Shani dev ji ki aarti

  1. चालीसा: श्री शनिदेव जी
  2. Shri Shani Dev Ji Ki Aarti Lyrics
  3. Shri Shani Dev Ji Ki Aarti : श्री शनि देव जी आरती
  4. Shri Shani Dev, Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari
  5. Shanidev Chalisa


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चालीसा: श्री शनिदेव जी

Read in English ॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल । दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज । करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ॥ ॥ चौपाई ॥ जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥ चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छबि छाजै ॥ परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥ कुण्डल श्रवण चमाचम चमके । हिय माल मुक्तन मणि दमके ॥ ४॥ कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं अरिहिं संहारा ॥ पिंगल, कृष्णों, छाया नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन ॥ सौरी, मन्द, शनी, दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ॥ जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं । रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं ॥ ८॥ पर्वतहू तृण होई निहारत । तृणहू को पर्वत करि डारत ॥ राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो । कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो ॥ बनहूँ में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चुराई ॥ लखनहिं शक्ति विकल करिडारा । मचिगा दल में हाहाकारा ॥ १२॥ रावण की गतिमति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥ दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका ॥ नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा ॥ हार नौलखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवाय तोरी ॥ १६॥ भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ॥ विनय राग दीपक महं कीन्हयों । तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों ॥ हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी ॥ तैसे नल पर दशा सिरानी । भूंजीमीन कूद गई पानी ॥ २०॥ श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई । पारवती को सती कराई ॥ तनिक विलोकत ही करि रीसा । नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ॥ पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रौपदी होति उघारी ॥ कौरव के भी गति मति मारयो । युद्ध महाभारत करि डारयो ॥ २४॥ ...

Shri Shani Dev Ji Ki Aarti Lyrics

Shri Shani Dev Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi and English Shri Shani Dev Ji Ki Aarti Lyrics Info : Aarti Title : Jai Jai Shri Shanidev Bhaktan Hitakari Shri Shani Dev Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी। सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी।। जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी.. श्याम अंक वक्र दृष्टि चतुर्भुजा धारी। नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी।। जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी.. क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी। मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी।। जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी.. मोदक, मिष्ठान, पान, चढ़त है सुपारी। लोहा, तिल, तेल, उड़द, महिषी अति प्यारी।। जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी.. देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी। विश्वनाथ ध्यान धरत शरण हैं तुम्हारी।। जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी.. Shri Shani Dev Ji Ki Aarti in English Jai Jai Shri Shanidev Bhaktan Hitakari.. Suraj Ke Putra Prabhu Chhaya Mahatari.. Jai Jai Shri Shanidev Bhaktan Hitakari…. Shyam Ank Vakra Drishti Chaturbhuja Dhaari.. Nilambar Dhaar Nath Gaj Ki Asawari.. Jai Jai Shri Shanidev Bhaktan Hitakari…. Kreet Mukut Shish Rajit Dipat Hai Lilari.. Muktan Ki Maala Gale Shobhit Balihari.. Jai Jai Shri Shanidev Bhaktan Hitakari…. Modak, Mishthan, Paan, Chadhat Hai Supari.. Loha, Til, Tel, Udad, Mahishi Ati Pyari.. Jai Jai Shri Shanidev Bhaktan Hitakari…. Dev Danuj Rishi Muni Sumirat Nar Naari.. Vishvanath Dhyan Dharat Sharan Hai Tumhari.. Jai Jai Shri Shanidev Bhaktan Hitakari…. More Song Lyrics : • • • • • • • • • Music Video of Jai Jai Shri Shanidev Bhaktan Hitakari | Male Singer |

Shri Shani Dev Ji Ki Aarti : श्री शनि देव जी आरती

Shri Shani Dev Ji Ki Aarti : श्री शनि देव जी आरती !! जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी, सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी, जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !! !! श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी, नालाम्बर धार नाथ गज की अवसारी, जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !! !! क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी, मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी, जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !! !! मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी, लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी, जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !! !! दे दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी, विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी, जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी !! ॐ शं शनिश्चराय नमः Shri Shani Dev Ji Ki Aarti in English !! Jai Jai Shri Shanidev Bhagatan Hitkari, Suraj Ke Putar Prabhu Chaya Mahtari, Jai Jai Shri Shanidev Bhagatan Hitakari!! !! Shyam Ank Vakr Drasht Chaturbhuja Dhari, Nilambar Dhar Nath Gajj Ki Avsari, Jai Jai Shri Shanidev Bhagatan Hitakari!! !! Keet Mukut Shish Rahat Dipat Hai Lilari, Muktan Ki Mala Gale Shobht Balihari, Jai Jai Shri Shanidev Bhagatan Hitakari!! !! Modak Mishthan Paan Chadhat Hai Supari, Loha Til Tel Udad Mahishi Ati Pyari, Jai Jai Shri Shanidev Bhagatan Hitakari!! !! Dev Danuj Rishi Muni Sumirat Nar Nari, Vishvnath Dhrat Dhyan Sharan Hai Tumhari, Jai Jai Shri Shanidev Bhagatan Hitakari !! Shri Shani Dev Ji Ki Aarti : श्री शनि देव जी आरती 2 चार भुजा ताहि छाजे , गदा हस्त प्यारी || जय || रवि नंदन गज वंदन , यम् अग्रज देवा कष्ट न सो नर पाते , करते तब सेना || जय || तेज अपार तुम्हारा, स्वामी सहा नहीं जावे तुम से विमुख जगत में, सुख न...

Shri Shani Dev, Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari

हिन्दी में पढ़ें Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari । Suraj Ke Putra Prabhu Chaya Mehatari ॥ ॥ Jai Jai Shri Shani..॥ Shyam Ank Vakra Drisht Chaturbhurja Dhari । Nilamber Dhar Nath Gaj Ki Aswari ॥ ॥ Jai Jai Shri Shani..॥ Krit Mukut Sheesh Sahej Dipat Hain Lilari । Muktan Ki Mala Gale Shobhit Balihari ॥ ॥ Jai Jai Shri Shani..॥ Modak Mishtaan Pan Chadhat Hain Supari । Loha, Til, Urad Mahishi Ati Pyari ॥ ॥ Jai Jai Shri Shani..॥ Dev Danuj Rishi Muni Surat Nar Nari । Vishwanath Dharat Dhayan Sharan Hain Tumhari ॥ ॥ Jai Jai Shri Shani..॥

Shanidev Chalisa

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥ परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥ कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिय माल मुक्तन मणि दमके॥ कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥ पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥ सौरी, मन्द, शनी, दश नामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥ जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं। रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥ पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥ राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो। कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥ बनहूँ में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई॥ लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥ रावण की गति-मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥ दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥ नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥ हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥ भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥ विनय राग दीपक महं कीन्हयों। तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥ हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥ तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी-मीन कूद गई पानी॥ श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई। पारवती को सती कराई॥ तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥ पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रौपदी होति उघारी॥ कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥ रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥ शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥ वाहन प्रभु के सात सुजाना। जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥ जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥ गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥ गर्दभ हानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा॥ जम्बुक...

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