साकेत किसकी रचना है

  1. उर्वर्शी तथा साकेत के रचना रचयिता ओं के नाम लिखिए? » Urvashi Tatha Saket Ke Rachna Rachiyata On Ke Naam Likhiye
  2. रचना एवं रचनाकारों के नाम MCQ [Free PDF]
  3. साकेत मैथिलीशरण गुप्त


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उर्वर्शी तथा साकेत के रचना रचयिता ओं के नाम लिखिए? » Urvashi Tatha Saket Ke Rachna Rachiyata On Ke Naam Likhiye

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रचना एवं रचनाकारों के नाम MCQ [Free PDF]

माखनलाल चतुर्वेदी • माखनलाल चतुर्वेदी (4 अप्रैल 1889-30 जनवरी 1968) भारत के ख्यातिप्राप्त कवि, लेखक और पत्रकार थे • जिनकी रचनाएँ अत्यंत लोकप्रिय हुईं। • सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे हिंदी रचनाकार थे। • चतुर्वेदी जी की भी कई रचनाएं ऐसी हैं जहां उन्होंने प्रकृति के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया | सुमित्रानंदन पंत • सुमित्रानंदन पंत की कुछ अन्य काव्य कृतियाँ हैं - ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम Important Points • माखनलाल चतुर्वेदी पहले हिंदी लेखक हैं, जिन्होंने 1955 में अपने काव्य "हिम तरंगिनी" (कविता) के लिए यह पुरस्कार जीता था। सही उत्तर है - हज़ारी प्रसाद द्विवेदी अनामदास का पोथा • विधा - उपन्यास • लेखक - हज़ारी प्रसाद द्विवेदी Key Points अनामदास का पोथा • इस उपन्यास में उपनिषदों की पृष्ठभूमि में चलती एक बहुत ही मासूम सी प्रेमकथा का वर्णन है। • साथ ही साथ उपनिषदों की व्याख्या व समझने का प्रयास, मानव जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में • विचारों के मानसिक द्वंद्व व उनके उत्तर ढूंढने का प्रयास इस उपन्यास की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ व कहना चाहिए कि उपलब्धियाँ भी है। Additional Information हज़ारी प्रसाद द्विवेदी: • जन्म -1907 बलियाँ जिला, आगरा आ अवध संजुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत • निधन- 19 मई 1979 • प्रमुख रचना- कबीर, बाणभट्ट की आत्मकथा, साहित्य की भूमिका • प्रमुख सम्मान- 1973: साहित्य अकादमी अवार्ड 1957: पद्मभूषण • आलोचना- कबीर (1942),सूर साहित्‍य (1936),हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940),हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952),नाथ संप्रदाय (1950),आधुनिक हिन्‍दी साहित्‍य पर विचार (1949) • निबन्ध: अशोक ...

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साकेत मैथिलीशरण गुप्त

चित्रित किया है .उर्मिला का विरह त्याग में भरा हुआ है .कविइस धरती पर रामराज्य स्थापित करके इसे स्वर्ग बनाना चाहता है .इस काव्य के सारे पात्रों में त्याग और निस्वार्थ प्रेम की भावना का समावेश है .इस काव्य का प्रधान रस श्रृंगार है .अन्य रसों का भी समावेश हुआ है परन्तु गौण रूप में .सम्पूर्ण काव्य विरह एवं वेदना से ओत प्रोत है .गुप्त ने गिरे हुए ,उपेक्षित ,चरित्रों का परिमार्जन करके इन्हें लोक दृष्टि में ऊँचे स्थान पर आरूढ़ किया है .इन्होने इस काव्य के माध्यम से कैकियी के चरित्र का सुसंस्कार किया है .मांडवी ,उर्मिला और सीता को उच्चासन पर आसीन किया है .राम के मुखारविंद से उर्मिला की प्रशंसा कराके वे एक अनुपम उदाहरण देकर पाठकों को सोचने के लिए आतुर कर देते हैं .