Samudragupt ka varnan kis abhilekh mein hai

  1. India History Samudragupt Ki sainik Uplabdhiyon Ka Varnnan Uske Kis abhilekh Me Uplabdh Hai ? Gk Question Answers In Hindi
  2. Nusrat Fateh Ali Khan
  3. भारतीय संविधान के अनुच्छेद, अनुसूचियां, भाग और विशेषताएं
  4. गुप्तकालीन प्रशासन
  5. अशोक के किस अभिलेख में कलिंग युद्ध का वर्णन है?
  6. गुप्त काल
  7. गुप्त काल
  8. भारतीय संविधान के अनुच्छेद, अनुसूचियां, भाग और विशेषताएं
  9. गुप्तकालीन प्रशासन
  10. अशोक के किस अभिलेख में कलिंग युद्ध का वर्णन है?


Download: Samudragupt ka varnan kis abhilekh mein hai
Size: 13.26 MB

India History Samudragupt Ki sainik Uplabdhiyon Ka Varnnan Uske Kis abhilekh Me Uplabdh Hai ? Gk Question Answers In Hindi

समुद्रगुप्त की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन उसके किस अभिलेख में उपलब्ध है ? - The description of the military achievements of Samudragupta is available in which inscription? - Samudragupt Ki sainik Uplabdhiyon Ka Varnnan Uske Kis abhilekh Me Uplabdh Hai ?India History in hindi, Gaya Ke question answers in hindi pdf Nalanda Ke questions in hindi, Know About Airann Ke India History online test India History MCQS Online Coaching in hindi quiz book Prayag Ke Anonymous on 01-01-1900

Nusrat Fateh Ali Khan

Aaj ki baat phir nahi hogi Yeh mulaakaat phir nahi hogi Aise baadal toh phir bhi aayenge Aisi barsaat phir nahi hogi Raat unko bhi yun hua mehsoos Jaise yeh raat phir nahi hogi Ik nazar mud ke dekhne waale Kya yeh khairaat phir nahi hogi Shab e gham ki sahar nahi hoti Ho bhi toh mere ghar nahi hoti Zindagi tu hi mukhtasar ho ja Shab e gham mukhtasar nahi hoti Raazdaaron se bach ke chalta hoon Ghamgusaaron se bach ke chalta hoon Mujhko dhokha diya sahaaron ne Ab sahaaron se bach ke chalta hoon Maine masoom bahaaron mein tumko dekha hai Maine purnoor sitaron mein tumhein dekha hai Mere mehboob teri pardanasheeni ki kasam Maine ashqon ki qataaron mein tumhein dekha hai Ham buton se jo pyar karte hain Naql e parwardigar karte hain Itni kasamein na khao ghabraakar Jaao ham aitbaar karte hain Ab bhi aa jaao kuch nahi bigda Ab bhi ham intezaar karte hain Saaz e hasti baja raha hoon main Jashn e masti mana raha hoon main Kya ada hai nisaar hone ki Unse pehlu bacha raha hoon main Kitni pukhta hai meri naadaani Tujhko tujhse chchupa raha hoon main Dil dubota hoon chashme saaki mein Mai ko mai mein mila raha hoon main Na ham samjhe na tum aaye kahin se Paseena poonchiye apni jabeen se Hai kahan ka iraada tumhaara sanam Kiske dil ko adaon se behlaaoge Sach bataao ke is chaandni raat mein Kis se waada kiya hai kahan jaaoge Dekho achcha nahin hai tumhara chalan Yeh jawaani ke din aur yeh shokhiyaan Yun na aaya karo baal khole hue Warna duniya mein badnaam ho jaaoge Aaj jaao na bechain k...

भारतीय संविधान के अनुच्छेद, अनुसूचियां, भाग और विशेषताएं

✕ • जीके हिंदी में • इतिहास • भूगोल • राजनीति • अर्थशास्त्र • विज्ञान • खेल • पुरस्कार और सम्मान • संगठन • भारत • विश्व • महत्वपूर्ण दिवस • सरकारी योजनाएं • आज का इतिहास • करेंट अफेयर्स • जीवनी • प्रसिद्ध आकर्षण • देशों की जानकारी • इतिहास वर्षवार • अंग्रेजी शब्दावली • एसएससी प्रश्नोत्तरी • मौखिक तर्क प्रश्नोत्तरी • गैर-मौखिक तर्क प्रश्नोत्तरी • प्रसिद्ध व्यक्तियों के जन्मदिन • सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी • About us • Privacy Policy • YoDiary भारतीय संविधान के 22 भाग, 465 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ: भारत, संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। यह गणराज्य भारत के संविधान के अनुसार शासित है। संविधान बनाने वाली कमिटी के अध्यक्ष डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को बनाया गया था। भारतीय संविधानका निर्माण डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन में किया। भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 जनवरी का इतिहास दिसम्बर 1929 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ और इसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने "पूर्ण स्वराज्य" के प्रस्ताव को पेश करके संपूर्ण भारत में क्रान्ति ला दी थी, उन्होने 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया जिसके बाद 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में अलग-अलग जगाहों पर सभाओं का आयोजन किया गया, जिनमें सभी लोगों ने सामूहिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त करने की शपथ ली और झंडा फहराया गया...

गुप्तकालीन प्रशासन

gupt samratoan ke samay mean ganatantriy rajavyavastha ka hmas hua. gupt prashasan rajatantratmak vyavastha par adharit tha. devatv ka sidvant guptakalin shasakoan mean prachalit tha. rajapad vanshanugat siddhant par adharit tha. raja apane b de putr ko yuvaraj ghoshit karata tha. usane utkarsh ke samay mean gupt samrajy uttar mean guptavansh shasak shasanakal 1- 319-335ee. 2- 335-375ee 3- 375-375ee 4- 375-414ee 5- 414-455ee 6- 455-467ee 7- 467-476ee. • inake atirikt kuchh any shasak gupt samrat nyay, sena evan divani vibhag ka pradhan hota tha. praja apane raja ko prithvi par eeshvar ke pratinidhi mean roop mean svikar karati thi. 'prayag prashasti' mean guptakalin abhilekhoan se prapt kendriy adhikari gan • sarvadhyaksh- rajy ke sabhi kendriy vibhag ka pramukh adhikari. • pratihar evan mahapratihar - samrat se milane ki ichchha rakhane valoan ko ajnapatr dena inaka mukhy kary tha. pratihar antahpur ka rakshak evan mahapratihar rajamahal ke rakshakoan ka mukhiya hota tha. • kumaramaty- padadhikariyoan ka sarvashreshth, varg, inhean uchch se uchch pad par niyukt kiya ja sakata tha. mahadandanayak • samudragupt ke prayag prashasti se jnat hota hai ki harishan ek hi sath kumaramaty, sandhivigrahik evan mahadandanayak ka kary karata tha. mahadandanayak sadasy vibhag 1- mahasenapati sena ka sarvochch adhikar. 2- mahapilupati gajasena ka adhyaksh 3- mahashvapati ashvasena ka adhyaksh 4- mahasandhivigrahik yuddh aur shaanti ka mantri 4- dand pashik pulis vibhag ka mukhy adhikari...

अशोक के किस अभिलेख में कलिंग युद्ध का वर्णन है?

Explanation : अशोक के तेरहवें अभिलेख में कलिंग युद्ध का वर्णन है। इसमें अशोक के हृदय परिवर्तन की बात कही गयी है। कलिंग का प्राचीन राज्य वर्तमान दक्षिणी उड़ीसा में स्थित था। कलिंग युद्ध तथा उसके परिणामों के विषय में अशोक के 13वें अभिलेख से विस्तृत सूचना मिलती है। इससे युद्ध की भयंकर और अन्ततः अशोक की विजय का उल्लेख है। कलिंग-युद्ध की हृदय विदारक हिंसा एवं नरसंहार की घटनाओं ने अशोक के हृदय स्थल को स्पर्श किया और उसने युद्धनीति का हमेशा के लिए परित्याग कर दिया। चौदहवें शिलालेख में अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया तथा रूढ़िवादी अनुष्ठानों की प्रथा का भत्र्सना करता है। Tags : Explanation : कालिदास चंद्रगुप्त II के शासनकाल में थे। चंद्रगुप्त द्वितीय अथवा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का शासनकाल 380-412 ईसवी तक रहा। चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपना साम्राज्य विस्तार वैवाहिक सम्बन्ध व विजय दोनों से किया जिसमें नाग राजकुमारी कुबेर • मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षेत्र कौन था? Explanation : मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षेत्र बयाना था। 18वीं शताब्द की प्रमुख फसलों में धान, गेहूं, ज्वार-बाजरा इत्यादि थे। धान हिंदुस्तान के अधिकांश क्षेत्रों में उगाया जाता था जिसमें गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गो • मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सबसे प्रसिद्ध क्षेत्र कौन था? Explanation : गुरु ग्रंथ साहिब में सूफी संत शेख फरीद की रचनाएं संकलित है। पंजाब के सूफी संतों में भक्त शेख फरीद जी का नाम प्रमुखता से आता है। भक्त शेख फरीद जी, बाबा फरीद जी, शेख फरीद जी, बाबा फरीद जी शकरगंज इत्यादि नामों से पहचाने जाने वाले शे • किस सूफी संत के विचारों को स...

गुप्त काल

• पुराणों के अनुसार गुप्तों का उदय प्रयाग और साकेत के बीच संभवतः कौशांबी में हुआ था। • गुप्त राजवंश की स्थापना लगभग तीसरी शताब्दी में हुई, श्री गुप्त इस वंश का संस्थापक था। • श्री गुप्त का शासन संभवतः 240-280 ई० के दौरान रहा। • प्रभावती गुप्त (चंद्र गुप्त-I की पुत्री) के पूना ताम्रपत्र अभिलेख में श्रीगुप्त को गुप्तवंश का आदिराज कहा गया है। • श्रीगुप्त के उत्तराधिकारी घटोत्कच गुप्त ने संभवतः 280 ई० से 320 ई० तक शासन किया। • प्रभावती गुप्त के दो अभिलेखों में घटोत्कच गुप्त को ‘प्रथम गुप्त राजा’ कहा गया है। • इस वंश का तीसरा एवं प्रथम महान शासक चंद्र गुप्त-I था जो 320 ई० में शासक बना। • चंद्रगुप्त-I ने ‘लिच्छवी राजकुमारी’ कुमारदेवी से विवाह किया। कुमारदेवी को राज्याधिकारिणी शासिका होने के कारण महादेवी कहा गया। • चंद्रगुप्त-I ने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। • माना जाता है कि 20 दिसंबर 318ई० अथवा 26 फरवरी 320 ई० से चंद्रगुप्त-I ने गुप्त संवत् की शुरूआत की। • वायु-पुराण के अनुसार चंद्रगुप्त-I का शासन अनुगंगा प्रयाग, साकेत एवं मगध पर था। • हरिषेण के प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख, एरण अभिलेख एवं रिथपुर दान-शासन अभिलेख आदि से ज्ञात होता है कि चंद्रगुप्त-I ने अपने सबसे योग्य पुत्र ‘समुद्रगुप्त’ को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। • डॉ० आर० सी० मजूमदार के अनुसार समुद्रगुप्त के सिंहासनारोहण की तिथि 340 एवं 350 ई० के बीच रखी जा सकती है। • समुद्रगुप्त एक महान विजेता था, उसने आर्यावर्त (उत्तरी भारत) के 9 तथा दक्षिणापथ के 12 नरेशों को हराकर प्राचीन भारत में दूसरे अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना की। • समुद्रगुप्त इतिहास में एशियन नेपोलियन एवं सौ युद्धों के नायक (Heroof Hundred Battles) के नाम से व...

गुप्त काल

• पुराणों के अनुसार गुप्तों का उदय प्रयाग और साकेत के बीच संभवतः कौशांबी में हुआ था। • गुप्त राजवंश की स्थापना लगभग तीसरी शताब्दी में हुई, श्री गुप्त इस वंश का संस्थापक था। • श्री गुप्त का शासन संभवतः 240-280 ई० के दौरान रहा। • प्रभावती गुप्त (चंद्र गुप्त-I की पुत्री) के पूना ताम्रपत्र अभिलेख में श्रीगुप्त को गुप्तवंश का आदिराज कहा गया है। • श्रीगुप्त के उत्तराधिकारी घटोत्कच गुप्त ने संभवतः 280 ई० से 320 ई० तक शासन किया। • प्रभावती गुप्त के दो अभिलेखों में घटोत्कच गुप्त को ‘प्रथम गुप्त राजा’ कहा गया है। • इस वंश का तीसरा एवं प्रथम महान शासक चंद्र गुप्त-I था जो 320 ई० में शासक बना। • चंद्रगुप्त-I ने ‘लिच्छवी राजकुमारी’ कुमारदेवी से विवाह किया। कुमारदेवी को राज्याधिकारिणी शासिका होने के कारण महादेवी कहा गया। • चंद्रगुप्त-I ने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की। • माना जाता है कि 20 दिसंबर 318ई० अथवा 26 फरवरी 320 ई० से चंद्रगुप्त-I ने गुप्त संवत् की शुरूआत की। • वायु-पुराण के अनुसार चंद्रगुप्त-I का शासन अनुगंगा प्रयाग, साकेत एवं मगध पर था। • हरिषेण के प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख, एरण अभिलेख एवं रिथपुर दान-शासन अभिलेख आदि से ज्ञात होता है कि चंद्रगुप्त-I ने अपने सबसे योग्य पुत्र ‘समुद्रगुप्त’ को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। • डॉ० आर० सी० मजूमदार के अनुसार समुद्रगुप्त के सिंहासनारोहण की तिथि 340 एवं 350 ई० के बीच रखी जा सकती है। • समुद्रगुप्त एक महान विजेता था, उसने आर्यावर्त (उत्तरी भारत) के 9 तथा दक्षिणापथ के 12 नरेशों को हराकर प्राचीन भारत में दूसरे अखिल भारतीय साम्राज्य की स्थापना की। • समुद्रगुप्त इतिहास में एशियन नेपोलियन एवं सौ युद्धों के नायक (Heroof Hundred Battles) के नाम से व...

भारतीय संविधान के अनुच्छेद, अनुसूचियां, भाग और विशेषताएं

✕ • जीके हिंदी में • इतिहास • भूगोल • राजनीति • अर्थशास्त्र • विज्ञान • खेल • पुरस्कार और सम्मान • संगठन • भारत • विश्व • महत्वपूर्ण दिवस • सरकारी योजनाएं • आज का इतिहास • करेंट अफेयर्स • जीवनी • प्रसिद्ध आकर्षण • देशों की जानकारी • इतिहास वर्षवार • अंग्रेजी शब्दावली • एसएससी प्रश्नोत्तरी • मौखिक तर्क प्रश्नोत्तरी • गैर-मौखिक तर्क प्रश्नोत्तरी • प्रसिद्ध व्यक्तियों के जन्मदिन • सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी • About us • Privacy Policy • YoDiary भारतीय संविधान के 22 भाग, 465 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियाँ: भारत, संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। यह गणराज्य भारत के संविधान के अनुसार शासित है। संविधान बनाने वाली कमिटी के अध्यक्ष डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर को बनाया गया था। भारतीय संविधानका निर्माण डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन में किया। भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। 26 जनवरी का दिन भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 जनवरी का इतिहास दिसम्बर 1929 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ और इसकी अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस अधिवेशन में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने "पूर्ण स्वराज्य" के प्रस्ताव को पेश करके संपूर्ण भारत में क्रान्ति ला दी थी, उन्होने 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया जिसके बाद 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में अलग-अलग जगाहों पर सभाओं का आयोजन किया गया, जिनमें सभी लोगों ने सामूहिक रूप से स्वतंत्रता प्राप्त करने की शपथ ली और झंडा फहराया गया...

गुप्तकालीन प्रशासन

gupt samratoan ke samay mean ganatantriy rajavyavastha ka hmas hua. gupt prashasan rajatantratmak vyavastha par adharit tha. devatv ka sidvant guptakalin shasakoan mean prachalit tha. rajapad vanshanugat siddhant par adharit tha. raja apane b de putr ko yuvaraj ghoshit karata tha. usane utkarsh ke samay mean gupt samrajy uttar mean guptavansh shasak shasanakal 1- 319-335ee. 2- 335-375ee 3- 375-375ee 4- 375-414ee 5- 414-455ee 6- 455-467ee 7- 467-476ee. • inake atirikt kuchh any shasak gupt samrat nyay, sena evan divani vibhag ka pradhan hota tha. praja apane raja ko prithvi par eeshvar ke pratinidhi mean roop mean svikar karati thi. 'prayag prashasti' mean guptakalin abhilekhoan se prapt kendriy adhikari gan • sarvadhyaksh- rajy ke sabhi kendriy vibhag ka pramukh adhikari. • pratihar evan mahapratihar - samrat se milane ki ichchha rakhane valoan ko ajnapatr dena inaka mukhy kary tha. pratihar antahpur ka rakshak evan mahapratihar rajamahal ke rakshakoan ka mukhiya hota tha. • kumaramaty- padadhikariyoan ka sarvashreshth, varg, inhean uchch se uchch pad par niyukt kiya ja sakata tha. mahadandanayak • samudragupt ke prayag prashasti se jnat hota hai ki harishan ek hi sath kumaramaty, sandhivigrahik evan mahadandanayak ka kary karata tha. mahadandanayak sadasy vibhag 1- mahasenapati sena ka sarvochch adhikar. 2- mahapilupati gajasena ka adhyaksh 3- mahashvapati ashvasena ka adhyaksh 4- mahasandhivigrahik yuddh aur shaanti ka mantri 4- dand pashik pulis vibhag ka mukhy adhikari...

अशोक के किस अभिलेख में कलिंग युद्ध का वर्णन है?

Explanation : अशोक के तेरहवें अभिलेख में कलिंग युद्ध का वर्णन है। इसमें अशोक के हृदय परिवर्तन की बात कही गयी है। कलिंग का प्राचीन राज्य वर्तमान दक्षिणी उड़ीसा में स्थित था। कलिंग युद्ध तथा उसके परिणामों के विषय में अशोक के 13वें अभिलेख से विस्तृत सूचना मिलती है। इससे युद्ध की भयंकर और अन्ततः अशोक की विजय का उल्लेख है। कलिंग-युद्ध की हृदय विदारक हिंसा एवं नरसंहार की घटनाओं ने अशोक के हृदय स्थल को स्पर्श किया और उसने युद्धनीति का हमेशा के लिए परित्याग कर दिया। चौदहवें शिलालेख में अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया तथा रूढ़िवादी अनुष्ठानों की प्रथा का भत्र्सना करता है। Tags : Explanation : कालिदास चंद्रगुप्त II के शासनकाल में थे। चंद्रगुप्त द्वितीय अथवा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का शासनकाल 380-412 ईसवी तक रहा। चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपना साम्राज्य विस्तार वैवाहिक सम्बन्ध व विजय दोनों से किया जिसमें नाग राजकुमारी कुबेर • मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षेत्र कौन था? Explanation : मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सर्वाधिक प्रसिद्ध क्षेत्र बयाना था। 18वीं शताब्द की प्रमुख फसलों में धान, गेहूं, ज्वार-बाजरा इत्यादि थे। धान हिंदुस्तान के अधिकांश क्षेत्रों में उगाया जाता था जिसमें गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गो • मुगल साम्राज्य में नील उत्पादन का सबसे प्रसिद्ध क्षेत्र कौन था? Explanation : गुरु ग्रंथ साहिब में सूफी संत शेख फरीद की रचनाएं संकलित है। पंजाब के सूफी संतों में भक्त शेख फरीद जी का नाम प्रमुखता से आता है। भक्त शेख फरीद जी, बाबा फरीद जी, शेख फरीद जी, बाबा फरीद जी शकरगंज इत्यादि नामों से पहचाने जाने वाले शे • किस सूफी संत के विचारों को स...