संवहन ऊतक किसे कहते हैं

  1. संवहन ऊतक तन्त्र (Vascular Tissue System) : परिभाषा, भाग, प्रकार
  2. UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues – UP Board Solutions
  3. संयोजी ऊतक किसे कहते हैं परिभाषा, प्रकार (भेद) एवं उदाहरण
  4. ऊतक


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संवहन ऊतक तन्त्र (Vascular Tissue System) : परिभाषा, भाग, प्रकार

रम्भ (stele) में पाये जाने वाले अनेक संवहन बण्डल (vascular bundle) मिलकर संवहन ऊतक तन्त्र का निर्माण करते हैं। अन्तस्त्वचा से घिरे बेलनाकार भाग को जिसमें संवहन बण्डल, परिरम्भ, पिथ तथा पिथ किरणें आती हैं रम्भ (stele) कहते हैं। प्रत्येक संवहन बण्डल (vascular bundle) कैम्बियम सहित तथा कैम्बियम रहित जाइलम (xylem) तथा फ्लोएम (phloem) का बना होता है। संवहन बण्डल द्विबीजपत्री तनों में एवं दोनों प्रकार की जड़ों में एक या अधिक (कुछ द्विबीजपत्री तनों में) घेरों में और एकबीजपत्री तनों में बिखरी हुई अवस्था में पाये जाते हैं। एक संवहन बण्डल के भाग (Elements of a Vascular Bundle) • जाइलम अथवा काष्ठ (Xylem or wood) • फ्लोएम अथवा बास्ट (Phloem or bast) • कैम्बियम या एधा (Cambium) (अ) जाइलम (Xylem) – द्विबीजपत्री तनों में जाइलम का विकास रम्भ के भीतरी भाग की ओर से होता है अर्थात् प्रोटोजाइलम मध्य भाग की ओर बनता है तथा मेटाजाइलम (metaxylem) बाहर की ओर होता है। इसे अपकेन्द्री (centrifugal) जाइलम कहते हैं और यह अवस्था मध्यादिदारुक (endarch) कहलाती है। एकबीजपत्री तनों में भी इसी प्रकार का विकास होता है। जड़ों में जाइलम का विकास पौधे के रम्भ में बाहरी भाग की ओर से होता है। दूसरे शब्दों में प्रोटोजाइलम (protoxylem) बाहर (periphery) की ओर बनता है। इसे अभिकेन्द्री (centripetal) जाइलम कहते हैं तथा इस अवस्था को जाइलम की exarch अवस्था कहते हैं। (ब) फ्लोएम (Phloem) –तनों में फ्लोएम मध्य से दूर, किनारे की ओर पाया जाता है और मेटाजाइलम के ऊपर स्थित होता है। द्विबीजपत्री तनों में चालनी कोशाएँ (sieve tubes), सह-कोशाएँ (companion cells) , फ्लोएम मृदूतक एवं फ्लोएम तन्तु मिलकर फ्लोएम की रचना करते हैं। एकबीजपत्...

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues – UP Board Solutions

UP Board Solutions for Class 9 Science Chapter 6 Tissues (ऊतक) These Solutions are part of पाठ्य – पुस्तक के प्रश्नोत्तर पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 77) प्रश्न 1. ऊतक क्या है ? उत्तर- कोशिकाओं का ऐसा समूह जो बनावट व कार्य में समान होता है, एक ही तरह के कार्य को सम्पन्न करता है ऊतक कहलाता है। प्रश्न 2. बहुकोशिकीय जीवों में ऊतकों का क्या उपयोग है ? उत्तर- बहुकोशिकीय जीवों में लाखों कोशिकाएँ होतं. हैं। इनमें से अधिकतर कुछ ही कार्यों को सम्पन्न करने के लिए होती हैं। प्रत्येक विशेष कार्य कोशिकाओं के विभिन्न समूहों द्वारा किया जाता है। बहुकोशिक जीवों में श्रम विभाजन होता है। शरीर के अन्दर ऐसी कोशिकाएँ जो एक तरह के कार्य को सम्पन्न करने (UPBoardSolutions.com) में दक्ष होती हैं, सदैव एक ही समूह में रहती हैं अर्थात् ऊतक बनाती हैं। रक्त, फ्लोयम ऊतक पेशी सभी ऊतक के उदाहरण हैं। You can also Download tissues class 9 notes PDF to help you to revise complete Syllabus and score more marks in your examinations. पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 81) प्रश्न 1. प्रकाश संश्लेषण के लिए किस गैस की आवश्यकता होती है ? उत्तर- प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड गैस (CO) की आवश्यकता होती है। प्रश्न 2. पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्यों का उल्लेख करें। उत्तर- पौधों में वाष्पोत्सर्जन के कार्य निम्नलिखित हैं (i) पौधे जमीन से पानी को वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा ऊपर खींचते हैं। (ii) पौधा ठण्डा रहता है। पाठात प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 83) प्रश्न 1. सरल ऊतकों के कितने प्रकार हैं ? उत्तर- सरल ऊतकों के तीन प्रकार हैं (i) मृदूतक (ii) स्थूलकोण ऊतक (iii) दृढ़ ऊतक। प्रश्न 2. प्ररोह का शीर्षस्थ विभज्योतक कहाँ पाया ...

संयोजी ऊतक किसे कहते हैं परिभाषा, प्रकार (भेद) एवं उदाहरण

जैसा कि हम सब जानते हैं सभी जीवित प्राणी या पौधे कोशिकाओं के बने होते हैं एक कोशिकीय जीव में सभी मौलिक कार्य एक ही प्रकार की कोशिका के द्वारा संपन्न होता है लेकिन बहुकोशिकीय जीवो में लाखों कोशिकाएं मौजूद होती हैं जो विभिन्न प्रकार के कार्य को करती हैं आज हम इस लेख में ऊतक के विषय में जानेंगे और विशेष रूप से कोशिका का एक समूह जो किसी कार्य को एक साथ संपन्न करती है उत्तर कहलाता है फ्लोएम रक्त तथा पेशीय ऊतक के उदाहरण है उत्तक को हम दो भागों में बांट सकते हैं पादप ऊतक जंतु ऊतक आज हम इस लेख में जंतु ऊतक के विषय में जानेंगे रक्त और पेशियों दोनों ही हमारे शरीर में पाए जाने वाले उत्तक के उदाहरण हैं उनके कार्य के आधार पर विभिन्न प्रकार के जंतु ऊतक होते हैं जैसे कि एपिथीलियम ऊतक संयोजी उत्तक पेशीय ऊतक तथा तंत्रिका ऊतक रक्त संयोजी ऊतक का एक प्रकार है तथा पेशी पेशीय ऊतक का उदाहरण है संयोजी ऊतक किसे कहते हैं? संयोजी उत्तक मानव शरीर में अंगों को दूसरे अंगों से जोड़ने का कार्य करता है यह प्रत्येक अंगों में पाया जाता है यह उसको का एक विशिष्ट समूह है संयोजी ऊतक मुख्य रूप से अंगों को आच्छादित करना तथा उन्हें सही स्थान पर रखना है इसकी कोशिकाएं शरीर के विभिन्न अंगों को आपस में जोड़ने या आधार देने का कार्य करती है जो कि मैट्रिक्स में ढीले रूप से पाई जाती है इसके 2 अवयव होते हैं मैट्रिकऔर कोशिका संयोजी ऊतक के प्रकार (Types of connective Tissues) रक्त एवं लसीका लाल रक्त कोशिकाएं श्वेत रक्त कोशिकाएं तथा प्लाज्मा में निलंबित रहते हैं इसमें प्रोटीन नमक से हार्मोन भी होते हैं रक्त बचे हुए भोजन हार्मोन कार्बन डाइऑक्साइड ऑक्सीजन शरीर की सुरक्षा का तापमान नियंत्रण का कार्य करता है रक्त जैसे शरीर के बचे...

ऊतक

ऊतक ( tissue) किसी ऊतक कहते हैं जिनकी उत्पत्ति एक समान हो तथा वे एक विशेष कार्य करती हो। अधिकांशतः ऊतकों का आकार एवं आकृति एक समान होती है। परन्तु कभी-कभी कुछ उतकों के आकार एवं आकृति में असमानता पाई जाती है, किन्तु उनकी उत्पत्ति एवं कार्य समान ही होते हैं। कोशिकाएँ मिलकर ऊतक का निर्माण करती हैं। ऊतक में समान संरचना और कार्य होते हैं। ऊतक के अध्ययन को जन्तु ऊतक मुख्यतः पांच प्रकार के होते हैं: • • • • • उपकला ऊतक [ ] यह ऊतक शरीर को बाहर से ढँकता है तथा समस्त खोखले अंगों को भीतर से भी ढँकता है। रुधिरवाहिनियों के भीतर ऐसा ही ऊतक, जिसे अंत:स्तर कहते हैं, रहता है। उपकला का मुख्य कार्य रक्षण, शोषण एवं स्त्राव का है। उपकला के निम्न प्रकार हे - • (क) साधारण • (ख) स्तंभाकार • (ग) रोमश • (घ) स्तरित • (च) परिवर्तनशील • (छ) रंजककणकित संयोजी ऊतक [ ] मुख्य लेख: यह ऊतक एक अंग को दूसरे अंग से जोड़ने का काम करता है। यह प्रत्येक अंग में पाया जाता है। इसके अंतर्गत • (क) रुधिर ऊतक, • (ख) अस्थि ऊतक, • (ग) लस ऊतक तथा • (घ) वसा ऊतक आते हैं। रुधिर ऊतक के, लाल रुधिरकणिका तथा श्वेत रुधिरकणिका, दो भाग होते हैं। लाल रुधिरकणिका ऑक्सीजन का आदान प्रदान करती है तथा श्वेत रुधिरकणिका रोगों से शरीर की रक्षा करती है। मानव की लाल रुधिरकोशिका में न्यूक्लियस नहीं रहता है। अस्थि ऊतक का निर्माण अस्थिकोशिका से, जो चूना एवं फ़ॉस्फ़ोरस से पूरित रहती है, होता है। इसकी गणना हम स्केलेरस ऊतक में करेंगे, लस ऊतक लसकोशिकाओं से निर्मित है। इसी से लसपर्व तथा टॉन्सिल आदि निर्मित हैं। यह ऊतक शरीर का रक्षक है। आघात तथा उपसर्ग के तुरंत बाद लसपर्व शोथयुक्त हो जाते हैं। वसा ऊतक दो प्रकार के होते हैं: एरिओलर तथा एडिपोस। इनके अतिरिक...