साइमन कमीशन क्या है

  1. साइमन कमीशन
  2. Simon Commission India 1927 hindi
  3. लॉर्ड इरविन का सम्पूर्ण इतिहास…
  4. [Solved] साइमन कमीशन भारत कब आया था?
  5. लॉर्ड इरविन का सम्पूर्ण इतिहास…
  6. [Solved] साइमन कमीशन भारत कब आया था?
  7. Simon Commission India 1927 hindi
  8. साइमन कमीशन
  9. लॉर्ड इरविन का सम्पूर्ण इतिहास…
  10. साइमन कमीशन


Download: साइमन कमीशन क्या है
Size: 20.38 MB

साइमन कमीशन

• 1919 ई. के‘भारत सरकार अधिनियम’ में यह व्यवस्था की गई थी कि 10 वर्ष के उपरान्त एक ऐसा आयोग नियुक्त किया जाएगा जो इस अधिनियम से हुई प्रगति की समीक्षा करेगा। • अतः यह आयोग 1929 ई. में बैठना था, किन्तु इंग्लैण्ड की बदलती हुई परिस्थितियों के कारण वहां की अनुदार पार्टी ने यह कमीशन 1927 ई. में ही नियुक्त कर दिया। • इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन के कारण यह ‘साइमन कमीशन’ के नाम से जाना जाता है। इसमें कुल सात सदस्य थे जिनमें कोई भी भारतीय न था। अतः कांग्रेसियों ने इसे श्वेत कमीशन कहा। • अन्य सदस्य बाथम और स्ट्रैथ कोणा (हाउस ऑफ लॉर्डस कन्जर्वेटिव पार्टी) तथा लेन फैक्स और कैडेगन (हाउस ऑफ कामन्स) आउस ऑफ कॉमन्स में लेबर पार्टी के एटली और बर्नोन हार्ट शोन थे। • 8 नवम्बर 1927 को आयोग की स्थापना की घोषणा • इस आयोग का कार्य इस बात की सिफारिश करना था कि क्या भारत इस योग्य हो गया है कि यहां के लोगों को ओर अधिक संवैधानिक अधिकार दिये जाये और यदि दिये जाये तो उसका स्वरूप् क्या हो? • 11 दिसम्बर 1927 को इलाहाबाद में हुए एक सर्वदलीय सम्मेलन में आयोग में एक भी भारतीय सदस्य को न नियुक्त किये जाने के कारण इसके बहिष्कार का निर्णय लिया गया। • 27 दिसम्बर को मद्रास में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन (अध्यक्ष एम ए अंसारी) में साइमन कमीशन का पूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया गया। • लिबरल फेडरेशन (तेज बहादुर), भारतीय औद्योगिक वाणिज्यिक कांग्रेस, हिन्दू महासभा, किसान मजदूर पार्टी, मुस्लिम लीग आदि ने आयोग के बहिष्कार का समर्थन किया। • मुस्लिम लीग का एक गुट मुहम्मद शफी के नेतृत्व में साइमन आयोग का समर्थक हो गया। • जस्टिस पार्टी (मद्रास) तथा यूनियनिस्ट पार्टी (पंजाब) ने भी समर्थन किया। जी • श्री एम.ए. अंसारी‘भारतीय जनता ...

Simon Commission India 1927 hindi

नमस्कार दोस्तों studyknown ब्लॉग पर सपसभी का स्वागत है। दोस्तों आजके ब्लॉग पोस्ट पर हम साइमन कमीशन के बारे में जानने वाले है। Simon Commission का गठन 8 नवम्बर 1927 को भारत में संविधान सुधारों के अध्ययन के लिये बनाया गया था। और, Montague Chelmsford Reformation 1919 की जॉच करना इस कमीशन का मुक्ख कार्य था। तथा, इस कमीशन का अध्यक्षता Sir John Simon ने किया था। इसीलिए इस आयोग (Commission) का नाम साइमन कमीशन रक्खा गया था। और, इस आयोग का मुख्य सुझाव यह था की भारत में एक संघ की स्थापना हो जिसमें ब्रिटिश भारतीय प्रांत और देशी रियासतो में शामिल हों सके। इसके साथ केन्द्र में अनुत्तरदायी शासन की व्यवस्था हो। तथा, Viceroy और Provincial Government को विशेष शक्तियाँ प्राप्त हो। और, एक लचीले संविधान का निर्माण किया जा सके। दोस्तों अब सवाल यह है की, अंग्रेज सरकार संविधान सुधारों की उद्देश्य से अगर Simon go back एवं साइमन वापस जाओ के नारे क्यों लगे थे। दोस्तों इसे जानने के लिए साइमन कमीशन शुरू होने से पहले की स्थिति के बारे में जानना जरुरी है। चलिए इसे आसान तरीके से समझ ने की कोशिश करते है। Introduction of the Simon Commission • सबसे पहले 1919 में भारत सरकार की अधिनियम को ब्रिटेन की संसद द्वारा पारित किया गया था। • जिसे Montague Chelmsford Reformation 1919 के नाम से भी जाना जाता है। • और, उस समय Lord Montague भारत सचिव एवं Lord Chelmsford भारत के Viceroy थे। • तथा, 1919 में इस अधिनियम द्वारा अगले दस साल बाद एक कमीशन बनाने की बात भी किया गया था। • जिसमे भारत में उत्तरदाई शासन बेवस्ता की प्रगति की समीक्षा करने के वाद एक रिपोर्ट पेश किया जायेगा। • और, उस रिपोर्ट में कितना उत्तरदाई शासन बेवस्ता...

लॉर्ड इरविन का सम्पूर्ण इतिहास…

लॉर्ड इरविन, भारत के पहले ऐसे वायसराय थे जिनका कार्यकाल 1926 से 1931 ई. तक था और इनके कार्यकाल में साइमन कमीशन, बारदौली सत्याग्रह, नेहरू रिपोर्ट, साण्डर्स की हत्या, केन्द्रीय विधानसभा बम कांड, महात्मा गाँधी की दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, प्रथम गोलमेज सम्मलेन, गाँधी-इरविन समझौता, भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा जैसी घटनाएँ हुई थीं | लॉर्ड इरविन दरअसल....साइमन कमीशन ब्रिटिश संसद के द्वारा बनाया एक ऐसा कमीशन था जो भारत की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को जानने के लिए 8 नवम्बर 1927 को बनाया था जिसमें ब्रिटिश संसद के 7 सदस्य थे और सर जॉन साइमन, इस कमीशन के अध्यक्ष थे इसीलिए इस कमीशन को साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है | साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को बम्बई (आधुनिक नाम मुंबई) पहुँचा लेकिन वहाँ भारतीय क्रांतिकारी नेताओं ने इसका विरोध किया तथा साइमन वापस जाओ के नारे लगाए | इसी दौरान 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में लाला लाजपत राय को पुलिस को लाठियों का शिकार होना पड़ा, साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 27 मई 1930 को जारी की थी | साइमन कमीशन की रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य...? दरअसल....बारदौली एक शहर का नाम है जो गुजरात के सूरत जिले के अन्तर्गत आता है जिसका वास्तविक नाम बारडौली है | 1928 में प्रान्तीय सरकार के द्वारा किसानों के लगान में 25% या 30% की वृद्धि कर दी गई जिससे बारदौली के किसानों ने प्रान्तीय सरकार के विरुद्ध आन्दोलन कर किया था और इस आन्दोलन का नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल कर रहे थे | बाद में प्रान्तीय सरकार ने लगान को कम करके, इस आन्दोलन को समाप्त कराया, इस आन्दोलन की सफलता से खुश होकर बारदौली की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की और यहीं से उनका नाम सरदार वल्...

[Solved] साइमन कमीशन भारत कब आया था?

विकल्प 3 सही है, अर्थात 1928। • साइमन कमीशन का गठन 1927में भारत के राजनीतिक सुधारोंकापूरी तरह से आकलन करने के लिए किया गया था। • इसकी अध्यक्षता सर जॉन साइमन ने की थी। • साइमन कमीशन भारत में 1928में आया था। • इस आयोग में कोई भारतीय नेता नहीं थे, पूरे देश में साइमन कमीशन का विरोध किया गया था। • साइमन कमीशन के विरोध के दौरानसिर पर लाठी लगने के कारण लाला लाजपत राय की मौतहुई। • क्योंकि साइमन कमीशन में सभी लोग अंग्रेज़ थे, इसलिए इसे श्वेत कमीशन भी कहा जाता था। • रियासती राज्यों को एक करने का काम सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था।

लॉर्ड इरविन का सम्पूर्ण इतिहास…

लॉर्ड इरविन, भारत के पहले ऐसे वायसराय थे जिनका कार्यकाल 1926 से 1931 ई. तक था और इनके कार्यकाल में साइमन कमीशन, बारदौली सत्याग्रह, नेहरू रिपोर्ट, साण्डर्स की हत्या, केन्द्रीय विधानसभा बम कांड, महात्मा गाँधी की दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, प्रथम गोलमेज सम्मलेन, गाँधी-इरविन समझौता, भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा जैसी घटनाएँ हुई थीं | लॉर्ड इरविन दरअसल....साइमन कमीशन ब्रिटिश संसद के द्वारा बनाया एक ऐसा कमीशन था जो भारत की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को जानने के लिए 8 नवम्बर 1927 को बनाया था जिसमें ब्रिटिश संसद के 7 सदस्य थे और सर जॉन साइमन, इस कमीशन के अध्यक्ष थे इसीलिए इस कमीशन को साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है | साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को बम्बई (आधुनिक नाम मुंबई) पहुँचा लेकिन वहाँ भारतीय क्रांतिकारी नेताओं ने इसका विरोध किया तथा साइमन वापस जाओ के नारे लगाए | इसी दौरान 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में लाला लाजपत राय को पुलिस को लाठियों का शिकार होना पड़ा, साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 27 मई 1930 को जारी की थी | साइमन कमीशन की रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य...? दरअसल....बारदौली एक शहर का नाम है जो गुजरात के सूरत जिले के अन्तर्गत आता है जिसका वास्तविक नाम बारडौली है | 1928 में प्रान्तीय सरकार के द्वारा किसानों के लगान में 25% या 30% की वृद्धि कर दी गई जिससे बारदौली के किसानों ने प्रान्तीय सरकार के विरुद्ध आन्दोलन कर किया था और इस आन्दोलन का नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल कर रहे थे | बाद में प्रान्तीय सरकार ने लगान को कम करके, इस आन्दोलन को समाप्त कराया, इस आन्दोलन की सफलता से खुश होकर बारदौली की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की और यहीं से उनका नाम सरदार वल्...

[Solved] साइमन कमीशन भारत कब आया था?

विकल्प 3 सही है, अर्थात 1928। • साइमन कमीशन का गठन 1927में भारत के राजनीतिक सुधारोंकापूरी तरह से आकलन करने के लिए किया गया था। • इसकी अध्यक्षता सर जॉन साइमन ने की थी। • साइमन कमीशन भारत में 1928में आया था। • इस आयोग में कोई भारतीय नेता नहीं थे, पूरे देश में साइमन कमीशन का विरोध किया गया था। • साइमन कमीशन के विरोध के दौरानसिर पर लाठी लगने के कारण लाला लाजपत राय की मौतहुई। • क्योंकि साइमन कमीशन में सभी लोग अंग्रेज़ थे, इसलिए इसे श्वेत कमीशन भी कहा जाता था। • रियासती राज्यों को एक करने का काम सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया था।

Simon Commission India 1927 hindi

नमस्कार दोस्तों studyknown ब्लॉग पर सपसभी का स्वागत है। दोस्तों आजके ब्लॉग पोस्ट पर हम साइमन कमीशन के बारे में जानने वाले है। Simon Commission का गठन 8 नवम्बर 1927 को भारत में संविधान सुधारों के अध्ययन के लिये बनाया गया था। और, Montague Chelmsford Reformation 1919 की जॉच करना इस कमीशन का मुक्ख कार्य था। तथा, इस कमीशन का अध्यक्षता Sir John Simon ने किया था। इसीलिए इस आयोग (Commission) का नाम साइमन कमीशन रक्खा गया था। और, इस आयोग का मुख्य सुझाव यह था की भारत में एक संघ की स्थापना हो जिसमें ब्रिटिश भारतीय प्रांत और देशी रियासतो में शामिल हों सके। इसके साथ केन्द्र में अनुत्तरदायी शासन की व्यवस्था हो। तथा, Viceroy और Provincial Government को विशेष शक्तियाँ प्राप्त हो। और, एक लचीले संविधान का निर्माण किया जा सके। दोस्तों अब सवाल यह है की, अंग्रेज सरकार संविधान सुधारों की उद्देश्य से अगर Simon go back एवं साइमन वापस जाओ के नारे क्यों लगे थे। दोस्तों इसे जानने के लिए साइमन कमीशन शुरू होने से पहले की स्थिति के बारे में जानना जरुरी है। चलिए इसे आसान तरीके से समझ ने की कोशिश करते है। Introduction of the Simon Commission • सबसे पहले 1919 में भारत सरकार की अधिनियम को ब्रिटेन की संसद द्वारा पारित किया गया था। • जिसे Montague Chelmsford Reformation 1919 के नाम से भी जाना जाता है। • और, उस समय Lord Montague भारत सचिव एवं Lord Chelmsford भारत के Viceroy थे। • तथा, 1919 में इस अधिनियम द्वारा अगले दस साल बाद एक कमीशन बनाने की बात भी किया गया था। • जिसमे भारत में उत्तरदाई शासन बेवस्ता की प्रगति की समीक्षा करने के वाद एक रिपोर्ट पेश किया जायेगा। • और, उस रिपोर्ट में कितना उत्तरदाई शासन बेवस्ता...

साइमन कमीशन

• 1919 ई. के‘भारत सरकार अधिनियम’ में यह व्यवस्था की गई थी कि 10 वर्ष के उपरान्त एक ऐसा आयोग नियुक्त किया जाएगा जो इस अधिनियम से हुई प्रगति की समीक्षा करेगा। • अतः यह आयोग 1929 ई. में बैठना था, किन्तु इंग्लैण्ड की बदलती हुई परिस्थितियों के कारण वहां की अनुदार पार्टी ने यह कमीशन 1927 ई. में ही नियुक्त कर दिया। • इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन के कारण यह ‘साइमन कमीशन’ के नाम से जाना जाता है। इसमें कुल सात सदस्य थे जिनमें कोई भी भारतीय न था। अतः कांग्रेसियों ने इसे श्वेत कमीशन कहा। • अन्य सदस्य बाथम और स्ट्रैथ कोणा (हाउस ऑफ लॉर्डस कन्जर्वेटिव पार्टी) तथा लेन फैक्स और कैडेगन (हाउस ऑफ कामन्स) आउस ऑफ कॉमन्स में लेबर पार्टी के एटली और बर्नोन हार्ट शोन थे। • 8 नवम्बर 1927 को आयोग की स्थापना की घोषणा • इस आयोग का कार्य इस बात की सिफारिश करना था कि क्या भारत इस योग्य हो गया है कि यहां के लोगों को ओर अधिक संवैधानिक अधिकार दिये जाये और यदि दिये जाये तो उसका स्वरूप् क्या हो? • 11 दिसम्बर 1927 को इलाहाबाद में हुए एक सर्वदलीय सम्मेलन में आयोग में एक भी भारतीय सदस्य को न नियुक्त किये जाने के कारण इसके बहिष्कार का निर्णय लिया गया। • 27 दिसम्बर को मद्रास में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन (अध्यक्ष एम ए अंसारी) में साइमन कमीशन का पूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया गया। • लिबरल फेडरेशन (तेज बहादुर), भारतीय औद्योगिक वाणिज्यिक कांग्रेस, हिन्दू महासभा, किसान मजदूर पार्टी, मुस्लिम लीग आदि ने आयोग के बहिष्कार का समर्थन किया। • मुस्लिम लीग का एक गुट मुहम्मद शफी के नेतृत्व में साइमन आयोग का समर्थक हो गया। • जस्टिस पार्टी (मद्रास) तथा यूनियनिस्ट पार्टी (पंजाब) ने भी समर्थन किया। जी • श्री एम.ए. अंसारी‘भारतीय जनता ...

लॉर्ड इरविन का सम्पूर्ण इतिहास…

लॉर्ड इरविन, भारत के पहले ऐसे वायसराय थे जिनका कार्यकाल 1926 से 1931 ई. तक था और इनके कार्यकाल में साइमन कमीशन, बारदौली सत्याग्रह, नेहरू रिपोर्ट, साण्डर्स की हत्या, केन्द्रीय विधानसभा बम कांड, महात्मा गाँधी की दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, प्रथम गोलमेज सम्मलेन, गाँधी-इरविन समझौता, भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा जैसी घटनाएँ हुई थीं | लॉर्ड इरविन दरअसल....साइमन कमीशन ब्रिटिश संसद के द्वारा बनाया एक ऐसा कमीशन था जो भारत की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को जानने के लिए 8 नवम्बर 1927 को बनाया था जिसमें ब्रिटिश संसद के 7 सदस्य थे और सर जॉन साइमन, इस कमीशन के अध्यक्ष थे इसीलिए इस कमीशन को साइमन कमीशन के नाम से जाना जाता है | साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को बम्बई (आधुनिक नाम मुंबई) पहुँचा लेकिन वहाँ भारतीय क्रांतिकारी नेताओं ने इसका विरोध किया तथा साइमन वापस जाओ के नारे लगाए | इसी दौरान 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में लाला लाजपत राय को पुलिस को लाठियों का शिकार होना पड़ा, साइमन कमीशन ने अपनी रिपोर्ट 27 मई 1930 को जारी की थी | साइमन कमीशन की रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य...? दरअसल....बारदौली एक शहर का नाम है जो गुजरात के सूरत जिले के अन्तर्गत आता है जिसका वास्तविक नाम बारडौली है | 1928 में प्रान्तीय सरकार के द्वारा किसानों के लगान में 25% या 30% की वृद्धि कर दी गई जिससे बारदौली के किसानों ने प्रान्तीय सरकार के विरुद्ध आन्दोलन कर किया था और इस आन्दोलन का नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल कर रहे थे | बाद में प्रान्तीय सरकार ने लगान को कम करके, इस आन्दोलन को समाप्त कराया, इस आन्दोलन की सफलता से खुश होकर बारदौली की महिलाओं ने वल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि प्रदान की और यहीं से उनका नाम सरदार वल्...

साइमन कमीशन

• 1919 ई. के‘भारत सरकार अधिनियम’ में यह व्यवस्था की गई थी कि 10 वर्ष के उपरान्त एक ऐसा आयोग नियुक्त किया जाएगा जो इस अधिनियम से हुई प्रगति की समीक्षा करेगा। • अतः यह आयोग 1929 ई. में बैठना था, किन्तु इंग्लैण्ड की बदलती हुई परिस्थितियों के कारण वहां की अनुदार पार्टी ने यह कमीशन 1927 ई. में ही नियुक्त कर दिया। • इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन के कारण यह ‘साइमन कमीशन’ के नाम से जाना जाता है। इसमें कुल सात सदस्य थे जिनमें कोई भी भारतीय न था। अतः कांग्रेसियों ने इसे श्वेत कमीशन कहा। • अन्य सदस्य बाथम और स्ट्रैथ कोणा (हाउस ऑफ लॉर्डस कन्जर्वेटिव पार्टी) तथा लेन फैक्स और कैडेगन (हाउस ऑफ कामन्स) आउस ऑफ कॉमन्स में लेबर पार्टी के एटली और बर्नोन हार्ट शोन थे। • 8 नवम्बर 1927 को आयोग की स्थापना की घोषणा • इस आयोग का कार्य इस बात की सिफारिश करना था कि क्या भारत इस योग्य हो गया है कि यहां के लोगों को ओर अधिक संवैधानिक अधिकार दिये जाये और यदि दिये जाये तो उसका स्वरूप् क्या हो? • 11 दिसम्बर 1927 को इलाहाबाद में हुए एक सर्वदलीय सम्मेलन में आयोग में एक भी भारतीय सदस्य को न नियुक्त किये जाने के कारण इसके बहिष्कार का निर्णय लिया गया। • 27 दिसम्बर को मद्रास में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन (अध्यक्ष एम ए अंसारी) में साइमन कमीशन का पूर्ण बहिष्कार का निर्णय लिया गया। • लिबरल फेडरेशन (तेज बहादुर), भारतीय औद्योगिक वाणिज्यिक कांग्रेस, हिन्दू महासभा, किसान मजदूर पार्टी, मुस्लिम लीग आदि ने आयोग के बहिष्कार का समर्थन किया। • मुस्लिम लीग का एक गुट मुहम्मद शफी के नेतृत्व में साइमन आयोग का समर्थक हो गया। • जस्टिस पार्टी (मद्रास) तथा यूनियनिस्ट पार्टी (पंजाब) ने भी समर्थन किया। जी • श्री एम.ए. अंसारी‘भारतीय जनता ...