संत तुकाराम महाराज जीवन चरित्र pdf

  1. जगद्गुरु संत तुकाराम
  2. संत तुकाराम महाराज का जीवन चरित्र और प्रमुख रचनाएँ
  3. [PDF] संत तुकाराम जीवन चरित्र
  4. संत तुकाराम महाराजांची माहिती – Sant Tukaram Maharaj information in Marathi – Marathi Biography


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जगद्गुरु संत तुकाराम

पंढरपुर स्थित विठ्ठल भगवान के वारकरी संप्रदाय के प्रमुख संतों में संत तुकाराम का नाम बहुत आदरपूर्वक लिया जाता है। संत तुकाराम को आदरपूर्वक 'तुकोबा' भी बोला जाता है जैसे विठोबा, चोखोबा। अंतिम शब्द 'बा' अर्थ आदर वाचक बाबा, बाप के अर्थ में जोड़ा जाता है। हर वर्ष आषाढ़ एकादशी को विठ्ठल भक्त पैदल यात्रा करते हैं जिसे वारकरी संबोधित किया जाता है। वारकरी सम्प्रदाय के घोष वाक्य में संत ज्ञानेश्वर के साथ संत तुकाराम का नाम किसी भी कीर्तन, प्रवचन अथवा धार्मिक कार्यक्रम में उद्घोषित किया जाता है। पुंडलिक वरदा हरी विठ्ठल श्री ज्ञानदेव तुकाराम। पंढरीनाथ महाराज की जय! जब हिन्दुस्तान पर विदेशी शक्तियों का आक्रमण हुआ, मंदिर, पूजा स्थल को तोड़ा जा रहा था, मूर्ति ध्वस्त की जा रही थी, हज़ारों वर्षों की धर्म श्रद्धा पर कुठाराघात होने लगा था, तब महाराष्ट्र की भूमि पर भागवत धर्म की ध्वजा संत ज्ञानेश्वर, एकनाथ, नामदेव और तुकाराम ने जनमानस में फहरायी थी। संत कृपा झाली। इमारत फळा आली॥ ज्ञानदेवे घातला पाया। उभारिले देवालया॥ नामा तयाचा किंकर। तेणे केला हा विस्तार॥ जनार्दन एकनाथ। खांब दिला भागवत॥ तुका झालासे कळस। भजन करा सावकाश॥ बहेणी फडकते ध्वजा। निरुपण आले ओजा॥ (संत तुकाराम की शिष्या बहिणाबाई) अर्थात्‌: संत कृपा से भागवत धर्म भवन निर्मित हुआ। ज्ञानदेव ने नींव रखी, मंदिर स्थापित किया। नामदेव ने कंकर होकर विस्तार किया। जनार्दन एकनाथ हुए स्तंभ। तुकाराम हुए कलश। एकाग्र होकर शांत चित्त से भजन करें। बहिणा हुई ध्वज, प्रवचन हुआ प्रासादिक। संत तुकाराम को महाराष्ट्र की संत परंपरा में भागवत धर्म का कलश माना गया है। भक्त भगवान के दर्शन करने से पहले प्रथमतः कलश का दर्शन करते हैं। संत तुकाराम का जन्म पुणे ज़िले के दे...

संत तुकाराम महाराज का जीवन चरित्र और प्रमुख रचनाएँ

संत तुकाराम महाराज का जीवन चरित्र संत तुकाराम महाराज विट्ठल के भक्त थे। उनके जन्म काल के बारे में मतभेद है। डॉ. अशोक का मत ने उनका जन्म सन् 1568, प्रभाकर सदाशिव पंडित ने सन् 1597, प्रसिद्ध इतिहासविद् राजवाडे़ ने उनका जन्म शके 1490, श्री भारदे ने उनका जन्म शके 1520, श्री पांगारकर व महीपति बुवा उनका जन्म सन् 1530, जनार्दन ने शके 1510 ई. स. 1528 माना है। इनका जन्म पूना के करीब देहू गाँव में हुआ है। वे जाति से शूद्र और व्यवसाय से वैश्य थे। वे कुणबी वाणी थे। उनका उपनाम अंबीले था। संत बहिनाबाई ने संत तुकाराम महाराज को‘‘वारकरी मत मंदिर का कलश’’56 कहा था। पारिवारिक स्थिति से संत तुकाराम महाराज विरक्त होकर विट्ठलमय हुए। इनका लगभग संपूर्ण परिवार छोटा भाई कान्होबा देखते थे। इनके गुरुबाबा चैतन्य थे। इनके शिष्य निलोबाराय रामेश्वर भट्ट, संताजी तेली, गबर सेठ, शिवबाकसार, रामेश्वर शाक्त व बहिणाबाई आदि थे। संत तुकाराम महाराज की प्रमुख रचनाएँ संत तुकाराम महाराज की रचनाएँ इस प्रकार हैं - मराठी में‘अस्सल गाथा’ इनकी अभंग रचना है।‘अस्सल गाथा’ग्रंथ को कुछ दुष्ट ब्राह्मणों ने इंद्रायणी नदी में फेंका था। संत तुकाराम महाराज जब अनशन करने भगवान विट्ठल का नामस्मरण करते हुए इंद्रायणी के पास बैठे थे तब भगवान ने उन्हें अपने हाथों से उनकी‘अस्सलगाथा’ 7 दिनों के बाद दे दी। इस गाथा में आत्मचरित्रात्मक, निवेदनात्मक, उपदेशात्मक, पौराणिक कथात्मक, संत चरित्रात्मक, भगवान विट्ठल की व पंढरपुर की स्तुति पर उपदेशात्मक अभंग हैं। इनकी टूटी-फूटी सधुक्कड़ी हिंदी भाषा है। इनकी ब्रज भाषा में कृष्ण के गीत मिलते हैं। इनके आत्म-चरित्रपरक अभंग में इनके जीवन की घटनाएँ व तत्कालीन ऐतिहासिक घटनाएँ मिलती हैं। अध्यात्मपरक अभंग में उन...

[PDF] संत तुकाराम जीवन चरित्र

पुस्तक का एक मशीनी अंश अवतकके प्रथन्नोका निरीक्षण-ये तीन आधार बताये; अब इस प्रन्थका स्वरूप संक्षेपमे निवेदन करता हूँ। मधनावरणके पकथचात् पहिले कालनिर्णयका प्रश्न हल किया है । इसके बाद दो अष्यायोगे तुकारामका पूर्वचरित्र है और फिर समग्र मध्पवण उपालनाप्रभान है। यह उपासनाखत भीतुकाराम महाराजके वचनोंके ही आधारपर विलार- पूर्वक लिखा है जिसमें ऐसा प्रयत्न किया गया है कि महारात्ट्रीय मागवत- धर्मानुयायियों अर्थात् बारकरियोंको और सामान्यतः सबको दी इस भागवतसम्प्रदायका विश्वर मूलकमसे यमार्ष परिक्षान हो: मौर यह मालूम हो कि तुकाराम किस साधनकमसोपानसे साक्षात्कारकी पैढीतक चह गये, उनके सामने सगुणोपासनाका खस्य खुल आाय उम्हें भीविडक- स्वरूपका बोध हो उनके लिये परमार्थमार्गपर चलना सुगम हो, भकिमार्गको ये स्पष्ट देख ले । यही इस बिस्तारका मुख्य हेतु रहा है। भावुक भगवद्रोंको यह मध्यलम्ड बहुत प्रिय भौर बोघपरद होगा । खम्प्रदायकी सिद्धान्तपञ्चद्थी बतवा एकादशीतत, नाम- संकीर्तन, सत्संग और परोपकारका महत्व तथा तुकारामजीके पूर्वाभ्यास बच्चे अनेक प्रकारकी बोडियोंसे माताकों पुकारते है, पर उन बोलियोंका यथातथ्य ज्ञान माताको ही होता है। ऐसे जो उपाधिरहित अन्तर्ज्ञानी है, तुका उनकी वन्दना करता है, बार-बार उनके चरणोंमे गिरता है। सन्तोंने मर्मकी बात खोलकर हमें बता दी है-हाथमें झाँझ, मजीरा ले लो और नाचो । समाधिके सुखको भी इसपर न्योछावर कर दो । ऐसा ब्रह्मरस इस नाम-सङ्कीर्तनमें भरा हुआ है । भक्ति भाग्यका वल-भरोसा ऐसा है कि उससे इस ब्रह्मरससेवनका आनन्द दिन-दिन बढ़ता ही जाता है। चित्तमें अवश्य ही कोई सन्देहान्दोलन न हो । यह समझ लो कि चारों मुक्तियाँ हरिदासों की दासियाँ हैं ।

संत तुकाराम महाराजांची माहिती – Sant Tukaram Maharaj information in Marathi – Marathi Biography

वारकरी संप्रदायातल्या प्रवचन व कीर्तनाच्या शेवटी –‘ पुंडलीक वरदे हरी विठ्ठल, श्री ज्ञानदेव तुकाराम, पंढरीनाथ महाराज की जय, जगद्गुरु तुकाराम महाराज की जय‘ असा जयघोष करतात. तुकाराम महाराज त्यांच्या अखंड आणि भक्तिमय कवितांसाठी ओळखले जातात. भगवान विष्णूचे अवतार मानल्या जाणार्‍या विठ्ठल आणि विठोबा यांना त्यांची कविता समर्पित होती. तुकाराम महाराज मुख्यतः संत तुकाराम, भक्त तुकाराम, तुकोबा, तुकोबाराया आणि तुकाराम महाराज यांच्या नावाने प्रसिद्ध आहेत. संत तुकाराम महाराज यांचे जीवन चरित्र – Sant Tukaram Maharaj Marathi information Essay Nibandh Biography itihas संपूर्ण नाव तुकाराम बोल्होबा अंबिले जन्म १ फेब्रुवारी १६०७ जन्मस्थान देहू, महाराष्ट्र, भारत मृत्यू ७ मार्च १६५० मृत्युस्थान देहू, महाराष्ट्र, भारत वडिलांचे नाव बोल्होबा अंबिले आईचे नाव कनकाई बोल्होबा आंबिले पत्नी आवली अपत्ये महादेव, विठोबा, नारायण, भागूबाई संप्रदाय वारकरी संप्रदाय, चैतन्य संप्रदाय गुरू केशवचैतन्य साहित्यरचना तुकारामाची गाथा भाषा मराठी व्यवसाय वाणी धर्म हिंदू संत तुकाराम महाराज यांचे जीवन चरित्र यांचे प्रारंभिक जीवन – Life History of Sant Tukaram Maharaj in Marathi संत तुकारामांच्या जन्म आणि मृत्यूविषयी कोणालाही माहिती नाही आणि त्यासंबंधी कोणतीही अधिकृत माहिती इतिहासात उपलब्ध नाही पण शोधकर्त्यांच्या मते, त्याचा जन्म १५९८ किंवा १६०८ मध्ये महाराष्ट्रातील पुण्याच्या देहू गावात झाला आहे. त्यांच्या घरात पंढरपूरची वारी करण्याची परंपरा पहिल्यापासून होती. तुकाराम महाराज यांचे वडील बोल्होबा व आई कनकाई. तसेच त्यांना दोन भाऊ होते. मोठा भाऊ सावजी आणि लहान कान्होबा. संत तुकाराम महाराज यांचे पाहिले लग्न पुण्यातील आप्पाजी गुळ...