साइमन कमीशन रिपोर्ट

  1. साइमन कमीशन रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें
  2. नेहरू रिपोर्ट 1928 ई. – Studywhiz
  3. निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें: साइमन कमिशन
  4. Test: साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट
  5. साइमन कमीशन रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें
  6. नेहरू रिपोर्ट 1928 ई. – Studywhiz
  7. निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें: साइमन कमिशन
  8. Test: साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट


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साइमन कमीशन रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें

अनुक्रम (Contents) • • • साइमन कमीशन रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें (Simon Commission in Hindi) साइमन कमीशन रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें- 1927 में सरकार ने भारत की राजनीति का अध्ययन करने के लिए साइमन की अध्यक्षता में ‘साइमन कमीशन’ की नियुक्ति की यह कमीशन 3 फरवरी, 1927 को मुम्बई पहुँचा। इसके सातों सदस्य अनुदार विचार के अंग्रेज थे। उसमें एक भी भारतीय को स्थान नहीं दिया गया था। इस कमीशन का उद्देश्य यह पता लगाना और ब्रिटिश संसद को रिपोर्ट करना था कि ब्रिटिश भारतीय प्रान्तों में शासन-प्रणाली किस प्रकार चल रही है, शिक्षा की वृद्धि और प्रतिनिधि संस्थाओं का विकास कहाँ तक हुआ, क्या उत्तरदायी शासन के सिद्धान्त की स्थापना आवश्यक है अथवा नहीं, यदि है तो किस सीमा तक उत्तरदायी शासन की मात्रा में वृद्धि की जाय। इस कमीशन का देश के प्रत्येक स्थान पर बहिष्कार किया गया। जनता ने ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे लगाये और उसे काले झण्डे दिखाये। सरकार ने भी कठोरता से प्रदर्शनकारियों का दमन किया। 10 अक्टूबर, 1928 को पंजाब केशरी लाला लाजपत राय पुलिस की लाठियों से बुरी तरह घायल हुए और 17 नवम्बर को उनका देहान्त हो गया। इस लाठी प्रहार पर उन्होंने कहा, “मेरी शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी की चोट ब्रिटिश साम्राज्य के कफन की एक-एक कील होगी।” पण्डित गोविन्द वल्लभ पन्त तथा अनेक कठिनाइयों के बाद मई, 1930 में साइमन कमीशन की रिपोर्ट प्रकाशित हुई। इस रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार थीं— (1) कमीशन ने सिफारिश की कि 1919 के अधिनियम के अनुसार जो द्वैध शासन प्रान्तों लागू किया गया है वह असफल सिद्ध हुआ है। अतः प्रान्तों में द्वैध शासन को समाप्त कर पूर्ण में उत्तरदायी शासन की स्थापना हो। (2) प्रान्तों में उत्तरदायी शासन की सफलता क...

नेहरू रिपोर्ट 1928 ई. – Studywhiz

• कांग्रेस ने जब साइमन कमीशन का बहिष्कार करने का आह्वान किया तब भारत सचिव लार्ड बर्केनहेड ने 24 नवम्बर, 1927 ई. को भारतीयों के सामने यह चुनौती रखी कि वे एक ऐसे संविधान का निर्माण कर ब्रिटिश संसद के समक्ष पेश करें जिसे सभी दलों का समर्थन व सहमति प्राप्त हो। • भारतीय मंत्री ने ब्रिटिश संसद में चुनौतीपूर्ण शब्दों में कहा था, ‘भारतीय एकमत होकर कभी भी अपने देश के लिए संविधान नहीं बना सकते।’ • 28 फरवरी, 1928 को दिल्ली में इसी विषय पर विचार-विमर्श हेतु सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया गया जिसमें 29 संस्थाओं ने भाग लिया। • 10 मई 1928 ई. को बम्बई में दूसरी बैठक (एम. अंसारी) हुई। यहां पर भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए 8 व्यक्तियों की एक कमेटी नियुक्त की गई। • अध्यक्ष – पं. मोतीलाल नेहरू अन्य सदस्य – • तेजबहादुर सप्रू (लिबरल पार्टी) सर अली इमाम, शोएब कुरेशी (मुस्लिम लीग) एम.एस.अणे, एम.आर.जयकर (हिन्दू महासभा) मंगल सिंह (सिक्ख), एन.एम.जोशी (लेबर) जी.पी.प्रधान (नान-ब्राह्मण), सुभाष चंद्र बोस (कांग्रेस) • इस समिति ने अपनी रिपोर्ट जुलाई, 1928 ई. में प्रकाशित की जो ‘ नेहरू रिपोर्ट’ के नाम से प्रचलित हुई। 10 अगस्त, 1928 ई. को यह रिपोर्ट कांग्रेस अधिवेशन में रखी गई, जिसे सभी ने स्वीकार किया। • जी. आर. प्रधान ‘सन् 1928 की नेहरू रिपोर्ट साम्प्रदायिकता की भावना मिटाने की उग्र प्रयत्न था।’ नेहरू रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें इस प्रकार थी- • केन्द्र में औपनिवेशिक स्वराज्य तथा प्रान्तों में पूर्ण उत्तरदायी शासन स्थापित किया जाए। • औपनिवेशिक स्वराज्य- भारत को तुरन्त औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जाना चाहिए और उसका स्थान ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत अन्य उपनिवेशों के समान होना चाहिए। • प्रान्तों में ...

हिंदी

भारत में ब्रिटिश सरकार समय-समय पर अधिनियम लाती रही है ताकि सरकार के कामकाज की जांच और प्रशासन प्रणाली में सुधार की जा सके। इसी सन्दर्भ में साइमन आयोग का गठन किया गया था। जिसके जवाब में मोतीलाल नेहरु ने एक मसौदा तैयार किया था जिसको ‘नेहरु रिपोर्ट’ कहा जाता है। इस लेख में हमने साइमन कमीशन रिपोर्ट तथा नेहरु रिपोर्ट में अंतर बताया है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है। भारत में ब्रिटिश सरकार समय-समय पर अधिनियम लाती रही है ताकि सरकार के कामकाज की जांच और प्रशासन प्रणाली में सुधार की जा सके। इसी सन्दर्भ में साइमन आयोग का गठन किया गया था। इसके अध्यक्ष सर जोन साइमन के नाम पर कहा जाता है। नेहरू रिपोर्ट भारत के लिए प्रस्तावित नए अधिराज्य के संविधान की रूपरेखा थी। अगस्त, 1928 को जारी यह रिपोर्ट अग्रेज़ी सरकार के भारतीयों के एक संविधान बनाने के अयोग्य बताने की चुनौती का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में दिया गया सशक्त प्रत्युत्तर था। साइमन कमीशन रिपोर्ट तथा नेहरु रिपोर्ट में अंतर साइमन कमीशन रिपोर्ट नेहरु रिपोर्ट 1. भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य शीघ्र देने की सिफारिश नहीं दी गई थी। 1. भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य शीघ्र देने की सिफारिश की गई थी। 2. केंद्र अवाम प्रांतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना का विरोध किया गया। 2. केंद्र अवाम प्रांतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना की सिफारिश की गई थी। 3. गवर्नर-जनरल के अधिकारों में कोई कमी नहीं की गयी। 3. गवर्नर-जनरल को केवल संवैधानिकप्रमुख का स्तर दिया गया। 4. साम्प्रदायिक आधार पर चुनावी व्यवस्ता को जारी रखने की सिफारिश की गयी। 4. सामूहिक प्रतिनिधित्व के ...

निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें: साइमन कमिशन

Solution लंदन 1928: भारत में संवैधानिक सिस्टम की कार्यप्रणाली को सुचारु करने के लिए अंग्रेजी सरकार ने साइमन कमीशन का गठन किया है। ऐसा कहा गया है कि यह कमीशन भारत के संवैधानिक प्रणाली का अध्ययन करेगा और उसमें बड़े बदलाव लाने का प्रस्ताव रखेगा। लेकिन भारत के मामले में फैसला लेने के लिए बने इस कमीशन की सबसे बड़ी विडंबना है इस कमीशन में एक भी भारतीय का न होना। इसलिए कांग्रेस और अन्य दल ने इस कमिशन का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।

Test: साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट

Detailed Solution for Test: साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट - Question 2 • सत्याग्रह पर महात्मा गांधी: यह निष्क्रिय प्रतिरोध के बारे में कहा जाता है कि यह कमजोर का हथियार है, लेकिन इस लेख का विषय है कि शक्ति केवल मजबूत द्वारा ही इस्तेमाल की जा सकती है। यह शक्ति निष्क्रिय प्रतिरोध नहीं है; वास्तव में, यह तीव्र गतिविधि के लिए कहता है। दक्षिण अफ्रीका में आंदोलन निष्क्रिय नहीं था लेकिन सक्रिय था। सत्याग्रह कोई शारीरिक शक्ति नहीं है। एक सत्याग्रही विपत्ति पर पीड़ा नहीं पहुँचाता; वह अपने विनाश की तलाश नहीं करता है। • सत्याग्रह के उपयोग में, कोई भी बीमार नहीं है। सत्याग्रह शुद्ध आत्मा बल है। सत्य आत्मा का बहुत पदार्थ है। इसलिए इस बल को सत्याग्रह कहा जाता है। आत्मा को ज्ञान से सूचित किया जाता है। इससे प्रेम की लौ जलती है। अहिंसा परम धर्म है। • निश्चित रूप से, भारत हथियारों के बल पर ब्रिटेन या यूरोप को टक्कर नहीं दे सकता। ब्रिटिश युद्ध भगवान की पूजा करते हैं और वे बन सकते हैं, जैसे वे बन रहे हैं, हथियारों के वाहक। भारत में करोड़ों लोग कभी भी हथियार नहीं ले जा सकते। उन्होंने अहिंसा के धर्म को अपना बना लिया है। Detailed Solution for Test: साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट - Question 3 • महात्मा गांधी का अभियान मानवतावाद और तर्क के आदर्शों पर आधारित था। उन्होंने तर्क दिया कि अस्पृश्यता को हिंदू शास्त्रों में कोई मंजूरी नहीं थी, और यहां तक ​​कि अगर यह मामला नहीं था, तो शास्त्रों को अनदेखा किया जाना चाहिए क्योंकि वे मानव गरिमा के खिलाफ हैं। • महात्मा गांधी ने जाति के हिंदुओं को 'तपस्या ’करने और Gandhi पुनर्मूल्यांकन’ करने की आवश्यकता की वकालत की, जिसके लिए जाति के हिंदुओं ने सदियों से हरिजनों क...

साइमन कमीशन रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें

अनुक्रम (Contents) • • • साइमन कमीशन रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें (Simon Commission in Hindi) साइमन कमीशन रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें- 1927 में सरकार ने भारत की राजनीति का अध्ययन करने के लिए साइमन की अध्यक्षता में ‘साइमन कमीशन’ की नियुक्ति की यह कमीशन 3 फरवरी, 1927 को मुम्बई पहुँचा। इसके सातों सदस्य अनुदार विचार के अंग्रेज थे। उसमें एक भी भारतीय को स्थान नहीं दिया गया था। इस कमीशन का उद्देश्य यह पता लगाना और ब्रिटिश संसद को रिपोर्ट करना था कि ब्रिटिश भारतीय प्रान्तों में शासन-प्रणाली किस प्रकार चल रही है, शिक्षा की वृद्धि और प्रतिनिधि संस्थाओं का विकास कहाँ तक हुआ, क्या उत्तरदायी शासन के सिद्धान्त की स्थापना आवश्यक है अथवा नहीं, यदि है तो किस सीमा तक उत्तरदायी शासन की मात्रा में वृद्धि की जाय। इस कमीशन का देश के प्रत्येक स्थान पर बहिष्कार किया गया। जनता ने ‘साइमन वापस जाओ’ के नारे लगाये और उसे काले झण्डे दिखाये। सरकार ने भी कठोरता से प्रदर्शनकारियों का दमन किया। 10 अक्टूबर, 1928 को पंजाब केशरी लाला लाजपत राय पुलिस की लाठियों से बुरी तरह घायल हुए और 17 नवम्बर को उनका देहान्त हो गया। इस लाठी प्रहार पर उन्होंने कहा, “मेरी शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी की चोट ब्रिटिश साम्राज्य के कफन की एक-एक कील होगी।” पण्डित गोविन्द वल्लभ पन्त तथा अनेक कठिनाइयों के बाद मई, 1930 में साइमन कमीशन की रिपोर्ट प्रकाशित हुई। इस रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार थीं— (1) कमीशन ने सिफारिश की कि 1919 के अधिनियम के अनुसार जो द्वैध शासन प्रान्तों लागू किया गया है वह असफल सिद्ध हुआ है। अतः प्रान्तों में द्वैध शासन को समाप्त कर पूर्ण में उत्तरदायी शासन की स्थापना हो। (2) प्रान्तों में उत्तरदायी शासन की सफलता क...

नेहरू रिपोर्ट 1928 ई. – Studywhiz

• कांग्रेस ने जब साइमन कमीशन का बहिष्कार करने का आह्वान किया तब भारत सचिव लार्ड बर्केनहेड ने 24 नवम्बर, 1927 ई. को भारतीयों के सामने यह चुनौती रखी कि वे एक ऐसे संविधान का निर्माण कर ब्रिटिश संसद के समक्ष पेश करें जिसे सभी दलों का समर्थन व सहमति प्राप्त हो। • भारतीय मंत्री ने ब्रिटिश संसद में चुनौतीपूर्ण शब्दों में कहा था, ‘भारतीय एकमत होकर कभी भी अपने देश के लिए संविधान नहीं बना सकते।’ • 28 फरवरी, 1928 को दिल्ली में इसी विषय पर विचार-विमर्श हेतु सर्वदलीय सम्मेलन बुलाया गया जिसमें 29 संस्थाओं ने भाग लिया। • 10 मई 1928 ई. को बम्बई में दूसरी बैठक (एम. अंसारी) हुई। यहां पर भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए 8 व्यक्तियों की एक कमेटी नियुक्त की गई। • अध्यक्ष – पं. मोतीलाल नेहरू अन्य सदस्य – • तेजबहादुर सप्रू (लिबरल पार्टी) सर अली इमाम, शोएब कुरेशी (मुस्लिम लीग) एम.एस.अणे, एम.आर.जयकर (हिन्दू महासभा) मंगल सिंह (सिक्ख), एन.एम.जोशी (लेबर) जी.पी.प्रधान (नान-ब्राह्मण), सुभाष चंद्र बोस (कांग्रेस) • इस समिति ने अपनी रिपोर्ट जुलाई, 1928 ई. में प्रकाशित की जो ‘ नेहरू रिपोर्ट’ के नाम से प्रचलित हुई। 10 अगस्त, 1928 ई. को यह रिपोर्ट कांग्रेस अधिवेशन में रखी गई, जिसे सभी ने स्वीकार किया। • जी. आर. प्रधान ‘सन् 1928 की नेहरू रिपोर्ट साम्प्रदायिकता की भावना मिटाने की उग्र प्रयत्न था।’ नेहरू रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें इस प्रकार थी- • केन्द्र में औपनिवेशिक स्वराज्य तथा प्रान्तों में पूर्ण उत्तरदायी शासन स्थापित किया जाए। • औपनिवेशिक स्वराज्य- भारत को तुरन्त औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जाना चाहिए और उसका स्थान ब्रिटिश शासन के अन्तर्गत अन्य उपनिवेशों के समान होना चाहिए। • प्रान्तों में ...

निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें: साइमन कमिशन

Solution लंदन 1928: भारत में संवैधानिक सिस्टम की कार्यप्रणाली को सुचारु करने के लिए अंग्रेजी सरकार ने साइमन कमीशन का गठन किया है। ऐसा कहा गया है कि यह कमीशन भारत के संवैधानिक प्रणाली का अध्ययन करेगा और उसमें बड़े बदलाव लाने का प्रस्ताव रखेगा। लेकिन भारत के मामले में फैसला लेने के लिए बने इस कमीशन की सबसे बड़ी विडंबना है इस कमीशन में एक भी भारतीय का न होना। इसलिए कांग्रेस और अन्य दल ने इस कमिशन का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।

Test: साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट

Detailed Solution for Test: साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट - Question 2 • सत्याग्रह पर महात्मा गांधी: यह निष्क्रिय प्रतिरोध के बारे में कहा जाता है कि यह कमजोर का हथियार है, लेकिन इस लेख का विषय है कि शक्ति केवल मजबूत द्वारा ही इस्तेमाल की जा सकती है। यह शक्ति निष्क्रिय प्रतिरोध नहीं है; वास्तव में, यह तीव्र गतिविधि के लिए कहता है। दक्षिण अफ्रीका में आंदोलन निष्क्रिय नहीं था लेकिन सक्रिय था। सत्याग्रह कोई शारीरिक शक्ति नहीं है। एक सत्याग्रही विपत्ति पर पीड़ा नहीं पहुँचाता; वह अपने विनाश की तलाश नहीं करता है। • सत्याग्रह के उपयोग में, कोई भी बीमार नहीं है। सत्याग्रह शुद्ध आत्मा बल है। सत्य आत्मा का बहुत पदार्थ है। इसलिए इस बल को सत्याग्रह कहा जाता है। आत्मा को ज्ञान से सूचित किया जाता है। इससे प्रेम की लौ जलती है। अहिंसा परम धर्म है। • निश्चित रूप से, भारत हथियारों के बल पर ब्रिटेन या यूरोप को टक्कर नहीं दे सकता। ब्रिटिश युद्ध भगवान की पूजा करते हैं और वे बन सकते हैं, जैसे वे बन रहे हैं, हथियारों के वाहक। भारत में करोड़ों लोग कभी भी हथियार नहीं ले जा सकते। उन्होंने अहिंसा के धर्म को अपना बना लिया है। Detailed Solution for Test: साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट - Question 3 • महात्मा गांधी का अभियान मानवतावाद और तर्क के आदर्शों पर आधारित था। उन्होंने तर्क दिया कि अस्पृश्यता को हिंदू शास्त्रों में कोई मंजूरी नहीं थी, और यहां तक ​​कि अगर यह मामला नहीं था, तो शास्त्रों को अनदेखा किया जाना चाहिए क्योंकि वे मानव गरिमा के खिलाफ हैं। • महात्मा गांधी ने जाति के हिंदुओं को 'तपस्या ’करने और Gandhi पुनर्मूल्यांकन’ करने की आवश्यकता की वकालत की, जिसके लिए जाति के हिंदुओं ने सदियों से हरिजनों क...

हिंदी

भारत में ब्रिटिश सरकार समय-समय पर अधिनियम लाती रही है ताकि सरकार के कामकाज की जांच और प्रशासन प्रणाली में सुधार की जा सके। इसी सन्दर्भ में साइमन आयोग का गठन किया गया था। जिसके जवाब में मोतीलाल नेहरु ने एक मसौदा तैयार किया था जिसको ‘नेहरु रिपोर्ट’ कहा जाता है। इस लेख में हमने साइमन कमीशन रिपोर्ट तथा नेहरु रिपोर्ट में अंतर बताया है जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है। भारत में ब्रिटिश सरकार समय-समय पर अधिनियम लाती रही है ताकि सरकार के कामकाज की जांच और प्रशासन प्रणाली में सुधार की जा सके। इसी सन्दर्भ में साइमन आयोग का गठन किया गया था। इसके अध्यक्ष सर जोन साइमन के नाम पर कहा जाता है। नेहरू रिपोर्ट भारत के लिए प्रस्तावित नए अधिराज्य के संविधान की रूपरेखा थी। अगस्त, 1928 को जारी यह रिपोर्ट अग्रेज़ी सरकार के भारतीयों के एक संविधान बनाने के अयोग्य बताने की चुनौती का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में दिया गया सशक्त प्रत्युत्तर था। साइमन कमीशन रिपोर्ट तथा नेहरु रिपोर्ट में अंतर साइमन कमीशन रिपोर्ट नेहरु रिपोर्ट 1. भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य शीघ्र देने की सिफारिश नहीं दी गई थी। 1. भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य शीघ्र देने की सिफारिश की गई थी। 2. केंद्र अवाम प्रांतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना का विरोध किया गया। 2. केंद्र अवाम प्रांतों में उत्तरदायी शासन की स्थापना की सिफारिश की गई थी। 3. गवर्नर-जनरल के अधिकारों में कोई कमी नहीं की गयी। 3. गवर्नर-जनरल को केवल संवैधानिकप्रमुख का स्तर दिया गया। 4. साम्प्रदायिक आधार पर चुनावी व्यवस्ता को जारी रखने की सिफारिश की गयी। 4. सामूहिक प्रतिनिधित्व के ...