Shakti gunank se aap kya samajhte hain

  1. औद्योगिक क्रांति से क्या आशय है?
  2. व्यक्तित्व (व्यक्तित्व का विकास, अर्थ और परिभाषा)
  3. शक्ति गुणांक से आप क्या समझते हैं? Shakti gunank se aap kya samajhte hain?
  4. सहसंबंध का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उपयोगिता और महत्व
  5. पत्र लेखन क्या है? Patra Lekhan Kya Hai


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औद्योगिक क्रांति से क्या आशय है?

आज के समय में लगभग सभी वस्तुएं मशीनों से बनाई जाती हैं। एक समय था जब लोग हाथों से वस्तुओं का निर्माण करते थे और उसी वस्तुओं का प्रयोग करते थे। परंतु अब ऐसा समय आ चुका है जहां सभी निर्माण मशीनों द्वारा किए जाते हैं और इसे ही औद्योगिक क्रांति कहा गया है। कई लोग ऐसे हैं जिन्हें औद्योगिक क्रांति से संबंधित जानकारियां नहीं है और लोग इसका अर्थ नहीं समझ पाते। इसलिए आज के इस लेख में हम बताएंगे कि औद्योगिक क्रांति से क्या आशय है? यदि आप भी औद्योगिक क्रांति से संबंधित जानकारियां पाना चाहते हैं तो कृपया लेख को पूरा पढ़ें। औद्योगिक क्रांति से क्या आशय है? औद्योगिक क्रांति का आशय ऐसी वस्तुओं से है जो हाथों द्वारा नहीं बल्कि मशीनों के द्वारा बनाई जाती हैं। इसे औद्योगिक क्रांति इसलिए कहा जाता है क्योंकि हाथों के द्वारा बनाई गई वस्तुओं के स्थान पर आधुनिक मशीनों से बनाई जा रही वस्तुओं की व्यापकता बढ़ गई है। औद्योगिक क्रांति यह प्रारंभ का कोई निश्चित समय नहीं है पुलिस टॉप हालांकि लोगों द्वारा बताया जाता है कि 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड में कुछ नए अविष्कार किए गए जिससे ही औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई। औद्योगिक क्रांति एक ऐसी प्रक्रिया है जो आधुनिक समय में भी चल रही है क्योंकि आधुनिक समय में भी कुछ रह गए मशीनों का आविष्कार होता है जो हमारी दैनिक जीवन को आसान बनाती है। 16वीं और 17वीं शताब्दी में यूरोप के कई देशों ने मिलकर अन्य महाद्वीपों को अपने बस में कर लिया था और उसी महाद्वीपों से वहां व्यापार किए जाने लगे। इस सदी में यूरोप में इंग्लैंड ने अपना वर्चस्व फ्रांस के ऊपर जमा लिया था। जहां पर इंग्लैंड और फ्रांस व्यापार करके काफी मुनाफा कमा रहे थे। सन 1730 से इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति का प्र...

व्यक्तित्व (व्यक्तित्व का विकास, अर्थ और परिभाषा)

विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • व्यक्तित्व (Personality) मनोविज्ञान के क्षेत्र में विकास के कारण व्यक्तित्व की पुरानी विचार को बदल दिया गया है। अब व्यक्ति का आधार क्या होना चाहिए, यह प्रश्न मनोवैज्ञानिकों के लिए एक जटिल समस्या बन गई थी। उन्होंने इसके सुधार के लिए विभिन्न व्यक्ति को अध्ययन किया और उनके विभिन्न रूपों और दृष्टिकोण को देखते हुए व्यक्तित्व की पुरानी विचार को खत्म कर नए विचार स्थापित किया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्तित्व परिभाषा प्रोफेसर गौरिसन, प्रोफेसर कार्ल सी. और अन्य महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक प्रोफेसरों ने कहा है कि “व्यक्तित्व संपूर्ण मनुष्य है उसकी स्वभाविक अभिरुचि तथा क्षमता और उसके भूतकाल में अर्जित किए गए ज्ञान, इन कारकों का संगठन तथा समन्वय प्रतिमान, आदर्श, मूल्यों तथा अपेक्षाओं की विशेषता से पूर्ण होता है।” “Personality is a complete human being characterized by his natural aptitudes and abilities and knowledge acquired in the past, the organization and coordination of these factors, characterized by norms, ideals, values and expectations.” व्यक्तित्व का कोई स्थाई विचार नहीं होता है, समय समय पर लोगों का व्यक्तित्व बदलता रहता है। असल में व्यक्तित्व का स्वरूप वैसा होता है जैसे कि कोई व्यक्ति किसी वातावरण के अनुकूल खुद को ढालने की प्रक्रिया होती है। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि यदि किसी व्यक्ति का व्यक्तित्व पूरी तरह से उसके वातावरण पर निर्भर करता है तो उसका व्यक्तित्व भी अच्छा हो सकता है। जब उसके आसपास का वातावरण अनुकूल और अच्छा हो। अलग-अलग लोगों का व्यक्तित्व भी अलग होता है, क्योंकि जिस वातावरण में वे रहते हैं, वह भी अलग होता है। जि...

शक्ति गुणांक से आप क्या समझते हैं? Shakti gunank se aap kya samajhte hain?

सवाल: शक्ति गुणांक से आप क्या समझते हैं? प्रत्यावर्ती धारा विद्युत शक्ति पर काम कर रहे किसी भी Load के द्वारा ली गई वास्तविक शक्ति और आभासी शक्ति के अनुपात को शक्ति गुणांक के रूप में जानते हैं। कभी-कभी इसी शक्ति गुणक के नाम से भी जाना जाता है। इसका संख्यात्मक मान 0 और 1 के बीच में होता है। अन्य शब्दों में आप इसे सक्रिय शक्ति का स्पष्ट शक्ति पर अनुपात के रूप में भी समझ सकते हैं।

सहसंबंध का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उपयोगिता और महत्व

सहसंबंध का अर्थ एक दूसरे के सम्बन्ध से है। सुविधा की दृष्टि से ही हमनें एक निश्चित ज्ञान को पृथक-पृथक विषयों में विभाजित कर लिया है। वास्तव में कोई भी विषय अपने आप में पृथक नहीं है। इसी तरह जीव विज्ञान का अध्ययन भी रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान के नियमों के अभाव में सम्भव नहीं है। एक विषय को दूसरे विषय से सम्बन्धित कर पढाने से अधिगम अधिक होता है। ऐसी अपनायी गई शिक्षक प्रक्रिया को सहसंबंध कहते हैं। सहसंबंध का अर्थ सहसंबंध- correlation शब्द की उत्पत्ति co-relation से हुई है जिसका अर्थ है-पारस्परिक सम्बन्ध। सह-सम्बन्ध इस बात का सूचक होता है। दो विशेषताओं के बीच कितना अंतसंबंध है इससे इसकी जानकारी मिलती है। जैसे -किसी व्यक्ति कि दो विषय कि विशेषताओं का परीक्षण द्वारा मापन करना ओर प्रत्येक व्यक्ति के दोनों विषयों के अलग-अलग प्राप्ताकों को तालिका में जोड़ों के रुप में व्यवस्थित करके सांख्यिकीय गणना द्वारा दोनों में सम्बन्ध ज्ञात किया जाता है उसे सह-सम्बन्ध कहते है। सहसंबंध की परिभाषा गिलफोर्ड के अनुसार - “सह-सम्बन्ध गुणांक वह अकेली संख्या है जो यह बताती है कि दो वस्तुएँ किस सीमा तक एक दूसरे से सह-सम्बन्धित है तथा एक के परिवर्तन दूसरे के परिवर्तनों को किस सीमा तक प्रभावित करते है।” डी.एन. श्रीवास्तव के अनुसार - “जब दो चर राशियॉ इस प्रकार सम्बन्धित हो कि एक चर राशि के बढ़ने से दूसरी चर राशि बढ़े या धटे या इसके विपरीत हो तो उन दोनो चर राशियों में सह-सम्बन्ध पाया जाता है।” बेलिस के अनुसार- “सह-सम्बन्ध का अभिप्राय है- आकडों के दो या अधिक विभिन्न समूहो की तुलना जिसके उसके सम्बन्ध को जाना जा सके और उस सम्बन्ध की मात्रा को अंकात्मक रुप में व्यक्त किया जा सके।” • धनात्मक सहसंबंध • ऋणात्...

पत्र लेखन क्या है? Patra Lekhan Kya Hai

पत्र लेखन की परिभाषा | Patra lekhan ki paribhasha Patra Lekhan Hindi Definition | पत्र लेखन का अर्थ - कागज के माध्यम से समाचारो का आदान प्रदान करना ही पत्र लेखन कहलाता है। प्राचीन समय में पत्र लेखन का प्रचलन बहुत अधिक था, फिर चाहे पत्र औपचारिक हो या अनौपचारिक दोनों ही स्तिथी में कागज में लिखे जाने वाले पत्रों का उपयोग किया जाता था। परन्तु आज समय की आधुनिकता के साथ साथ सभी चीज़ो का आधुनिकरण हो रहा है। अब लोग अनौपचारिक पत्रों के लिए मोबाइल, टेलीफ़ोन, टेलीग्राम आदि का इस्तेमाल करने लगे है, लेकिन आज भी औपचारिक पत्र तो कागज के माध्यम से ही पहुंचाए जा रहे है। इसलिए आइये पत्र लेखन क्या है? Patra Lekhan Kya Hai, patra lekhan kise kahate hain, पत्र लेखन किसे कहते हैं इसे विस्तार में समझते है। आज हमारे इतिहास के माध्यम से पता चलता है कि भाषा वैज्ञानिकों का कहना है कि अपने मन की बात को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए हम जिस लिपि का प्रयोग करते थे वह चित्र लिपि होती थी। आज हम भली भांति जानते हैं कि किसी भी तरह के लेखन का इतिहास चित्रलिपि से ही प्रारंभ होता है।चित्र लिपि के अंतर्गत किसी अन्य लिपियों का भी विकास हुआ है जो निम्न है- सूत्र लिपि ,प्रतीकात्मक लिपि, भाग मूलक, ध्वनिमुलक लिपि। चित्र लिपि एवं भाव मूलक लिपि के प्राचीन प्रमाण आज भी हमारे इतिहास में उपलब्ध है परंतु यह अत्यधिक प्राचीन नहीं है लेकिन स्पष्ट है कि विभिन्न खोजकर्ताओं की खोज से लेखन का प्रारंभ चित्र लिपि एवं भाग लिपि से ही हुआ है। Hindi Patra Lekhan | Letter Writing In Hindi हम सभी इस जानते हैं कि पत्र लेखन एक सबसे महत्वपूर्ण एवं उपयोगी कला में से है और हम यह भी जानते हैं कि पत्र के उपयोग के बिना हमारे कार्...