सावित्रीबाई फुले निबंध हिंदी में

  1. सावित्रीबाई फुले : जन्मदिन विशेष
  2. सावित्रीबाई फुले कोट्स, सुविचार, एवं अनमोल वचन
  3. सावित्रीबाई फुले: जिनके कारण महिलाओं को शिक्षा का अधिकार मिला
  4. सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले
  5. सावित्रीबाई फुले क्यों पेशवा राज को बताती थीं खराब और शोषक


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सावित्रीबाई फुले : जन्मदिन विशेष

Credible History is an endeavour to preserve authentic history as gleaned through the lens of established, respected historians who have spent their lives researching it via reliable sources. It aims to counter the propaganda being spread through a large section of mainstream media and social media platforms, and provide easy access to established historical resources Reading Time: 2 minutes read सावित्रीबाई का जन्म 1831 में हुआ और 9 वर्ष की उम्र में ही 1840 में 13 वर्षीय जोतिबा फुले से विवाह हो गया। यह विवाह इसलिए अनोखा था कि सावित्री को स्वामी नहीं साथी, एक शिक्षक मिला। जोतिबा- सावित्री समाज का तमाम विरोध सहकर भी अंधविश्वास, अशिक्षा, अन्यायपूर्ण वर्ण-व्यवस्था के ख़िलाफ काम करते रहे। 1 जनवरी 1848 को पुणे के बुधवार पेठ में लड़कियों का पहला स्कूल खोला गया और सावित्रीबाई उसकी पहली शिक्षिका बनीं। शिक्षा ही दिला सकती है मुक्ति शिक्षा और वह भी अंग्रेज़ी शिक्षा शूद्रों को जहालत और शोषण से मुक्ति दिला सकती है इसमें सावित्रीबाई का यकीन पक्का हो चला जो कि उनकी कई कविताओं से ज़ाहिर होता है। स्त्री-शिक्षा की वे ज़बरदस्त पैरोकार बनीं। इस युगल ने अपने आस-पास न जाने कितने जीवनों को प्रभावित किया होगा। फ़ातिमा शेख और सगुणा भी जोतिबा की ही शिष्या थीं और सत्यशोधक समाज को चलाने में, शिक्षा की अलख जगाए रखने में उनके योगदान की चर्चा स्वयम सावित्रीबाई जोतिबा को लिखे अपने पत्रों में करती है। [1] तमाम तनाव झेलकर भी इस क्रांति-युगल का साहस नहीं चुका। कैसा अदम्य था वह सावित्रीबाई के जोतिबा को लिखे इस पत्र के अंतिम अंश में देख सकते हैं- उपरोक्त विषय में पढ़कर आप समझ गए होंगे कि जिस तरह से पूना में हमारे व...

सावित्रीबाई फुले कोट्स, सुविचार, एवं अनमोल वचन

प्रस्तुत लेख में हम सावित्रीबाई फुले कोट्स, अनमोल वचन, सुविचार, आदि को पढ़कर उनके विचारों तथा व्यक्तित्व से परिचित हो सकेंगे। स्त्री शिक्षा की प्रबल समर्थक सावित्रीबाई ज्योतिराव फूले का व्यक्तित्व अनुकरणीय था। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर स्त्री शिक्षा का द्वार खोला। इससे पूर्व स्त्रियों की समाज में स्थिति दयनीय थी। स्त्री को केवल उपभोग तथा गृहस्थी से जोड़कर देखा जाता था। शिक्षा का द्वार समाज के लोगों ने महिला के लिए बंद किया था, ताकि महिला शिक्षा से वंचित रह सके। वह अपने मूलभूत ज्ञान को भी अर्जित ना कर सके। एक पुरुष शिक्षित होता है तो वह एक परिवार को शिक्षित करता है जबकि एक महिला शिक्षित होती है तो वह परिवार के साथ साथ समाज को भी शिक्षित करती है, इसलिए महिला के लिए शिक्षा अति आवश्यक हो जाता है। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए सावित्रीबाई फुले ने आजीवन प्रयास किया और अपना सर्वस्व इसी दिशा में समर्पित कर दिया। Table of Contents • • • • • सावित्रीबाई फुले कोट्स ( Savitribai Phule Quotes in Hindi ) 1 एक सशक्त शिक्षित स्त्री सभ्य समाज का निर्माण कर सकती है इसलिए तुम्हारा भी शिक्षा का अधिकार होना चाहिए। savitribai phule quotes in hindi 2 कब तक तुम गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी रहोगी उठो और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करो। savitribai phule ke sandesh 3 समाज तथा देश की प्रगति तब तक नहीं हो सकती जब तक कि वहां कि महिलाएं शिक्षित ना हो। savitribai phule ke vichar 4 कोई तुम्हें कमजोर समझे इससे पहले तुम्हें शिक्षा के महत्व को समझना होगा। 5 स्त्रियां केवल घर और खेत पर काम करने के लिए नहीं बनी है वह पुरुषों से बेहतर तथा बराबरी का कार्य कर सकती है। savitribai phule anmol vachan 6 हमारे शि...

सावित्रीबाई फुले: जिनके कारण महिलाओं को शिक्षा का अधिकार मिला

भारत में हमेशा से शिक्षा प्रणाली में सभी सामाजिक तबकों को जगह नहीं दी गई थी। महिलाएं और दलित उनमें से दो ऐसे तबके थे। उन्नीसवीं सदी में जब देश में राजनैतिक गुलामी के साथ-साथ सामाजिक गुलामी का भी दौर था, तब सावित्रीबाई फुले ने शिक्षा के महत्व को जाना, समझा और महिलाओं की आज़ादी के नए द्वार खोलकर उनमें नई चेतना का सृजन किया। अंधविश्वासी समाज में सावित्रीबाई फुले एक तार्किक महिला थी। उन्होंने हर जातिगत पहचान की महिला के जीवन में शिक्षा के कारण आने वाले बदलावों की ज़रूरत को महत्ता दी। एक घटना के अनुसार बचपन में जब सावित्रीबाई अंग्रेज़ी की एक किताब के पन्ने पलट रही थी तब उनके पिताजी ने देख लिया। तब शिक्षा का हक़ केवल सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 में महाराष्ट्र में हुआ था। उनकी पैदाइश का स्थान था सतारा का एक छोटा सा गांव था, नायगांव। इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई महज़ 10 साल की थी जब उनका बाल विवाह ज्योतिबा फूले से हो गया। वह साल था 1840। उनके पति ज्योतिराव फूले तब तीसरी कक्षा में पढ़ रहे थे और उनकी उम्र 13 साल थी। विवाह के बाद सावित्रीबाई ने अपने पति ज्योतिबा फुले की मदद से तालीम हासिल की। ज्योतिराव उस दौर में समाज में कई महिला विरोधी सामाजिक कुरीतियां चरम पर थी, जैसे जातीय पहचान के आधार पर छुआछूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह, शिक्षा व्यवस्था में सामाजिक भेदभाव आदि। इन रूढ़ियों को तोड़कर महिलओं के हित में कई रास्ते बनाने का श्रेय सावित्रीबाई फूले को जाता है। उन्हें महिलाओं और दलितों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के पति होने के साथ-साथ उनके जीवन के इस उद्देश्य ...

सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले

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सावित्रीबाई फुले क्यों पेशवा राज को बताती थीं खराब और शोषक

जब देश के कई हिस्सों में प्लेग फैला हुआ था. सावित्री बाई ने स्कूल छोड़कर बीमारों की मदद शुरू कर दी वह स्कूल जातीं, तो रास्ते में विरोधी उनपर कीचड़ या गोबर फेंक दिया करते थे ताकि वह स्कूल नहीं पहुंच सकें पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया हममें से अधिकतर लोग सावित्रीबाई फुले को आधुनिक भारत की पहली शिक्षिका के रूप में जानते हैं. वह अंग्रेजी शासन और अंग्रेजी शिक्षा की बड़ी हिमायती थीं. हालांकि इसकी वजह भी थी. क्योंकि अंग्रेजों के शासन के बाद ही इस देश में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को शिक्षा का अवसर मिला. सावित्रीबाई फुले इसी वजह से अंग्रेजी शासन का समर्थन करती थीं और पेशवा राज को खराब बताती थीं, क्योंकि उनके राज में दलितों और स्त्रियों को बुनियादी अधिकार तक प्राप्त नहीं थे. साल 1831 में महाराष्ट्र के सतारा में जन्मी इस महान महिला ने केवल 17 बरस की उम्र में देश का पहला कन्या विद्यालय खोला था ताकि अभिभावक अपनी बच्चियों को पढ़ाई-लिखाई से न रोकें. दलित परिवार में जन्मी सावित्री बाई का बहुत कम उम्र में ज्योतिबा फुले से विवाह हो गया था. हालांकि उस समय की रीत से अलग ज्योतिबा ने अपनी पत्नी की रुचि देखकर उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. बेहद कुशाग्रबुद्धि सावित्री बाई पाश्चात्य शिक्षा की ओर आकर्षित हुईं और जल्द ही सीखने-पढ़ने लगीं. केवल 17 साल में प्रिंसिपल बन गईं सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुई थी. उनका और ज्योतिबा फुले का बाल विवाह हुआ था. ज्योतिबा के सहयोग से सावित्रीबाई ने पाश्चात्य शिक्षा हासिल की और मात्र 17 साल की उम्र में ही ज्योतिबा द्वारा खोले गए लड़कियों के स्कूल की श...