संपूर्ण सुंदरकांड चौपाई pdf

  1. Sundar Kand in Hindi: Sampurna Ramayan Sunderkand Path PDF Download
  2. [Free PDF] Sunderkand PDF In Hindi
  3. अत्यंत सिद्ध है सुंदरकांड का पाठ, सुख
  4. रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई


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Sundar Kand in Hindi: Sampurna Ramayan Sunderkand Path PDF Download

Sundar Kand ( सुन्दर कांड) was first written in Sanskrit by Shri Valmiki ji in Ramayana. In Sunderkand (सुन्दरकाण्ड), Hanuman ji’s journey to Lanka to find Sita Mata ( सीता माता) has been narrated in a captivating manner. Sunderkand is the fifth of the seven chapters of Ramcharitmanas ( रामचरितमानस) written by Goswami Tulsidas ( गोस्वामी तुलसीदास). In this sunderkand path, the couplets ( दोहे) and chaupai ( चौपाइयां) are written in special verses. Sunderkand mentions the strength and victory of his devotee Lord Hanuman (भक्त हनुमान). It is not about the qualities of Lord Rama ( भगवान राम) but about the qualities of his devotee and his victory. According to the famous belief of Hinduism, the desire of the devotee who recites Sunderkand is soon fulfilled all wishes. If you recite Sunderkand on Saturday, then Lord Bajrangbali (बजरंगबली) will be happy and at the same time Shanidev (शनिदेव) will not harm you. Sunderkand composed by Tulsidas is considered to be the most popular and important. According to the beliefs, whoever recites Sunderkand at home at regular intervals, receives the blessings of not only Hanuman ji but also Lord Rama. Sunderkand symbolizes Hanuman ji’s victory saga. In it, lectures have been given about all the events from Hanuman’s departure to Lanka, Lanka Dahan, return from Lanka. Hanuman ji receives immense grace from the regular recitation of Sunderkand. This lesson is going to defeat all sufferings. Let us know why the text of Sunderkand is so importan...

[Free PDF] Sunderkand PDF In Hindi

Page Contents • • • • • • • रामायण काल में श्रीराम भक्त भगवान् हनुमान जी ने अनेको ऐसे असंभव कार्य किए जिनको करने के बारे में देवता भी नहीं सोच पाते थे। सुंदरकांड में उन सभी कार्यो के द्वारा हनुमान जी के बल, बुद्धि और विवेक का बहुत ही सुंदरता से वर्णन किया गया है। “सुंदरे सुंदरो रामा, सुंदरे सुंदरी कथा || सुंदरे सुंदरी सीता, सुंदरे किम ना सुंदरम || अर्थात: श्रीराम सुंदर है उनकी कथा सुंदर है, श्री सीताजी सुंदर है जब यह सब सूंदर है तो यह सुंदरकांड सुंदर कैसे ना हो। इस अत्यंत प्रभावशाली सुंदरकांड का पाठ करने से साधक का मन, वाणी, चरित्र इत्यादि सभी सुंदर हो जाता है। Sunderkand PDF Download Link ऑफ़लाइन पढ़ने के लिए, नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और मुफ्त Sunderkand PDF डाउनलोड करें। सुंदरकांड पाठ के लाभ– Sunderkand Paath Ke Labh सुंदरकांड के पाठ से होने वाले अनंत लाभो का वर्णन पाठ के दोहो द्वारा सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुणगान | सादर सुनहि हो तरहि भव सिंधु बिना जल जान || अर्थात: प्रभु श्रीरघुनाथजी का गुणगान संपूर्ण सुमंगल देने वाला है। जो भी इसे आदर पूर्वक भाव से सुनेंगे, वे बिना किसी जहाज के ही इस संसार रूपी भवसागर को तर जाएँगे। सुंदरकांड के निम्लिखित दोहे में भी शरणागत वत्सल प्रभु श्रीराम किस प्रकार अपनी शरण में आए हुए पर उदार व् दयालु होते है इसके संबंध तुलसीदास जी कहते है। रावन क्रोध अनल निज स्वास समीर प्रचंड । जरत बिभीषनु राखेउ दीन्हेहु राजु अखंड ।। जो संपति सिव रावनहि दीन्हि दिएँ दस माथ । सोइ संपदा बिभीषनहि सकुचि दीन्ह रघुनाथ ।। प्रभु श्री रामजी की शरण लेने पर प्रभु शरणागत की ना सिर्फ सुरक्षा करते है बल्कि उन्हें धन-धान्य से भी परिपूर्ण कर देते है। जैसा की विभीषण को उन्हो...

अत्यंत सिद्ध है सुंदरकांड का पाठ, सुख

नई दिल्ली। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का संपूर्ण जीवन चरित्र गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस में समाया हुआ है। जिसे सामान्य भाषा में हम रामायण के नाम से जानते हैं। यूं तो इसकी प्रत्येक चौपाई का पठन-पाठन पुण्यदायी और प्रभु श्रीराम के करीब ले जाने वाला है, लेकिन इसमें सबसे उत्तम सुंदरकांड को माना गया है। सुंदरकांड में हनुमानजी द्वारा किए गए महान कार्यों का वर्णन किया गया है। अखंड रामायण पाठ में सुंदरकांड के पाठ का विशेष महत्व होता है। अत्यंत सिद्ध है सुंदरकांड का पाठ यहां तक कि अखंड रामायण का पाठ समाप्त हो जाने के बाद भी एक बार फिर से सुंदरकांड का पाठ अलग से किया जाता है। इसमें हनुमान का लंका प्रस्थान, लंका दहन से लंका से वापसी तक के घटनाक्रम आते हैं। इस अध्याय के मुख्य घटनाक्रम हैं हनुमान जी का लंका की ओर प्रस्थान, विभीषण से भेंट, सीता से भेंट करके उन्हें श्री राम की मुद्रिका देना, अक्षय कुमार का वध, लंका दहन और लंका से वापसी। रामायण में सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण रामायण कथा श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है, जबकि सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो सिर्फ हनुमानजी की शक्ति और विजय का अध्याय है। क्या हैं पाठ के लाभ • यह तो सभी जानते हैं कि हनुमानजी सप्त चिरंजीवी में से एक हैं। यानी वे अभी भी पृथ्वी पर सशरीर मौजूद हैं। यह माना जाता है कि जहां भी सुंदरकांड का पाठ होता है वहां हनुमानजी किसी न किसी रूप में पाठ सुनने अवश्य आते हैं। यह कई लोगों ने साक्षात अनुभव भी किया है। • सुंदरकांड का पाठ प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को किया जाता है। इसका पाठ अकेले में या समूह के साथ संगीतमय रूप में किया जाता है। • सुंदरकांड का नियमित पाठ जीवन की समस्त बाधाओं का...

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

29 रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई– निचे रामायण की चौपाइयां दी गई है इसका वीडियो भी निचे दिया गया है रामायण की चौपाई | रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई | Ramayan Chaupai| सम्पूर्ण रामायण हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥ जा पर कृपा राम की होई। ता पर कृपा करहिं सब कोई॥ जिनके कपट, दम्भ नहिं माया। तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥ होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥ बिनु सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥ रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई अर्थ सहित बिनु सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥ सठ सुधरहिं सत्संगति पाई। पारस परस कुघात सुहाई॥ अर्थ :सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और राम जी की कृपा के बिना वह सत्संग नहीं मिलता, सत्संगति आनंद और कल्याण की जड़ है। दुष्ट भी सत्संगति पाकर सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सुंदर सोना बन जाता है। रामायण चौपाई अर्थ सहित जा पर कृपा राम की होई। ता पर कृपा करहिं सब कोई॥ जिनके कपट, दम्भ नहिं माया। तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥ अर्थ :जिन पर राम की कृपा होती है, उन्हें कोई सांसारिक दुःख छू तक नहीं सकता। परमात्मा जिस पर कृपा करते है उस पर तो सभी की कृपा अपने आप होने लगती है । और जिनके अंदर कपट, दम्भ (पाखंड) और माया नहीं होती, उन्हीं के हृदय में रघुपति बसते हैं अर्थात उन्हीं पर प्र...