटक किसी भी रोग के संक्रमण के लिए परपोशी घटक अत्यधिक सीमा तक उत्तरदायी होते हैं। परपोशी घटकों को निम्नलिखित समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है- (i) जनसांख्यिकी घटक- इस घटक के अंतर्गत व्यक्ति की आयु, लिंग आदि सम्मिलित ...