सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय

  1. लोग पत्थर,कीचड़ फैंकते थे और वह गरीबों की सेवा में लगी रही अद्भुत था सावित्रीबाई का जीवन मिशन First female teacher Savitribai PhuleJagriti PathJagriti Path
  2. सावित्रीबाई फुले
  3. Savitribai Phule Autobiography
  4. सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय एवं उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
  5. सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय


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लोग पत्थर,कीचड़ फैंकते थे और वह गरीबों की सेवा में लगी रही अद्भुत था सावित्रीबाई का जीवन मिशन First female teacher Savitribai PhuleJagriti PathJagriti Path

भारतीय इतिहास में नारी शक्ति का स्थान बहुत ऊंचा है क्योंकि भारतीय नारी ने समाज और देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण कार्य किए हैं जिससे लिए आज उनको सम्मान से याद किया जाता है। भारत में एसी कई महान नारियों हुई जो तात्कालिक परिस्थितियों में अंधविश्वास,जूल्म तथा कुरीतियों से डट कर लड़ी थी। मातृभूमि की रक्षा की बात हो या किसी मुसीबत से जूझने की बात भारत की नारी कहीं पीछे नहीं है। रानी लक्ष्मीबाई जैसी महान नारियों ने देश की रक्षा के लिए युद्ध के मैदान में भी संघर्ष किया था। इसी कड़ी में सबसे पहला नाम आता भारत की प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले को जो भारत की एक महान समाज-सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। उन्होने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों एवं शिक्षा के लिए जो विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष किया वो बहुत असाधारण एवं विचित्र था। सावित्रीबाई फूले भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका थीं। सावित्रीबाई को आधुनिक मराठी काव्य की अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होने अछूत बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी। उस समय अछूत तबकों की हालत बहुत दयनीय थी। ऐसे समय में सावित्रीबाई का यह कार्य काबिले तारीफ था जो उस समय दलित समाज के लिए बहुत बड़ी उद्धारक बनी थी। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रधानाचार्य और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार की कुरीतियों से महिलाओं को मुक्त...

सावित्रीबाई फुले

भारत की प्रथम शिक्षिका के बारे में पूछने पर लोगों की जुबान पर एक ही नाम आएगा— सावित्रीबाई फुले। ऐसे दौर में जब शूद्र-अतिशूद्र और स्त्री का पढ़ाना-लिखाना पाप समझा जाता था, उन्होंने घर-घर जाकर लड़कियों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। चौतरफा विरोध के बावजूद वे डटी रहीं। इस तरह एक बड़े और युगांतरकारी आंदोलन की शुरूआत करने में पति जोतीराव फुले का साथ दिया था। लेकिन भारतीय समाज, खासकर महिलाओं के उत्थान की दिशा में सावित्रीबाई फुले का योगदान सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं था। स्कूलों के संचालन के अलावा जोतीराव फुले ने प्रसूति गृह, विधवा आश्रम, अनाथ बच्चों के लिए शिशु सदन जैसी संस्थाओं का निर्माण और संचालन भी किया था, जिसमें सावित्रीबाई फुले का अन्यतम योगदान था। प्लेग जैसी घातक महामारी के दौरान, अपने प्राणों की चिंता न करते हुए भी वे मरीजों की सेवा में डटी रहीं और उससे जूझते हुए ही अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। सावित्रीबाई फुले हैं आधुनिक भारत की महानायिका- भारतीय द्विज इतिहासकार लक्ष्मीबाई को स्वतंत्रता संग्राम की महानायिका बताते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि स्त्रियों की स्वतंत्रता की जो लड़ाई सावित्रीबाई फुले ने लड़ी, वह उन्हें लक्ष्मीबाई से अधिक प्रभावकारी महानायिका बनाती है। ऐसी महानायिका जिसने भारत की तमाम महिलाओं को गुलामी से आजाद होने का मार्ग प्रशस्त किया। उन दिनों बड़ी समस्या विवाहेत्तर संबंधों से जन्मी संतान की भी थी। लोकलाज या समाज के भय से प्रायः ऐसे शिशुओं को असमय ही मार दिया जाता था। काशीबाई नाम की एक विधवा स्त्री जोतीराव फुले के मित्र और शुभचिंतक सदाशिव गोवड़े के यहां खाना बनाने का काम करती थी। एक धूर्त्त ब्राह्मण ने उसकी मजबूरी का फायदा उठाया, जिससे वह गर्भवती हो गई। काशी...

Savitribai Phule Autobiography

भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई ने अपने पति समाजसेवी महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर 1848 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी। महाराष्ट्र के सतारा जिले के नयागांव में एक दलित परिवार में 3 जनवरी 1831 को जन्‍मी सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका थी। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले शिक्षक होने के साथ भारत के नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता, समाज सुधारक और मराठी कवयित्री भी थी। इन्‍हें बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए समाज का कड़ा विरोध झेलना पड़ा था। कई बार तो ऐसा भी हुआ जब इन्हें समाज के ठेकेदारों से पत्थर भी खाने पड़े।आजादी के पहले तक भारत में महिलाओं की गिनती दोयम दर्जे में होती थी। आज की तरह उन्‍हें शिक्षा का अधिकार नहीं था। वहीं अगर बात 18वीं सदी की करें तो उस समय महिलाओं का स्कूल जाना भी पाप समझा जाता था। ऐसे समय में सावित्रीबाई फुले ने जो कर दिखाया वह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। वह जब स्कूल पढ़ने जाती थीं तो लोग उन पर पत्थर फेंकते थे। इस सब के बावजूद वह अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटकीं और लड़कियों व महिलाओं को शिक्षा का हक दिलाया। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई ने अपने पति समाजसेवी महात्मा ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर 1848 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की थी। नौ साल की उम्र में हो गया था विवाह सावित्रीबाई का विवाह बहुत ही छोटी उम्र में हो गया था। उनका विवाह महज नौ साल की उम्र में वर्ष 1940 में ज्योतिराव फुले से हो गया। शादी के बाद वह जल्द ही अपने पति के साथ पुणे आ गईं। विवाह के समय वह पढ़ी-लिखी नहीं थीं। लेकिन प...

सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय एवं उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

✕ • जीके हिंदी में • इतिहास • भूगोल • राजनीति • अर्थशास्त्र • विज्ञान • खेल • पुरस्कार और सम्मान • संगठन • भारत • विश्व • महत्वपूर्ण दिवस • सरकारी योजनाएं • आज का इतिहास • करेंट अफेयर्स • जीवनी • प्रसिद्ध आकर्षण • देशों की जानकारी • इतिहास वर्षवार • अंग्रेजी शब्दावली • एसएससी प्रश्नोत्तरी • मौखिक तर्क प्रश्नोत्तरी • गैर-मौखिक तर्क प्रश्नोत्तरी • प्रसिद्ध व्यक्तियों के जन्मदिन • About us • Privacy Policy • YoDiary इस अध्याय के माध्यम से हम जानेंगे सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) से जुड़े महत्वपूर्ण एवं रोचक तथ्य जैसे उनकी व्यक्तिगत जानकारी, शिक्षा तथा करियर, उपलब्धि तथा सम्मानित पुरस्कार और भी अन्य जानकारियाँ। इस विषय में दिए गए सावित्रीबाई फुले से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को एकत्रित किया गया है जिसे पढ़कर आपको प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने में मदद मिलेगी। Savitribai Phule Biography and Interesting Facts in Hindi. सावित्रीबाई फुले का संक्षिप्त सामान्य ज्ञान नाम सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) वास्तविक नाम सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले जन्म की तारीख 03 जनवरी जन्म स्थान नायगाँव, महाराष्ट्र (भारत) निधन तिथि 10 मार्च माता व पिता का नाम लक्ष्मी / खन्दोजी नेवसे उपलब्धि 1848 - भारत की पहली महिला अध्यापिका (शिक्षिका) पेशा / देश महिला / शिक्षाशास्री / भारत सावित्रीबाई फुले - भारत की पहली महिला अध्यापिका (शिक्षिका) (1848) सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों के लिए बहुत से कार्य किए। सावित्रीबाई भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका थीं। ...

सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय

By May 19, 2023 सावित्रीबाई फुले का जीवन परिचय | Biography of Savitribai Phule सावित्रीबाई फुले एक भारतीय समाज सुधारक, कवियित्री और शिक्षाविद् थीं, जिन्होंने भारत में 19वीं शताब्दी के दौरान महिला अधिकारों और शिक्षा आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 3 जनवरी, 1831 को नायगांव, महाराष्ट्र, भारत में हुआ था और उनका निधन 10 मार्च, 1897 को हुआ था। सावित्रीबाई फुले, अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ, भारत में महिला शिक्षा के अग्रदूतों में से एक मानी जाती हैं। उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने में शिक्षा के महत्व को पहचाना और लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अथक रूप से काम किया, खासकर निचली जातियों और हाशिए के समुदायों के बीच। 1848 में, सावित्रीबाई फुले और ज्योतिराव फुले ने पुणे, महाराष्ट्र में लड़कियों के लिए पहला स्कूल स्थापित किया। इस स्कूल को समाज के रूढ़िवादी तत्वों से गंभीर विरोध और शत्रुता का सामना करना पड़ा जिन्होंने लड़कियों की शिक्षा का विरोध किया। चुनौतियों के बावजूद, सावित्रीबाई फुले अपने उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध रहीं और लड़कियों को शिक्षित करने के अपने प्रयासों को जारी रखा। शिक्षा के अलावा, सावित्रीबाई फुले ने जातिगत भेदभाव, बाल विवाह और विधवाओं के दमनकारी व्यवहार जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सक्रिय रूप से अभियान चलाया। वह महिलाओं के अधिकारों और कल्याण की हिमायती थीं, खासकर वंचित पृष्ठभूमि की महिलाओं के लिए। सावित्रीबाई फुले ने भारत में निचली जाति और दलित समुदायों के अधिकारों को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने उत्पीड़ित जातियों के उत्थान की दिशा में काम किया और उस समय की प्रचलित सामाजिक असमानताओं के खिलाफ लड़ाई लड़ी। अपने सामाजि...