शिवलिंगी बीज का फोटो

  1. Patanjali Divya Shivlingi Beej in Hindi
  2. Photos: Man Make lord Shiv family idols using 22 lakh 51 thousand Shivlingi Seeds । Photos: कलाकार ने 22.51 हजार शिवलिंगी बीजों से 13 साल में बनाई शिव परिवार की मूर्तियां
  3. शिवलिंगी
  4. शिवलिंगी बीज के (चमत्कारी} उपयोग एवं फायदे
  5. Uric Acid Control Tips: सीमेंट की तरह हड्डियों में जमे यूरिए एसिड के क्रिस्टल को गला देगा ये काला बीज, जोड़ों का दर्द होगा दूर
  6. शिवलिंगी बीज के (चमत्कारी} उपयोग एवं फायदे
  7. शिवलिंगी
  8. Patanjali Divya Shivlingi Beej in Hindi
  9. Photos: Man Make lord Shiv family idols using 22 lakh 51 thousand Shivlingi Seeds । Photos: कलाकार ने 22.51 हजार शिवलिंगी बीजों से 13 साल में बनाई शिव परिवार की मूर्तियां
  10. Uric Acid Control Tips: सीमेंट की तरह हड्डियों में जमे यूरिए एसिड के क्रिस्टल को गला देगा ये काला बीज, जोड़ों का दर्द होगा दूर


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Patanjali Divya Shivlingi Beej in Hindi

Patanjali Divya Shivlingi Beej बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः बांझपन, मोटापा, बुखार के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। Patanjali Divya Shivlingi Beej के मुख्य घटक हैं शिवलिंगीs जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Patanjali Divya Shivlingi Beej की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है। बुजुर्ग • मात्रा: निर्धारित खुराक का उपयोग करें • खाने के बाद या पहले: खाने के बाद • अधिकतम मात्रा: 3 g • लेने का तरीका: गुनगुना पानी • दवा का प्रकार: ग्रैन्युल्स • दवा लेने का माध्यम: मुँह • आवृत्ति (दवा कितनी बार लेनी है): दिन में दो बार • दवा लेने की अवधि: 3 महीने Patanjali Divya Shivlingi Beej के नुकसान, दुष्प्रभाव और साइड इफेक्ट्स - Patanjali Divya Shivlingi Beej Side Effects in Hindi चिकित्सा साहित्य में Patanjali Divya Shivlingi Beej के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Patanjali Divya Shivlingi Beej का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें। अस्वीकरण: इस साइट पर उपलब्ध सभी जानकारी और लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं। यहाँ पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। चिकित्सा परीक्षण और उपचार के लिए हमेशा एक योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। © 2023, myUpchar. सर्वाधिकार सुरक्षित

Photos: Man Make lord Shiv family idols using 22 lakh 51 thousand Shivlingi Seeds । Photos: कलाकार ने 22.51 हजार शिवलिंगी बीजों से 13 साल में बनाई शिव परिवार की मूर्तियां

शिवलिंगी के बीजों से शिव परिवार बनाने वाले कलाकार का कहना है कि भगवान शिव के प्रति उनकी आस्था ने उन्हें शहडोल से अमरकंटक तक पहुंचा दिया.जहां उसने 13 सालों तक शिवलिंगी के बीज इकट्ठे किए और फिर उसके बाद मूर्तियों को बनाना शुरू किया. https://zeenews.india.com/hindi/photo-gallery/photos-man-make-lord-shiv-family-idols-using-22-lakh-51-thousand-shivlingi-seeds/531929

शिवलिंगी

, एक पतला तेज पौधा है जो अप्रैल ओर दिसंबर के महीनों के बीच भारत में मिलता है। शिवलिंगी पौधे के लगभग सभी घटक जैसे भूरे रंग के बीज, गोलकार फल और इसकी चंचल पत्तियों सभी औषधीय गुणों (medicinal properties) वाली होती हैं। शिवलिंगी बीज के फायदे कितने महत्वपूर्ण हैं।बांझपन को भी दूर करता है. प्रजनन शक्ति बढ़ाने के अलावा भी इसमें कई अन्य गुण जैसे रक्त मेन लिपिड के स्तर को कम करना, रोगाणुओं का नाश करना, सूजन कम करना, फंगसरोधी, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाना और दर्दनिवारक के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है. स्वाद में कड़वा लगाने वाले शिवलिंगी बीज के फ़ायदे निंलिखित हैं. 1.बुखार बुखार को कम करने में शिलिंगी बीज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. शिवलिंगी के पत्तों का सेवन बुखार में अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है. शिवलिंगी के पत्तों में पैरासेटामॉल जैसे ज्वरनाशी गुण पाए जाते हैं. आप चाहें तो इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं. आपको बता दें कि शिवलिंगी बीज में पीड़ा-नाशक गुण भी होते हैं। 2.वजन कम करने में बॉडी मॉस इंडेक्स को सही करने और शरीर के वजन को कम करने में शिवलिंगी बीज की सकारात्मक भुमिका है. इसके लिए इसमें पाया जाने वाला ग्लुकोमानन जिम्मेदार है. अपना मोटापा कम करने के लिए आपको शिवलिंगी बीज को नियमित रूप से और सही मात्रा में इस्तेमाल करना जरुरी है. 3. बांझपन को दूर करने में कई महिलाओं में बांझपन की समस्या देखने को मिलती है. प्रजनन का सीधा संबंध अंडाणु और शुक्राणु से है. विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं में बांझपन अंडे की कम संख्या या गुणवत्ता के कारण हो सकती है. इस तरह की स्थिति के लिए कोई बीमारी या चोट लगना जिम्मेदार हो सकती है. स्वाभाविक रूप से ये समस्या बढ़ती उम्र के साथ आती है. शिवलि...

शिवलिंगी बीज के (चमत्कारी} उपयोग एवं फायदे

शिवलिंगी पौधे में पीले फूल होते हैं उसके बाद इसमें गोलाकार बीज होता है। शिवलिंगी का बीज कड़वे स्वाद का होता है। परन्तु एक निश्चित मात्रा में इसका प्रयोग करना सुरक्षित माना जाता है। यह दिखने में हिंदू देवता शिवजी के प्रतीक चिन्ह शिवलिंग की तरह दिखता है। शायत इसी लिए इस पौधे का नाम शिवलिंगी रखा गया है। भौगोलिक दृष्टि से देखें तो यह शिवलिंगी का पौधा भारत के अधिकतर क्षेत्रों में मिलता है। इसके अतिरिक्त यह मॉरिशियस, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, और अफ्रीका के कुछ भागों में भी मिलता है। लोगों की यह सोच है कि शिवलिंगी बीज लेने से पुत्र प्राप्ती होने की सम्भावना अधिक होती है। शिवलिंगी बीज का प्रयोग अधिकत बॉझपन को दूर करने में किया जाता है। शिवलिंगी के बीजों में एंटीऑक्सीडेंट, एनाल्जेसिक, एंटी-फंगल, एंटीमाइक्रोबायल, दर्द को कम करने वाले और शुक्राणु को बढ़ाने वाले गुण पाये जाते हैं। ये सभी मिलकर एक बेहद कारगर गर्भाशय काड़ा या टॉनिक बनाते हैं यह टॉनिक महिलाओं में बांझपन का इलाज करने में सहायता प्रदान करता है। आधुनिक युग में एलोपैथिक दवाओं का प्रयोग बढ़ने से शिवलिंगी के बीजों के प्रयोग में कमी आई है परन्तु इसे अभी भी स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। शिवलिंगी को आयुर्वेद चिकित्सा में बांझपन को दूर करने वाली जड़ी बूटियों में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। इस लेख में हम शिवलिंगी बीज के बारे में व इससे होने वाले फायदों के साथ ही इनके नुकसान के बारे में जानेंगे। Table of Contents • • • • • • • • • • • • शिवलिंगी बीज के उपयोग – Shivlingi beej Uses in Hindi शिवलिंगी बीजों का प्रयोग गर्भावस्था की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसको पुत्रजीवक के पाउडर साथ में लिया जाना फायदेमंद हो...

Uric Acid Control Tips: सीमेंट की तरह हड्डियों में जमे यूरिए एसिड के क्रिस्टल को गला देगा ये काला बीज, जोड़ों का दर्द होगा दूर

Uric Acid Control Tips: सीमेंट की तरह हड्डियों में जमे यूरिए एसिड के क्रिस्टल को गला देगा ये काला बीज, जोड़ों का दर्द होगा दूर यूरिक एसिड का शरीर में बढ़ना यानी आर्थराइटिस का खतरा दोगुना होना है. जोड़ों के बीच गैप में ये एसिड क्रिस्टल बनकर सीमेंट की तरह जम जाता है और हड्डियों को घिसने लगता है और तब जानलेवा दर्द होता है. डीएनए हिंदीः कलौंजी को गठिया का प्राकृतिक उपचार माना जाता है.आयुर्वेदिक चिकित्सा में कलौंजी एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में जानी जाती है क्योंकि इसमें एनोरेक्सिया, तंत्रिका संबंधी विकार और स्त्री रोग संबंधी समस्याओं का इलाज करने की क्षमता है. यह किसी के मूड को सुधारने और मेटाबॉलिज्म को उत्तेजित करने में भी मदद करती है. कई शताब्दियों से कलौंजी पारंपरिक चिकित्सा का हिस्सा रही है, उस समय भी इसके बीज का उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे कि श्वसन समस्याओं, गुर्दे और यकृत की बीमारी, पाचन संबंधी दिक्कतों, गठिया और प्रतिरक्षा प्रणाली के इलाज के लिए किया जाता था. इतना ही नहीं इसके बीज थकान और कमजोरी का भी इलाज करते हैं. इस बीज के औषधिय महत्व का जिक्र बाइबिल के ओल्ड टेस्टामेंट में मिलता है जहां इसे "केत्जाह" कहा जाता था. गाउट यानी गठिया में कैसे फायदेमंद है कलौंजी हाई एंटीऑक्सीडेंट रिच कलौंजी मुक्त कणों से लड़ती है और ये एंटीऑक्सिडेंट प्रक्रियाओं पर कार्य करती है जैसे लिवर एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम को बढ़ाना, होमोसिस्टीन को कम करना और कुछ सेल्स को ऑक्सीडेटिव चोट से बचाना. कलौंजी में पाए जाने वाले विशिष्ट एंटीऑक्सीडेंट यौगिकों -थाइमोक्विनोन, कारवाक्रोल, टी-एनेथोल, 4-टेरपिनोल ही दवा का काम करते हैं. थाइमोक्विनोन विशेष रूप से सूजन को कम करने और लिवर की रक्षा करने के लिए प...

शिवलिंगी बीज के (चमत्कारी} उपयोग एवं फायदे

शिवलिंगी पौधे में पीले फूल होते हैं उसके बाद इसमें गोलाकार बीज होता है। शिवलिंगी का बीज कड़वे स्वाद का होता है। परन्तु एक निश्चित मात्रा में इसका प्रयोग करना सुरक्षित माना जाता है। यह दिखने में हिंदू देवता शिवजी के प्रतीक चिन्ह शिवलिंग की तरह दिखता है। शायत इसी लिए इस पौधे का नाम शिवलिंगी रखा गया है। भौगोलिक दृष्टि से देखें तो यह शिवलिंगी का पौधा भारत के अधिकतर क्षेत्रों में मिलता है। इसके अतिरिक्त यह मॉरिशियस, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस, और अफ्रीका के कुछ भागों में भी मिलता है। लोगों की यह सोच है कि शिवलिंगी बीज लेने से पुत्र प्राप्ती होने की सम्भावना अधिक होती है। शिवलिंगी बीज का प्रयोग अधिकत बॉझपन को दूर करने में किया जाता है। शिवलिंगी के बीजों में एंटीऑक्सीडेंट, एनाल्जेसिक, एंटी-फंगल, एंटीमाइक्रोबायल, दर्द को कम करने वाले और शुक्राणु को बढ़ाने वाले गुण पाये जाते हैं। ये सभी मिलकर एक बेहद कारगर गर्भाशय काड़ा या टॉनिक बनाते हैं यह टॉनिक महिलाओं में बांझपन का इलाज करने में सहायता प्रदान करता है। आधुनिक युग में एलोपैथिक दवाओं का प्रयोग बढ़ने से शिवलिंगी के बीजों के प्रयोग में कमी आई है परन्तु इसे अभी भी स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। शिवलिंगी को आयुर्वेद चिकित्सा में बांझपन को दूर करने वाली जड़ी बूटियों में अत्यधिक महत्व दिया जाता है। इस लेख में हम शिवलिंगी बीज के बारे में व इससे होने वाले फायदों के साथ ही इनके नुकसान के बारे में जानेंगे। Table of Contents • • • • • • • • • • • • शिवलिंगी बीज के उपयोग – Shivlingi beej Uses in Hindi शिवलिंगी बीजों का प्रयोग गर्भावस्था की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसको पुत्रजीवक के पाउडर साथ में लिया जाना फायदेमंद हो...

शिवलिंगी

, एक पतला तेज पौधा है जो अप्रैल ओर दिसंबर के महीनों के बीच भारत में मिलता है। शिवलिंगी पौधे के लगभग सभी घटक जैसे भूरे रंग के बीज, गोलकार फल और इसकी चंचल पत्तियों सभी औषधीय गुणों (medicinal properties) वाली होती हैं। शिवलिंगी बीज के फायदे कितने महत्वपूर्ण हैं।बांझपन को भी दूर करता है. प्रजनन शक्ति बढ़ाने के अलावा भी इसमें कई अन्य गुण जैसे रक्त मेन लिपिड के स्तर को कम करना, रोगाणुओं का नाश करना, सूजन कम करना, फंगसरोधी, शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाना और दर्दनिवारक के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है. स्वाद में कड़वा लगाने वाले शिवलिंगी बीज के फ़ायदे निंलिखित हैं. 1.बुखार बुखार को कम करने में शिलिंगी बीज महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. शिवलिंगी के पत्तों का सेवन बुखार में अत्यंत लाभदायक सिद्ध होता है. शिवलिंगी के पत्तों में पैरासेटामॉल जैसे ज्वरनाशी गुण पाए जाते हैं. आप चाहें तो इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर भी पी सकते हैं. आपको बता दें कि शिवलिंगी बीज में पीड़ा-नाशक गुण भी होते हैं। 2.वजन कम करने में बॉडी मॉस इंडेक्स को सही करने और शरीर के वजन को कम करने में शिवलिंगी बीज की सकारात्मक भुमिका है. इसके लिए इसमें पाया जाने वाला ग्लुकोमानन जिम्मेदार है. अपना मोटापा कम करने के लिए आपको शिवलिंगी बीज को नियमित रूप से और सही मात्रा में इस्तेमाल करना जरुरी है. 3. बांझपन को दूर करने में कई महिलाओं में बांझपन की समस्या देखने को मिलती है. प्रजनन का सीधा संबंध अंडाणु और शुक्राणु से है. विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं में बांझपन अंडे की कम संख्या या गुणवत्ता के कारण हो सकती है. इस तरह की स्थिति के लिए कोई बीमारी या चोट लगना जिम्मेदार हो सकती है. स्वाभाविक रूप से ये समस्या बढ़ती उम्र के साथ आती है. शिवलि...

Patanjali Divya Shivlingi Beej in Hindi

Patanjali Divya Shivlingi Beej बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः बांझपन, मोटापा, बुखार के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। Patanjali Divya Shivlingi Beej के मुख्य घटक हैं शिवलिंगीs जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। Patanjali Divya Shivlingi Beej की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है। बुजुर्ग • मात्रा: निर्धारित खुराक का उपयोग करें • खाने के बाद या पहले: खाने के बाद • अधिकतम मात्रा: 3 g • लेने का तरीका: गुनगुना पानी • दवा का प्रकार: ग्रैन्युल्स • दवा लेने का माध्यम: मुँह • आवृत्ति (दवा कितनी बार लेनी है): दिन में दो बार • दवा लेने की अवधि: 3 महीने Patanjali Divya Shivlingi Beej के नुकसान, दुष्प्रभाव और साइड इफेक्ट्स - Patanjali Divya Shivlingi Beej Side Effects in Hindi चिकित्सा साहित्य में Patanjali Divya Shivlingi Beej के दुष्प्रभावों के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। हालांकि, Patanjali Divya Shivlingi Beej का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह-मशविरा जरूर करें। अस्वीकरण: इस साइट पर उपलब्ध सभी जानकारी और लेख केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए हैं। यहाँ पर दी गयी जानकारी का उपयोग किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या या बीमारी के निदान या उपचार हेतु बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं किया जाना चाहिए। चिकित्सा परीक्षण और उपचार के लिए हमेशा एक योग्य चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। © 2023, myUpchar. सर्वाधिकार सुरक्षित

Photos: Man Make lord Shiv family idols using 22 lakh 51 thousand Shivlingi Seeds । Photos: कलाकार ने 22.51 हजार शिवलिंगी बीजों से 13 साल में बनाई शिव परिवार की मूर्तियां

शिवलिंगी के बीजों से शिव परिवार बनाने वाले कलाकार का कहना है कि भगवान शिव के प्रति उनकी आस्था ने उन्हें शहडोल से अमरकंटक तक पहुंचा दिया.जहां उसने 13 सालों तक शिवलिंगी के बीज इकट्ठे किए और फिर उसके बाद मूर्तियों को बनाना शुरू किया. https://zeenews.india.com/hindi/photo-gallery/photos-man-make-lord-shiv-family-idols-using-22-lakh-51-thousand-shivlingi-seeds/531929 By clicking “Accept All Cookies”, you agree to the storing of cookies on your device and the processing of information obtained via those cookies (including about your preferences, device and online activity) by us and our commercial partners to enhance site navigation, personalise ads, analyze site usage, and assist in our marketing efforts. More information can be found in our Accept All Cookies Manage Consent Preferences Strictly Necessary Cookies These cookies are necessary for the website to function and cannot be switched off in our systems. They are usually only set in response to actions made by you which amount to a request for services, such as setting your privacy preferences, logging in or filling in forms. You can set your browser to block or alert you about these cookies, but some parts of the site will not then work or you may not be able to login. Targeting Cookies These cookies may be set through our site by our advertising partners. They may be used by those companies to build a profile of your interests and show you relevant adverts on other sites. They are also used to limit the number of times ...

Uric Acid Control Tips: सीमेंट की तरह हड्डियों में जमे यूरिए एसिड के क्रिस्टल को गला देगा ये काला बीज, जोड़ों का दर्द होगा दूर

Uric Acid Control Tips: सीमेंट की तरह हड्डियों में जमे यूरिए एसिड के क्रिस्टल को गला देगा ये काला बीज, जोड़ों का दर्द होगा दूर यूरिक एसिड का शरीर में बढ़ना यानी आर्थराइटिस का खतरा दोगुना होना है. जोड़ों के बीच गैप में ये एसिड क्रिस्टल बनकर सीमेंट की तरह जम जाता है और हड्डियों को घिसने लगता है और तब जानलेवा दर्द होता है. डीएनए हिंदीः कलौंजी को गठिया का प्राकृतिक उपचार माना जाता है.आयुर्वेदिक चिकित्सा में कलौंजी एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में जानी जाती है क्योंकि इसमें एनोरेक्सिया, तंत्रिका संबंधी विकार और स्त्री रोग संबंधी समस्याओं का इलाज करने की क्षमता है. यह किसी के मूड को सुधारने और मेटाबॉलिज्म को उत्तेजित करने में भी मदद करती है. कई शताब्दियों से कलौंजी पारंपरिक चिकित्सा का हिस्सा रही है, उस समय भी इसके बीज का उपयोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों जैसे कि श्वसन समस्याओं, गुर्दे और यकृत की बीमारी, पाचन संबंधी दिक्कतों, गठिया और प्रतिरक्षा प्रणाली के इलाज के लिए किया जाता था. इतना ही नहीं इसके बीज थकान और कमजोरी का भी इलाज करते हैं. इस बीज के औषधिय महत्व का जिक्र बाइबिल के ओल्ड टेस्टामेंट में मिलता है जहां इसे "केत्जाह" कहा जाता था. गाउट यानी गठिया में कैसे फायदेमंद है कलौंजी हाई एंटीऑक्सीडेंट रिच कलौंजी मुक्त कणों से लड़ती है और ये एंटीऑक्सिडेंट प्रक्रियाओं पर कार्य करती है जैसे लिवर एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम को बढ़ाना, होमोसिस्टीन को कम करना और कुछ सेल्स को ऑक्सीडेटिव चोट से बचाना. कलौंजी में पाए जाने वाले विशिष्ट एंटीऑक्सीडेंट यौगिकों -थाइमोक्विनोन, कारवाक्रोल, टी-एनेथोल, 4-टेरपिनोल ही दवा का काम करते हैं. थाइमोक्विनोन विशेष रूप से सूजन को कम करने और लिवर की रक्षा करने के लिए प...