सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन

  1. प्राचीनों में आधुनिक और आधुनिकों में प्राचीन अज्ञेय हर कहीं अजनबी ही रहे
  2. ‘तारसप्तक’ का प्रकाशन किसने और किस समय किया? इसके सम्पादक कौन थे ?
  3. PSEB 12th Class Hindi Book Solutions
  4. UP Board exam सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय
  5. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  6. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का जीवन परिचय
  7. 5. रोज
  8. PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ – PSEB Solutions
  9. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय'
  10. PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ – PSEB Solutions


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प्राचीनों में आधुनिक और आधुनिकों में प्राचीन अज्ञेय हर कहीं अजनबी ही रहे

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’: नाम तो नाम, उपनाम सुबहान अल्लाह! आप कहेंगे कि भला नाम-उपनाम में धरा क्या है? जरा सुनिए: मुंशी प्रेमचंद - एक निहायत ही दबे-ढके, सीधे-सादे शख्स की तस्वीर सामने आती है न? निराला- यह शब्द सुनकर मन में अवधूत जागता है कि नहीं? और वे तमाम नन्दन, कुमार और लाल युक्त नाम, उन्हें सुनकर सच कहिए, मूड कतई सूरदास हुआ जाता है कि नहीं? तो जरा फिर सुनिए – सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’! देखा आपने, इसे सुनने की दो ही प्रतिक्रियाएं होती हैं, या तो आप आस्तीन चढ़ाकर पूछते हैं, क्या कहा? या आप मरी-सी आवाज में एक गिलास ठण्डे पानी की मांग कर बैठते हैं. तो क्या ताज्जुब जो इस नाम ने हिन्दी साहित्य जगत में सबसे ज्यादा उन्मेष, सबसे ज्यादा हीनभावना जगायी है. यहां बतौर सान्त्वना, ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे’ वाला मामला भी नहीं है. यह नहीं कि कहा मनोहर श्याम और एक उजबक सामने ला खड़ा कर दिया. अज्ञेय जब आपके सम्मुख प्रकट होता है तो आप देखते हैं कि उसका व्यक्तित्व भी नाम के अनुरूप गरिमावान है. ऊंचा कद, चौड़ा सीना, फ्रायडवादी याद ताजा कराने वाले घने काले रोयें, यदा-कदा-बहार दाढ़ी, खिलाड़ी सा बदन, शिकारी सी चाल! उस पर तुर्रा यह कि आप इस व्यक्तित्व को किसी भी लिबास में लपेट दीजिए, यह प्रभावप्रद प्रतीत होता है. एक बार नयी दिल्ली में जीन्स-जाकिटधारी और स्कूटर-सवार वात्स्यायन को देखा था और खुदा झूठ न बुलवाये, यह क्षण खास चेतन रहा था. कुल मिलाकर यह व्यक्तित्व ऐसा है कि देखते ही हे-हेतुक विशेषणवादी काव्य आप ही आप फूटता चला जाए. मगर जब यह व्यक्तित्व बोलना शुरू करता है तो दुखद आश्चर्य के साथ, आप दिनकर जी को विदा करके पन्त जी को न्योता देते हैं. भगवान की दी हुई तमाम अक्ख...

‘तारसप्तक’ का प्रकाशन किसने और किस समय किया? इसके सम्पादक कौन थे ?

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PSEB 12th Class Hindi Book Solutions

Punjab State Board Syllabus PSEB 12th Class Hindi Book Solutions Guide Pdf is part of PSEB 12th Class Hindi Guide | Hindi Guide for Class 12 PSEB Hindi Guide for Class 12 PSEB | PSEB 12th Class Hindi Book Solutions प्राचीन काव्य • • • • आधुनिक काव्य • • • • • • • • • • निबन्ध भाग • • • • • • कहानी भाग • • • • एकांकी भाग • • हिन्दी साहित्य का इतिहास • • PSEB 12th Class Hindi Book Vyakaran व्याकरण व्यावहारिक व्याकरण • • • • PSEB 12th Class Hindi Book Rachana रचना-भाग • • • • • PSEB 12th Class Hindi Structure of Question Paper कक्षा – बारहवीं (पंजाब) विषय – हिंदी समय : 3 घंटे पूर्णांक लिखित : 80 नोट – (i) 05 अंक सुंदर लिखाई के लिए निर्धारित किए गए हैं। अक्षरों व शब्दों के सामान्य आकार, अक्षरों की सुस्पष्टता, अक्षरों व शब्दों के बीच की निश्चित दूरी, लिखने में एकसारता व प्रवाहयुक्त लेखन आदि के आधार पर अध्यापक परीक्षार्थी को लिखाई का मूल्यांकन करेगा। • प्रश्न-पत्र में कुल 15 प्रश्न होंगे। • सभी प्रश्न हल करने अनिवार्य होंगे। • प्रश्न-पत्र के छह भाग (क से च तक) होंगे। भाग – क : अति लघूत्तर प्रश्न (वस्तुनिष्ठ प्रश्न) (20 Marks) प्रश्न 1. में (i) से (x) तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जायेंगे। प्रत्येक प्रश्न एक अंक का होगा। ये प्रश्न एक शब्द से एक वाक्य तक के उत्तर वाले अथवा हां/नहीं अथवा रिक्त स्थानों की पूर्ति करो अथवा सही/गलत अथवा बहुवैकल्पिक उत्तरों वाले, किसी भी प्रकार के हो सकते हैं। • (i – iv) तक समास (अव्ययीभाव, तत्पुरुष, बहुब्रीहि तथा द्वंद्व) से संबंधित चार वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जायेंगे। (4 × 1 = 4) • (v – vi) पद परिचय से संबंधित दो वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएंगे। (2 × 1 = 2) ...

UP Board exam सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय

UP Board exam सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय – परिचय – मैंने आहुति बनकर देखा/हिरोशिमा Board UP Board Text book NCERT Subject Sahityik Hindi Class 12th हिन्दी पद्य- सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय / मैंने आहुति बनकर देखा/हिरोशिमा Chapter 10 Categories website Name upboarmaster.com संक्षिप्त परिचय सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय नाम सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जन्म 1911 ई. में कुशीनगर, जिला-देवरिया, उत्तर प्रदेश पिता का नाम पण्डित हीरानन्द शास्त्री शिक्षा पंजाब से मैट्रिक उत्तीर्ण, मद्रास से इण्टर (विज्ञान में) तत्पश्चात् लाहौर से बी.एस.सी. एवं एम.ए. पूर्वार्द्ध (अंग्रेजी से) की परीक्षा उत्तीर्ण की। कृतियाँ काव्य संग्रह-भग्नदूत, चिन्ता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षणभर, बावरा अहेरी, आँगन के द्वार, कितनी नावों में कितनी बारा। कहानी संग्रह विपथगा, परम्परा, कोठरी की बात, शरणार्थी, जयदोल, तेरे प्रतिरूप, अमर वल्लरी। उपन्यास शेखर एक जीवनी (दो भाग), नदी के द्वीप, अपने-अपने अजनबी। निबन्ध रचना सब रंग कुछ राग, आत्मनेपद, लिखि कागद कोरे। डायरी भवन्ती, अन्तरा, शाश्वती। आलोचना हिन्दी साहित्य: एक आधुनिक परिदृश्य त्रिशंकु। उपलब्धियाँ अन्तर्राष्ट्रीय ‘गोल्डन रीथ’ पुरस्कार सहित साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। मृत्यु 1987 ई. जीवन परिचय एवं साहित्यिक उपलब्धियाँ। सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का जन्म 7 मार्च, 1911 को उत्तर । प्रदेश के देवरिया जिले के कुशीनगर में हुआ था। वत्स गोत्रीय सारस्वत ब्राह्मण वंशी इनके पिता पण्डित हीरानन्द शास्त्री पुरातत्त्व अधिकारी थे। पंजाब से मैट्रिक की प्राइवेट परीक्षा पास करने के बाद इन्होंने मद्रास ...

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय'

Q. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का संक्षिप्त जीवन-परिचय प्रस्तुत करते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए। हिन्दी में प्रयोगवाद के प्रवर्तक के रूप में सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, चिरस्मरणीय कवि हैं। उन्होंने जीवन-परिचय अज्ञेय का जन्म मार्च सन् 1911 ई. में पंजाब के करतारपुर नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता हीरानन्द शास्त्री भारत के पुरातत्ववेत्ता थे। इनका बचपन लखनऊ, कश्मीर, बिहार और मद्रास में बीता। इन्होंने लाहौर और मद्रास में शिक्षा ग्रहण की। बी.एससी. तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद अंग्रेजी, हिन्दी तथा संस्कृत का स्वाध्याय से अध्ययन किया। क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में रहने के कारण इन्हें चार वर्ष कारावास में तथा दो वर्ष नजरबन्द रहना पड़ा। इसी बीच इन्होंने दो विवाह किए। कुछ समय तक अमरीका में भारतीय साहित्य और संस्कृत के अध्यापक रहे। ये फिर जोधपुर विश्वविद्यालय में तुलनात्मक साहित्य तथा भाषा अनुशीलन विभाग के निदेशक रहे। अज्ञेय जी ‘सैनिक, विशाल भारत, साप्ताहिक दिनमान, नया प्रतीक’ नामक पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन से भी सम्बद्ध रहे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस साहित्यकार का निधन 4 अप्रैल 1987 ई. को हुआ। रचनाएँ सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी ने गद्य और पद्य दोनों विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई। • इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं :- १. आँगन के पार द्वार, २. अरी ओ करुणा प्रभामय, ३. हरी घास पर क्षण भर, ४. इन्द्र धनु रौंदे हुए से, ५. बाबरा अहेरी, ६. इत्यलम्, ७. कितनी नावों में कितनी बार, ८. चिन्ता, ९. पूर्वा, १०. सुनहरे शैवाल, ११. पहले मैं सन्नाटे बुनता हूं, आदि। • अज्ञेय जी की कृति ‘ कितनी नावों में कितनी बार‘ को 1978 ई. में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इ...

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का जीवन परिचय

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ — सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ को आधुनिक काव्य जगत में ‘ प्रयोगवाद‘के प्रवर्तक एवं प्रसारक के रूप में जाना जाता है | ‘अज्ञेय’ प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रवर्तक है नये युग के पुरोधा है | अधुनातन बोधो के साहित्य – सर्जक है | व्युत्पत्ति ने तो सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ बेमिसाल ही है | उनके जैसा बहु – श्रुत, बहु- अधित, बहु- भाषी – मर्मी, बहु – अभ्यासी, बहु – श्रम साहित्यकार चालीसोत्तर हिंदी साहित्य में ढूंढे से भी नहीं मिलेगा | युगांतकारी, नूतन चेतना संवलित, नव्य साहित्य – धारा के प्रयोग धर्मी , युग – चेतना, अज्ञेय– जैसे विलक्षण प्रतिभा – शक्ति, पैनी – खोजी सूक्ष्म दृष्टि , क्रान्तिकारी एवं विद्रोही भावना, मर्यादावादिता , गत्वरता तथा नित्यनवता की उपासना करने की वृत्ति आज के किसी कवि और लेखक में एक साथ नहीं देखी जा सकती है | अत: इन सब विशिष्टताओ ने अज्ञेय को हिन्दी कहानी का एक विशिष्ट स्तम्भ बना दिया है | हिंदी – साहित्य की विकास – यात्रा में उनके योगदान का महत्व अप्रतिम है | विषय-सूची • • • • • • • • • • • • • • • • • • सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का जीवन परिचय – Sachchidananda Hiranand Vatsyayan ‘Agyeya’ Biography in Hindi नाम सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जन्म 7 मार्च सन् 1911 ई० जन्म – स्थान कसया (कुशीनगर) मृत्यु 4 अप्रैल, 1987 पत्नी का नाम कपिला पिता का नाम पंडित हीरानन्द शास्त्री माता का नाम वयन्ती देवी रचनाएँ आँगन के पार द्वार, विपथगा , नदी के दीप, चिन्ता आदि | अज्ञेय का जीवन परिचय प्रस्तावना— अज्ञेयप्रयोगवादी नूतन काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि है | अज्ञेय दो बहनों के साथ आठ भईयो में ...

5. रोज

4. अज्ञेय के पिता का नाम था . (क) डॉ हीरानंद शास्त्री (ख) दयानंद शास्त्री (ग) डॉ. अभयानंद शास्त्री (घ) डॉ. अच्युतानंद शास्त्री उत्तर- (क) 5. ‘ अज्ञेय’ किस वाद से सम्बन्धित हैं? (क) स्वच्छंदतावाद (ख) प्रयोगवाद (ग) रहस्यवाद (घ) छायावाद उत्तर- (ख) 6. अज्ञेय जी का जन्म किस सन् में हुआ था? (क) 1910 (ख) 1911 (ग) 1912 (घ) 1913 उत्तर- (ख) 7. ‘ रोज’ कहानी की नायिका है (क) मालविका (ख) मालती (ग) मधुमालती (घ) माधवी उत्तर- (ख) 8. अज्ञेय जी ने कितनी उम्र में कविता लिखनी शुरू की थी? (क) दस वर्ष (ख) बारह वर्ष (ग) चौदह वर्ष (घ) अट्ठारह वर्ष उत्तर- (क) 9. मालती के पति का क्या नाम है? (क) रामेश्वर (ख) महेश्वर (ग) नमेश्वर (घ) खगेश्वर उत्तर- (ख) 10. आज लेखक ने मालती को कितने वर्षों बाद देखा? (क) तीन (ख) पाँच (ग) दो (घ) चार उत्तर- (घ) 11. लेखक महेश्वर के घर कितने किमी. पैदल चलकर आया था? (क) अट्ठारह (ख) उन्नीस (ग) बीस (घ) दस उत्तर- (क) 12. मालती के विवाह को कितने वर्ष हो गए थे? (क) दो (ख) तीन (ग) चार (घ) पाँच उत्तर- (क) 13. ‘ तारसप्तक’ का संपादक कौन है? (क) कन्हैयालाल नंदन (ख) धर्मवीर भारती (ग) विद्यानिवास मिश्र (घ) सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘ अज्ञेय उत्तर- (घ) 🔥 सभी Test लगाओ 🔥 Test के लिए All the Best 💐💐 Posted on January 31, 2022 February 1, 2022 Author Bihar Board 12th Math Answer Key 2022: 1 February Math Answer Key जल्दी डाउनलोड करलो – Education Galaxy Bihar Board 12th Math Answer Key 2022 : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति – 12th Math का Answer Key आप सभी को इस पोस्ट में मिलने वाला है | और और हां दोस्तों जैसा कि आप सभी को […] Posted on March 25, 2023 March 25, 2023 Author Class 10th Resul...

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ – PSEB Solutions

Punjab State Board PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Hindi Guide for Class 12 PSEB सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Textbook Questions and Answers (क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दें: प्रश्न 1. ‘साँप’ कविता का उद्देश्य स्पष्ट करें। उत्तर: प्रस्तुत कविता आधुनिक नागरिक सभ्यता पर एक तीखा व्यंग्य है। कवि के अनुसार आज का सभ्य नगर निवासी पूरी तरह आत्म केन्द्रित हो चुका है। स्वार्थपरता उस पर इस सीमा तक हावी हो चुकी है कि उसकी सहज मानवीयता पूरी तरह लुप्त हो गई है। यही नहीं उसे दूसरों को पीड़ित करने और यातना देने में विशेष सुख प्राप्त होने लगा है। प्रश्न 2. ‘साँप’ कविता तथाकथित सभ्य व नगर समाज पर एक करारी चोट है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं ? उत्तर: हम कवि से पूर्णतः सहमत हैं क्योंकि नगर में रहने वाला तथाकथित सभ्य समाज आज इतना स्वार्थी और आत्म केन्द्रित हो गया है कि उसे किसी दुःख दर्द की परवाह ही नहीं। भौतिकवाद और नकली चेहरे का मुखौटा ओढ़े हुए वह भीतर से इतना विषैला हो गया है जितना जंगल में रहने वाला साँप वह दूसरों को उसमें से चोट पहुँचाने में जरा भी नहीं हिचकता। प्रश्न 3. ‘जो पुल बनाएँगे’ कविता में कवि ने प्राचीन प्रतीकों के माध्यम से आज के युग सत्य को प्रकट किया है। स्पष्ट करें। उत्तर: कवि ने प्राचीन प्रतीकों नल-नील, श्रीराम और रावण के प्रतीकों द्वारा आज के इस सत्य का उद्घाटन किया है कि पुल बनाने वाले मजदूरों का नाम नहीं होता, नाम होता है इंजीनियर का। लड़ती सेना है नाम सरदार का होता है। वास्तविक निर्माता इतिहास के पन्नों में मिट कर रह जाता है। इतिहास में उसका कोई उल्लेख नहीं होता। नींव की ईंट की भूमिका को नज़रअंदाज कर दिया जा...

सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय'

Q. सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ का संक्षिप्त जीवन-परिचय प्रस्तुत करते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए। हिन्दी में प्रयोगवाद के प्रवर्तक के रूप में सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’, चिरस्मरणीय कवि हैं। उन्होंने जीवन-परिचय अज्ञेय का जन्म मार्च सन् 1911 ई. में पंजाब के करतारपुर नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता हीरानन्द शास्त्री भारत के पुरातत्ववेत्ता थे। इनका बचपन लखनऊ, कश्मीर, बिहार और मद्रास में बीता। इन्होंने लाहौर और मद्रास में शिक्षा ग्रहण की। बी.एससी. तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद अंग्रेजी, हिन्दी तथा संस्कृत का स्वाध्याय से अध्ययन किया। क्रान्तिकारियों के सम्पर्क में रहने के कारण इन्हें चार वर्ष कारावास में तथा दो वर्ष नजरबन्द रहना पड़ा। इसी बीच इन्होंने दो विवाह किए। कुछ समय तक अमरीका में भारतीय साहित्य और संस्कृत के अध्यापक रहे। ये फिर जोधपुर विश्वविद्यालय में तुलनात्मक साहित्य तथा भाषा अनुशीलन विभाग के निदेशक रहे। अज्ञेय जी ‘सैनिक, विशाल भारत, साप्ताहिक दिनमान, नया प्रतीक’ नामक पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन से भी सम्बद्ध रहे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी इस साहित्यकार का निधन 4 अप्रैल 1987 ई. को हुआ। रचनाएँ सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ जी ने गद्य और पद्य दोनों विधाओं पर अपनी लेखनी चलाई। • इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं :- १. आँगन के पार द्वार, २. अरी ओ करुणा प्रभामय, ३. हरी घास पर क्षण भर, ४. इन्द्र धनु रौंदे हुए से, ५. बाबरा अहेरी, ६. इत्यलम्, ७. कितनी नावों में कितनी बार, ८. चिन्ता, ९. पूर्वा, १०. सुनहरे शैवाल, ११. पहले मैं सन्नाटे बुनता हूं, आदि। • अज्ञेय जी की कृति ‘ कितनी नावों में कितनी बार‘ को 1978 ई. में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इ...

PSEB 12th Class Hindi Solutions Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ – PSEB Solutions

Punjab State Board PSEB Solutions for Class 12 Hindi Chapter 9 सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Hindi Guide for Class 12 PSEB सच्चिदानन्द हीरानन्द, वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ Textbook Questions and Answers (क) लगभग 40 शब्दों में उत्तर दें: प्रश्न 1. ‘साँप’ कविता का उद्देश्य स्पष्ट करें। उत्तर: प्रस्तुत कविता आधुनिक नागरिक सभ्यता पर एक तीखा व्यंग्य है। कवि के अनुसार आज का सभ्य नगर निवासी पूरी तरह आत्म केन्द्रित हो चुका है। स्वार्थपरता उस पर इस सीमा तक हावी हो चुकी है कि उसकी सहज मानवीयता पूरी तरह लुप्त हो गई है। यही नहीं उसे दूसरों को पीड़ित करने और यातना देने में विशेष सुख प्राप्त होने लगा है। प्रश्न 2. ‘साँप’ कविता तथाकथित सभ्य व नगर समाज पर एक करारी चोट है। आप इससे कहाँ तक सहमत हैं ? उत्तर: हम कवि से पूर्णतः सहमत हैं क्योंकि नगर में रहने वाला तथाकथित सभ्य समाज आज इतना स्वार्थी और आत्म केन्द्रित हो गया है कि उसे किसी दुःख दर्द की परवाह ही नहीं। भौतिकवाद और नकली चेहरे का मुखौटा ओढ़े हुए वह भीतर से इतना विषैला हो गया है जितना जंगल में रहने वाला साँप वह दूसरों को उसमें से चोट पहुँचाने में जरा भी नहीं हिचकता। प्रश्न 3. ‘जो पुल बनाएँगे’ कविता में कवि ने प्राचीन प्रतीकों के माध्यम से आज के युग सत्य को प्रकट किया है। स्पष्ट करें। उत्तर: कवि ने प्राचीन प्रतीकों नल-नील, श्रीराम और रावण के प्रतीकों द्वारा आज के इस सत्य का उद्घाटन किया है कि पुल बनाने वाले मजदूरों का नाम नहीं होता, नाम होता है इंजीनियर का। लड़ती सेना है नाम सरदार का होता है। वास्तविक निर्माता इतिहास के पन्नों में मिट कर रह जाता है। इतिहास में उसका कोई उल्लेख नहीं होता। नींव की ईंट की भूमिका को नज़रअंदाज कर दिया जा...