सड़क के सहारे किस प्रतिरूप की बस्ती मिलती है

  1. [Solved] सड़क पर हमें किस ओर चलन�
  2. सड़क परिवहन और राजमार्ग मन्त्रालय
  3. ग्रामीण बस्ती
  4. उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप एवं प्रकार का वर्णन कीजिए।
  5. [Solved] कवि ने आशा के सहारे किस�


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[Solved] सड़क पर हमें किस ओर चलन�

निर्देशः इस गद्य को ध्यान से पढ़ें और नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर देंः कई लोग समझते हैं कि अनुशासन और स्वतंत्रता में विरोध है, किन्तु वास्तव में यह भ्रम है। अनुशासन के द्वारा स्वतंत्रता छिन नहीं जाती, बल्कि दूसरों की स्वतंत्रता की रक्षा होती है। सड़क पर चलने के लिए हम लोग स्वतंत्र हैं, हमें बायीं तरफ से चलना चाहिए किन्तु चाहें तो हम बीच में भी चल सकते हैं। इससे हम अपने ही प्राण संकट में डालते हैं, दूसरों की स्वतंत्रता भी छीनते हैं। विद्यार्थी भारत के भावी निर्माता हैं। उन्हें अनुशासन के गुणों का अभ्यास अभी से करना चाहिए, जिससे वे भारत के सच्चे सपूत कहला सकें। सड़क पर हमें किस ओर चलना चाहिए? सही उत्तर विकल्प4 'सड़क पर हमें बायीं तरफ चलना चाहिए 'है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं। • सड़क पर हमें बायीं तरफ चलना चाहिए। • सन्दर्भ पंक्ति-सड़क पर चलने के लिए हम लोग स्वतंत्र हैं, हमें बायीं तरफ से चलना चाहिए किन्तु चाहें तो हम बीच में भी चल सकते हैं। इससे हम अपने ही प्राण संकट में डालते हैं, दूसरों की स्वतंत्रता भी छीनते हैं। Additional Information गद्यांशका सार-इस गद्यांश में अनुशासन के महत्व को रेखांकित किया गया है।​अनुशासन व्यक्ति को अपनी स्वतंत्रा को सही रूप में प्रयोग करने की समझ देता है।​

सड़क परिवहन और राजमार्ग मन्त्रालय

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय यमुना द्रुतगामीमार्ग मंत्रालय अवलोकन अधिकारक्षेत्रा मुख्यालय परिवहन भवन 1, संसद मार्ग नई दिल्ली 28°37′9.58″N 77°12′37.29″E / 28.6193278°N 77.2103583°E / 28.6193278; 77.2103583 वार्षिक बजट ५२,१८९ करोड़ (२०१४-१५) उत्तरदायी मंत्रीगण नितिन गडकरी, परिवहन मंत्री श्री कृष्ण पाल, परिवहन राज्य मंत्री चाइल्ड संस्था सड़क विभाग परिवहन विभाग वेबसाइट .nic .in सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, अनुक्रम • 1 इतिहास • 1.1 निर्माण • 1.2 सरकार द्वारा विभाग को आवंटित कार्य • 1.3 अगले कुछ वर्षों का परिवर्तन • 2 संगठनात्मक व्यवस्था [3] • 2.1 संस्थाए • 2.2 क्षेत्रीय कार्यालय • 2.3 सड़क विभाग [4] • 2.4 परिवहन विभाग • 3 मंत्रालय के अधिनियम • 4 सांख्यिकी • 5 सरकार की पहल • 6 सन्दर्भ इतिहास [ ] निर्माण [ ] जुलाई १९४२ में संचार विभाग को दो भागों में विभाजित किया गया था • डाक विभाग • युद्ध के परिवहन विभाग सरकार द्वारा विभाग को आवंटित कार्य [ ] युद्ध के परिवहन विभाग को आवंटित कार्यों में प्रमुख बंदरगाहों, रेलवे प्राथमिकताओं, सड़क और जल परिवहन, पेट्रोल राशन और प्रोड्यूसर गैस के उपयोग शामिल हैं। मोटे तौर पर देखा जाए तो युद्ध के परिवहन विभाग का कार्य-युद्ध के समय में परिवहन के लिए जहाजों की मांग, तटीय शिपिंग का प्रशासन और प्रमुख बंदरगाहों का विकास था। बाद में, निर्यात की योजना बनाना परिवहन विभाग की प्राथमिकताओ में शामिल किया गया। अगले कुछ वर्षों का परिवर्तन [ ] • १९५७ -युद्ध के परिवहन विभाग को परिवहन एवं संचार मंत्रालय नामित किया गया था और परिवहन विभाग इसके तहत रखा गया था। • १९६६ -२५ जनवरी १९६६ को राष्ट्रपति के आदेश के तहत परिवहन, जहाजरानी एवं पर्यटन विभाग, परिवहन और विमानन...

ग्रामीण बस्ती

विषय सूची • 1 ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप • 1.1 विन्यास के आधार पर • 1.2 कार्य के आधार पर • 1.3 बस्तियों की आकृति के आधार पर • 2 ग्रामीण बस्तियों की समस्याएँ • 3 ग्रामीण बस्तियों के प्रकार • 3.1 गुच्छित बस्तियाँ • 3.2 अर्ध-गुच्छित बस्तियाँ • 3.3 पल्ली बस्तियाँ • 3.4 परिक्षिप्त बस्तियाँ • 4 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 5 बाहरी कड़ियाँ • 6 संबंधित लेख ग्रामीण बस्तियों का प्रतिरूप यह दर्शाता है कि मकानों की स्थिति किस प्रकार एक दूसरे से संबंधित है। गाँव की आकृति एवं प्रसार को प्रभावित करने वाले कारकों में गाँव की स्थिति, समीपवर्ती स्थलाकृति एवं क्षेत्र का भूभाग प्रमुख स्थान रखते हैं। ग्रामीण बस्तियों का वर्गीकरण कई मापदंडों के आधार पर किया जा सकता है - विन्यास के आधार पर • इनके मुख्य प्रकार हैं- • मैदानी ग्राम, • पठारी ग्राम, • तटीय ग्राम, • वन ग्राम • मरुस्थलीय ग्राम। कार्य के आधार पर • इसमें कृषि ग्राम, मछुवारों के ग्राम, लकड़हारों के ग्राम, पशुपालक ग्राम आदि आते हैं- बस्तियों की आकृति के आधार पर • इसमें कई प्रकार की ज्यामितिक आकृतियाँ हो सकती हैं जैसे कि रेखीय, आयताकार, वृत्ताकार, तारे के आकार की, 'टी' के आकार की, चौक पट्टी, दोहरे ग्राम इत्यादि। रैखिक प्रतिरूप उस प्रकार की बस्तियों में मकान सड़कों, रेल लाइनों, नदियों, नहरों, घाटी के किनारे अथवा तटबंधों पर स्थित होते हैं। आयताकार प्रतिरूप ग्रामीण बस्तियों का यह प्रतिरूप समतल क्षेत्रों अथवा चौड़ी अंतरा पर्वतीय घाटियों में पाया जाता है। इसमें सड़कें आयताकार होती हैं जो एक दूसरे को समकोण पर काटती हैं। वृत्ताकार प्रतिरूप इस प्रकार के गाँव झीलों व तालाबों आदि क्षेत्रों के चारों ओर बस्ती बस जाने से विकसित होते हैं। कभी-कभी ग्राम को ...

उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप एवं प्रकार का वर्णन कीजिए।

आप पढ़ोगे • 1 उत्तर की संरचनाः • 2 उत्तर • 2.1 भूमिकाः • 2.2 मुख्य भागः उत्तर की संरचनाः भूमिका • संक्षेप में ग्रामीण बस्तियों को स्पष्ट करें। मुख्य भाग • ग्रामीण बस्तियों के प्रकार बताएं। • ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप बताएं उत्तर भूमिकाः ग्रामीण बस्तियाँ छोटे तथा मध्यम आकार की बस्ती होती है जिसके निवासी मुख्यतः कृषि, पशुपालन इत्यादि प्राथमिक कार्यों में संलग्न होते हैं। ग्रामीण बस्तियों के कई सांस्कृतिक, प्राकृतिक और स्थानिक अभिलक्षण होते हैं। विभिन्न आर्थिक, सामाजिक, जातीय, ऐतिहासिक तथा राजनीतिक कारणों से ग्रामीण बस्तियों के प्रतिरूप व प्रकार में भिन्नता पायी जाती है। मुख्य भागः ग्रामीण बस्तियों के प्रकार का निर्धारण मकानों की संख्या और उनके बीच पारस्परिक दूरी के आधार पर किया जाता है। मुख्य रूप से ग्रामीण बस्तियों के तीन प्रकार हैं • संहत/न्यष्टित बस्तिया (Compact/Nucleated settlements): इसमें मकान एक-दूसरे के समीप होते हैं।उत्तर प्रदेश के मध्यवर्ती मैदानी क्षेत्र में समतल एवं उपजाऊ मिट्टी की उपलब्धता, भूमि का अपखण्डन एवं स्वामित्व, वंश-संबंध, कृषि कार्यों में अधिकता इत्यादि के कारण सघन बस्तियाँ विकसित हुई हैं। • प्रकीर्ण एकाकी बस्तियों (Scattered/Isolated settlement): इस प्रकार की बस्तियों में मकान एक-दूसरे से दूरस्थ स्थित होते हैं। प्रायः कृषि भूमि मकानों के बीच स्थित होती है। उत्तर प्रदेश में जाति प्रथा, भूमि-सुधार, पशचारण, पर्वतीय उच्चावच तथा बाढ़ इत्यादि के कारण एकाकी बस्तियों का विकास हुआ है। • अर्द्ध-संहत बस्तियाँ (Semi-compact settlements): इस प्रकार की बस्तियों में संहत और प्रकीर्ण दोनों प्रकार के मकान पाए जाते हैं। कुछ मकान एक-दूसरे के समीप होते हैं और कुछ एका...

[Solved] कवि ने आशा के सहारे किस�

दिए गए पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए। बीती नहीं यद्यपि अभी तक है निराशा की निशा- है किन्तु आशा भी कि होगी दीप्त फिर प्राची दिशा। महिमा तुम्हारी ही जगत में धन्य आशे! धन्य है, देखा नहीं कोई कहीं अवलम्ब तुम सा धन्य है। आगे तुम्हारे ही भरोसे जी रहे हैं हम सभी, सब कुछ गया पर हाय रे! तुमको न छोड़ेंगे कभी। आगे तुम्हारे ही सहारे टिक रही हैं यह मही, धोखा न दीजो अंत में, विनती हमारी है यही। कवि ने आशा के सहारे किसका अस्तित्वबने रहने की बात की है? कवि ने आशा के सहारे 'धरती' के अस्तित्व के बने रहने की बात की है| Key Points पद्यांश के अनुसार:- • आगे तुम्हारे ही सहारे टिक रही हैं यह मही, धोखा न दीजो अंत में, विनती हमारी है यही। • मही का अर्थ:- पृथ्वी Additional Information मनुष्यता:- • मनुष्य + ता =मनुष्यता • 'मनुष्य' मूल शब्द और 'ता' प्रत्यय • अर्थ:मनुष्य होने की अवस्था, आदमीपन, इनसानियत। • विलोम शब्द- 'पशुता' विश्वास:- • अर्थ:ऐतबार, यकीन , भरोसा, अक़ीदा, आश्वास, आस्था • विलोम शब्द- 'अ विश्वास' महिमा:- • अर्थ:महत्ता, गौरव, बड़ाई, प्रताप, महत्त्व। • विलोम शब्द- 'लघिमा' ​ धरती:- • अर्थ:मही , भू , भूमि, धरा,पृथ्वी, उर्वी, इला, अचला, अवनि ।