शिवा बावनी के रचयिता है

  1. हिन्दी साहित्य के 101 अति महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर ,101 Most Important Objectives of Hindi Literature
  2. शिवा बावनी
  3. शिवा बावनी के रचयिता कौन है?
  4. 1000 हिंदी साहित्य प्रश्नोत्तरी PDF Download
  5. भूषण (हिन्दी कवि)


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हिन्दी साहित्य के 101 अति महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर ,101 Most Important Objectives of Hindi Literature

हिन्दी साहित्य के 101 अति महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर 101 Most Important Objectives of Hindi Literature दोस्तों स्वागत है आपका ग्यान साधना में जो तैयारी कराता है,UGC NET/JRF, REET, TGT, PGT, M.PHIL, PH.D , CTET,UTET,LT,आदि सभी प्रतियोगी हिंदी परीक्षाओं का उद्देश्य केवल अपने मित्रों को हिन्दी से जुड़ी इन परीक्षाओं में सफल कराना है। ॐ का महत्व ॐ ध्वनि के लाभ Most Important Objectives of Hindi 1- निम्नलिखित में कौन - सा एक व्यग्य लेखक है ? ( a ) श्याम सुन्दर दास ( b ) विद्या निवास मिश्र ( c ) हरिशंकर परसाई Ans- (C) 2- आपका बंटी ' रचना की प्रधान समस्या को उजागर करने वाले विकल्प को चुनिए ------- ( a ) राजनीतिक समस्या ( b ) मनोवैज्ञानिक समन ( c ) तलाक से जुड़ी वाल सम रिलवे , Ans- ( C ) 3- हिन्दी पत्रिका ' कादम्बिनी ' के संपादक कौन हैं ? ( a ) राजेन्द्र अवस्थी ( b ) रमेश बक्षी ( c ) राजेन्द्र यादव Ans- ( A ) 4- " दिनकर ' किस रस के कवि माने जाते हैं ? ( a ) रौद्र रस ( b ) करुण रस ( c ) वीर रस Ans- ( C ) 5- ' निराला ' को कैसा कवि माना जाता है ? ( a ) अवसरवादी ( b ) क्रांतिकारी ( c ) पलायनवादी Ans- ( B ) 6- निम्नलिखित में कौन - सा एक उपन्यास जैनेन्द्र रचित है ? ( a ) पुनर्नवा ( b ) परख ( c ) सेवासदन Ans- ( B ) 7- हिन्दी गद्य का जन्मदाता किसको माना जाता है ? ( a ) प्रताप नारायण मिश्र ( b ) महावीर प्र . द्विवेदी ( c ) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र Ans- ( C ) 8- कवि कालिदास की ' अभिज्ञान शाकुन्तलम ' का हिन्दी अनुवाद किसने किया ? ( a ) राजा लक्ष्मण सिंह ( c ) राजा शिवप्रसाद ( b ) गोस्वामी विट्ठलनाथ Ans- ( A ) 9- किस काल को स्वर्णकाल कहा जाता है ? ( a ) रीति काल ( c ) आदि काल ( b ) भक्ति क...

शिवा बावनी

• दे • वा • सं शिवा बावनी शिवा बावनी की कुछ कविताएँ: साजि चतुरंग बीररंग में तुरंग चढ़ि। सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है॥ भूषन भनत नाद विहद नगारन के। नदी नद मद गैबरन के रलत हैं॥ ऐल फैल खैल भैल खलक में गैल गैल, गाजन की ठेल-पेल सैल उसलत है। तारा सों तरनि घूरि धरा में लगत जिमि, थारा पर पारा पारावार यों हलत है॥ xxxx पीरा पयगम्बरा दिगम्बरा दिखाई देत, सिद्ध की सिधाई गई, रही बात रब की। कासी हूँ की कला गई मथुरा मसीत भई शिवाजी न होतो तो सुनति होती सबकी॥ कुम्करण असुर अवतारी औरंगजेब, कशी प्रयाग में दुहाई फेरी रब की। तोड़ डाले देवी देव शहर मुहल्लों के, लाखो मुसलमाँ किये माला तोड़ी सब की॥ भूषण भणत भाग्यो काशीपति विश्वनाथ और कौन गिनती में भुई गीत भव की। काशी कर्बला होती मथुरा मदीना होती शिवाजी न होते तो सुन्नत होती सब की ॥ xxxx बाने फहराने घहराने घण्टा गजन के, नाहीं ठहराने राव राने देस देस के। नग भहराने ग्रामनगर पराने सुनि, बाजत निसाने सिवराज जू नरेस के ॥ हाथिन के हौदा उकसाने कुंभ कुंजर के, भौन को भजाने अलि छूटे लट केस के। दल के दरारे हुते कमठ करारे फूटे, केरा के से पात बिगराने फन सेस के ॥ इन्हें भी देखें [ ] • • बाहऱी कड़ियाँ [ ] • शिवाबावनी (आर्काइव_डॉट_ओआरजी)

शिवा बावनी के रचयिता कौन है?

Explanation : शिवा बावनी के रचयिता कवि भूषण है। यह भूषण द्वारा रचित बावन छंदों का काव्य है जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य, पराक्रम आदि का ओजपूर्ण वर्णन है। इसके साथ ही इसमें शिवाजी द्वारा हिंदू धर्म और राष्ट्र की रक्षा का भी वर्णन है। भूषण को चित्रकूट के सोलंकी राजा रुद्र ने 'कवि भूषण' की उपाधि दी थी। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा है कि 'वे हिंदू जाति के प्रतिनिधि' कवि है।' इनकी प्रमुख रचनाऐं हैं– शिवराज भूषण (1673), शिवा बावनी, छत्रसाल दशक।

पृष्ठ:शिवा

शिवा बावनी शिवा बावनी तोरि तोरि आछे से पिछौरा सों निचोर मुख, .. कई सब कहाँ पानी मुकतों में पाती हैं ॥११॥ भावार्थ जिनका जीवन सुगन्ध पर ही निर्भर था, जिन का भोजन किसमिस आदि मेवे थे और चार के अंक के मध्य- भाग के समान, जिन को अत्यन्त पतली कमर थी, और जो सौन्दर्य में चन्द्रमा को भी लजाती थीं, ऐसी शत्रुओं की स्त्रियाँ हे वीरवर शिवा जी, श्राप के भय के मारे भागती चली जा रही हैं। चलते चलते उनके पैरों में छाले पड़ गये हैं और वे कन्द मूल खा कर ही दिन काट रही हैं । ऐसी तेज़ गरमी में, 'जैसी कभी सुनी भी नहीं गई, घे कोमल स्त्रियाँ प्यास के मारे कमल की कलियों की तरह कुम्हला रही हैं । बढ़िया चादर से मोतियाँ तोड़ कर मुहँ में निचोड़ती हुई कहती हैं कि इनमें पानी भी नहीं है! टिप्पणी कहां पानी मुकते में-अच्छे मोतियों का प्राव अथवा पानी प्रसिद्ध है। वास्तव में यह पानी व आब मोती के सौन्दर्य और चमक को कहते हैं। यहां तात्पर्य यह है, कि त्रियाँ इतनी प्यासी थीं कि भ्रम में पड़ कर वे मोतियों में वास्तविक जल ढूंढने लगों और उनमें जन्न न पाकर कहने लगी कि मोतियों में जो भाव या पानी का होना प्रसिद्ध है, वह इन में कहां है? 'सांहि सरताज श्री सिपाहिन में पातसाह, अचल सु सिन्धु के से जिनके सुभाव हैं।

1000 हिंदी साहित्य प्रश्नोत्तरी PDF Download

1000 हिंद साहित्य प्रश्नोत्तरी (Hindi Sahitya Questions in Hindi) –Hindi Literature Questions and Answers in Hindi, Hindi Literature Objective type Question Answer, Hindi Sahitya ka Itihas Objective Question PDF download, हिंदी साहित्य के प्रश्न पर अगर आप सर्च कर रहे है तो हम यहां हिंदी साहित्य प्रश्नोत्तरी मेंं पिछली परीक्षाओं में पूछे प्रश्नों के साथ नये प्रश्नों का भी आपको दे रहे है। ताकि हिंदी साहित्य पर आपकी पकड़ मजबूत हो सके और आप आगामी परीक्षाओं में सभी प्रश्न आसानी से हल कर सकें। Hindi Sahitya Prashnottari | हिंदी साहित्य से महत्वपूर्ण प्रश्न 1. अंग्रेजी भाषा को भारत में शिक्षा के माध्यम से आरंभ किया गया? – लॉर्ड मैकाले द्वारा 2. 'हिंदी का आदि कवि' किसे माना जाता है? – स्वयंभू 3. हिंदी का प्रथम उपन्यास कौनसा है? – परीक्षा गुरू (श्रीनिवास दास वमत) 4. हिंदी का प्रथम एकांकी कौनसा है? – एक घूँट 5. हिंदी का प्रथम पात्र कौनसा है? – उदंत मार्तण्ड 6. हिंदी की प्रथम पत्रिका कौनसी है? – संवाद कौमुदी 7. हिंदी की वर्णमाला में कितने स्वर व कितने सम स्वर होते हैं? – 11 स्वर व 33 सम स्वर 8. हिंदी के किस समाचार-पत्र में‘खड़ीबोली’ को‘मध्यदेशीय भाषा’ कहा गया है? – बनारस अखबार 9. हिंदी के प्रथम कवि कौन है? – सिद्ध सरहपा (9वीं शताब्दी) 10. हिंदी के प्रथम गद्यकारकौन है? – लल्लूलाल 11. हिंदी के सर्वप्रथम गीत लेखक कौन है? – विधापति 12. हिंदी के सर्वप्रथम दैनिक समाचार-पत्र कौनसा है? – सुधावर्षण 13. हिंदी के सर्वप्रथम प्रकाशित पत्र का नाम क्या है? – उतण्ड मार्तण्ड 14. अजंता की गुफा किस धर्म से संबंधित है? – बौद्ध धर्म से 15. अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय कहां है? – भोपाल (मध्य प्र...

शिवा

शिवा बावनी: महाकवि भूषण द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य, पराक्रम आदि का ओजपूर्ण वर्णन भूषण वैसे तो रीति काल के कवि थे लेकिन उस दौर में उनकी कलम वीर रस से सराबोर थी। माना जाता है कि भूषण कई राजाओं के यहां रहे और वहां सम्मान प्राप्त किया। पन्ना के महाराज छत्रसाल के यहाँ इनका बड़ा मान हुआ। भूषण ने प्रमुख रूप से शिवा-बावनी: कवि भूषण साजि चतुरंग वीर रंग में तुरंग चढ़ि, सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत हैं ‘भूषण’ भनत नाद विहद नगारन के, नदी नद मद गैबरन के रलत है ॥ शिवा-बावनी [1] भावार्थ: घोड़े पर सवार छत्रपति शिवा जी वीरता और कौशल से परिपूर्ण अपनी चतुरंगिणी सेना की अगुआई करते हुए जंग जीतने के लिए निकल पड़े हैं। बजते हुए नगाड़ों की आवाज़ और मतवाले हाथियों के मद से सभी नदी-नाले भर गए हैं। ऐल फैल खैल-भैल खलक में गैल गैल, गजन की ठैल पैल सैल उसलत हैं। तारा सो तरनि धूरि धारा में लगत जिमि, थारा पर पारा पारावार यों हलत हैं ॥ शिवा-बावनी [2] भावार्थ: भीड़ के कोलाहल, चीख-पुकार के फैलने से रास्तों पर खलबली मच गयी है । मदमस्त हाथियों की चाल ऐसी है कि धक्का लगने से आस-पास के पहाड़ तक उखड़कर गिर जा रहे हैं। विशाल सेना के चलने से उड़ने वाली धूल के कारण सूरज भी एक टिमटिमाते हुए तारे सा दिखने लगा है। विशाल चतुरंगिणी सेना के चलने से संसार ऐसे डोल रहा है जैसे थाल में रखा हुआ पारा हिलता है। बाने फहराने घहराने घण्टा गजन के, नाहीं ठहराने राव राने देस देस के। नग भहराने ग्रामनगर पराने सुनि, बाजत निसाने सिवराज जू नरेस के॥ शिवा-बावनी [3] भावार्थ: शिवाजी की सेना के झंडों के फहराने से और हाथियों के गले में बंधे हुए घण्टों की आवाजों से देश-देश के राजा-महाराजा पल भर भी न ठहर सकें। नगाड़ों की आवाज़ से पहाड़ तक हि...

भूषण (हिन्दी कवि)

अनुक्रम • 1 जीवन परिचय • 2 रचनाएँ • 3 काव्यगत विशेषताएँ • 3.1 युद्धमूलक • 3.2 धर्ममूलक • 3.3 दानमूलक • 3.4 दयामूलक • 3.5 भाषा • 3.6 शैली • 3.7 रस • 3.8 छंद • 3.9 अलंकार • 4 भूषण की राष्ट्रीय चेतना • 4.1 स्वदेशानुराग • 4.2 संस्कृति अनुराग • 4.3 साहित्य अनुराग • 4.4 महापुरुषों के प्रति श्रद्धा • 4.5 उत्साह • 5 साहित्य में स्थान • 6 सारांश • 7 सन्दर्भ • 8 इन्हें भी देखें • 9 बाहरी कड़ियाँ जीवन परिचय [ ] महाकवि भूषण का जन्म संवत 1670 तदनुसार ईस्वी 1613 में हुआ। वे मूलतः कुल सुलंकि चित्रकूट-पति साहस सील-समुद्र। कवि भूषण पदवी दई, हृदय राम सुत रुद्र॥ कहा जाता है कि भूषण कवि और राव राजा एक मन में न ल्याऊं अब। साहू को सराहों कै सराहौं छत्रसाल को॥ संवत 1772 तदनुसार ईस्वी 1715 में भूषण परलोकवासी हो गए। भूषण के जन्म, मृत्यु, परिवार आदि के विषय में कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता परन्तु सजेती क़स्बा में एक कवि भूषण जी का एक परिवार रहता है जो इस बात का दावा करता है कि वो ही कवि भूषण के वंशज हैं व उनके पूर्वज अग्रेजों के शासनकाल में टिकवापुर गाँव छोड़कर यहाँ बस गए। आज भी उनकी जमीने टिकवापुर गाव में पड़ती है। कवि भूषण की बाद की पीढ़ी का सति माता का एक मंदिर टिकवापुर में बना है जिसे यह परिवार अपनी कुलदेवी मानता है व् हर छोटे मोटे त्यौहार में उनकी पूजा अर्चना करता है। रचनाएँ [ ] विद्वानों ने इनके छह ग्रंथ माने हैं - शिवराजभूषण, शिवाबावनी, छत्रसालदशक, भूषण उल्लास, भूषण हजारा, दूषनोल्लासा। परन्तु इनमें शिवराज भूषण एक विशालकाय ग्रन्थ है जिसमें 385 पद्य हैं। शिवा बावनी में 52 कवितों में छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य, पराक्रम आदि का ओजपूर्ण वर्णन है। छत्रशाल दशक में केवल दस कवितों के अन्...