संविधान

  1. संविधान के प्रकार
  2. संविधान अर्थ, परिभाषा, वर्गीकरण/प्रकार
  3. नेपालको पहिलो संविधान सभा
  4. मूल अधिकार (भारत)
  5. भारत का संविधान (Constitution of India) PDF Hindi – InstaPDF
  6. भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी
  7. भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble) PDF in Hindi Download


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संविधान के प्रकार

Samvidhan Ke Prakar संविधान के प्रकार दो प्रकार का ही होता है, लिखित संविधान और अलिखित संविधान। परन्तु परीक्षाओं में शब्दों की दृष्टि से संविधान से कई प्रकार के संविधान के प्रकार से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। सर्वप्रथम लिखित संविधान और अलिखित संविधान के बारे में जानेंगे तत्पश्चात अन्य के बारे में। लिखित अथवा अलिखित संविधान लिखित संविधान (Written Constitution) लिखित संविधान ऐसे संविधान को कहा जाता है जिसके सभी नियम, प्रावधानों, आदर्शों एवं सिद्धांन्तों को एक पुस्तक में लिख दिया जाता है। संविधान के प्रत्येक नियम का स्त्रोत लिखित दस्तावेज होते हैं। जैसे-अमेरिका, भारत, चेक गणराज्य का संविधान। अलिखित संविधान (Unwritten Constitution) अलिखित संविधान ऐसे संविधान को कहा जाता है जिसके प्रत्येक नियम का स्त्रोत वर्षों से चली आ परंपराएं होती हैं। ऐसे संविधान के नियमों को इसलिए माना जाता है क्योंकि अतीत से उन्हें माना जाता रहा है। ऐसे संविधान के महत्वपूर्ण नियम का स्त्रोत कोई लिखित दस्तावेज नहीं होता है। जैसे- ब्रिटेन (UK, इंग्लैण्ड)। निर्मित और विकसित संविधान निर्मित संविधान निर्मित संविधान उसे कहते है जिस संविधान का निर्माण निश्चित समयावधि के दौरान एक संविधान सभा द्वारा किया जाता है और जिसे एक निश्चित तिथि को लागू किया जाता है। जैसे – अमेरीकी संविधान, विकसित संविधान विकसित संविधान एक ऐसा संविधान होता है जिसकी उत्पत्ति ऐतिहासिक विकास के क्रम में राजनीतिक परंपराओं के रूप में होती है। जैस – यूके (ब्रिटेन, इंग्लैण्ड)। लचीला एवं कठोर संविधान लचीला संविधान (नम्य संविधान, Flexible Constitution) लचीला संविधान उस संविधान को कहते हैं जिसमें संविधान बनाने की प्रक्रिया सरल हो। अर्थात नम्य संव...

संविधान अर्थ, परिभाषा, वर्गीकरण/प्रकार

प्रत्येक राज्य चाहे उसका रूप या प्रकार कुछ भी हो अपना एक जीवन-मार्ग रखता हैं, इसी जीवन-मार्ग को संविधान कहा जाता हैं। जिस राज्य का कोई संविधान नही होता, उसका न कोई ध्येय होता है और शासक के बीच संबंधों में न कोई उल्लेख होता हैं। ऐसी अवस्था में राज्य में न शान्ति रह सकी है और न कोई व्यवस्था अर्थात् वहाँ अराजकता छायी रहती हैं। जन-जीवन अस्त-व्यस्त रहता है अर्थात् वहाँ जंगल का कानून ही चलता हैं। श्लुट्ज कहते हैं कि," राज्य कहलाने का अधिकार रखने वाला हर समाज का संविधान अवश्य होना चाहिए....संविधानहीन राज्य की कल्पना ही नहीं की जा सकती।" संविधान का अर्थ (samvidhan kise kahte hai)samvidhan meaning in hindi;संविधान उन नियमों के समूह या संग्रह को कहा जाता है, जिनके अनुसार किसी देश की सरकार का संगठन होता है। ये देश का सर्वोच्च कानून होता है। सरल शब्दों मे संविधान किसी राज्य की शासन प्रणाली को विवेचित करने वाला कानून होता है। यह राज्य का सबसे महत्वपूर्ण अभिलेख होता है। राज्य के लिए संविधान का वही अर्थ एवं महत्व है जो मनुष्य के लिए शरीर का है। अतः संविधान राज्य का शरीर है। राज्य के संदर्भ मे शरीर का अर्थ है उस राज्य की पद्धति। यूनानी दार्शनिक अरस्तु के शब्दों मे, " संविधान उस पद्धति का प्रतीक होता है जो किसी राज्य द्वारा अपने लिए अपनाई जाती है। संविधान जीवन का वह मार्ग हैं, जिसे राज्य ने अपने लिए चुना है। राज्य का रूप चाहे किसी भी प्रकार का हो, आवश्यक रूप से उसका अपना एक जीवन-मार्ग अर्थात् संविधान होता है। यदि राज्य में कोई भी नियम न हो, मर्यादा का सर्वथा अभाव हो तो ऐसी परिस्थिति में आवश्यक रूप से अराजकता की दशा उत्पन्न हो जायेगी। राज्य के संविधान की अनिवार्यता बताते हुए जेलिनेक ने लिखा...

नेपालको पहिलो संविधान सभा

• हे • वा • स नेपालको पहिलो संबिधान सभा एक सदनीय अङ्ग थियो जसले वि.स २०६५ जेठ १५ देखि वि.स. २०६९ जेठ १५ सम्म कार्य गर्यो। यो संबिधान सभाको सदस्यहरूको निम्ति तत्कालिन नेकपा – माओवादी सबै भन्दा ठुलो पार्टीका रूपमा निर्वाचित भयो। पहिलो संबिधान सभाको पहिलो वैठकले नेपाललाई राजतन्त्रबाट गणतन्त्र राज्यका रूपमा परिभाषित गर्यो। पहिलो संबिधान सभाले तोकिएको समयमा संबिधान दिन असफल भएपछि यसको म्याद पुन: चार वर्षको लागि बढाईएको थियो। चार वर्ष पश्चात वि.स. २०६९ जेठ १५ गते संविधानको मस्यौदा तयार पार्न असफल भएकाले पहिलो संविधानसभा भंग भयो। दोश्रो संबिधान सभाको सदस्यहरूको निर्वाचन वि.स. २०७० मंसिर ४ गते सम्पन्न भयो। अन्तत: २०७२ असोज ३ गते यसै संविधान सभाबाट नेपालको संविधान २०७२ जारी भयो । संविधान सभाको पहिलो बैठक [ ] समानुपातिक तर्फको आधाकारिक र अन्तिम नतिजा वि.स. २०६५ वैशाख २५ गते निकालिएको थियो। वैशाख ३० गते भएको निर्णय अनुरुप संबिधानसभाको पहिलो वैठक जेठ १५ गते बस्यो जसका लागि जेठ १४ गते नै सभासदहरूले शपथ ग्रहण गरेका थिए। २०६५ साल जेठ १५ गते बसेको पहिलो बैठकले नेपाल सङ्घीय सत्ता साझेदारीमा छलफल [ ] सत्ता साझेदारको विषयमा छलफल गर्न जेठ १९ गते तत्कालिन नेकपा माओवादी, नेपाली कांग्रेस र नेकपा – एमाले सहित १३ राजनीतिक दलका नेताहरु शान्ति तथा पुनर्स्थापना मन्त्रालयमा भेट वार्ता गरेता पनि कुनै निचोड निस्कन सकेन । नेकपा माओवादीले राष्ट्रपति र प्रधानमन्त्री दुवैको दावी गरीरहेको थियो भने नेपाली कांग्रेस र नेकपा – एमाले यो प्रस्तावलाई अस्विकार गरेका थिए । उनिहरु यो विषयलाई संबिधान सभाको एक सामान्य मतदानमार्फत टुंगो लगाउने पक्षमा एकमत थिए । जेठ १९ मै गोरखामा एक रयालीलाई सम्बोधन गर्दै नेकपा – माओवादीक...

मूल अधिकार (भारत)

अनुक्रम • 1 उद्भव एवं विकास • 2 मौलिक अधिकार • 2.1 समता का अधिकार (समानता का अधिकार) • 2.2 स्‍वतंत्रता का अधिकार • 2.3 शोषण के विरुद्ध अधिकार • 2.4 धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार • 2.5 संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार • 2.6 कुछ विधियों की व्यावृत्ति • 2.7 संवैधानिक उपचारों का अधिकार • 3 सन्दर्भ • 4 बाहरीकड़ियाँ उद्भव एवं विकास [ ] भारतीय संविधान मे जितने विस्तृत और व्यापक रूप से इन अधिकारों का उल्लेख किया गया है उतना संसार के किसी भी लिखित संघात्मक संविधान में नहीं किया गया है। मूल अधिकारों से सम्बन्धित उपबन्धों का समावेश आधुनिक लोकतान्त्रिक विचारों की प्रवृत्ति के अनुकूल ही है। सभी आधुनिक संविधानों में मूल अधिकारों का उल्लेख है। इसलिए संविधान के अध्याय 3 को भारत का अधिकार - पत्र ( भारतीय संविधान की जब रचना की जा रही थी तो इन अधिकारों के बारे में एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि तैयार थी। इन सबसे प्रेरणा लेकर संविधान निर्माताओं ने मूल अधिकारों को संविधान में समाविष्ट किया। भारतीय संविधान में मूल अधिकारों की कोई परिभाषा नहीं की गई है। संविधानों की परम्परा प्रारम्भ होने के पूर्व इन अधिकारों को प्राकृतिक और अप्रतिदेय अधिकार कहा जाता था, जिसके माध्यम से शासकों के ऊपर अंकुश रखने का प्रयास किया गया था। [ ] मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे परन्तु वर्तमान में छः ही मौलिक अधिकार हैं| हालांकि, संपत्ति के अधिकार को 1978 में 44वें संशोधन द्वारा संविधान के तृतीय भाग से हटा दिया गया था मौलिक अधिकार नागरिक और रहेवासी को राज्य की मनमानी या शोषित नीतियो और कार्यवाही के सामने रक्षण प्रदान करने के लिए दिये गए। संविधान के अनुच्छेद १२ मे राज्य की परिभाषा दी हुई है की “राज्य” के अंतर्गत भारत की सरकार औ...

भारत का संविधान (Constitution of India) PDF Hindi – InstaPDF

भारत का संविधान (Indian Constitution) PDF Hindi भारत का संविधान (Indian Constitution) Hindi PDF Download Download PDF of भारत का संविधान (Indian Constitution) in Hindi from the link available below in the article, Hindi भारत का संविधान (Indian Constitution) PDF free or read online using the direct link given at the bottom of content. भारत का संविधान (Constitution of India) Hindi भारत का संविधान (Indian Constitution) हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप भारत का संविधान (Constitution of India) हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं भारत का संविधान (Indian Constitution) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। भारत का संविधान (Indian Constitution in Hindi), भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। यह दिन (26 नवम्बर) भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया है। जबकि 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। भीमराव आम्बेडकर को भारतीय संविधान का प्रधान वास्तुकार या निर्माता कहा जाता है। भारत के संविधान का मूल आधार भारत सरकार अधिनियम १९३५ (1935) को माना जाता है। भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतान्त्रिक देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है। भारतीय संविधान में वर्तमान समय में भी केवल 395 अनुच्छेद, तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है। परन्तु इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद जो 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियाँ थीं। संविधान में सरकार के...

भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी

14 सितम्बर की शाम को संविधान सभा में हुई बहस के समापन के बाद जब संविधान का भाषा सम्बन्धी तत्कालीन भाग 14 क और वर्तमान भाग 17, संविधान का भाग बन गया तब डॉ. यह मानसिक दशा का भी प्रश्न है जिसका हमारे समस्त जीवन पर प्रभाव पड़ेगा। हम केन्द्र में जिस भाषा का प्रयोग करेंगे उससे हम एक-दूसरे के निकटतर आते जाएँगे। आख़िर अंग्रेज़ी से हम निकटतर आए हैं, क्योंकि वह एक भाषा थी। अब उस अंग्रेज़ी के स्थान पर हमने एक भारतीय भाषा को अपनाया है। इससे अवश्यमेव हमारे संबंध घनिष्ठतर होंगे, विशेषतः इसलिए कि हमारी परम्पराएँ एक ही हैं, हमारी संस्कृति एक ही है और हमारी सभ्यता में सब बातें एक ही हैं। अतएव यदि हम इस सूत्र को स्वीकार नहीं करते तो परिणाम यह होता कि या तो इस देश में बहुत-सी भाषाओं का प्रयोग होता या वे प्रांत पृथक हो जाते जो बाध्य होकर किसी भाषा विशेष को स्वीकार करना नहीं चाहते थे। हमने यथासम्भव बुद्धिमानी का कार्य किया है और मुझे हर्ष है, मुझे प्रसन्नता है और मुझे आशा है कि भावी संतति इसके लिए हमारी सराहना करेगी। संविधान की धारा 343(1) के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा अनुक्रम • 1 हिन्दी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किये जाने का औचित्य • 2 अनुच्छेद 343 संघ की राजभाषा • 3 अनुच्छेद 351 हिंदी भाषा के विकास के लिए निर्देश • 4 राजभाषा अधिनियम • 5 राजभाषा संकल्प, 1968 • 6 राजभाषा/हिन्दी समितियाँ • 6.1 केन्द्रीय हिन्दी समिति • 6.2 हिन्दी सलाहकार समिति • 6.3 संसदीय राजभाषा समिति • 6.4 केन्द्रीय राजभाषा कार्यान्यवन समिति • 6.5 नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति • 7 राजभाषा हिन्दी की विकास-यात्रा • 7.1 स्वतन्त्रता पूर्व • 7.2 स्वतन्त्रता के बाद • 8 सन्दर्भ • 9 इन्हें भी देखें • 10 बाहरी कड़ियाँ हिन्दी को ...

भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble) PDF in Hindi Download

1.1 भारतीय संविधान की संरचना संविधान की प्रस्तावना PDF : संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु प्राय: उनसे पहले एक प्रस्तावना प्रस्तुत की जाती है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रभावित तथा विश्व में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। प्रस्तावना के नाम से भारतीय संविधान का सार, अपेक्षाएँ, उद्देश्य उसका लक्ष्य तथा दर्शन प्रकट होता है। प्रस्तावना यह घोषणा करती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है इसी कारण यह ‘हम भारत के लोग’ – इस वाक्य से प्रारम्भ होती है। केहर सिंह बनाम भारत संघ के वाद में कहा गया था कि संविधान सभा भारतीय जनता का सीधा प्रतिनिधित्व नहीं करती अत: संविधान विधि की विशेष अनुकृपा प्राप्त नहीं कर सकता, परंतु न्यायालय ने इसे खारिज करते हुए संविधान को सर्वोपरि माना है जिस पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जा सकता है See also Kolkata BJP Candidates List for KMC Election 2021 PDF सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिये तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तथा अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिये दृढ़ संकल्पित होकर अपनी इस संविधान सभा में आज दिनांक 26 नवंबर, 1949 ई. को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।” समाजवादी – समाजवादी शब्द को भारतीय संविधान में 1976 में हुए 42 में संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया. इस शब्द को इसलिए जोड़ा गया ताकि भारत के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक एवं आर्थिक समानता सुनिश्चित करना. किसी भी जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर देश में कोई भेदभाव ना हो और सभी व्यक...