Shani pradosh vrat katha

  1. शनि प्रदोष व्रत कथा हिंदी में
  2. दो शनि प्रदोष व्रत कथाएँ (2023)
  3. Shani Trayodashi today: Pradosh Vrat Shiva Puja shubh muhurat, vidhi, mantras, katha and significance
  4. Shani Pradosh Vrat 2021: Puja vidhi, shubh muhurat and katha of this auspicious day
  5. Shani Pradosh 2023: ਕਦੋਂ ਹੋਵੇਗਾ ਸਾਲ ਦਾ ਇਕੋ ਇਕ ਸ਼ਨੀ ਪ੍ਰਦੋਸ਼ ਵ੍ਰਤ, ਜਾਣੋ ਸ਼ੁੱਭ ਯੋਗ ਤੇ ਮਹੂਰਤ
  6. Pradosh Vrat 2022 Katha: आज शनि प्रदोष व्रत के दिन पढ़ें यह कथा, पुत्र प्राप्ति के लिए करते हैं य​ह व्रत
  7. Shani Pradosh Vrat Katha । शनि प्रदोष व्रत कथा


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शनि प्रदोष व्रत कथा हिंदी में

पुरातन कथा है कि एक निर्धन ब्राह्मण की स्त्री दरिद्रता से दुःखी हो शांडिल्य ऋषि के पास जाकर बोली– हे महामुने! मैं अत्यन्त दुःखी हूँ। दुःख निवारण का उपाय बतलाइये। मेरे दोनों पुत्र आपकी शरण में हैं। मेरे ज्येष्ठ पुत्र का नाम इतनी बात सुन ऋषि ने शिव प्रदोष व्रत करने के लिए कहा। तीनों प्राणी शनि प्रदोष व्रत कथा का पाठ करने लगे। कुछ समय पश्चात् प्रदोष व्रत आया, तब तीनों ने व्रत का संकल्प लिया। छोटा लड़का जिसका नाम शुचिव्रत था, एक तालाब पर स्नान करने को गया तो उसे मार्ग में स्वर्ण कलश धन से भरपूर मिला, उसको लेकर वह घर आया, प्रसन्न हो माता से कहा कि माँ! यह धन मार्ग से प्राप्त हुआ है, माता ने धन देखकर राजपुत्र को अपने पास बुलाकर बोली– देखो पुत्र, यह धन हमें शिवजी की कृपा से प्राप्त हुआ है। अतः प्रसाद के रूप में दोनों पुत्र आधा आधा बाँट लो। माता का वचन सुन राजपुत्र ने यह भी पढ़े – एक दिन दोनों भाईयों का प्रदेश भ्रमण का विचार हुआ। वहाँ उन्होंने अनेक गन्धर्व कन्याओं को क्रीड़ा करते हुए देखा। उन्हें देख शुचिव्रत ने कहा– भैया, अब हमें इससे आगे नहीं जाना है। इतना कह शुचिव्रत उसी स्थान पर बैठ गया। परन्तु राजपुत्र अकेला ही स्त्रियों के बीच में जा पहुँचा। वहाँ एक स्त्री अति सुन्दरी राजकुमार को देख मोहित हो गई और राजपुत्र के पास पहुँचकर कहने लगी कि हे सखियो! इस वन के समीप ही जो दूसरा वन है, तुम वहाँ जाकर देखो भाँति-भाँति के पुष्प खिले हैं, बड़ा सुहावना समय है, उसकी शोभा देखकर आओ। मैं यहाँ बैठी हूँ, मेरे पैर में बहुत पीड़ा है। ये सुन सब सखियाँ दूसरे वन में चली गयीं। वह अकेली सुन्दर राजकुमार की ओर देखती रही। इधर राजकुमार भी कामुक दृष्टि से निहारने लगा। युवती बोली– आप कहाँ रहते हैं? वन में कैस...

दो शनि प्रदोष व्रत कथाएँ (2023)

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Shani Trayodashi today: Pradosh Vrat Shiva Puja shubh muhurat, vidhi, mantras, katha and significance

Shani Trayodashi puja shubh muhurat, vidhi, katha and significance: The Trayodashi Tithi (the thirteenth day of the Lunar fortnight) is of great significance for a Shiva devotee. And today on the Trayodashi Tithi, Kartik Shukla Paksha, devout followers of Mahadev shall observe the day-long Pradosh Vrat and perform puja post sunset. Therefore, scroll down for the Pradosh Vrat puja shubh muhurat, vidhi, katha and significance. Once, while returning to her humble shelter, she found a royal child lying injured on the road. She took the wounded prince home and gave him a new lease of life. Years passed, and one day, a Gandharva princess named Anshumati saw the prince ( who had grown into a charming young man). She fell in love with him at first sight.

Shani Pradosh Vrat 2021: Puja vidhi, shubh muhurat and katha of this auspicious day

New Delhi| Jagran Lifestyle Desk:Shani Pradosh is observed on Trayodashi tithi of both lunar phase i.e. Shukla paksha and Krishna paksha. It is one of the auspicious festivals of Hindus that falls twice every month. As per Hindu belief, when Pradosh falls on Saturday it is called Shani Pradosh. On this day, devotees worship Lord Shiva and Goddess Parvati and observe a day-long fast to seek their blessings. As the day is here, we have brought you some necessary details on how to observe this auspicious fast. What are the puja timings of Shani Pradosh Vrat? Begin 7:17 pm April 24 Ends 4:12 pm April 25 Significance In Skanda Purana, the rewards of Shani Pradosh Vrat are mentioned. Devotees who observe this fast with faith and dedication are blessed with fulfilment of desires as well with health, wealth and contentment. It is a very sacred fast. It gives eternal bliss and spiritual upliftment to devotees. All the sins are washed away by this vrat. 6 Days 6 Asanas Challenge: Take Part In Jagran's International Yoga Day Challenge And Win Exciting Prizes Vrat vidhi, puja and rituals - In the evening before sunset take bath, wear clean cloth and prepare for puja. - At sandhya kaal puja of Lord Shiva, Maa Parvati, Lord Ganesh, Kartik and Nandi is done. In some places, all these idols are made of clay. - A kalasha filled with water is kept on durba grass. Lord Shiva is invoked in kalasha. - Lighting of diya is very rewarding. - Abhishek is done with chanting of mantras and bathing s...

Shani Pradosh 2023: ਕਦੋਂ ਹੋਵੇਗਾ ਸਾਲ ਦਾ ਇਕੋ ਇਕ ਸ਼ਨੀ ਪ੍ਰਦੋਸ਼ ਵ੍ਰਤ, ਜਾਣੋ ਸ਼ੁੱਭ ਯੋਗ ਤੇ ਮਹੂਰਤ

ਸ਼ਨੀ ਪ੍ਰਦੋਸ਼ ਵ੍ਰਤ ਦੇ ਸ਼ੁੱਭ ਮਹੂਰਤ ਵਿਚ ਸ਼ਨੀ ਦੇਵ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲਾਭ ਮਿਲਦਾ ਹੈ। 1 ਜੁਲਾਈ ਦੀ ਸ਼ਾਮ 7.23 ਵਜੇ ਸ਼ੁੱਭ ਮਹੂਰਤ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਵੇਗਾ ਤੇ ਰਾਤ ਨੂੰ 9.24 ਵਜੇ ਤੱਕ ਜਾਰੀ ਰਹੇਗਾ। ਇਸ ਸਮੇਂ ਦੌਰਾਨ ਵੀ ਸ਼ੁੱਭ ਮਹੂਰਤ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ 8.39 ਵਜੇ ਤੱਕ ਦਾ ਸਮਾਂ ਲਾਭ-ਉੱਨਤੀ ਮਹੂਰਤ ਦਾ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਸ਼ਿਵ ਪੂਜਾ ਲਈ ਇਹ ਸਮਾਂ ਵਧੇਰੇ ਯੋਗ ਹੈ। • • Last Updated : June 10, 2023, 14:00 IST • Share this: • • • • • ਵ੍ਰਤ ਰੱਖਣ ਦਾ ਹਿੰਦੂ ਧਾਰਮਿਕ ਰਹੁ ਰੀਤਾਂ ਵਿਚ ਖਾਸ ਮਹੱਤਵ ਹੈ। ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵ੍ਰਤ ਰੱਖਣ ਦਾ ਵਿਧੀ ਵਿਧਾਨ ਹੈ ਤੇ ਹਰੇਕ ਵ੍ਰਤ ਨਾਲ ਕਿਸੇ ਖਾਸ ਦੇਵੀ ਦੇਵਤੇ ਦੀ ਕ੍ਰਿਪਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਹੁੰਦੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਮਨੁੱਖ ਦੀਆਂ ਇਛਾਵਾਂ ਪੂਰੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ। ਅਜਿਹਾ ਹੀ ਇਕ ਵ੍ਰਤ ਹੈ ਸ਼ਨੀ ਪ੍ਰਦੋਸ਼ ਵ੍ਰਤ। ਇਸ ਵ੍ਰਤ ਦੀ ਇਕ ਖਾਸੀਅਤ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਇਸ ਸਾਲ ਯਾਨੀ 2023 ਵਿਚ ਸਿਰਫ਼ ਇਕ ਵਾਰ ਹੀ ਆਵੇਗਾ। ਇਸ ਕਾਰਨ ਇਸਦਾ ਮਹੱਤਵ ਹੋਰ ਵੀ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਵ੍ਰਤ ਸੰਤਾਨਹੀਣ ਜੋੜਿਆਂ ਲਈ ਬੇਹੱਦ ਲਾਭਦਾਇਕ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਜੇਕਰ ਉਹ ਵ੍ਰਤ ਰੱਖਕੇ ਸ਼ਨੀ ਪੂਜਾ ਕਰਦੇ ਹਨ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪੁੱਤਰ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਲਈ ਆਓ ਤੁਹਾਨੂੰ ਦੱਸੀਏ ਕਿ ਸ਼ਨੀ ਪ੍ਰਦੋਸ਼ ਵ੍ਰਤ 2023 ਦੇ ਕਿਸੇ ਮਹੀਨੇ ਹੈ ਤੇ ਇਸਦਾ ਸ਼ੁੱਭ ਯੋਗ ਤੇ ਮਹੂਰਤ ਕੀ ਹੈ – ਕਦੋਂ ਹੈ ਸ਼ਨੀ ਪ੍ਰਦੋਸ ਵ੍ਰਤ 2023 ਸ਼ਨੀ ਪ੍ਰਦੋਸ਼ ਹੋਰ ਅਨੇਕਾ ਧਾਰਮਿਕ ਰਹੂ ਰੀਤਾ ਵਾਂਗ ਦੇਸੀ ਮਹੀਨਿਆਂ ਦੇ ਹਿਸਾਬ ਨਾਲ ਰੱਖਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਇਹ ਵ੍ਰਤ ਹਾੜ ਮਹੀਨੇ ਦੇ ਸ਼ੁਕਲ ਪੱਖ ਦੀ ਤ੍ਰਿਯੋਦਸ਼ੀ ਮਿਤੀ ਨੂੰ ਰੱਖੇ ਜਾਣ ਦਾ ਵਿਧਾਨ ਹੈ। ਇਹ ਤਾਰੀਕ ਅੰਗਰੇਜ਼ੀ ਕੈਲੰਡਰ ਦੇ ਜੁਲਾਈ ਮਹੀਨੇ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਮਿਤੀ ਨੂੰ ਹੈ। 1 ਜੁਲਾਈ 2023 ਦਿਨ ਸ਼ਨੀਵਾਰ ਦੀ ਸਵੇਰੇ 01.16 ਵਜੇ ਤੋਂ ਲੈ ਕੇ ਰਾਤ ਦੇ 11.07 ਵਜੇ ਤੱਕ ਇਹ ਤਿਥੀ ਰਹੇਗੀ। ਇਸ ਲਈ ਸ਼ਨੀ ਪ੍ਰਦੋਸ਼ ਵ੍ਰਤ 1 ਜੁਲਾਈ ਨੂੰ ਰੱਖਿਆ ਜਾਵੇਗਾ। ਸ਼ੁੱਭ ਮਹੂਰਤ ਸ਼ਨੀ ਪ੍ਰਦੋਸ਼ ਵ੍ਰਤ ਦੇ ਸ਼ੁੱਭ ਮਹੂਰਤ ਵਿਚ ਸ਼ਨੀ ਦੇਵ ਦੀ ਪੂਜਾ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ। ਇਸ ਨਾਲ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਲਾਭ ਮਿਲਦਾ ਹੈ। 1 ਜੁਲਾਈ ਦੀ ਸ਼ਾਮ 7.23 ਵਜੇ ਸ਼ੁੱਭ ਮਹੂਰਤ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਵੇਗਾ ਤੇ ਰਾਤ ਨੂੰ 9.24...

Pradosh Vrat 2022 Katha: आज शनि प्रदोष व्रत के दिन पढ़ें यह कथा, पुत्र प्राप्ति के लिए करते हैं य​ह व्रत

Pradosh Vrat 2022 Katha: पौष मास (Paush Month) के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi) कल है. ऐसे में प्रदोष व्रत कल रखा जाएगा. यह शनि प्रदोष व्रत है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) की प्रदोष मुहूर्त में विधिपूर्वक पूजा अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है. जो लोग शनि प्रदोष व्रत रखते हैं, उनको शिव पूजा के समय शनि प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Katha) जरूर सुननी चाहिए. इससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत की कथा के बारे में. शनि प्रदोष व्रत कथा पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है. एक नगर में प्रसिद्ध व्यापारी था. उसके घर में सभी प्रकार की सुख और सुविधाएं थीं. नौकर चाकर काम करते थे. उसके दरवाजे पर जो भी मदद के लिए सहायता मांगता था, वह कभी खाली हाथ वापस नहीं जाता था. उसका परोपकारी स्वभाव उसकी लोकप्रियता का कारण था. यह भी पढ़ें: हालांकि वह व्यापारी और उसकी पत्नी दुखी रहते थे क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी. वे हर प्रकार के प्रयास कर लिए थे, लेकिन उनको संतान नहीं हुई. इससे निराश होकर एक दिन व्यापारी और उसकी पत्नी तीर्थ यात्रा के लिए निकल पड़े. वे अभी नगर के बाहर ही गए थे, तभी रास्ते उनको एक विशाल पेड़ के नीचे एक तेजस्वी साधु ध्यानमग्न दिखाई दिए. वे दोनों पति पत्नी वहां गए और उनके सामने हाथ जोड़कर उनके दर्शन एवं आशीष के लिए बैठ गए. कुछ समय बीतने के बाद साधु ध्यान अवस्था से बाहर आए तो देखा कि व्यापारी और उसकी पत्नी बैठे हुए हैं. साधु ने उन दोनों से कहा कि वह उसके दुख से परिचित हैं. तुम संतान न होने के कारण परेशान और चिंतित रहते हो. इसका एक ही उपाय है. तुम दोनों शनि प्रदोष व्...

Shani Pradosh Vrat Katha । शनि प्रदोष व्रत कथा

shani pradosh vrat katha आज आपण शनि प्रदोष व्रत कथा चे महत्व जाणून घेणार आहोत. प्रदोष महिन्यातून दोन वेळा येतो शुक्ल पक्ष आणि कृष्ण पक्ष त्रयोदशीला शनिवारी येणाऱ्या प्रदोषाला शनी प्रदोष म्हणतात. शनि प्रदोष चे महत्व या व्रताचे खूप महत्त्व आहे यामध्ये भगवान शिव शंकराची पूजा आराधना केली जाते. शनिप्रदोष केल्यामुळे आपल्या आयुष्यातील दुःख कष्ट नाहीसे होतात. त्याचबरोबर हे व्रत केल्याने संतान प्राप्ती होते दारिद्र्य दूर होते आणि आपल्या आयुष्यात सुख प्राप्ती होते. भगवान शंकराला प्रसन्न करून घेण्यासाठी शनी प्रदोष व्रत केले जाते. भगवान शिव हे व्रत करणाऱ्याचे शनीच्या वक्रदृष्टी पासून रक्षण करते आणि त्यांच्यावर शनिची कृपा राहते. हा उपवास दरवर्षी येतो. भगवान शंकराची आपल्यावर चांगली कृपा राहण्यासाठी सर्वांनीच हा उपवास केला पाहिजे. शनि प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त 18 सप्टेंबर 2021 शनिवार, सकाळी 06:54 वाजता सुरु होतोय आणि 19 सप्टेंबर 2021 रविवार 05:59 वाजता समाप्त होत आहे आपल्याकडे शनी प्रदोषाचे महत्व सांगताना असेही सांगितले जाते की हा उपवास केल्यावर भगवान शंकराची पूजा करताना पिंपळाच्या झाडाची पूजा केल्याने याचा अधिक लाभ होतो. त्यामुळे भगवान शंकर प्रसन्न होऊन त्यांचे आशीर्वाद आपल्यावर नेहमीसाठी राहतो. याच बरोबर पुराणात शनिप्रदोषा चे व्रतकथा सांगितलेली आहे. Shani Pradosh Vrat Katha एक धनवान शेट होता त्याच्याकडे धनसंपत्ती अमाप होती. परंतु संतान अभावामुळे शेट आणि त्याची पत्नी नेहमी दुखी असायचे. या सगळ्याला कंटाळून त्यांनी एक निर्णय घेतला की आपण दोघेही तीर्थयात्रेला जाऊ जात असताना त्यांना वाटे मध्ये एक संन्यासी भेटले. त्या संन्यासाला शेट आणि त्यांच्या पत्नीने आपले दुःख सांगितले तेव्हा त्यांनी दोघा...