श्लेष अलंकार के 10 उदाहरण

  1. श्लेष अलंकार की परिभाषा, उदाहरण, भेद
  2. Slesh Alankar
  3. श्लेष अलंकार
  4. श्लेष अलंकार की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण Shlesh Alankar in Hindi
  5. Shlesh Alankar
  6. श्लेष अलंकार क्या है


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श्लेष अलंकार की परिभाषा, उदाहरण, भेद

इस लेख में अध्ययन करेंगे श्लेष अलंकार की परिभाषा, उदाहरण, भेद आदि । साथ ही अनेक उदाहरणों से इसको सरलतापूर्वक समझने का भी प्रयास करेंगे। यह लेख परीक्षा की दृष्टि से तैयार किया गया है। जिसका एक नजर में अध्ययन कर श्लेष अलंकार के विषय में विस्तृत रूप से लिख सकते हैं। यह अलंकार शब्दालंकार के अंतर्गत आता है। शब्दाअलंकार के अंतर्गत मुख्य रूप से तीन अलंकार को माना गया है – • अनुप्रास अलंकार ( इसके अंतर्गत वर्णों की आवृत्ति बार-बार होती है ) • यमक अलंकार ( इसके अंतर्गत शब्दों की बार-बार आवृत्ति होती है , किंतु अर्थ की भिन्नता के साथ ) • श्लेष अलंकार ( इसमें एक ही शब्द के दो अर्थ निकलते हैं ,अर्थात एक से अधिक शब्द की प्रतीति होती है। • जिसको चिपका हुआ भी कह सकते हैं ) श्लेष अलंकार की परिभाषा श्लेष का शाब्दिक अर्थ है चिपका हुआ अतः जहां एक शब्द के दो या दो से अधिक अर्थ की जानकारी मिलती हो ,वहां श्लेष अलंकार होता है। जैसे – जो रहीम गति दीप की ,कुल कपूत गति सोय बारे उजियारो करे बढे अंधेरो होई। । उपर्युक्त पद में ‘ बारे’ और ‘बढे’ शब्दों में श्लेष है। यहां यह शब्द एक बार आए हैं किंतु इनके अर्थ दो प्रतीत हो रहे हैं। बारे – बचपन में, जलाने पर बढे- उम्र बढ़ने पर , बुझने पर। अन्य अलंकार की जानकारी भी प्राप्त करें श्लेष अलंकार के उदहारण उदहारण अर्थ मधुबन की छाती को देखो , सूखी इसकी कितनी कलियां। कलियाँ -१ अविकसित फूल २ यौवन से पूर्व की अवस्था तो पर वारौं उरबसी सुनि राधिके सुजान तू मोहन के उरबसी हवै उरबसी समान। । उरबसी -१ ह्रदय में वास २ अप्सरा का नाम सुवरन को ढूंढत फिरत कवि व्यभिचारी चोर। सुवरन -१ सुन्दर वर्ण २ सुंदरी ३ सोना रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून। । पा...

Slesh Alankar

Slesh alankar Slesh Alankar, easy examples of Slesh Alankar in hindi, Slesh Alankar example in marathi, Slesh Alankar ki paribhasha udaharan sahit, Slesh Alankar kise kahte hai, Slesh Alankar ke bhed श्लेष अलंकार की परिभाषा, भेद, उदाहरण सहित. Slesh Alankar श्लेष अलंकार किसे कहते हैं। श्लेष अलंकार की परिभाषा, भेद तथा उदाहरण का वर्णन कीजिए। श्लेष अलंकार परिभाषा भेद उदाहरण. श्लेष अलंकार के उदाहरण और परिभाषा "श्लेष" का अर्थ है-"चिपकना" । जहां एक शब्द एक ही बार प्रयुक्त होने पर दो अर्थ दे वहां श्लेष अलंकार होता है। अर्थात जहां एक ही शब्द से दो अर्थ चिपके हो वहां पर श्लेष अलंकार होता है। रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।। स्पष्टीकरण-यहां पर पानी शब्द के तीन अर्थ प्रयुक्त हुआ है। १-चमक २-सम्मान ३-चून चरन धरत चिंता करत, चितवत चारों ओर | सुवरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर | स्पष्टीकरण-उपर्युक्त दोहे की दूसरी पंक्ति में "सुबरन" का प्रयोग किया गया है जिसे कवि, व्यभिचारी और चोर- तीनों ढूंढ रहे हैं। इस प्रकार एक शब्द सुबरन के यहां तीन अर्थ है। १- कवि सुबरन अर्थात अच्छे शब्द २-व्यभिचारी सुबरन अर्थात अच्छा रूप रंग और ३-चोर भी सुबरन अर्थात स्वर्ण ढूंढ रहा है। अतः यहाँ पर श्लेष अलंकार है। . जे रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारो करै, बढ़े अंघेरो होय। सीधी चलते राह जो,रहते सदा निशंक| जो करते विप्लव, उन्हें, ‘हरि’ का है आतंक। विमाता बन गई आधी भयावह। हुआ चंचल ना फिर भी श्याम घन वह। चिरजीवो जोरी जुरे क्यों न सनेह गंभीर। को घटि ये वृष भानुजा, वे हलधर के बीर।। सम्पूर्ण अलंकार हिंदी ग्रामर अन्य अलंकार-

श्लेष अलंकार

श्लेष अलंकार की परिभाषा जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आये पर उसके अर्थ अलग अलग निकलें वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है। अर्थात श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ, जब एक शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। अर्थात जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है। यह शब्दालंकार के भेदों में से एक हैं। श्लेष अलंकार का उदाहरण 1. जे रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय । बारे उजियारो करै, बढ़े अंघेरो होय। रहीम जी ने दोहे के द्वारा दीये एवं कुपुत्र के चरित्र को एक जैसा दर्शाने की कोशिश की है। रहीम जी कहते हैं कि शुरू में दोनों ही उजाला करते हैं लेकिन बढ़ने पर अन्धेरा हो जाता है। इस उदाहरण में बढे शब्द से दो विभिन्न अर्थ निकल रहे हैं। दीपक के सन्दर्भ में बढ़ने का मतलब है बुझ जाना जिससे अन्धेरा हो जाता है। कुपुत्र के सन्दर्भ में बढ़ने से मतलब है बड़ा हो जाना। 2. अलङ्कारः शङ्का करनकपालं परिजनो विशीर्णाङ्गो भृङ्गो वसु च वृष एकोबहुवयाः । अवस्थेयं स्थाणोरपि भवति सर्वामिरगुरोः विधौ वक्रे मूर्ध्नि स्थितवति वयं के पुनरमी ।। श्लेषालंकारः – संस्कृत ‘श्लेष का अर्थ होता है- चिपकना। “वाच्यभेदेन भिन्ना यद् युगपदभाषणस्पृशः। श्लिष्यन्ति शब्दाः श्लेषोऽसावक्षरादिभिरष्टधा।।” जब किसी वाक्य में ऐसे श्लिष्ट शब्दों का प्रयोग हो और या तो वह शब्द कई अर्थ लाए या फिर उसके कारण अर्थ में एकाधिकता आ जाए, तब श्लेषालंकार अपनी छटा बिखेरने लगता है। “श्लेषः स वाक्ये एकस्मिन् यत्रानेकार्थता भवेत्” अर्थात् एकाधिक अर्थवाले शब्द को श्लिष्ट शब्द कहा जाता है। उदाहरणस्वरूपः 1. अलङ्कारः शङ्का करनकपालं परिजनो विशीर्णाङ्गो भृङ्गो वसु च वृष ...

श्लेष अलंकार की परिभाषा, भेद एवं उदाहरण Shlesh Alankar in Hindi

श्लेष अलंकार Shlesh Alankar :- इस अलंकार में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जिनके एक नहीं वरन् अनेक अर्थ हों। श्लिष्ट पदों से अनेक अर्थों के कथन को ‘श्लेष’ कहते है। ‘श्लेष’ का अर्थ होता है- मिला हुआ, चिपका हुआ। जिस शब्द में एकाधिक अर्थ हों, उसे ही श्लेष अलंकार कहते हैं। इनमें दो बातें आवश्यक है- (क) एक शब्द के एक से अधिक अर्थ हो (ख) एक से अधिक अर्थ प्रकरण में अपेक्षित हों। Advertisement श्लेष अलंकार का उदाहरण example of Shlesh Alankar in Hindi माया महाठगिनि हम जानी। तिरगुन फाँस लिए कर डोलै, बोलै मधुरी बानी। यहाँ ‘तिरगुन’ शब्द में शब्द श्लेष की योजना हुई है। इसके दो अर्थ है- तीन गुण-सत्त्व, रजस्, तमस्। दूसरा अर्थ है- तीन धागोंवाली रस्सी। ये दोनों अर्थ प्रकरण के अनुसार ठीक बैठते है, क्योंकि इनकी अर्थसंगति ‘महाठगिनि माया’ से बैठायी गयी है। Advertisement श्लेष अलंकार का दूसरा उदाहरण चिरजीवौ जोरी जुरै, क्यों न सनेह गँभीर। को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर। यहाँ ‘वृषभानुजा’ और ‘हलधर’ श्लिष्ट शब्द हैं, जिनसे बिना आवृत्ति के ही भित्र-भित्र अर्थ निकलते हैं। ‘वृषभानुजा’ से ‘वृषभानु की बेटी’ (राधा) और ‘वृषभ की बहन’ (गाय) का तथा ‘हलधर के बीर’ से कृष्ण (बलदेव के भाई) और साँड़ (बैल के भाई) का अर्थ निकलता है। Advertisement श्लेष के भेद Shlesh Alankar ke bhed (Types) श्लेष के दो भेद होते है- (1) अभंग श्लेष Abhang Shlesh (2) सभंग श्लेष Sabhang Shlesh अभंग श्लेष में शब्दों को बिना तोड़े अनेक अर्थ निकलते हैं किंतु सभंग श्लेष में शब्दों को तोड़ना आवश्यक हो जाता है। यथा- अभंग श्लेष का उदाहरण example of Abhang Shlesh Alankar in Hindi – रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरै, म...

Shlesh Alankar

Learn श्लेष अलंकार की परिभाषा ‘श्लेष’ का अर्थ चिपकना। जिस शब्द में एकाधिक अर्थ हों, उसे ही श्लिष्ट शब्द कहते हैं। श्लेष के दो भेद होते हैं–शब्द-श्लेष और अर्थ-श्लेष (a) शब्द श्लेष : जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ शब्द-श्लेष होता है। जैसे- रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून।। यहाँ दूसरी पंक्ति में ‘पानी’ श्लिष्ट शब्द है, जो प्रसंग के अनुसार तीन अर्थ दे। रहा है- मोती के अर्थ में – चमक मनुष्य के अर्थ में – प्रतिष्ठा और चूने के अर्थ में – जल इस एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का बोध कराए जाने के कारण यहाँ श्लेष (b) अर्थ श्लेष : जहाँ सामान्यतः एकार्थक शब्द के द्वारा एक से अधिक अर्थों का बोध हो, उसे अर्थ-श्लेष कहते हैं। जैसे- नर की अरु नलनीर की गति एकै कर जोय। जेतो नीचो ह्वै चले, तेतो ऊँचो हो।। उक्त उदाहरण की दूसरी पंक्ति में ‘नीचो हवै चले’ और ऊँचो होय’ शब्द सामान्यतः एक ही अर्थ का बोध कराते हैं, लेकिन ‘नर’ और ‘नलनीर’ के प्रसंग में दो भिन्नार्थों की प्रतीति कराते हैं। कुछ अन्य उदाहरण : (a) पी तुम्हारी मुख बास तरंग आज बौरे भौरे सहकार। बौर-भौंर के प्रसंग में मस्त होना आम के प्रसंग में–मंजरी निकलना (b) जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारे करै, बढ़े अँधेरो होय।। ‘बारे’ का अर्थ-जलाना और बचपन ‘बढ़े’ का अर्थ-बुझने पर और बड़े होने पर (c) जो घनीभूत पीड़ा थी मस्तक में स्मृति-सी छाई। दुर्दिन में आँसू बनकर आज बरसने आई।। ‘घनीभूत’ के अर्थ–इकट्ठी और मेघ बनी हुई दुर्दिन के अर्थ-बुरे दिन और मेघाच्छन्न दिन। (d) रावन सिर सरोज बनचारी चलि रघुवीर सिलीमुख धारी। सिलीमुख’ के अर्थ-बाण, भ्रमर (e) सुबरन को ढूँढ़त फिरत कवि, व्यभिचारी, चोर। ‘सु...

श्लेष अलंकार क्या है

श्लेष का अर्थ है चिपका हुआ है। अतः यहाँ एक शब्द से, एक से अधिक अर्थ चिपके होते हैं। श्लेष दो प्रकार का होता है- शब्द श्लेष तथा अर्थश्लेष। शब्द श्लेष में एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। यदि उस शब्द विशेष के स्थान पर उसका पर्यायवाची शब्द प्रयोग किया जाए तो वह श्लेष नहीं रहता जबकि अर्थ श्लेष में कई शब्दों का एक ही अर्थ रहता है जो दो या दो से अधिक पक्षों पर लागू होता है और उनके पर्याय शब्दों पर भी लागू रहता है। जैसे- “रावन सिर सरोज वनचारी। चल रघुवीर सिली मुख धारी।।” सिलीमुख-बाण -भौंरा। यहाँ ‘सिली मुख’ का प्रयोग बाण तथा भौंरा दो अर्थों में है। इसलिए चमत्कार है। इसी शब्द का पर्याय प्रयुक्त होने पर यह अर्थ सौन्दर्य नष्ट हो जाएगा। श्लेष अलंकार उदाहरण “जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारौ करै, बढै अँधेरो होय। यहाँ बारे (बचपन, जलाना) तथा बढ़े (बड़ा होने पर, बुझने पर) के कारण सुन्दर अर्थ श्लेष अलंकार है। • जीवन क्या है जीवन की परिभाषा Definition of life in hindi bio… • प्रोटिस्टा क्या है | प्रोटिस्टा जगत के लक्षण | Protista king… • Hindi Vyakaran | हिन्दी व्याकरण • कोशिका विभाजन क्या है, कोशिका विभाजन के प्रकार, समसूत्री विभ… • कवक किसे कहते है | कवक के प्रकार | kavak in english • मानव उत्सर्जन तंत्र किसे कहते हैं, उत्सर्जन के प्रकार, चित्र • परागण क्या है – परागण कितने प्रकार के होते हैं, • लाइकेन क्या है | लाइकेन के कार्य, लक्षण, कहाँ उगते हैं • जीवाणु की खोज किसने की? | Jivanu Ki Khoj Kisane Ki • मानव शरीर में ग्रंथि क्या है ! ग्रंथियों के प्रकार ?