Samvidhan sabha mein kul kitne sadasya the

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद, अनुसूचियां, भाग और विशेषताएं
  2. संविधान सभा
  3. संविधान सभा की पहली बैठक में कितने सदस्य थे?
  4. भारतीय संविधान सभा के सदस्य
  5. संविधान सभा की प्रमुख बैठकें
  6. संविधान सभा की प्रथम बैठक में कितने सदस्य थे?
  7. Download Bharat ka Samvidhan ( भारत का संविधान ) PDF
  8. संविधान सभा की प्रमुख बैठकें
  9. भारतीय संविधान सभा के सदस्य
  10. संविधान सभा


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भारतीय संविधान के अनुच्छेद, अनुसूचियां, भाग और विशेषताएं

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संविधान सभा

स्वतंत्र भारत के स्वरूप की रूपरेखा निर्धारित करने के लिए गठित सभा को संविधान सभा कहा जाता है. भारत में संविधान सभा की माँग एक प्रकार से राष्ट्रीय स्वतंत्रता की माँग का प्रतिफल थी, क्योंकि स्वतंत्रता की माँग में अन्तर्निहित था कि भारत के लोग स्वयं अपने राजनीतिक भविष्य का निर्माण करें. संविधान सभा की प्रथम अभिव्यक्ति तिलक के निर्देशन में तैयार 1895 के स्वराज विधेयक से हुई. 20वीं सदी में इस विचार की स्पष्ट अभिव्यक्ति महात्मा गाँधी द्वारा 1922 में की गई जब उन्होंने कहा कि “भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छा की अभिव्यक्ति होना चाहिए.” आगे इस विचार की अभिव्यक्ति मोती लाल नेहरु द्वारा 1924 में ब्रिटिश सरकार के सम्मुख रखे प्रस्ताव में हुई. पुनः 1936, 1937, 1938 के कांग्रेस अधिवेशन में संविधान सभा की माँग को दोहराया जाता रहा है. आरम्भ में ब्रिटिश सरकार का भारतीय जनता की संविधान सभा की माँग के प्रति नकारात्मक रुख रहा किन्तु द्वितीय विश्वयुद्ध जनित दबावों से विवश होकर ब्रिटिश सरकार ने सर्वप्रथम 1940 में औपचारिक रूप से स्वीकार किया कि “भारत का संविधान स्वभावतः भारतवासी ही तैयार करेंगे.” ब्रिटिश नीति में इस बदलाव की स्पष्ट अभिव्यक्ति 1942 की ब्रिटिश योजना में हुई जिसमें औपचारिक घोषणा की गई कि युद्धोपरान्त भारत के संविधान निर्माण करने हेतु एक निर्वाचित संविधान सभा का गठन किया जाएगा. किन्तु इस योजना के अन्य बिन्दुओं पर भारतीय नेतृत्व की आपत्ति के कारण यह योजना असफल रही. अंततः मई 1946 की कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत संविधान सभा के गठन पर व्यापक सहमती बनाई जा सकी. मिशन की संस्तुति थी कि वर्तमान स्थितियों में व्यस्क मताधिकार पर आधारित संविधान सभा का गठन असंभव है. अतः प्रांतीय विधानसभाओं के म...

संविधान सभा की पहली बैठक में कितने सदस्य थे?

Explanation : संविधान सभा की पहली बैठक में 207 सदस्य थे। 1946 मे भारत का दौरा करने के बाद कैबिनेट मिशन ने संविधान सभा के गठन की सिफारिश की थी। जिसके बाद संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन हाल (जिसे अब संसद भवन के केंद्रीय कक्ष के नाम से जाना जाता है) में हुई थी। सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्‍यक्ष चुना गया। 13 दिसंबर, 1946 को नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया। संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 को हुई और उसी दिन संविधान सभा द्वारा डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया। संविधान निर्माण की प्रक्रिया में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे. इस काम में लगभग 6.4 करोड़ रुपये खर्च हुए. संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई। संविधान तैयार होने के बाद यह विश्व का सबसे बड़ा संविधान बना, जिसमें 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 94 संशोधन शामिल हैं. यह हस्तलिखित संविधान है जिसमें 48 आर्टिकल हैं।

भारतीय संविधान सभा के सदस्य

परिचय[] द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जुलाई 1945 में ब्रिटेन में एक नयी सरकार बनी। इस नयी सरकार ने भारत सम्बन्धी अपनी नई नीति की घोषणा की तथा एक संविधान निर्माण करने वाली समिति बनाने का निर्णय लिया। भारत की आज़ादी के सवाल का हल निकालने के लिए ब्रिटिश कैबिनेट के तीन मंत्री भारत भेजे गए। मंत्रियों के इस दल को कैबिनेट मिशन के नाम से जाना जाता है। 15 अगस्त 1947 को भारत के आज़ाद हो जाने के बाद यह संविधान सभा पूर्णतः प्रभुतासंपन्न हो गई। इस सभा ने अपना कार्य दिसम्बर 1946 से आरम्भ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। डॉ राजेन्द्र प्रसाद, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। अनुसूचित वर्गों से 30 से ज्यादा सदस्य इस सभा में शामिल थे। सच्चिदानन्द सिन्हा इस सभा के प्रथम सभापति थे। किन्तु बाद में डॉ राजेन्द्र प्रसाद को सभापति निर्वाचित किया गया। बाबासाहेब आंबेडकर जी को निर्मात्री सिमित का अध्यक्ष चुना गया था। संविधान सभा ने वर्ष, माह, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। भारतीय संविधान सभा के सदस्य[] मद्रास[] ओ वी अलगेशन, अम्मुकुट्टी स्वामीनाथन, एम ए अयंगार, मोटूरि सत्यनारायण, दक्षयनी वेलायुधन, जी दुर्गाबाई, [[काला वएन गोपालस्वामी अय्यंगर, डी. गोविंदा दास, जेरोम डिसूजा, पी. कक्कन, टी एम कलियन्नन गाउंडर, लालकृष्ण कामराज, वी. सी. केशव राव, टी. टी. कृष्णमाचारी, अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर, एल कृष्णास्वामी भारती, पी. कुन्हिरामन, मोसलिकान्ति तिरुमाला राव, वी. मैं मुनिस...

संविधान सभा की प्रमुख बैठकें

Samvidhan Sabha ki Baithak संविधान सभा की प्रमुख बैठक संविधान सभा की प्रमुख बैठक और उनके परिणाम इस प्रकार हैं:- • संविधान सभा पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 में किया गया। जिसके अस्थाई अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा थे। • 11 दिसंबर 1946 में डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष बनाया गया। • 13 दिसंबर 1946 में प. जबाहरलाल नेहरू द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव लाया गया। जिसे 22 जनवरी 1947 में स्वीकार किया गया। • सविधान के निर्माण में 2 बर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था। • संविधान के निर्माण में लगभग 64 लाख रुपये खर्च हुए। (रुपये = 63,96,729) • संविधान में 395 अनुच्छेद 8 अनुसूची 22 भाग बनाये गए थे। • वर्तमान में लगभग 475 अनुच्छेद 12 अनुसूची और 25 भाग हैं। संविधान के सभी प्रारूपों पर 114 दिन की बहस चली। और 24 जनवरी 1950 को 284 सदस्यों ने प्रारूप पर हस्ताक्षर कर अपनी सहमति प्रदान की। इन सदस्यों में आठ (8) महिलाएं थीं। श्री बी एन राव (B. N. Rao) को प्रथम संवैधानिक सलाहकार बनाया गया। 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा द्वारा संविधान अंगीकृत किया गया। और इसी दिन 16 अनुच्छेद लागू किये गए। (16 अनुच्छेद – 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 369, 380, 388, 391, 392, 393, 394) 26 नवंबर को संविधान सभा द्वारा “ विधि दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। 2015 से भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में 26 नवंबर को “ संविधान दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक करवाई गई। और 26 जनवरी 1950 में भारत का संविधान लागू किया गया। 26 जनवरी को संविधान लागू करने का कारण 31 दिसंबर 1929 में पं. जबाहरलाल नेहरू ने लाहौर के रावी नदी के तट पर तिरंगा झण्डा फहराते...

संविधान सभा की प्रथम बैठक में कितने सदस्य थे?

Explanation : संविधान सभा की प्रथम बैठक में 210 सदस्य थे। इसकी प्रथम बैठक 9 दिसंबर, 1946 को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में प्रारंभ हुई। डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा को सर्वसम्मति से अस्थायी अध्यक्ष चुना गया। 11 दिसंबर, 1946 की बैठक में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सभा का स्थायी अध्यक्ष तथा एस. सी. मुखर्जी को उप-सभापति चुना गया। बी. एन. राव को संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया। 13 दिसंबर, 1946 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत कर संविधान की आधारशिला रखी। यह उद्देश्य प्रस्ताव 22 जनवरी, 1947 को स्वीकार किया गया। संविधान सभा के प्रमुख सदस्य कांग्रेस के नेता पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, डॉ राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आजाद, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पं. गोविंद बल्लभ पंत, बाल गोविंद खेर, बाबू पुरुषोत्तम दास टंडन, के. एम. मुंशी, आचार्य जे. बी. कृपलानी और टी. टी. कृष्णामाचारी आदि थे। Tags :

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Bharat ka Samvidhan, Bharat ka sbse ucha vidhan hai. Yah 26 November, 1949 me bnkr taiyar hua aur 26, January me pure Bharatvrsh me lagu kr diya gya. 26 January, 1950 ko Bharat ke Samvidhan divas ke rup me ghosit kiya gya. Lekin is din ko Gantantra Divas ke rup me mnaya jata hai. Dr. Bhimrao Ambedkar ko Bhartiya Samvidhan ka shilpkar ya nirmata kaha jata hai. Unhe Bharat ke samvidhan ko rchne me kul 2 sal, 11 mhine aur 18 din lge the. Itne vrsho ki kdi mehnat ke bad Bharat ka Samvidhan jakr tiayr hua. Bharat ka Samvidhan kisi bhi desh ke Samvidhan me sbse lmba likhit samvidhan hai. • Bharat Ke Samvidhan ka Itihas Dusre visyouddh ki smapti ke bad July 1945 me Britain ne Bharat smbndhi nyi nitiyo ki ghosna ki. Jiske bad Bharat ke Samvidhan ko bnane ke liye 3 mntri ke ek Cabinet Mission Bharat bheja gya. 15 August, 1947 ko Bharat ke aajadi ke bad Samvidhan Sabha ki ghosna hui aur is Sabha ne 2 December, 1947 se apna kam chalu kr diya. Samvidhan sabha ke sadsya raj-sbha ke nirvachit sdyo ke dwara chune gye the. Pt. Jawahar lal Nehru, Dr. Bhimrao Ambedkr, Sardar Vallabh Bhai Patel aur Maulana Abul Kalaam Aazad aadi is sbha ke prmukh sdsya the. Is Samvidhan sbha ke 2 sal 11 mhine aur 18 din me kul 114 behes ki aur kul 12 adhiveshan kiya. Akhiri din 282 sdsyo ne ispr hastakhsar(sign) kiya. Samvidhan ko bnane me kul 166 din baithk ki gyi aur is baithak me janta aur press dono ko bhag lene ki aajadi thi. Bharat ke Samvidhan ko bnane me sabha ke sbhi 389 sdsyo ne ahm bhumika ada ki....

संविधान सभा की प्रमुख बैठकें

Samvidhan Sabha ki Baithak संविधान सभा की प्रमुख बैठक संविधान सभा की प्रमुख बैठक और उनके परिणाम इस प्रकार हैं:- • संविधान सभा पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 में किया गया। जिसके अस्थाई अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा थे। • 11 दिसंबर 1946 में डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष बनाया गया। • 13 दिसंबर 1946 में प. जबाहरलाल नेहरू द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव लाया गया। जिसे 22 जनवरी 1947 में स्वीकार किया गया। • सविधान के निर्माण में 2 बर्ष 11 माह 18 दिन का समय लगा था। • संविधान के निर्माण में लगभग 64 लाख रुपये खर्च हुए। (रुपये = 63,96,729) • संविधान में 395 अनुच्छेद 8 अनुसूची 22 भाग बनाये गए थे। • वर्तमान में लगभग 475 अनुच्छेद 12 अनुसूची और 25 भाग हैं। संविधान के सभी प्रारूपों पर 114 दिन की बहस चली। और 24 जनवरी 1950 को 284 सदस्यों ने प्रारूप पर हस्ताक्षर कर अपनी सहमति प्रदान की। इन सदस्यों में आठ (8) महिलाएं थीं। श्री बी एन राव (B. N. Rao) को प्रथम संवैधानिक सलाहकार बनाया गया। 26 नवंबर 1949 में संविधान सभा द्वारा संविधान अंगीकृत किया गया। और इसी दिन 16 अनुच्छेद लागू किये गए। (16 अनुच्छेद – 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 369, 380, 388, 391, 392, 393, 394) 26 नवंबर को संविधान सभा द्वारा “ विधि दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। 2015 से भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में 26 नवंबर को “ संविधान दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक करवाई गई। और 26 जनवरी 1950 में भारत का संविधान लागू किया गया। 26 जनवरी को संविधान लागू करने का कारण 31 दिसंबर 1929 में पं. जबाहरलाल नेहरू ने लाहौर के रावी नदी के तट पर तिरंगा झण्डा फहराते...

भारतीय संविधान सभा के सदस्य

परिचय[] द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद जुलाई 1945 में ब्रिटेन में एक नयी सरकार बनी। इस नयी सरकार ने भारत सम्बन्धी अपनी नई नीति की घोषणा की तथा एक संविधान निर्माण करने वाली समिति बनाने का निर्णय लिया। भारत की आज़ादी के सवाल का हल निकालने के लिए ब्रिटिश कैबिनेट के तीन मंत्री भारत भेजे गए। मंत्रियों के इस दल को कैबिनेट मिशन के नाम से जाना जाता है। 15 अगस्त 1947 को भारत के आज़ाद हो जाने के बाद यह संविधान सभा पूर्णतः प्रभुतासंपन्न हो गई। इस सभा ने अपना कार्य दिसम्बर 1946 से आरम्भ कर दिया। संविधान सभा के सदस्य भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के द्वारा चुने गए थे। डॉ राजेन्द्र प्रसाद, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। अनुसूचित वर्गों से 30 से ज्यादा सदस्य इस सभा में शामिल थे। सच्चिदानन्द सिन्हा इस सभा के प्रथम सभापति थे। किन्तु बाद में डॉ राजेन्द्र प्रसाद को सभापति निर्वाचित किया गया। बाबासाहेब आंबेडकर जी को निर्मात्री सिमित का अध्यक्ष चुना गया था। संविधान सभा ने वर्ष, माह, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। भारतीय संविधान सभा के सदस्य[] मद्रास[] ओ वी अलगेशन, अम्मुकुट्टी स्वामीनाथन, एम ए अयंगार, मोटूरि सत्यनारायण, दक्षयनी वेलायुधन, जी दुर्गाबाई, [[काला वएन गोपालस्वामी अय्यंगर, डी. गोविंदा दास, जेरोम डिसूजा, पी. कक्कन, टी एम कलियन्नन गाउंडर, लालकृष्ण कामराज, वी. सी. केशव राव, टी. टी. कृष्णमाचारी, अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर, एल कृष्णास्वामी भारती, पी. कुन्हिरामन, मोसलिकान्ति तिरुमाला राव, वी. मैं मुनिस...

संविधान सभा

स्वतंत्र भारत के स्वरूप की रूपरेखा निर्धारित करने के लिए गठित सभा को संविधान सभा कहा जाता है. भारत में संविधान सभा की माँग एक प्रकार से राष्ट्रीय स्वतंत्रता की माँग का प्रतिफल थी, क्योंकि स्वतंत्रता की माँग में अन्तर्निहित था कि भारत के लोग स्वयं अपने राजनीतिक भविष्य का निर्माण करें. संविधान सभा की प्रथम अभिव्यक्ति तिलक के निर्देशन में तैयार 1895 के स्वराज विधेयक से हुई. 20वीं सदी में इस विचार की स्पष्ट अभिव्यक्ति महात्मा गाँधी द्वारा 1922 में की गई जब उन्होंने कहा कि “भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छा की अभिव्यक्ति होना चाहिए.” आगे इस विचार की अभिव्यक्ति मोती लाल नेहरु द्वारा 1924 में ब्रिटिश सरकार के सम्मुख रखे प्रस्ताव में हुई. पुनः 1936, 1937, 1938 के कांग्रेस अधिवेशन में संविधान सभा की माँग को दोहराया जाता रहा है. आरम्भ में ब्रिटिश सरकार का भारतीय जनता की संविधान सभा की माँग के प्रति नकारात्मक रुख रहा किन्तु द्वितीय विश्वयुद्ध जनित दबावों से विवश होकर ब्रिटिश सरकार ने सर्वप्रथम 1940 में औपचारिक रूप से स्वीकार किया कि “भारत का संविधान स्वभावतः भारतवासी ही तैयार करेंगे.” ब्रिटिश नीति में इस बदलाव की स्पष्ट अभिव्यक्ति 1942 की ब्रिटिश योजना में हुई जिसमें औपचारिक घोषणा की गई कि युद्धोपरान्त भारत के संविधान निर्माण करने हेतु एक निर्वाचित संविधान सभा का गठन किया जाएगा. किन्तु इस योजना के अन्य बिन्दुओं पर भारतीय नेतृत्व की आपत्ति के कारण यह योजना असफल रही. अंततः मई 1946 की कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत संविधान सभा के गठन पर व्यापक सहमती बनाई जा सकी. मिशन की संस्तुति थी कि वर्तमान स्थितियों में व्यस्क मताधिकार पर आधारित संविधान सभा का गठन असंभव है. अतः प्रांतीय विधानसभाओं के म...