साइमन कमीशन पर टिप्पणी लिखिए

  1. The Simon Commission
  2. साइमन कमीशन
  3. स्पेक्ट्रम: साइमन कमीशन और द नेहरू रिपोर्ट का सारांश
  4. साइमन कमीशन भारत कब आया
  5. स्पेक्ट्रम: साइमन कमीशन और द नेहरू रिपोर्ट का सारांश
  6. The Simon Commission
  7. साइमन कमीशन
  8. साइमन कमीशन
  9. स्पेक्ट्रम: साइमन कमीशन और द नेहरू रिपोर्ट का सारांश
  10. Simon Commission


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The Simon Commission

साइमन आयोग का गठन सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत में संवैधानिक प्रणाली की कार्यप्रणाली की जांच करने और उसमे बदलाव हेतु सुझाव देने के लिए किया गया था|इसका औपचारिक नाम ‘भारतीय संविधायी आयोग’ था और इसमें ब्रिटिश संसद के दो कंजरवेटिव,दो लेबर और एक लिबरल सदस्य शामिल थे|आयोग का कोई भी सदस्य भारतीय नहीं था|इसीलिए उनके भारत आगमन का स्वागत ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे के साथ किया गया था|विरोध प्रदर्शन को शांत करने के लिए वायसराय लॉर्ड इरविन ने अक्टूबर 1929 में भारत को ‘डोमिनियन’ का दर्जा देने की घोषणा की| भारत में 1922 के बाद से जो शांति छाई हुई थी वह 1927 में आकर टूटी|इस साल ब्रिटिश सरकार ने साइमन आयोग का गठन सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत में भारतीय शासन अधिनियम -1919 की कार्यप्रणाली की जांच करने और प्रशासन में सुधार हेतु सुझाव देने के लिए किया|इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन के नाम पर इस आयोग को साइमन आयोग के नाम से जाना गया|इसकी नियुक्ति भारतीय लोगों के लिए एक झटके जैसी थी क्योकि इसके सारे सदस्य अंग्रेज थे और एक भी भारतीय सदस्य को इसमें शामिल नहीं किया गया था|सरकार ने स्वराज की मांग के प्रति कोई झुकाव प्रदर्शित नहीं किया|आयोग की संरचना ने भारतियों की शंका को सच साबित कर दिया|आयोग की नियुक्ति से पूरे भारत में विरोध प्रदर्शनों की लहर सी दौड़ गयी| 1927 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मद्रास में आयोजित किया गया जिसमे आयोग के बहिष्कार का निर्णय लिया गया|मुस्लिम लीग ने भी इसका बहिष्कार किया|आयोग 3 फरवरी 1928 को भारत पहुंचा और इस दिन विरोधस्वरूप पुरे भारत में हड़ताल का आयोजन किया गया|उस दिन दोपहर के बाद,आयोग के गठन की निंदा करने के लिए,पूरे भारत में सभाएं की गयीं और यह घोषित किया कि भारत के ल...

साइमन कमीशन

साइमन कमीशन से संबंधित विभिन्न पक्ष वर्ष 1919 में भारत में संवैधानिक सुधार करने के उद्देश्य से भारत शासन अधिनियम, 1919 पारित किया गया था। इसमें एक प्रावधान यह भी था कि इस अधिनियम के पारित होने के 10 वर्षों के बाद एक संविधानिक आयोग का गठन किया जाएगा, जो भारत में इस बात की जांच करेगा कि यह अधिनियम किस हद तक सफल हो पाया है तथा भारत में उत्तरदाई शासन स्थापित करने का अभी सही वक्त है अथवा नहीं। Explore The Ultimate Guide to IAS Exam Preparation Download Now! इसी प्रावधान का पालन करते हुए वर्ष 1927 में साइमन कमीशन का गठन किया गया। उस दौरान ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी की सरकार थी और बाल्डविन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे। लेकिन बà¤...

स्पेक्ट्रम: साइमन कमीशन और द नेहरू रिपोर्ट का सारांश

➢ भारतीय वैधानिक आयोग की नियुक्ति • भारत अधिनियम, 1919 की सरकार एक प्रावधान है कि एक आयोग सरकारी योजना की प्रगति का अध्ययन करने के नियुक्त किया जाएगा तारीख से दस साल और नए कदमों का सुझाव था। • 8 नवंबर, 1927 को स्टैनली बाल्डविन के प्रधानमंत्रित्व काल में ब्रिटिश सरकार द्वारा साइमन कमीशन (इसके अध्यक्ष, सर जॉन साइमन के नाम से) के नाम से प्रसिद्ध एक सर्व-सफेद, सात-सदस्यीय भारतीय वैधानिक आयोग की स्थापना की गई थी । • ली आयोग पर्याप्त ब्रिटिश अधिकारियों की भर्ती के लिए राज की विफलता में चला गया;मुदिमन आयोग ने डायकर्सी डिस्पेंस के भीतर गतिरोध को देखा, और लिनलिथगो आयोग ने भारतीय कृषि के संकट की जांच की। • इसलिए ब्रिटिश सरकार ने 1919 अधिनियम के कामकाज में पूरी तरह से जाना आवश्यक समझा । भारत के रूढ़िवादी सचिव, लॉर्ड बीरकेनहेड, जिन्होंने संवैधानिक सुधारों की एक ठोस योजना तैयार करने में भारतीयों की अक्षमता की बात की थी, जिसमें भारतीय राजनीतिक राय के व्यापक वर्गों का समर्थन था, साइमन कमीशन की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार था। ➢ भारतीय प्रतिक्रिया • साइमन कमीशन की भारतीय प्रतिक्रिया तत्काल और लगभग एकमत थी। • कांग्रेस उत्तर: मद्रास में कांग्रेस सत्र (दिसंबर 1927) एमए अंसारी की अध्यक्षता में बैठक "हर स्तर पर और हर रूप में '' आयोग का बहिष्कार करने का फैसला किया। • अन्य समूह: जिन लोगों ने साइमन कमीशन के बहिष्कार के कांग्रेस के आह्वान का समर्थन करने का फैसला किया, उनमें हिंदू महासभा के उदारवादी और मुस्लिम लीग के बहुसंख्यक गुट जिन्ना के तहत शामिल थे। 1927 में मुस्लिम लीग के दो सत्र थे - एक जिन्ना के तहत कलकत्ता में जहाँ साइमन कमीशन का विरोध करने का निर्णय लिया गया था , और दूसरा लाहौर में मुहम्मद श...

साइमन कमीशन भारत कब आया

साइमन आयोग कया है इसके बारे मै हम विस्तृत रूप से आपको पूरी जानकारी देंगे साइमन आयोग सर जॉन साइमन की अध्यक्षता मै रखा गया था जिसमे संसद के सात सदस्यों का एक समूह बनाया गया था। 1919 में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों की शुरुआत करने के लिए एक आयोग बनाने का निर्णय लिया गया था जो की 10 साल बाद भारत भेजा जायेगा। अँगरेज़ सरकार का कहना था की वे भारत के शाशन मैं सुधर लाना चाहते है लेकिन इसमें सिर्फ अँगरेज़ सदस्यों का समूह को शामिल किया गया था। इसमें एक भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया था। भारत सरकार द्वारा इसका कड़ा विरोध किया गया था इस विरोध मै नेहरू, गाँधी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भी लोगो ने मिलकर इसका बहुत कड़ा विरोध किया था लाला लाजपत राय ने भी इसका जमकर विरोध किया था लेकिन उन्हें लाहौर मै पुलिस के द्वारा उनकी जमकर पिटाई की गयी थी। साइमन कमीशन भारत कब आया? | saiman kamisan bharat kab aaya साइमन कमीशन 3 फरवरी 1928 को भारत आया। जो की इसकी अध्यक्षता सर जॉन साइमन कर रहे थे उन्ही के नाम पर साइमन कमीशन रखा गया था। अँगरेज़ सरकार के सदस्यों का भारत आने के बाद भारतीय लोगो ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया और आंदोलनकरियों ने साइमन गो बैक के नारे लगाए गए। उन्हें यहाँ से जाने के लिए कहा गया उस वक़्त नेहरू, गाँधी, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, ने भी इसका जमकर विरोध किया इस विरोध मै मुस्लिम लीग भी शामिल था क्योंकि इस सदस्य मै एक भी भारतीय व्यक्ति को नहीं लिया गया था। नाम साइमन कमीशन / साइमन आयोग अन्य नाम भारतीय सांविधिक आयोग गठन वर्ष 1927 अध्यक्ष सर जॉन साइमन कुल सदस्य सात भारत कब आया फरवरी 3, 1928 प्रतिवेदन कब प्रस्तुत किया 1930 में साइमन कमीशन का गठन कब हुआ था? 30 अक्टूबर 1928 को साइमन कमीशन का गठन...

स्पेक्ट्रम: साइमन कमीशन और द नेहरू रिपोर्ट का सारांश

➢ भारतीय वैधानिक आयोग की नियुक्ति • भारत अधिनियम, 1919 की सरकार एक प्रावधान है कि एक आयोग सरकारी योजना की प्रगति का अध्ययन करने के नियुक्त किया जाएगा तारीख से दस साल और नए कदमों का सुझाव था। • 8 नवंबर, 1927 को स्टैनली बाल्डविन के प्रधानमंत्रित्व काल में ब्रिटिश सरकार द्वारा साइमन कमीशन (इसके अध्यक्ष, सर जॉन साइमन के नाम से) के नाम से प्रसिद्ध एक सर्व-सफेद, सात-सदस्यीय भारतीय वैधानिक आयोग की स्थापना की गई थी । • ली आयोग पर्याप्त ब्रिटिश अधिकारियों की भर्ती के लिए राज की विफलता में चला गया;मुदिमन आयोग ने डायकर्सी डिस्पेंस के भीतर गतिरोध को देखा, और लिनलिथगो आयोग ने भारतीय कृषि के संकट की जांच की। • इसलिए ब्रिटिश सरकार ने 1919 अधिनियम के कामकाज में पूरी तरह से जाना आवश्यक समझा । भारत के रूढ़िवादी सचिव, लॉर्ड बीरकेनहेड, जिन्होंने संवैधानिक सुधारों की एक ठोस योजना तैयार करने में भारतीयों की अक्षमता की बात की थी, जिसमें भारतीय राजनीतिक राय के व्यापक वर्गों का समर्थन था, साइमन कमीशन की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार था। ➢ भारतीय प्रतिक्रिया • साइमन कमीशन की भारतीय प्रतिक्रिया तत्काल और लगभग एकमत थी। • कांग्रेस उत्तर: मद्रास में कांग्रेस सत्र (दिसंबर 1927) एमए अंसारी की अध्यक्षता में बैठक "हर स्तर पर और हर रूप में '' आयोग का बहिष्कार करने का फैसला किया। • अन्य समूह: जिन लोगों ने साइमन कमीशन के बहिष्कार के कांग्रेस के आह्वान का समर्थन करने का फैसला किया, उनमें हिंदू महासभा के उदारवादी और मुस्लिम लीग के बहुसंख्यक गुट जिन्ना के तहत शामिल थे। 1927 में मुस्लिम लीग के दो सत्र थे - एक जिन्ना के तहत कलकत्ता में जहाँ साइमन कमीशन का विरोध करने का निर्णय लिया गया था , और दूसरा लाहौर में मुहम्मद श...

The Simon Commission

साइमन आयोग का गठन सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत में संवैधानिक प्रणाली की कार्यप्रणाली की जांच करने और उसमे बदलाव हेतु सुझाव देने के लिए किया गया था|इसका औपचारिक नाम ‘भारतीय संविधायी आयोग’ था और इसमें ब्रिटिश संसद के दो कंजरवेटिव,दो लेबर और एक लिबरल सदस्य शामिल थे|आयोग का कोई भी सदस्य भारतीय नहीं था|इसीलिए उनके भारत आगमन का स्वागत ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे के साथ किया गया था|विरोध प्रदर्शन को शांत करने के लिए वायसराय लॉर्ड इरविन ने अक्टूबर 1929 में भारत को ‘डोमिनियन’ का दर्जा देने की घोषणा की| भारत में 1922 के बाद से जो शांति छाई हुई थी वह 1927 में आकर टूटी|इस साल ब्रिटिश सरकार ने साइमन आयोग का गठन सर जॉन साइमन के नेतृत्व में भारत में भारतीय शासन अधिनियम -1919 की कार्यप्रणाली की जांच करने और प्रशासन में सुधार हेतु सुझाव देने के लिए किया|इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन के नाम पर इस आयोग को साइमन आयोग के नाम से जाना गया|इसकी नियुक्ति भारतीय लोगों के लिए एक झटके जैसी थी क्योकि इसके सारे सदस्य अंग्रेज थे और एक भी भारतीय सदस्य को इसमें शामिल नहीं किया गया था|सरकार ने स्वराज की मांग के प्रति कोई झुकाव प्रदर्शित नहीं किया|आयोग की संरचना ने भारतियों की शंका को सच साबित कर दिया|आयोग की नियुक्ति से पूरे भारत में विरोध प्रदर्शनों की लहर सी दौड़ गयी| 1927 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मद्रास में आयोजित किया गया जिसमे आयोग के बहिष्कार का निर्णय लिया गया|मुस्लिम लीग ने भी इसका बहिष्कार किया|आयोग 3 फरवरी 1928 को भारत पहुंचा और इस दिन विरोधस्वरूप पुरे भारत में हड़ताल का आयोजन किया गया|उस दिन दोपहर के बाद,आयोग के गठन की निंदा करने के लिए,पूरे भारत में सभाएं की गयीं और यह घोषित किया कि भारत के ल...

साइमन कमीशन

साइमन कमीशन से संबंधित विभिन्न पक्ष वर्ष 1919 में भारत में संवैधानिक सुधार करने के उद्देश्य से भारत शासन अधिनियम, 1919 पारित किया गया था। इसमें एक प्रावधान यह भी था कि इस अधिनियम के पारित होने के 10 वर्षों के बाद एक संविधानिक आयोग का गठन किया जाएगा, जो भारत में इस बात की जांच करेगा कि यह अधिनियम किस हद तक सफल हो पाया है तथा भारत में उत्तरदाई शासन स्थापित करने का अभी सही वक्त है अथवा नहीं। Explore The Ultimate Guide to IAS Exam Preparation Download Now! इसी प्रावधान का पालन करते हुए वर्ष 1927 में साइमन कमीशन का गठन किया गया। उस दौरान ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी की सरकार थी और बाल्डविन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे। लेकिन बà¤...

साइमन कमीशन

साइमन कमीशन से संबंधित विभिन्न पक्ष वर्ष 1919 में भारत में संवैधानिक सुधार करने के उद्देश्य से भारत शासन अधिनियम, 1919 पारित किया गया था। इसमें एक प्रावधान यह भी था कि इस अधिनियम के पारित होने के 10 वर्षों के बाद एक संविधानिक आयोग का गठन किया जाएगा, जो भारत में इस बात की जांच करेगा कि यह अधिनियम किस हद तक सफल हो पाया है तथा भारत में उत्तरदाई शासन स्थापित करने का अभी सही वक्त है अथवा नहीं। Explore The Ultimate Guide to IAS Exam Preparation Download Now! इसी प्रावधान का पालन करते हुए वर्ष 1927 में साइमन कमीशन का गठन किया गया। उस दौरान ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी की सरकार थी और बाल्डविन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे। लेकिन बà¤...

स्पेक्ट्रम: साइमन कमीशन और द नेहरू रिपोर्ट का सारांश

➢ भारतीय वैधानिक आयोग की नियुक्ति • भारत अधिनियम, 1919 की सरकार एक प्रावधान है कि एक आयोग सरकारी योजना की प्रगति का अध्ययन करने के नियुक्त किया जाएगा तारीख से दस साल और नए कदमों का सुझाव था। • 8 नवंबर, 1927 को स्टैनली बाल्डविन के प्रधानमंत्रित्व काल में ब्रिटिश सरकार द्वारा साइमन कमीशन (इसके अध्यक्ष, सर जॉन साइमन के नाम से) के नाम से प्रसिद्ध एक सर्व-सफेद, सात-सदस्यीय भारतीय वैधानिक आयोग की स्थापना की गई थी । • ली आयोग पर्याप्त ब्रिटिश अधिकारियों की भर्ती के लिए राज की विफलता में चला गया;मुदिमन आयोग ने डायकर्सी डिस्पेंस के भीतर गतिरोध को देखा, और लिनलिथगो आयोग ने भारतीय कृषि के संकट की जांच की। • इसलिए ब्रिटिश सरकार ने 1919 अधिनियम के कामकाज में पूरी तरह से जाना आवश्यक समझा । भारत के रूढ़िवादी सचिव, लॉर्ड बीरकेनहेड, जिन्होंने संवैधानिक सुधारों की एक ठोस योजना तैयार करने में भारतीयों की अक्षमता की बात की थी, जिसमें भारतीय राजनीतिक राय के व्यापक वर्गों का समर्थन था, साइमन कमीशन की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार था। ➢ भारतीय प्रतिक्रिया • साइमन कमीशन की भारतीय प्रतिक्रिया तत्काल और लगभग एकमत थी। • कांग्रेस उत्तर: मद्रास में कांग्रेस सत्र (दिसंबर 1927) एमए अंसारी की अध्यक्षता में बैठक "हर स्तर पर और हर रूप में '' आयोग का बहिष्कार करने का फैसला किया। • अन्य समूह: जिन लोगों ने साइमन कमीशन के बहिष्कार के कांग्रेस के आह्वान का समर्थन करने का फैसला किया, उनमें हिंदू महासभा के उदारवादी और मुस्लिम लीग के बहुसंख्यक गुट जिन्ना के तहत शामिल थे। 1927 में मुस्लिम लीग के दो सत्र थे - एक जिन्ना के तहत कलकत्ता में जहाँ साइमन कमीशन का विरोध करने का निर्णय लिया गया था , और दूसरा लाहौर में मुहम्मद श...

Simon Commission

Table of Contents • • • • • • • • आज के आर्टिकल में हम साइमन कमीशन (Simon Commission) के बारे में जानने वाले है।इसमें हम साइमन कमीशन क्या है(Simon commission kya tha), साइमन कमीशन भारत कब आया(Simon commission bharat kab aaya), साइमन कमीशन भारत क्यों आया(Simon commission bharat kyon aaya), साइमन कमीशन का विरोध क्यों हुआ(Simon commission ka virodh kyon kiya gaya), साइमन कमीशन का गठन कब किया (Simon commission ka gathan kab kiya gaya), साइमन कमीशन में कितने सदस्य थे(Simon commission mein kitne sadasya the)के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे ,इससे जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य भी जानेंगे। साइमन कमीशन भारत में क्यों लाया गया ? साइमन कमीशन की स्थापना ब्रिटेन में क्यों की गयी, इसके पीछे क्या कारण थे और इसका विरोध राष्ट्रीय स्तर पर क्यों हुआ। ये सारे सवाल आपके दिमाग में चल रहे होंगे, तो दोस्तों चलिए अपने सवालों का जबाव हमारी इस पोस्ट में हम पढ़ेगे विशेष महत्त्वपूर्ण तथ्यों के साथ। • भारत शासन अधिनियम 1919 में (मांटेग्यू- चेम्सफोर्ड) यह प्रावधान किया गया था कि 10 वर्ष के बाद एक कमीशन गठित किया जायेगा। 1919 एक्ट की समीक्षा हेतु एक संवैधानिक आयोग के गठन का प्रावधान था। • आयोग को यह देखना था कि यह अधिनियम व्यवहार में कहां तक सफल रहा तथा उत्तरदायी शासन की दिशा में कहाँ तक प्रगति करने की स्थिति में है। उत्तरदायी सरकार की प्रगति की समीक्षा करने के लिए यह कमीशन भेजा गया था। • इस कमीशन को 1931 में गठित किया जाना था, क्योंकि 1919 के एक्ट में 10 वर्ष के बाद की बात कही गयी थी। लेकिन इसको 1927 में ही गठित कर दिया गया। इस कमीशन के समय से पहले आने का निम्नलिखित कारण था – • ब्रिटेन में कंजरवेटिव...