सदल मिश्र की रचना है

  1. सृजन से राष्ट्र प्रेम की अलख : The Dainik Tribune
  2. सदल मिश्र
  3. हिंदी गद्य का विकास : HindiPrem.com
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सृजन से राष्ट्र प्रेम की अलख : The Dainik Tribune

सुशील कुमार फुल्ल भारत में समय-समय पर अनेक ऐसी विभूतियों ने जन्म लिया है, जिन्होंने तन-मन-धन से अपने देश की स्वतंत्रता, सामाजिक उत्थान एवं सर्वजन कल्याण के लिए अपना योगदान दिया है। ऐसा ही एक गौरवपूर्ण नाम है कन्हैया लाल मिश्र का, जिनका जन्म तो एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ परन्तु जिन्होंने स्वाध्याय और अपनी इच्छा शक्ति के बल पर न केवल स्वतंत्रता संग्राम में अपितु देश भक्ित, देश-प्रेम की अलख जगाने में विशेष ख्याति अर्जित की। उन्होंने पत्रकारिता में प्रखरता से अपने राष्ट्रीय विचारों को अभिव्यक्त किया और साहित्य के माध्यम से अपना संदेश लाखों-लाखों पाठकों तक पहुंचाया। बाल-साहित्य की रचना करके उन्होंने नैतिकता एवं श्रम की सफलता का जय घोष किया। डॉ. अश्वनी शांडिल्य ने अपनी शोधपरक पुस्तक ‘राष्ट्रीय चेतना के उन्नायक : कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर’ में मिश्र के आदर्श जीवन को बहुत ही रोचक एवं व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया है। पुस्तक सात अध्यायों में विभक्त है, जो इस प्रकार हैं : कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन एवं व्यक्तित्व, राष्ट्र एवं राष्ट्रीय चेतना सम्बन्धी अवधारणाएं, निबन्ध साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, संस्मरण और रेखा चित्र साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, रिपोर्ताज साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, लघु-कथा जीवनी व बाल-साहित्य में राष्ट्रीय चेतना। अभिप्रायः यह कि डाॅ. शांडिल्य ने मिश्र के समग्र साहित्य का वैज्ञानिक ढंग से आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है, जो हर वर्ग के पाठकों के लिए उपयोगी, प्रेरणाप्रद है और विशेषकर आज की विकट परिस्थितियों में और भी अधिक प्रासंगिक हैं। विद्वान लेखक ने मिश्र के साहित्य का आह्वान करते हुए उनके मौलिक योगदान को रेखांकित भी किया है यथा रिपोर्ताज लेखन मे...

सदल मिश्र

पूरा नाम सदल मिश्र जन्म लगभग 1767-1768 ई. जन्म भूमि मृत्यु 1847-1848 ई. मृत्यु स्थान अभिभावक नन्दमणि मिश्र कर्म-क्षेत्र अध्यापक, गद्य लेखक मुख्य रचनाएँ नासिकेतोपाख्यान या चन्द्रावती (1803 ई.), रामचरित (1806 ई.), फूलन्ह के बिछाने, सोनम के थम्भ, चहुँदिसि, बरते थे, बाजने लगा, काँदती है (रोने के अर्थ में), गाँछों (वृक्ष के अर्थ में) भाषा अन्य जानकारी इन्हें भी देखें सदल मिश्र (जन्म- 1767-1768 ई., जीवन परिचय सदल मिश्र बिहार प्रान्त के कृतियाँ सदल मिश्र की दो गद्य कृतियाँ प्रसिद्ध हैं- • 'नासिकेतोपाख्यान' या 'चन्द्रावती' (1803 ई.) • 'रामचरित' (1806 ई.) 'नासिकेतोपाख्यान' और 'रामचरित' 'नासिकेतोपाख्यान', ' विशेष महत्त्व सदल मिश्र का प्रारम्भिक खड़ी बोली गद्य लेखकों में विशेष महत्त्व है। • 'फूलन्ह के बिछाने', 'सोनम के थम्भ', 'चहुँदिसि', आदि प्रयोग • 'बरते थे', 'बाजने लगा', 'मतारी', 'जौन' आदि प्रयोग पूरबी बोली के हैं। • इसी प्रकार 'काँदती है', खड़ी बोली के आग्रह और ब्रजभाषा के संस्कार के कारण कहीं-कहीं पर शब्दों का एक नया रूप ढल गया है। 'आवते', 'जावते', 'पुरावते' आदि शब्द इसी प्रकार के हैं। इन्होंने 'और' के लिए प्राय: 'वो' का प्रयोग किया है। इनमें मृत्यु सदल मिश्र जी की मृत्यु लगभग सन् 1847 से 1848 ई. में हुई थी। पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · ·...

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हिंदी गद्य का विकास क्रम (काल विभाजन) : • पूर्व भारतेंदु युग (हिन्दी गद्य साहित्य का प्रारंभिक काल) – 13वीं शताब्दी के मध्य से 1868 ई. तक • भारतेंदु युग (पुनर्जागरण काल) – 1868 ई. – 1900 ई. • द्विवेदी युग – 1900 से 1922 ई. • शुक्ल युग (छायावादी युग) – 1919 – 1938 ई. • शुक्लोत्तर युग (छायावादोत्तर युग) – 1938 ई. से वर्तमान हिन्दी की बोलियाँ – हिंदी गद्य का विकास • पूर्वी हिन्दी – अवधी, वघेली, छत्तीसगढ़ी • पश्चिमी हिन्दी – खड़ोबोली, बुन्देली, ब्रजभाषा, हरियाणवी (बाँगरू) • बिहारी हिन्दी – भोजपुरी, मैथिली, मगही • राजस्थानी हिन्दी – मालवी, मेवाती, मारवाड़ी, जयपुरी • पहाड़ी हिन्दी – गढ़वाली, कुमाऊँनी प्रमुख रचनाएं – हिंदी गद्य का विकास खड़ीबोली हिन्दी की प्रथम रचना – गोरा बादल की कथा (जटमल) हिन्दी का प्रथम नाटक – नहुष (गोपालचंद्र गिरिधर दास) हिन्दी का प्रथम उपन्यास – परीक्षा गुरु (लाला श्रीनिवास दत्त) हिंदी की प्रथम कहानी – इन्दुमती (किशोरीलाल गोस्वामी) हिन्दी का प्रथम यात्रावृत्तांत – सरयू पार की यात्रा (भारतेन्दु हरिश्चंद्र) हिन्दी गद्य की विधाएं – हिंदी गद्य का विकास कहानी, निबन्ध, उपन्यास, जीवनी, नाटक, एकांकी, आत्मकथा, आलोचना, यात्रावृत्त, संस्मरण, रेखाचित्र, पत्र, डायरी, पिरोर्ताज, गद्यकाव्य/गद्यगीत, भेंटवार्ता/साक्षात्कार। भारतेंदु युग के पत्र व पत्रिकाएं– पत्र/पत्रिका सम्पादक कवि-वचन-सुधा भारतेन्दु हरिश्चंद्र हरिश्चंद्र मैगजीन भारतेंदु हरिश्चंद्र हिन्दी प्रदीप बालकृष्ण भट्ट ब्राह्मण प्रतापनारायण मिश्र आनन्द कादम्बिनी बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' द्विवेदी युग के पत्र व पत्रिकाएं– पत्र/पत्रिकाएं सम्पादक सरस्वती महावीर प्रसाद द्विवेदी सुदर्शन देवकीनंदन खत्री, माधवप्रसाद मिश्र ...

सृजन से राष्ट्र प्रेम की अलख : The Dainik Tribune

सुशील कुमार फुल्ल भारत में समय-समय पर अनेक ऐसी विभूतियों ने जन्म लिया है, जिन्होंने तन-मन-धन से अपने देश की स्वतंत्रता, सामाजिक उत्थान एवं सर्वजन कल्याण के लिए अपना योगदान दिया है। ऐसा ही एक गौरवपूर्ण नाम है कन्हैया लाल मिश्र का, जिनका जन्म तो एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ परन्तु जिन्होंने स्वाध्याय और अपनी इच्छा शक्ति के बल पर न केवल स्वतंत्रता संग्राम में अपितु देश भक्ित, देश-प्रेम की अलख जगाने में विशेष ख्याति अर्जित की। उन्होंने पत्रकारिता में प्रखरता से अपने राष्ट्रीय विचारों को अभिव्यक्त किया और साहित्य के माध्यम से अपना संदेश लाखों-लाखों पाठकों तक पहुंचाया। बाल-साहित्य की रचना करके उन्होंने नैतिकता एवं श्रम की सफलता का जय घोष किया। डॉ. अश्वनी शांडिल्य ने अपनी शोधपरक पुस्तक ‘राष्ट्रीय चेतना के उन्नायक : कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर’ में मिश्र के आदर्श जीवन को बहुत ही रोचक एवं व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया है। पुस्तक सात अध्यायों में विभक्त है, जो इस प्रकार हैं : कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन एवं व्यक्तित्व, राष्ट्र एवं राष्ट्रीय चेतना सम्बन्धी अवधारणाएं, निबन्ध साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, संस्मरण और रेखा चित्र साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, रिपोर्ताज साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, लघु-कथा जीवनी व बाल-साहित्य में राष्ट्रीय चेतना। अभिप्रायः यह कि डाॅ. शांडिल्य ने मिश्र के समग्र साहित्य का वैज्ञानिक ढंग से आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है, जो हर वर्ग के पाठकों के लिए उपयोगी, प्रेरणाप्रद है और विशेषकर आज की विकट परिस्थितियों में और भी अधिक प्रासंगिक हैं। विद्वान लेखक ने मिश्र के साहित्य का आह्वान करते हुए उनके मौलिक योगदान को रेखांकित भी किया है यथा रिपोर्ताज लेखन मे...

सदल मिश्र

पूरा नाम सदल मिश्र जन्म लगभग 1767-1768 ई. जन्म भूमि मृत्यु 1847-1848 ई. मृत्यु स्थान अभिभावक नन्दमणि मिश्र कर्म-क्षेत्र अध्यापक, गद्य लेखक मुख्य रचनाएँ नासिकेतोपाख्यान या चन्द्रावती (1803 ई.), रामचरित (1806 ई.), फूलन्ह के बिछाने, सोनम के थम्भ, चहुँदिसि, बरते थे, बाजने लगा, काँदती है (रोने के अर्थ में), गाँछों (वृक्ष के अर्थ में) भाषा अन्य जानकारी इन्हें भी देखें सदल मिश्र (जन्म- 1767-1768 ई., जीवन परिचय सदल मिश्र बिहार प्रान्त के कृतियाँ सदल मिश्र की दो गद्य कृतियाँ प्रसिद्ध हैं- • 'नासिकेतोपाख्यान' या 'चन्द्रावती' (1803 ई.) • 'रामचरित' (1806 ई.) 'नासिकेतोपाख्यान' और 'रामचरित' 'नासिकेतोपाख्यान', ' विशेष महत्त्व सदल मिश्र का प्रारम्भिक खड़ी बोली गद्य लेखकों में विशेष महत्त्व है। • 'फूलन्ह के बिछाने', 'सोनम के थम्भ', 'चहुँदिसि', आदि प्रयोग • 'बरते थे', 'बाजने लगा', 'मतारी', 'जौन' आदि प्रयोग पूरबी बोली के हैं। • इसी प्रकार 'काँदती है', खड़ी बोली के आग्रह और ब्रजभाषा के संस्कार के कारण कहीं-कहीं पर शब्दों का एक नया रूप ढल गया है। 'आवते', 'जावते', 'पुरावते' आदि शब्द इसी प्रकार के हैं। इन्होंने 'और' के लिए प्राय: 'वो' का प्रयोग किया है। इनमें मृत्यु सदल मिश्र जी की मृत्यु लगभग सन् 1847 से 1848 ई. में हुई थी। पन्ने की प्रगति अवस्था टीका टिप्पणी और संदर्भ · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · · ·...

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हिंदी गद्य का विकास क्रम (काल विभाजन) : • पूर्व भारतेंदु युग (हिन्दी गद्य साहित्य का प्रारंभिक काल) – 13वीं शताब्दी के मध्य से 1868 ई. तक • भारतेंदु युग (पुनर्जागरण काल) – 1868 ई. – 1900 ई. • द्विवेदी युग – 1900 से 1922 ई. • शुक्ल युग (छायावादी युग) – 1919 – 1938 ई. • शुक्लोत्तर युग (छायावादोत्तर युग) – 1938 ई. से वर्तमान हिन्दी की बोलियाँ – हिंदी गद्य का विकास • पूर्वी हिन्दी – अवधी, वघेली, छत्तीसगढ़ी • पश्चिमी हिन्दी – खड़ोबोली, बुन्देली, ब्रजभाषा, हरियाणवी (बाँगरू) • बिहारी हिन्दी – भोजपुरी, मैथिली, मगही • राजस्थानी हिन्दी – मालवी, मेवाती, मारवाड़ी, जयपुरी • पहाड़ी हिन्दी – गढ़वाली, कुमाऊँनी प्रमुख रचनाएं – हिंदी गद्य का विकास खड़ीबोली हिन्दी की प्रथम रचना – गोरा बादल की कथा (जटमल) हिन्दी का प्रथम नाटक – नहुष (गोपालचंद्र गिरिधर दास) हिन्दी का प्रथम उपन्यास – परीक्षा गुरु (लाला श्रीनिवास दत्त) हिंदी की प्रथम कहानी – इन्दुमती (किशोरीलाल गोस्वामी) हिन्दी का प्रथम यात्रावृत्तांत – सरयू पार की यात्रा (भारतेन्दु हरिश्चंद्र) हिन्दी गद्य की विधाएं – हिंदी गद्य का विकास कहानी, निबन्ध, उपन्यास, जीवनी, नाटक, एकांकी, आत्मकथा, आलोचना, यात्रावृत्त, संस्मरण, रेखाचित्र, पत्र, डायरी, पिरोर्ताज, गद्यकाव्य/गद्यगीत, भेंटवार्ता/साक्षात्कार। भारतेंदु युग के पत्र व पत्रिकाएं– पत्र/पत्रिका सम्पादक कवि-वचन-सुधा भारतेन्दु हरिश्चंद्र हरिश्चंद्र मैगजीन भारतेंदु हरिश्चंद्र हिन्दी प्रदीप बालकृष्ण भट्ट ब्राह्मण प्रतापनारायण मिश्र आनन्द कादम्बिनी बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' द्विवेदी युग के पत्र व पत्रिकाएं– पत्र/पत्रिकाएं सम्पादक सरस्वती महावीर प्रसाद द्विवेदी सुदर्शन देवकीनंदन खत्री, माधवप्रसाद मिश्र ...