शिवा जी जयंती

  1. शिव जयंती
  2. शिवाजी
  3. वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने शिवाजी महाराज की जयंती पर किया नमन – पर्वत वाणी
  4. माँ बगलामुखी अष्टोत्तर
  5. Om Jayanti Mangala Kali: जयन्ती मङ्गला काली मंत्र का अर्थ, महत्व, और इसकी व्याख्या
  6. शिव जयंती
  7. शिवाजी
  8. माँ बगलामुखी अष्टोत्तर


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शिव जयंती

छत्रपती शिवाजी महाराजांची जयंती साजरी करताना छत्रपती शिवाजी महाराजांचे भक्त, १९ फेब्रुवारी २०१९ अधिकृत नाव छत्रपती शिवाजी महाराज जयंती इतर नावे छत्रपती शिवाजी महाराज जयंती, शिवजन्मोत्सव, शिवछत्रपती जन्मोत्सव साजरा करणारे महाराष्ट्रातील प्रजा प्रकार सामाजिक उत्सव साजरा एक दिवस दिनांक वारंवारता वार्षिक छत्रपती शिवाजी महाराज जयंती किंवा शिवजयंती हा इतिहास [ ] शिव जयंती सुरुवात: १८६९ साली महात्मा फुले यांनी छत्रपती शिवाजी महाराज यांची रायगड येथील समाधी शोधून काढली व त्यांच्या जीवनावर सर्व प्रथम प्रदीर्घ पोवाडा लिहिला . रायगडावरील शिवाजी महाराजांच्या समाधीची व्यवस्था सरकारने स्वतःकडे घ्यावी असा अर्ज ज्योतिबांनी केला होता . १८७० साली महात्मा फुले यांनी पुणे येथे पहिली "शिवजयंती " साजरी केली. त्यानंतर १८९५ मधे लोकमान्य टिळकांनी शिवजयंती उत्सव सुरू केला. जनतेने एकत्र येऊन अशा उत्सवांच्या निमित्ताने राष्ट्रप्रेम जागवावं आणि त्याचा वापर ब्रिटिशांविरुद्ध लढा देण्यासाठी करावा असा हेतू यामागे होता. सुरुवातीच्या काळात शिवजयंती फक्त महाराष्ट्रात साजरी होत होती. परंतु २० व्या शतकाच्या पहिल्या दशकात शिवजयंतीचा उस्तव बंगालमधे जाउन पोहोचला. बंगालमधे शिवजयंतीची सुरुवात करण्याचे श्रेय 'सखाराम गणेश देऊस्कर' (१८६९-१९१२) यांना जाते. ते लोकमान्य टिळकांचे अनुयायी होते, १९०२ साली त्यांनी बंगालमध्ये शिवजयंती उत्सव साजरा केला. देउस्कर जन्माने महाराष्ट्रीय परंतु बंगालमधे स्थायिक होते. पुढे १९०५ मधे जेव्हा लॉर्ड कर्झनने बंगाल फाळणीचा प्रस्ताव आणला तेव्हा हा उत्सव अधिकच लोकप्रिय झाला. शिवरायांच्या प्रेरणेने ब्रिटिशांविरोधात जनमत तयार करण्यास या उत्सवाची बरीच मदत झाली. तसेच महाराष्ट्र आणि बंगाल या दोन राज...

शिवाजी

अनुक्रम • 1 आरम्भिक जीवन • 2 वैवाहिक जीवन • 3 सैनिक वर्चस्व का आरम्भ • 3.1 दुर्गों पर नियंत्रण • 3.2 शाहजी की बन्दी और युद्धविराम • 4 प्रभुता का विस्तार • 4.1 मुगलों से पहली मुठभेड़ • 4.2 कोंकण पर अधिकार • 4.3 बीजापुर से संघर्ष • 5 मुगलों से संघर्ष • 5.1 सूरत में लूट • 5.2 आगरा में आमंत्रण और पलायन • 6 राज्याभिषेक • 6.1 दक्षिण में विजय • 7 मृत्यु और उत्तराधिकार • 8 शासन और व्यक्तित्व • 9 राजमुद्रा • 9.1 धार्मिक नीति • 9.2 चरित्र • 10 प्रमुख तिथियां और घटनाएं • 11 इन्हें भी देखें • 12 सन्दर्भ • 13 बाहरी कड़ियां आरम्भिक जीवन शिवाजी का जन्म 19 फरवरी, 1630 को वैवाहिक जीवन शिवाजी का विवाह सन् 14 मई 1640 में शिवाजी की पत्नियाँ: • • सोयराबाई मोहिते– ( • सकवरबाई गायकवाड – (कमलाबाई) • सगुणाबाई शिर्के – (राजकुवरबाई) • पुतलाबाई पालकर • काशीबाई जाधव • लक्ष्मीबाई विचारे • गुंवांताबाई इंगले सैनिक वर्चस्व का आरम्भ उस समय उस समय दुर्गों पर नियंत्रण रोहिदेश्वर का दुर्ग सबसे पहला दुर्ग था जिसके शिवाजी महाराज ने सबसे पहले अधिकार किया था। उसके बाद तोरणा का दुर्ग जो शाहजी राजे को एक अश्वारोही सेना का गठन कर शिवाजी महाराज ने आबाजी सोन्देर के नेतृत्व में शाहजी की बन्दी और युद्धविराम बीजापुर का सुल्तान शिवाजी महाराज की हरकतों से पहले ही आक्रोश में था। उसने शिवाजी महाराज के पिता को बन्दी बनाने का आदेश दे दिया। शाहजी राजे उस समय प्रभुता का विस्तार शाहजी की मुक्ति की शर्तों के मुताबिक शिवाजी राजाने बीजापुर के क्षेत्रों पर आक्रमण तो नहीं किया पर उन्होंने दक्षिण-पश्चिम में अपनी शक्ति बढ़ाने की चेष्टा की। पर इस क्रम में जावली का मुगलों से पहली मुठभेड़ शिवाजी के बीजापुर तथा कोंकण पर अधिकार बीजापुर से सं...

अजब

• 44 minutes ago • 7 hours ago • 7 hours ago • 10 hours ago • 11 hours ago • 11 hours ago • 14 hours ago • 21 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 2 days ago • 2 days ago • 37.3°C शास्त्रों की बात , जानें धर्म के साथ समर्थ गुरु रामदास स्वामी अपने शिष्यों में सबसे अधिक स्नेह छत्रपति शिवाजी महाराज से करते थे। शिष्य सोचते थे कि उन्हें शिवाजी से उनके राजा होने के कारण ही अधिक प्रेम है। समर्थ ने शिष्यों का भ्रम दूर करने के बारे में विचार किया। एक दिन वह शिवाजी सहित अपनी शिष्य मंडली के साथ जंगल से आ रहे थे। रात्रि होने पर उन्होंने समीप की एक गुफा में जाकर डेरा डाला। सभी वहां लेट गए, किंतु थोड़ी ही देर में रामदास स्वामी कराहने लगे। कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि मेरे पेट में दर्द है। अन्य शिष्य चुप रहे पर शिवाजी ने कहा कि क्या इस दर्द को दूर करने की कोई दवा है। गुरु जी बोले, ‘‘एकमात्र सिंहनी का दूध ही मेरे पेट के दर्द को दूर कर सकता है।’’ शिवाजी सिंहनी की खोज में निकल पड़े। उन्हें एक गुफा और एक सिंहनी की गर्जना सुनाई दी। वे वहां गए, तो देखा कि एक सिंहनी शावकों को दूध पिला रही थी। उन्होंने कहा कि मां मैं तुम्हें मारने या तुम्हारे इन छोटे-छोटे शावकों को लेने नहीं आया हूं। मेरे गुरुदेव अस्वस्थ हैं और उन्हें तुम्हारे दूध की आवश्यकता है। उनके स्वस्थ होने पर यदि तुम चाहो तो मुझे खा सकती हो। सिंहनी शिवाजी के पैरों को चाटने लगी। तब शिवाजी ने सिंहनी का दूध निचोड़ कर बर्तन में भर...

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने शिवाजी महाराज की जयंती पर किया नमन – पर्वत वाणी

देहरादून। उत्तराखंड की बेटी, वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवं जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केन्द्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने वीर छत्रपति शिवाजी महाराज जी की जयंती पर नमन किया। इस अवसर पर जारी अपने संदेश में जनसेवी भावना पांडे ने कहा- अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम के प्रतीक वीर छत्रपति शिवाजी महाराज जी की जयंती पर उन्हें सादर वंदन। अप्रतिम योद्धा मराठा साम्राज्य के संस्थापक किसानों एवं श्रमिकों के नायक, धार्मिक सहिष्णुता एवं उदारता के ध्वजवाहक शिवाजी महाराज को शत शत नमन। जनसेवी भावना पांडे ने कहा- महाराष्ट्र के ही नहीं अपितु पूरे भारत के महानायक, वीर छत्रपति शिवाजी महाराज एक अत्यंत कुशल महान योद्धा और रणनीतिकार थे। वीर माता जीजाबाई के पुत्र वीर शिवाजी का जन्म ऐसे समय में हुआ था जब महाराष्ट्र ही नहीं अपितु पूरा भारत मुगल आक्रमणकारियों की बर्बरता से आक्रांत हो रहा था। माता जीजाबाई ने बचपन से ही शिवा जी को निर्भीकता और राष्ट्रधर्म का पाठ पढ़ाया। शिवा जी की निर्भयता का उदाहरण उनके बचपन से ही मिलने लगा था। उन्होंने बीजापुर में सुल्तान के आगे सिर नहीं झुकाया। यहीं से उनकी विजय गाथा प्रारम्भ होने लगी। उन्होंने कहा – शिवा जी भारत के पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने स्वराज्य में सुराज की स्थापना की थी। प्रत्येक क्षेत्र में मौलिक क्रांति की। शिवा जी मानवता के सशक्त संरक्षक थे। वे सभी धर्मों का आदर और सम्मान करते थे। लेकिन उन्होंने हिंदुत्व पर आक्रमण कभी सहन नहीं किया। शिवा जी का जीवन वीरतापूर्ण, अतिभव्य और आदर्श जीवन है। नयी पीढ़ी को शिवा जी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये।

माँ बगलामुखी अष्टोत्तर

Read in English ओम् ब्रह्मास्त्र-रुपिणी देवी, माता श्रीबगलामुखी । चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च, ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी ॥ 1 ॥ महा-विद्या महा-लक्ष्मी, श्रीमत् -त्रिपुर-सुन्दरी । भुवनेशी जगन्माता, पार्वती सर्व-मंगला ॥ 2 ॥ ललिता भैरवी शान्ता, अन्नपूर्णा कुलेश्वरी । वाराही छिन्नमस्ता च, तारा काली सरस्वती ॥ 3 ॥ जगत् -पूज्या महा-माया, कामेशी भग-मालिनी । दक्ष-पुत्री शिवांकस्था, शिवरुपा शिवप्रिया ॥ 4 ॥ सर्व-सम्पत्-करी देवी, सर्व-लोक वशंकरी । वेद-विद्या महा-पूज्या, भक्ताद्वेषी भयंकरी ॥ 5 ॥ स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च, दुष्ट-स्तम्भन-कारिणी । भक्त-प्रिया महा-भोगा, श्रीविद्या ललिताम्बिका ॥ 6 ॥ मेना-पुत्री शिवानन्दा, मातंगी भुवनेश्वरी । नारसिंही नरेन्द्रा च, नृपाराध्या नरोत्तमा ॥ 7 ॥ नागिनी नाग-पुत्री च, नगराज-सुता उमा । पीताम्बरा पीत-पुष्पा च, पीत-वस्त्र-प्रिया शुभा ॥ 8 ॥ पीत-गन्ध-प्रिया रामा, पीत-रत्नार्चिता शिवा । अर्द्ध-चन्द्र-धरी देवी, गदा-मुद्-गर-धारिणी ॥ 9 ॥ सावित्री त्रि-पदा शुद्धा, सद्यो राग-विवर्द्धिनी । विष्णु-रुपा जगन्मोहा, ब्रह्म-रुपा हरि-प्रिया ॥ 10 ॥ रुद्र-रुपा रुद्र-शक्तिद्दिन्मयी, भक्त-वत्सला । लोक-माता शिवा सन्ध्या, शिव-पूजन-तत्परा ॥ 11 ॥ धनाध्यक्षा धनेशी च, धर्मदा धनदा धना । चण्ड-दर्प-हरी देवी, शुम्भासुर-निवर्हिणी ॥ 12 ॥ राज-राजेश्वरी देवी, महिषासुर-मर्दिनी । मधु-कैटभ-हन्त्री च, रक्त-बीज-विनाशिनी ॥ 13 ॥ धूम्राक्ष-दैत्य-हन्त्री च, भण्डासुर-विनाशिनी । रेणु-पुत्री महा-माया, भ्रामरी भ्रमराम्बिका ॥ 14 ॥ ज्वालामुखी भद्रकाली, बगला शत्र-ुनाशिनी । इन्द्राणी इन्द्र-पूज्या च, गुह-माता गुणेश्वरी ॥ 15 ॥ वज्र-पाश-धरा देवी, जिह्वा-मुद्-गर-धारिणी । भक्तानन्दकरी देवी, बगला परमेश्वरी ॥ 16 ॥ फल-...

Om Jayanti Mangala Kali: जयन्ती मङ्गला काली मंत्र का अर्थ, महत्व, और इसकी व्याख्या

Om Jayanti Mangala Kali Mantra: यह मंत्र मूल रूप से मार्कण्डेय ऋषि द्वारा बोला गया अर्गला स्तोत्र है। अर्गला का अर्थ होता है बाधा दूर करना। इस प्रकार यह अर्गला स्तोत्र व्यक्ति के जीवन से बाधा दूर कर अनंत सुख और सदैव शांति देने वाला है। जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते।। इस मंत्र में माता जगदम्बा के ११ नामों का उल्लेख है। • जयंती • मंगला • काली • भद्रकाली • कपालिनी • दुर्गा • क्षमा • शिवा • धात्री • स्वाहा • स्वधा जयन्ती मङ्गला काली मंत्र का शाब्दिक अर्थ (Jayanti Mangala Kali Word Meaning in Hindi) • जयन्ती – वो सबसे श्रेष्ठ एवं सदैव विजयी हैं। • मंगला – वो मोक्षदायिनी मंगलमयी देवी हैं जिसके कारण उन का नाम ‘मंगला’ है। • काली – वो प्रलयकाल में सम्पूर्ण सृष्टि को अपना ग्रास बना लेती है। • भद्रकाली – शाब्दिक अर्थ है ‘अच्छी काली’। वो अपने भक्तों के लिये भद्र, सुख अथव मंगल स्वीकार करती है। • कपालिनी – वो अपने हाथ में कपाल तथा गले में मुण्डमाला धारण करनेवाली है। • दुर्गा – जो अष्टांगयोग, कर्म एवं उपासनारूप दुःसाध्य साधन से प्राप्त होती हैं, वो दुर्गा हैं। • क्षमा – जो भक्तों तथा औरों के भी सारे अपराध क्षमा करती हैं। • शिवा – सबका कल्याण करनेवाली अर्थात शिवा हैं। • धात्री – सम्पूर्ण प्रपंच को धारण करने वाली का नाम ‘धात्री’ है। • स्वाहा – स्वाहा रूप से यज्ञभाग ग्रहण करके देवताओं का पोषण करनेवाली देवी का नाम ‘स्वाहा’ है। सभी ऊर्जाओं से संपन्न स्वाहा वास्तव में अग्नि की ज्वलन शक्ति का रूप है , जो हमारी प्रकृति का एक भाग है। • स्वधा – स्वधा भी प्रकृति का एक रूप है, जो स्वयं महादेवी के अलावा कुछ नहीं है। स्वधा रूप से पितरों को दिया ...

शिव जयंती

छत्रपती शिवाजी महाराजांची जयंती साजरी करताना छत्रपती शिवाजी महाराजांचे भक्त, १९ फेब्रुवारी २०१९ अधिकृत नाव छत्रपती शिवाजी महाराज जयंती इतर नावे छत्रपती शिवाजी महाराज जयंती, शिवजन्मोत्सव, शिवछत्रपती जन्मोत्सव साजरा करणारे महाराष्ट्रातील प्रजा प्रकार सामाजिक उत्सव साजरा एक दिवस दिनांक वारंवारता वार्षिक छत्रपती शिवाजी महाराज जयंती किंवा शिवजयंती हा इतिहास [ ] शिव जयंती सुरुवात: १८६९ साली महात्मा फुले यांनी छत्रपती शिवाजी महाराज यांची रायगड येथील समाधी शोधून काढली व त्यांच्या जीवनावर सर्व प्रथम प्रदीर्घ पोवाडा लिहिला . रायगडावरील शिवाजी महाराजांच्या समाधीची व्यवस्था सरकारने स्वतःकडे घ्यावी असा अर्ज ज्योतिबांनी केला होता . १८७० साली महात्मा फुले यांनी पुणे येथे पहिली "शिवजयंती " साजरी केली. त्यानंतर १८९५ मधे लोकमान्य टिळकांनी शिवजयंती उत्सव सुरू केला. जनतेने एकत्र येऊन अशा उत्सवांच्या निमित्ताने राष्ट्रप्रेम जागवावं आणि त्याचा वापर ब्रिटिशांविरुद्ध लढा देण्यासाठी करावा असा हेतू यामागे होता. सुरुवातीच्या काळात शिवजयंती फक्त महाराष्ट्रात साजरी होत होती. परंतु २० व्या शतकाच्या पहिल्या दशकात शिवजयंतीचा उस्तव बंगालमधे जाउन पोहोचला. बंगालमधे शिवजयंतीची सुरुवात करण्याचे श्रेय 'सखाराम गणेश देऊस्कर' (१८६९-१९१२) यांना जाते. ते लोकमान्य टिळकांचे अनुयायी होते, १९०२ साली त्यांनी बंगालमध्ये शिवजयंती उत्सव साजरा केला. देउस्कर जन्माने महाराष्ट्रीय परंतु बंगालमधे स्थायिक होते. पुढे १९०५ मधे जेव्हा लॉर्ड कर्झनने बंगाल फाळणीचा प्रस्ताव आणला तेव्हा हा उत्सव अधिकच लोकप्रिय झाला. शिवरायांच्या प्रेरणेने ब्रिटिशांविरोधात जनमत तयार करण्यास या उत्सवाची बरीच मदत झाली. तसेच महाराष्ट्र आणि बंगाल या दोन राज...

शिवाजी

अनुक्रम • 1 आरम्भिक जीवन • 2 वैवाहिक जीवन • 3 सैनिक वर्चस्व का आरम्भ • 3.1 दुर्गों पर नियंत्रण • 3.2 शाहजी की बन्दी और युद्धविराम • 4 प्रभुता का विस्तार • 4.1 मुगलों से पहली मुठभेड़ • 4.2 कोंकण पर अधिकार • 4.3 बीजापुर से संघर्ष • 5 मुगलों से संघर्ष • 5.1 सूरत में लूट • 5.2 आगरा में आमंत्रण और पलायन • 6 राज्याभिषेक • 6.1 दक्षिण में विजय • 7 मृत्यु और उत्तराधिकार • 8 शासन और व्यक्तित्व • 9 राजमुद्रा • 9.1 धार्मिक नीति • 9.2 चरित्र • 10 प्रमुख तिथियां और घटनाएं • 11 इन्हें भी देखें • 12 सन्दर्भ • 13 बाहरी कड़ियां आरम्भिक जीवन शिवाजी का जन्म 19 फरवरी, 1630 को वैवाहिक जीवन शिवाजी का विवाह सन् 14 मई 1640 में शिवाजी की पत्नियाँ: • • सोयराबाई मोहिते– ( • सकवरबाई गायकवाड – (कमलाबाई) • सगुणाबाई शिर्के – (राजकुवरबाई) • पुतलाबाई पालकर • काशीबाई जाधव • लक्ष्मीबाई विचारे • गुंवांताबाई इंगले सैनिक वर्चस्व का आरम्भ उस समय उस समय दुर्गों पर नियंत्रण रोहिदेश्वर का दुर्ग सबसे पहला दुर्ग था जिसके शिवाजी महाराज ने सबसे पहले अधिकार किया था। उसके बाद तोरणा का दुर्ग जो शाहजी राजे को एक अश्वारोही सेना का गठन कर शिवाजी महाराज ने आबाजी सोन्देर के नेतृत्व में शाहजी की बन्दी और युद्धविराम बीजापुर का सुल्तान शिवाजी महाराज की हरकतों से पहले ही आक्रोश में था। उसने शिवाजी महाराज के पिता को बन्दी बनाने का आदेश दे दिया। शाहजी राजे उस समय प्रभुता का विस्तार शाहजी की मुक्ति की शर्तों के मुताबिक शिवाजी राजाने बीजापुर के क्षेत्रों पर आक्रमण तो नहीं किया पर उन्होंने दक्षिण-पश्चिम में अपनी शक्ति बढ़ाने की चेष्टा की। पर इस क्रम में जावली का मुगलों से पहली मुठभेड़ शिवाजी के बीजापुर तथा कोंकण पर अधिकार बीजापुर से सं...

माँ बगलामुखी अष्टोत्तर

Read in English ओम् ब्रह्मास्त्र-रुपिणी देवी, माता श्रीबगलामुखी । चिच्छिक्तिर्ज्ञान-रुपा च, ब्रह्मानन्द-प्रदायिनी ॥ 1 ॥ महा-विद्या महा-लक्ष्मी, श्रीमत् -त्रिपुर-सुन्दरी । भुवनेशी जगन्माता, पार्वती सर्व-मंगला ॥ 2 ॥ ललिता भैरवी शान्ता, अन्नपूर्णा कुलेश्वरी । वाराही छिन्नमस्ता च, तारा काली सरस्वती ॥ 3 ॥ जगत् -पूज्या महा-माया, कामेशी भग-मालिनी । दक्ष-पुत्री शिवांकस्था, शिवरुपा शिवप्रिया ॥ 4 ॥ सर्व-सम्पत्-करी देवी, सर्व-लोक वशंकरी । वेद-विद्या महा-पूज्या, भक्ताद्वेषी भयंकरी ॥ 5 ॥ स्तम्भ-रुपा स्तम्भिनी च, दुष्ट-स्तम्भन-कारिणी । भक्त-प्रिया महा-भोगा, श्रीविद्या ललिताम्बिका ॥ 6 ॥ मेना-पुत्री शिवानन्दा, मातंगी भुवनेश्वरी । नारसिंही नरेन्द्रा च, नृपाराध्या नरोत्तमा ॥ 7 ॥ नागिनी नाग-पुत्री च, नगराज-सुता उमा । पीताम्बरा पीत-पुष्पा च, पीत-वस्त्र-प्रिया शुभा ॥ 8 ॥ पीत-गन्ध-प्रिया रामा, पीत-रत्नार्चिता शिवा । अर्द्ध-चन्द्र-धरी देवी, गदा-मुद्-गर-धारिणी ॥ 9 ॥ सावित्री त्रि-पदा शुद्धा, सद्यो राग-विवर्द्धिनी । विष्णु-रुपा जगन्मोहा, ब्रह्म-रुपा हरि-प्रिया ॥ 10 ॥ रुद्र-रुपा रुद्र-शक्तिद्दिन्मयी, भक्त-वत्सला । लोक-माता शिवा सन्ध्या, शिव-पूजन-तत्परा ॥ 11 ॥ धनाध्यक्षा धनेशी च, धर्मदा धनदा धना । चण्ड-दर्प-हरी देवी, शुम्भासुर-निवर्हिणी ॥ 12 ॥ राज-राजेश्वरी देवी, महिषासुर-मर्दिनी । मधु-कैटभ-हन्त्री च, रक्त-बीज-विनाशिनी ॥ 13 ॥ धूम्राक्ष-दैत्य-हन्त्री च, भण्डासुर-विनाशिनी । रेणु-पुत्री महा-माया, भ्रामरी भ्रमराम्बिका ॥ 14 ॥ ज्वालामुखी भद्रकाली, बगला शत्र-ुनाशिनी । इन्द्राणी इन्द्र-पूज्या च, गुह-माता गुणेश्वरी ॥ 15 ॥ वज्र-पाश-धरा देवी, जिह्वा-मुद्-गर-धारिणी । भक्तानन्दकरी देवी, बगला परमेश्वरी ॥ 16 ॥ फल-...

अजब

• 4 hours ago • 11 hours ago • 11 hours ago • 15 hours ago • 15 hours ago • 15 hours ago • 19 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 2 days ago • 39.9°C शास्त्रों की बात , जानें धर्म के साथ समर्थ गुरु रामदास स्वामी अपने शिष्यों में सबसे अधिक स्नेह छत्रपति शिवाजी महाराज से करते थे। शिष्य सोचते थे कि उन्हें शिवाजी से उनके राजा होने के कारण ही अधिक प्रेम है। समर्थ ने शिष्यों का भ्रम दूर करने के बारे में विचार किया। एक दिन वह शिवाजी सहित अपनी शिष्य मंडली के साथ जंगल से आ रहे थे। रात्रि होने पर उन्होंने समीप की एक गुफा में जाकर डेरा डाला। सभी वहां लेट गए, किंतु थोड़ी ही देर में रामदास स्वामी कराहने लगे। कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि मेरे पेट में दर्द है। अन्य शिष्य चुप रहे पर शिवाजी ने कहा कि क्या इस दर्द को दूर करने की कोई दवा है। गुरु जी बोले, ‘‘एकमात्र सिंहनी का दूध ही मेरे पेट के दर्द को दूर कर सकता है।’’ शिवाजी सिंहनी की खोज में निकल पड़े। उन्हें एक गुफा और एक सिंहनी की गर्जना सुनाई दी। वे वहां गए, तो देखा कि एक सिंहनी शावकों को दूध पिला रही थी। उन्होंने कहा कि मां मैं तुम्हें मारने या तुम्हारे इन छोटे-छोटे शावकों को लेने नहीं आया हूं। मेरे गुरुदेव अस्वस्थ हैं और उन्हें तुम्हारे दूध की आवश्यकता है। उनके स्वस्थ होने पर यदि तुम चाहो तो मुझे खा सकती हो। सिंहनी शिवाजी के पैरों को चाटने लगी। तब शिवाजी ने सिंहनी का दूध निचोड़ कर बर्तन में भर...