Shiksha manovigyan se aap kya samajhte hain

  1. उदारीकरण शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  2. विज्ञापन का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं माध्यम
  3. Shiksha Ek Prakriya Hai : शिक्षा एक प्रक्रिया के रूप मे
  4. लैंगिक समानता
  5. बुनियादी शिक्षा क्या है? Buniyadi Shiksha Kise kahte Hain – rkrstudy.net
  6. पुरातत्व से आप क्या समझते हैं? Puratatva Se Aap Kya Samajhte Hain


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उदारीकरण शिक्षा से आप क्या समझते हैं?

नमस्कार दोस्तो, आपने अपने जीवन के अंतर्गत उदारीकरण शिक्षा के बारे में तो जरूर सुना होगा। दोस्तों क्या आप जानते हैं कि उदारीकरण शिक्षा किसे कहते हैं या फिर उदारीकरण शिक्षा से आप क्या समझते हैं, यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आज की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि उदारीकरण शिक्षा से आप क्या समझते हैं, हम आपको इस विषय से जुड़ी लगभग हर एक जानकारी इस पोस्ट के अंतर्गत शेयर करने वाले हैं। तो ऐसे में आज का की यह पोस्ट आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है, तो इसको अंत जरूर पढ़िए। उदारीकरण शिक्षा से आप क्या समझते हैं? दोस्तों यदि आपको इसके बारे में पता नहीं है कि उदारीकरण शिक्षा क्या है, तो आपकी जानकारी के लिए मैं बता दूं कि उदारीकरण शिक्षा आज के समय शिक्षा के क्षेत्र के अंतर्गत बदलाव लाने की प्रक्रिया है। इसके अंतर्गत शिक्षा प्रणाली में पुराने तरीकों को छोड़कर नए तरीकों को अपनाया जाता है। जैसे कि आप सभी लोग जानते हैं, कि धीरे-धीरे यह दुनिया किस तरह से बदल रही है, तथा किस तरह से इस दुनिया के अंतर्गत टेक्नोलॉजी का प्रभाव बढ़ रहा है। इसी टेक्नालॉजी के बढ़ते हुए प्रभाव से आज हर क्षेत्र के अंतर्गत बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इसी प्रकार से शिक्षा के क्षेत्र के अंतर्गत भी लगातार बदलाव किए जा रहे हैं, जिसे ही शिक्षा उदारीकरण या फिर शिक्षा का उदारीकरण कहा जाता है। उदारीकरण शिक्षा के अंतर्गत आज के समय शिक्षा पद्धति को बदलने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत पहले की शिक्षा पद्धति को खत्म करके आज की समय की मॉडर्न शिक्षा पद्ध...

विज्ञापन का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं माध्यम

विज्ञापन एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम किसी सामग्री या व्यक्ति विशेष के प्रति जनसामान्य को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। आज विज्ञापन हमारे जीवन की दिनचर्या का एक जरूरी अंग बन गया है। फिल्म, रेडियो, टेलीविजन, पोस्टर्स, हैंडबिल, साइनबोर्ड, लोकल केबल टी.वीनेटवर्क, सिनेमा स्लाइड, इंटरनेट और बैलून आदि अनेक माध्यमों से विज्ञापन होता है विज्ञापन की विशेषताएं • विज्ञापन जनता के सामने सार्वजनिक रूप से सन्देश प्रस्तुत करने का साधन है। • विज्ञापन एक व्यापक सन्देश पहुंचाने का व्यापक माध्यम है, जिसके द्वारा सन्देश को बार-बार दोहराया जाता है। • विज्ञापन द्वारा एक ही सन्देश को विभिन्न प्रकार के रंगों, चित्रों, शब्दों, वाक्यों तथा लाइट से सुसज्जित कर सन्दीेश जनता तक पहुंचाये जाते है, जो ग्राहक को स्पष्ट एवं विस्तृत जानकारी देता है। • विज्ञापन सदैव अव्यक्तिगत होता है। कभी कोई व्यक्ति आमने-सामने विज्ञापन नहीं करता। • विज्ञापन मौखिक, लिखित, दृश्य तथा अदृश्य हो सकता है। • विज्ञान के लिए विज्ञानकर्त्ता द्वारा भुगतान किया जाता है। • विज्ञान के विविध माध्यम से जिसमें विज्ञापनकर्त्ता अपनी सुविधानुसार उपयोग कर सकता है। • विज्ञापन का उद्देश्य नये ग्राहकों को जोड़ना तथा विद्यमान ग्राहकों को बनाये रखना होता है। • जबकि गैर-व्यावसायिक विज्ञापनों का उद्देश्य सामान्यत: सूचना देना होता है। आधुनिक युग में विज्ञापन एक व्यावसायिक क्रिया है, जिसे प्रत्येक व्यवसाय को किसी-न-किसी रूप में नित्य करना पड़ता है ताकि व्यवसाय को बढ़ाया जा सके। विज्ञापन के माध्यम विज्ञापन के माध्यम से आशय उन साधनों से है, जिनके माध्यम से विज्ञापनकर्त्ता अपनी वस्तुओं एवं सेवाओं या विचारों के बारे में एक विशाल जन-समुदाय को संदेश प...

Shiksha Ek Prakriya Hai : शिक्षा एक प्रक्रिया के रूप मे

Shiksha Ek Prakriya Hai : शिक्षा एक प्रक्रिया के रूप मे (Education as a Process) : विद्यादूत (vidyadoot) के इस लेख में हम शिक्षा की प्रक्रिया (shiksha ek prakriya hai) को समझेंगे | शिक्षा को एक प्रक्रिया माना जाता है | प्रक्रिया का अर्थ हैं एक विशेष प्रकार की क्रिया, जिससे मानव में कुछ विशेषाएं आ जाती है | मानव कुछ जन्मजात शक्तियों के साथ इस संसार में आता है | इन जन्मजात शक्तियों के साथ मानव को कुछ बाहरी शक्तियां (भौतिक और सामाजिक शक्तियां) भी प्राप्त होती है | मानव की इन जन्मजात व बाहरी शक्तियों में क्रिया-प्रतिक्रिया होती रहती है | यही क्रिया-प्रतिक्रिया शिक्षा की प्रक्रिया है | शिक्षा के शाब्दिक अर्थ के अनुसार शिक्षा मानव की आंतरिक शक्तियों का विकास करने की प्रक्रिया है | मानव में जो जन्मजात आंतरिक विद्यमान होती है, उनका विकास वातावरण के सम्पर्क में से होता है | मानव अपने विकास के लिए जन्म से प्राप्त शक्तियों और भौतिक व सामाजिक शक्तियों में सामंजस्य स्थापित करने हेतु क्रिया-प्रतिक्रिया करता रहता है | इस प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप मानव ज्ञान व अनुभव प्राप्त करता है और वह सीखता है | • • • • • • विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों ने शिक्षा को एक प्रक्रिया मानकर अपने विचार व्यक्त किये है | शिक्षा का एक प्रक्रिया के रूप (shiksha ek prakriya hai) में वर्णन निम्नलिखित है | • शिक्षा एक सतत् प्रक्रिया है (Education is a Continuous Process) • शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है (Education is a Dynamic Process) • शिक्षा एक सामाजिक विकास की प्रक्रिया (Education is a Process of Social Development) • शिक्षा एक विकास की प्रक्रिया है (Education is a Process of Development ) • शिक्षा एक उद्देश्यपूर्ण...

लैंगिक समानता

प्रत्येक बच्चे का अधिकार है कि उसकी क्षमता के विकास का पूरा मौका मिले. लेकिन लैंगिक असमानता की कुरीति की वजह से वह ठीक से फल फूल नहीं पते है साथ हैं भारत में लड़कियों और लड़कों के बीच न केवल उनके घरों और समुदायों में बल्कि हर जगह लिंग असमानता दिखाई देती है. पाठ्यपुस्तकों , फिल्मों , मीडिया आदि सभी जगह उनके साथ लिंग के अधरा पर भेदभाव किया जाता है यही नहीं एंका देखभाल करने वाले पुरुषों और महिलाओं के साथ भी भेदभाव किया जाता है भारत में लैंगिक असमानता के कारण अवसरों में भी असमानता उत्पन्न करता है , जिसके प्रभाव दोनों लिंगो पर पड़ता है लेकिन आँकड़ों के आधार पर देखें तो इस भेदभाव से सबसे अधिक लड़कियां आचे आसरों से वंचित रह जाती हैं। आंकड़ों के आधार पर विश्व स्तर जन्म के समय लड़कियों के जीवित रहने की संख्या अधिक है साथ ही साथ उनका विकास भी व्यवस्थित रूप से होता है. उन्हें पप्री स्कूल भी जाते पाया गया है जबकि भारत एकमात्र ऐसा बड़ा देश है जहां लड़कों की अनुपात में अधिक लड़कियों का मृत्यु दर अधिक है उनके स्कूल नहा जाने या बेच में ही किनही करणों से स्कूल छोड़ने की प्रवित्ति अधिक पाई गई है . भारत में लड़के और लड़कियों के बालपन के अनुभव में बहुत अलग होता है यहाँ लड़कों को लड़कियों की तुलना अधिक स्वतंत्रता मिलती है. जबकि लड़कियों की स्वतंत्रता में अनेकों पाबंदियाँ होती हैं एस पाबंदी का असर उनकी शिक्षा , विवाह और सामाजिक रिश्तों , खुद के लिए निर्णय के अधिकार आदि को प्रभावित करती है। लिंग असमानता एवं लड़कियों और लड़कों के बीच भेदभाव जैसे जैसे बढ़ती जाती हैं इसका असर न केवल उनके बालपन में दिखता है बल्कि वयस्कता तक आते आते इसका स्वरूप और व्यापक हो जाता है नतीजतन कार्यस्थल में मात्र एक चौथाई महिलाओं क...

बुनियादी शिक्षा क्या है? Buniyadi Shiksha Kise kahte Hain – rkrstudy.net

• CTET CDP NOTES • CTET EVS NOTES • CTET SST NOTES • CTET HINDI NOTES • CTET MATH NOTES बुनियादी शिक्षा का अर्थ बुनियादी शिक्षा को हम लोग बेसिक शिक्षा भी कहते हैं। बुनियादी शिक्षा का तात्पर्य शिक्षा की उस प्रणाली से है जिसमें विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्पों का प्रशिक्षण प्रदान करते हुए बालकों का शारीरिक, मानसिक, नैतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक विकास करना है और शिक्षा को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाता है। बेसिक शिक्षा या बुनियादी शिक्षा का तात्पर्य उस प्रकार के शिक्षा से है जिस शिक्षा को प्राप्त करके बालक आत्मनिर्भर बन सके व्यक्ति स्वावलंबी बन सके तथा अपने जीवन को चलाने के लिए कुछ उपार्जन की व्यवस्था कर सकें। साधारण शब्दों में अगर बात करें कि बुनियादी शिक्षा किसे कहते हैं तो हम इस प्रकार से कह सकते हैं कि शिक्षा की वह प्रणाली जिसमें बालकों का आत्मनिर्भर बनाया जाता है। बालक को अपने जीवन चलाने तो कुछ इस प्रकार की शिक्षा दी जाती हो जिससे वह कुछ उपार्जन कर सके। यदि शिक्षा में बालकों को जीवन चलाने से संबंधित हर एक पहलू की शिक्षा दी जाती हैं। इस प्रकार की शिक्षा को प्राप्त करके बालक जीवन चलाने के लायक बन जाते हैं। बुनियादी शिक्षा के कुछ उद्देश्य होते हैं यह शिक्षा क्यों दी जाती है? यह शिक्षा क्यों आवश्यक है? बुनियादी शिक्षा के उद्देश्य का वर्णन नीचे किया गया है। बुनियादी शिक्षा का उद्देश्य क्या है? • बुनियादी शिक्षा का निम्नलिखित उद्देश्य है :- • व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना • बालकों को स्वावलंबी बनाना • भारतीय एवं सभी देशों की संस्कृति को अच्छी बातें ग्रहण करने हेतु तैयार करना • चरित्र का निर्माण करना • शारीरिक एवं सामाजिक विकास करना • आध्यात्मिक एवं नैतिक विकास करना • लोकतं...

पुरातत्व से आप क्या समझते हैं? Puratatva Se Aap Kya Samajhte Hain

अक्सर परीक्षाओं में पुरातत्व से आप क्या समझते हैं ( Puratatva Se Aap Kya Samajhte Hain ) इस तरह के प्रश्न पूछ लिए जाते हैं क्योंकि पुरातत्व और इतिहास के बीच का संबंध बड़ा है और इसके अत्यंत महत्व भी हैं। आइए देखते हैं पुरातत्व क्यों इतना महत्वपूर्ण विषय है। पुरातत्व का इस्तेमाल बहुत प्राचीन समय से होता आ रहा है, इसके इस्तेमाल से ही हमने हड़प्पा और सिंधु घाटी की सभ्यता को खोज निकाला था, जो मानव विकास के एक समय सीमा को दर्शाता है। हम पुरातत्व के महत्व एवं विज्ञान की खोज के विषय में आगे बढ़े इससे पहले यह जान लेते हैं कि पुरातत्व से आप क्या समझते हैं। विषय सूची • • • • • • • • • • पुरातत्व से आप क्या समझते हैं? Puratatva Se Aap Kya Samajhte Hain पुरातत्व से तात्पर्य भौतिक अवशेषों के उपयोग के माध्यम से मानव इतिहास के अध्ययन से है। पुरातत्वविद हमारे प्राचीनतम मानव पूर्वजों के लाखों वर्ष पूर्व के जीवाश्मों का अध्ययन कर सकते हैं। उदाहरण के लिए पुरातत्व गुजरात जैसे शहरों की 20वीं सदी की इमारतों का भी अध्ययन कर सकते हैं। पुरातत्व मानव संस्कृति की व्यापक समझ हासिल करने के लिए अतीत के अवशेषों का अध्ययन करता है। यह भी पढ़ें: पुरातत्व किसे कहते हैं? पुरातत्व का परिभाषा: ऐसी विधि जिससे हम किसी पुराने जीवाश्म एवं पौधों का परीक्षण करके हम उसकी आयु एवं उसकी उपयोगिता का पता लगाते हैं उसे पुरातत्व कहते हैं। इस विधि का इस्तेमाल वर्तमान समय में बढ़ गया है क्योंकि लोग अपने इतिहास के बारे में जल्दी से जल्दी जानना चाहते हैं ताकि उन्हें अपने जीवन के अर्थ का पता चल सके। कोई भी चीज जो बहुत पुरानी हो और समाज के विकास में उसका योगदान हो इसी तरह की चीजों का पता लगाने के लिए पुरातत्व का इस्तेमाल होता है। ...