सहायक संधि की शर्ते लिखिए

  1. सहायक संधि की नीति की महत्त्वपूर्ण विशेषतायें
  2. सहायक संधि
  3. “सब्सिडियरी एलायंस” (सहायक संधि) व्यवस्था की व्याख्या करें।
  4. [Solved] 'सहायक संधि' के अंतर्गत, ईस्ट इंडिया कंपनी न
  5. वेलेजली की सहायक संधि और इस संधि की प्रमुख शर्तें
  6. सहायक संधि
  7. वेलेजली की सहायक संधि और इस संधि की प्रमुख शर्तें
  8. “सब्सिडियरी एलायंस” (सहायक संधि) व्यवस्था की व्याख्या करें।
  9. [Solved] 'सहायक संधि' के अंतर्गत, ईस्ट इंडिया कंपनी न
  10. सहायक संधि की नीति की महत्त्वपूर्ण विशेषतायें


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सहायक संधि की नीति की महत्त्वपूर्ण विशेषतायें

प्रश्न: ब्रिटिश शासन के दौरान सहायक संधि की नीति की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं को सूचीबद्ध कीजिए। इस नीति ने भारत में ब्रिटिश शासन के विस्तार में किस प्रकार सहायता प्रदान की? दृष्टिकोण • सहायक संधि की नीति की संक्षिप्त पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए इसकी महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। • भारत में ब्रिटिश शासन के विस्तार के सन्दर्भ में इस नीति के प्रभाव की चर्चा कीजिए। उत्तर सहायक संधि प्रणाली की शुरुआत 1764 के बक्सर युद्ध के पश्चात हुई थी। इस युद्ध के पश्चात् कंपनी ने विभिन्न राज्यों में रेजिडेंट नियुक्त करना आरम्भ कर दिया और इन राज्यों के प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। इस नीति ने अपना अंतिम स्वरूप 1798 में लॉर्ड वेलेजली के कार्यकाल में ‘अहस्तक्षेप की नीति’ के रूप में ग्रहण किया। अंग्रेजों के साथ इस प्रकार की सहायक संधि करने वाले सभी राज्यों को कुछ नियमों तथा शर्तों को स्वीकार करने हेतु बाध्य होना पड़ा। इन नियम तथा शर्तों में निम्नलिखित प्रावधान सम्मिलित थे: • सहायक संधि करने वाले राज्यों के समक्ष उत्पन्न होने वाले वाह्य तथा आंतरिक खतरों से उनकी रक्षा करने का उत्तरदायित्व अंग्रेज़ों को सौंपा गया था। • सहायक संधि करने वाले राज्यों के क्षेत्र में ब्रिटिश सशस्त्र सैन्य दल की तैनाती की जाती थी। • इस सैन्य दल के रख-रखाव हेतु संसाधनों की उपलब्धता सहायक संधि करने वाले राज्य को सुनिश्चित करनी होती थी। • सहायक सेना के रख-रखाव के लिए देशी राज्यों को नकद राशि का भुगतान करना होता था या अपने क्षेत्र के एक भाग को ब्रिटिश शासन को सौंपना होता था। • सहायक संधि करने वाले राज्य केवल अंग्रेजों की अनुमति के पश्चात् ही अन्य शासकों के साथ समझौता कर सकते थे अथवा युद्ध में सम्म...

सहायक संधि

Table of Contents • • • • • • • Sahayak sandhi in hindi लॉर्ड वेलेजली को सहायक संधि का जनक या जन्मदाता कहा जाता है। हालांकि भारत में सर्वप्रथम सहायक संधि का प्रयोग करने वाला लॉर्ड वेलेजली नहीं है। इससे पूर्व भारत में सर्वप्रथम सहायक संधि का प्रयोग फ़्रांसीसी गवर्नर “डुप्ले”ने दक्षिण भारत में किया था। Q. भारत में सर्वप्रथम सहायक संधि का प्रयोग किसने किया? : डुप्ले लेकिन इस संधि का व्यापक प्रयोग लॉर्ड वेलेजली द्वारा किया गया। इस नीति का उदेश्य देशी रजवाड़ो के साथ संबध बनाकर कंपनी को भारत में “सर्वोच्च शक्ति” के रूप में स्थापित करना था। अर्थात सहायक संधि जिस रूप में जानी जाती हे उसकी विस्तृत व्याख्या सर्वप्रथम वेलेजली ने की। इस प्रकार वेलेजली को ही इस संधि का वास्तविक निर्माता माना जाता है। सहायक संधि स्वीकार करने वाले राज्य स्वीकार करने वाले राज्य कब स्वीकार की निजाम (हैदराबाद) : 1798 ई. मैसूर : 1799 ई. तंजौर : 1799 ई. अवध : 1801 ई. पेशवा : 1802 ई. भोंसले : 1803 ई. सिंधियाँ : 1804 ई. सहायक संधि स्वीकार करने वाला पहला शासक ? भारत में सहायक संधि को स्वीकार करने वाला पहला शासक हैदराबाद का निजाम था। (1798ई.) सहायक संधि की विशेषता > संधि करता देशी राज्य को अंग्रेज़ आंतरिक एवं बाह्य आक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करेंगे। > ब्रिटिश भारतीय राजाओं /नवाबो के आंतरिक शासन में कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे। > संधि कर्ता राज्यों को अपने राज्य में एक अंग्रेजी रेजीडेंट (सैन्य की टुकड़ी) रखना होता था। > सैन्य टुकड़ी का खर्चा देशी रिसायत को ही देना पड़ता था। > संधि कर्ता राज्य कंपनी की स्वीकृति के बिना किसी यूरोपीय या अंग्रेज़ो के शत्रु को अपनी सेवा में नहीं रखेगा। > संधि कर्ता राज्य के वैदेशिक संबध ...

“सब्सिडियरी एलायंस” (सहायक संधि) व्यवस्था की व्याख्या करें।

सहायक संधि का अर्थ-गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेली ने भारत में कंपनी के शासन के विस्तार के उद्देश्य सहायक संधि को अपनाया था। इसे सहायक संधि इसलिए कहा गया कि जो भी भारतीय शासक इस संधि की शर्तों को मानने के लिए तैयार हो जाता था कंपनी उसकी सुरक्षा में पूर्ण सहयोग करने का वायदा करती थी। सहायक संधि की शर्ते- • भारतीय शासकों को अपनी स्वतंत्र सेना रखने की इजाजत नहीं होगी। • जिन शासकों की सुरक्षा का भार कंपनी पर होगा। वे इसके लिए कंपनी को शुल्क प्रदान करेंगे। शुल्क नहीं देने की स्थिति में कंपनी दंड के रूप में शुल्क के बराबर राजस्व वाला क्षेत्र शासक से छीन लेगी। • शासक को अपने दरबार में एक अंग्रेज़ रेजीडेंट रखना होगा जो शासक की गतिविधियों पर नजर रखेगा।

[Solved] 'सहायक संधि' के अंतर्गत, ईस्ट इंडिया कंपनी न

• उनकी स्वतंत्र सशस्त्र सेना है, कंपनी द्वारा सुरक्षा प्राप्त नहीं है, लेकिन फिर भी इसके रखरखाव के लिए भुगतान करते हैं। • अपने स्वतंत्र सशस्त्र बल नहीं हैं, कंपनी द्वारा संरक्षण प्राप्त करता है, इसके रखरखाव की दिशा में कोई भुगतान किए बिना। • उनके पास स्वतंत्र सशस्त्र बल हैं, साथ ही कंपनी द्वारा सुरक्षा प्राप्त करता है और उसके रखरखाव की दिशा में भुगतान करता है। • उनके पास स्वतंत्र सशस्त्र बल नहीं हैं, लेकिन केवल कंपनी द्वारा सुरक्षा प्राप्त करते हैं और इसके रखरखाव की दिशा में भुगतान करते हैं। सही उत्तर विकल्प 1 है, अर्थात् उनके स्वतंत्र सशस्त्र बल हैं, कंपनी द्वारा सुरक्षा प्राप्त नहीं है, लेकिन फिर भी इसके रखरखाव की दिशा में भुगतान करते हैं। Important Points सहायक संधि: • भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना के लिए लॉर्ड वेलेज़ली द्वारा उपयोग की जाने वाली सहायक हस्तक्षेप प्रणाली "गैर-हस्तक्षेप नीति"थी जो गवर्नर-जनरल (1798-1805) थी। • इस प्रणाली के अनुसार, भारत के प्रत्येक शासक को ब्रिटिश सेना के रखरखाव के लिए अंग्रेजों को सब्सिडी देने के लिए स्वीकार करना पड़ता था। • सहायक गठबंधन में, शासक शासकों को किसी भी अन्य शासक के साथ कोई भी बातचीत और संधियाँ करने की अनुमति नहीं थी। • उन्हें स्वतंत्र सशस्त्र बल रखने की भी अनुमति नहीं थी। • उन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा संरक्षित किया जाना था, लेकिन कंपनी को सुरक्षा के लिए बनाए रखने वाली सहायक सेना के लिए भुगतान करना था। यदि भारतीय शासक भुगतान करने में विफल रहे, तो उनके क्षेत्र का हिस्सा दंड के रूप में ले लिया गया। • उदाहरण के लिए, अवध के नवाब (शासक) को 1801 में अपने क्षेत्र का आधा हिस्सा कंपनी को देने के लिए मजबूर किया गया था, ब्रिट...

वेलेजली की सहायक संधि और इस संधि की प्रमुख शर्तें

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सहायक संधि

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वेलेजली की सहायक संधि और इस संधि की प्रमुख शर्तें

सहायक संधि से आप क्या समझते हैं? सहायक संधि की प्रमुख शर्तें क्या रखी गई थीं? संक्षेप में चर्चा करें. उत्तर :- वेलेजली भारतीय राजनीति को अच्छी तरह परख चुका था. वह समझता था कि कॉर्नवालिस और शोर की अहस्तक्षेप की नीति से कंपनी-शासन के हितों की सुरक्षा नहीं हो सकती है. भारतीय राजनीति को कंपनी के अनुकूल बनाने और कंपनी की सीमा में विस्तार करने के लिए हस्तक्षेप और सक्रिय नीति की आवश्यकता है. वेलेजली का मुख्य उद्देश्य था कंपनी को भारत की सर्वोच्च शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित करना तथा फ्रांसीसियों से बढ़ते प्रभाव को समूल नष्ट करना. इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए उसने कुछ शत्रु-राज्यों से युद्ध किया, अनेक राज्यों को जबरदस्ती सहायक संधि स्वीकार करने को बाध्य किया तथा कुछ राज्यों को कुशासन के आधार पर कंपनी के संरक्षण में ले लिया गया. वेलेजली एक महान् साम्राज्यवादी था. कंपनी शासन के विस्तार के लिए उसने जो सबसे सरल और प्रभावशाली अस्त्र व्यवहार में लाया, वह सहायक संधि के नाम से जाना जाता है. इस प्रकार की संधि की व्यवस्था भारत में सर्वप्रथम फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले ने की थी. आवश्यकतानुसार वह भारतीय नरेशों को सैनिक सहायता देता तथा बदले में उनसे घन प्राप्त करता. बाद में क्लाईव एवं कॉर्नवालिस ने भी इसका सहारा लिया, परंतु इस व्यवस्था को सुनिश्चित एवं व्यापक स्वरूप प्रदान करने का श्रेय वेलेजली को ही है. सहायक संधि की प्रमुख शर्तें निम्नलिखित थीं— • सहायक संधि स्वीकार करनेवाला देशी राज्य अपनी विदेश-नीति को कंपनी के सूपुर्द कर देगा. वह बिना कंपंनी की अनुमति के किसी अन्य राज्य से युद्ध, संधि या मैत्री नहीं कर सकेगा . • देशी राज्य कंपनी की स्वीकृति प्राप्त किए. बिना अँगरेजों के अतिरिक्त किसी अन्य यूर...

“सब्सिडियरी एलायंस” (सहायक संधि) व्यवस्था की व्याख्या करें।

सहायक संधि का अर्थ-गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेली ने भारत में कंपनी के शासन के विस्तार के उद्देश्य सहायक संधि को अपनाया था। इसे सहायक संधि इसलिए कहा गया कि जो भी भारतीय शासक इस संधि की शर्तों को मानने के लिए तैयार हो जाता था कंपनी उसकी सुरक्षा में पूर्ण सहयोग करने का वायदा करती थी। सहायक संधि की शर्ते- • भारतीय शासकों को अपनी स्वतंत्र सेना रखने की इजाजत नहीं होगी। • जिन शासकों की सुरक्षा का भार कंपनी पर होगा। वे इसके लिए कंपनी को शुल्क प्रदान करेंगे। शुल्क नहीं देने की स्थिति में कंपनी दंड के रूप में शुल्क के बराबर राजस्व वाला क्षेत्र शासक से छीन लेगी। • शासक को अपने दरबार में एक अंग्रेज़ रेजीडेंट रखना होगा जो शासक की गतिविधियों पर नजर रखेगा।

[Solved] 'सहायक संधि' के अंतर्गत, ईस्ट इंडिया कंपनी न

• उनकी स्वतंत्र सशस्त्र सेना है, कंपनी द्वारा सुरक्षा प्राप्त नहीं है, लेकिन फिर भी इसके रखरखाव के लिए भुगतान करते हैं। • अपने स्वतंत्र सशस्त्र बल नहीं हैं, कंपनी द्वारा संरक्षण प्राप्त करता है, इसके रखरखाव की दिशा में कोई भुगतान किए बिना। • उनके पास स्वतंत्र सशस्त्र बल हैं, साथ ही कंपनी द्वारा सुरक्षा प्राप्त करता है और उसके रखरखाव की दिशा में भुगतान करता है। • उनके पास स्वतंत्र सशस्त्र बल नहीं हैं, लेकिन केवल कंपनी द्वारा सुरक्षा प्राप्त करते हैं और इसके रखरखाव की दिशा में भुगतान करते हैं। सही उत्तर विकल्प 1 है, अर्थात् उनके स्वतंत्र सशस्त्र बल हैं, कंपनी द्वारा सुरक्षा प्राप्त नहीं है, लेकिन फिर भी इसके रखरखाव की दिशा में भुगतान करते हैं। Important Points सहायक संधि: • भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना के लिए लॉर्ड वेलेज़ली द्वारा उपयोग की जाने वाली सहायक हस्तक्षेप प्रणाली "गैर-हस्तक्षेप नीति"थी जो गवर्नर-जनरल (1798-1805) थी। • इस प्रणाली के अनुसार, भारत के प्रत्येक शासक को ब्रिटिश सेना के रखरखाव के लिए अंग्रेजों को सब्सिडी देने के लिए स्वीकार करना पड़ता था। • सहायक गठबंधन में, शासक शासकों को किसी भी अन्य शासक के साथ कोई भी बातचीत और संधियाँ करने की अनुमति नहीं थी। • उन्हें स्वतंत्र सशस्त्र बल रखने की भी अनुमति नहीं थी। • उन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा संरक्षित किया जाना था, लेकिन कंपनी को सुरक्षा के लिए बनाए रखने वाली सहायक सेना के लिए भुगतान करना था। यदि भारतीय शासक भुगतान करने में विफल रहे, तो उनके क्षेत्र का हिस्सा दंड के रूप में ले लिया गया। • उदाहरण के लिए, अवध के नवाब (शासक) को 1801 में अपने क्षेत्र का आधा हिस्सा कंपनी को देने के लिए मजबूर किया गया था, ब्रिट...

सहायक संधि की नीति की महत्त्वपूर्ण विशेषतायें

प्रश्न: ब्रिटिश शासन के दौरान सहायक संधि की नीति की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं को सूचीबद्ध कीजिए। इस नीति ने भारत में ब्रिटिश शासन के विस्तार में किस प्रकार सहायता प्रदान की? दृष्टिकोण • सहायक संधि की नीति की संक्षिप्त पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए इसकी महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। • भारत में ब्रिटिश शासन के विस्तार के सन्दर्भ में इस नीति के प्रभाव की चर्चा कीजिए। उत्तर सहायक संधि प्रणाली की शुरुआत 1764 के बक्सर युद्ध के पश्चात हुई थी। इस युद्ध के पश्चात् कंपनी ने विभिन्न राज्यों में रेजिडेंट नियुक्त करना आरम्भ कर दिया और इन राज्यों के प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। इस नीति ने अपना अंतिम स्वरूप 1798 में लॉर्ड वेलेजली के कार्यकाल में ‘अहस्तक्षेप की नीति’ के रूप में ग्रहण किया। अंग्रेजों के साथ इस प्रकार की सहायक संधि करने वाले सभी राज्यों को कुछ नियमों तथा शर्तों को स्वीकार करने हेतु बाध्य होना पड़ा। इन नियम तथा शर्तों में निम्नलिखित प्रावधान सम्मिलित थे: • सहायक संधि करने वाले राज्यों के समक्ष उत्पन्न होने वाले वाह्य तथा आंतरिक खतरों से उनकी रक्षा करने का उत्तरदायित्व अंग्रेज़ों को सौंपा गया था। • सहायक संधि करने वाले राज्यों के क्षेत्र में ब्रिटिश सशस्त्र सैन्य दल की तैनाती की जाती थी। • इस सैन्य दल के रख-रखाव हेतु संसाधनों की उपलब्धता सहायक संधि करने वाले राज्य को सुनिश्चित करनी होती थी। • सहायक सेना के रख-रखाव के लिए देशी राज्यों को नकद राशि का भुगतान करना होता था या अपने क्षेत्र के एक भाग को ब्रिटिश शासन को सौंपना होता था। • सहायक संधि करने वाले राज्य केवल अंग्रेजों की अनुमति के पश्चात् ही अन्य शासकों के साथ समझौता कर सकते थे अथवा युद्ध में सम्म...