तिरुपति बालाजी का सच

  1. तिरुपति बालाजी मंदिर
  2. तिरुपति बालाजी मंदिर: कालातीत आस्था का प्रतीक
  3. Tirupati Balaji: तिरुपति बालाजी में पूरी होती है भक्तों की मुराद, जानें प्राचीन कथा


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तिरुपति बालाजी मंदिर

लेख सारिणी • • • • • • • • • • • • • तिरुपति बालाजी मंदिर – Thirupati Balaji Temple भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर (Thirupati Balaji Mandir) आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति में तिरुमाला पर्वत (Tirupati Balaji Location) पर स्थित हैं| यहाँ आपको तिरुपति बालाजी यानि भगवान व्यंकटेश स्वामी के दर्शन (Tirupati Balaji Darshan) होते है । हिंदू धर्म में तिरुपति बालाजी मंदिर की काफी मान्यता है। इस मंदिर की महिमा अपार है। कहा जाता है जीवन में एक बार तिरुपति के दर्शन करने से जीवन सफल हो जाता है। सुम्रदी तल से 853 फीट ऊंचाई पर बने इस मंदिर की पहाड़ी पर सात चोटियां होने से इसे “सात पहाडिय़ों का मंदिर”भी कहा जाता है। तिरुपति बालाजी मंदिर (Tirupati Balaji Mandir) दान और धर्म के संदर्भ में देश का सबसे अमीर मंदिर है। हर साल करोड़ों लोग तिरुपति बालाजी के दर्शन (Tirupati Balaji Live Darshan) के लिए आते हैं। हर साल करोड़ों रूपए का दान इस मंदिर में किया जाता है। मंदिर में प्रतिदिन 50 हजार से 1 लाख भक्त वेंकटेश्वर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, वहीं विशेष अवसरों पर तीर्थयात्रियों की संख्या 5 लाख तक हो जाती है। तिरुपति बालाजी मंदिर को भूलोक वैकुंठतम भी कहते हैं, इसका अर्थ है पृथ्वी पर विष्णु का निवास। हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु प्राचीन युग में आने वाली मुश्किलों के चलते मनुष्य के जीवन को बचाने धरती पर तिरुपति बालाजी (Thirupati Balaji) के रूप में प्रकट हुए थे। वैसे इस मंदिर में बाल दान करने की परंपरा है, जिसे “मोक्कू” कहा जाता है। तिरुपति बालाजी के दर्शन (Tirupati Balaji Temple) करने से पहले यहां लोग अपने बाल भगवान वेंकटेश्वर को दान करके पुण्य कमाते हैं। प्रकृति की गोद में बसा यह मंदि...

तिरुपति बालाजी मंदिर: कालातीत आस्था का प्रतीक

आंध्र प्रदेश के तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर मंदिर भारत के उन मंदिरों में से एक है जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिये जाते तो हैं लेकिन इनमें से कुछ लोगों को ही पता है कि ये मंदिर कितना पुराना है। मंदिर को लेकर कई दंतकथाएं हैं लेकिन एक बात जो हम अच्छी तरह जानते हैं वो ये कि ये हज़ार बरसों से पूजा-अर्चना का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है और इसे दक्षिण में पल्लव से लेकर विजयनगर के राय राजवंश का संरक्षण प्राप्त था। इस मंदिर में आज भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। ये मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के तिरुपति शहर में तिरुमाला अथवा तिरुमलय पहाड़ी पर स्थित है। ये पूर्वी घाटों में शेषाचलम पर्वतमाला का हिस्सा है जिसकी सात चोटियां हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि ये सात चोटियां नागराज आदिशेष के सात फनों का प्रतिनिधित्व करती हैं। पर्वतमाला को देखने से लगता है मानों कोई सांप कुंडली मारे बैठा हो। पास की पहाड़ियों से दिखता तिरुपति बालाजी मंदिर | लिव हिस्ट्री इंडिया कहा जाता है कि तिरुमाला के भगवान श्री वेंकटेश्वर का आरंभिक उल्लेख ई.पू.दूसरी सदी के तमिल साहित्यिक ग्रंथ तोल्काप्पियम में मिला था। श्री वेंकटेश्वर सात पर्वतों के भगवान के रुप में जाने जाते हैं और ऐसा विश्वास किया जाता है कि वह कलि युग (हिंदू धर्म के अनुसार विश्व की चार अवस्थाओं में से एक) में भागवान विष्णु के अवतार हैं। श्री वेंकटेश्वर मंदिर के साथ कई कथाएं जुड़ी हुई हैं और इनमें एक कथा ये भी है कि यहां मुख्य देवता की प्रतिमा स्वयंभू मूर्ति है। इसी वजह से मंदिर को अपने तमाम श्रृद्धालों के लिये पवित्र स्थान माना जाता है। पुराणों में मंदिर को लेकर कई कहानी-क़िस्से हैं। वराह पुराण के अनुसार मंदिर का निर्माण टों...

Tirupati Balaji: तिरुपति बालाजी में पूरी होती है भक्तों की मुराद, जानें प्राचीन कथा

तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji) का मंदिर देश में नहीं बल्कि विदेशों में भी मशहूर है. तिरुपति वेंकेटेश्वर मंदिर तिरुपति में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू एवं जैन मंदिर है. तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है. यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है. प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं. यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार प्रभु वेंकटेश्वर (Venkateswara) या बालाजी (Balaji) को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि प्रभु विष्णु ने कुछ समय के लिए स्वामी पुष्करणी नामक तालाब के किनारे निवास किया था. यह तालाब तिरुमाला के पास स्थित है. तिरुमाला- तिरुपति के चारों ओर स्थित पहाड़ियां, शेषनाग के सात फनों के आधार पर बनीं 'सप्तगिरि' कहलाती है. श्री वेंकटेश्वरैया का यह मंदिर सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर स्थित है, जो वेंकटाद्री नाम से प्रसिद्ध है. इस समय तिरुपति मंदिर इसलिए चर्चा में है क्योंकि मंदिर के 700 कर्मचारी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं. लेकिन आज हम हम आपको बताएंगे तिरुपति बालाजी की पौराणिक कथा... तिरुपति बालाजी की पौराणिक कथा पौराणिक कथा के अनुसार, जब असुर और देवताओं ने सागर मंथन किया , तब कालकूट विष के अलावा चौदह रत्‍‌न निकले थे. इन रत्‍‌नों में से एक देवी लक्ष्मी भी थीं. लक्ष्मी के भव्य रूप और आकर्षण के फलस्वरूप सारे देवता, दैत्य और मनुष्य उनसे विवाह करने हेतु लालायित थे, किन्तु देवी लक्ष्मी को उन सबमें कोई न कोई कमी लगी. अत: उन्होंने समीप निरपेक्ष भाव से खड़े हुए विष्णुजी के गले में वरमाला पहना दी. विष्णु जी ने लक्ष्मी जी को अपने वक्ष पर स्थान दिया. यह रहस्यपूर्ण है कि विष्णुजी ने लक्ष्मीजी को अपने ह्वदय में स्थान क्यों नहीं दिया? महादेव शिवजी की जिस प्रक...