शरद यादव का राजनीतिक सफर

  1. बिहार में नहीं थी पैदाइश, फिर भी कई बार निभाई किंगमेकर की भूमिका... जानें शरद यादव का राजनीतिक सफर
  2. Bihar Election: सुभाषिनी के सामने पिता शरद यादव की राजनीतिक विरासत को बचाने की मुश्किल चुनौती, पढ़ें पूरी कहानी
  3. शरद यादव: सामाजिक न्याय के बड़े योद्धा को जीवन भर झेलनी पड़ी राजनीति की धूप छांव
  4. एमपी और यूपी से लेकर बिहार तक शरद यादव का सफर
  5. A Look At The Political Life Of Revolutionary JDU From Sharad Yadav
  6. JDU Senior Leader Sharad Yadav political life at a glance, who flaunted the politics


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बिहार में नहीं थी पैदाइश, फिर भी कई बार निभाई किंगमेकर की भूमिका... जानें शरद यादव का राजनीतिक सफर

पटना. बिहार में अधिकांश लोगों को यह नहीं पता है कि दिवंगत शरद यादव बिहार के मूल निवासी नहीं रहे थे. दरअसल शरद यादव का जन्म मध्य प्रदेश (Madhyapradesh) में हुआ था. लेकिन, उनकी कर्मभूमि बिहार (Bihar) रही. संसदीय क्षेत्र मधेपुरा से वह कई बार चुनाव लड़ चुके थे. वहां की मतदाता सूची में भी उनका नाम दर्ज था. प्रख्यात समाजवादी नेता और राम मनोहर लोहिया के अनुयायी शरद यादव कई सालों तक बिहार की राजनीति में अहम भूमिका अदा करते रहे. लेकिन, शरद यादव खुद कभी किंग नहीं बने. हालांकि बिहार के संदर्भ में देखें तो वे कई बार किंग मेकर की भूमिका में जरूर रहे थें. 1990 के बाद से कुछ साल पहले तक उन्होंने बिहार की राजनीति को अपने दम पर अच्छा खासा प्रभावित किया. सच पूछा जाए तो पिछले तीन दशकों से जो न्याय के साथ विकास के नारा पर सरकारें चलती रही हैं, उसके केंद्र में शरद यादव ही रहें. साल 1990 में जब जनता दल के सरकार के गठन की बारी आई तब शरद ने लालू प्रसाद का साथ दिया. फिर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की अगुआई में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनी तब भी शरद नीतीश कुमार के साथ थे. मधेपुरा में बनाया था घर, मतदाता सूची में भी दर्ज था नाम हालांकि बारी-बारी से उनका लालू यादव (Lalu Yadav) और नीतीश-दोनों के साथ अलगाव भी हुआ. पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों से शरद यादव के संबंध बनते बिगड़ते रहे. शरद का निधन राजद के सदस्य के रूप में ही हुआ. यानी उनकी राजनीतिक यात्रा का प्रारंभ और अंत एक ही धारा-सामाजिक न्याय की धारा में हुआ. मधेपुरा से चार बार लोकसभा के लिए चुने जाने वाले शरद यादव ने मधेपुरा में मकान बना लिया था. स्थानीय मतदाता सूची में भी उनका नाम दर्ज था. ब...

Bihar Election: सुभाषिनी के सामने पिता शरद यादव की राजनीतिक विरासत को बचाने की मुश्किल चुनौती, पढ़ें पूरी कहानी

मधेपुरा. बिहार के मधेपुरा जिला के बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र ( Bihariganj Assembly Seat) से पहली बार राजनीति में कदम रख रही कांग्रेस उम्मीदवार सुभाषिनी राज राव (Subhashini Raj Rao) के समक्ष अपने पिता और दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव (Sharad Yadav) के राजनीतिक विरासत की रक्षा की चुनौती है. इस सीट पर उन्हें बहुकोणीय मुकाबला का सामना करना पड़ रहा है. मधेपुरा लोकसभा सीट अंतर्गत आने वाले बिहारीगंज सीट पर बिहार विधानसभा के तीसरे चरण और अंतिम चरण के तहत सात नवंबर को मतदान होना है. पिता की विरासत को बचाने की चुनौती सुभाषिनी ने अपने पिता की आजमायी कर्मभूमि मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से राजनीति में अपना भाग्य आजमा रही हैं. उनके पिता शरद यादव चार बार मधेपुरा से सांसद रहे हैं, हालांकि पिछले दो चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. मध्य प्रदेश के मूल निवासी शरद यादव ने मंडल आयोग की रिपोर्ट के लेखक बी पी मंडल के सम्मान के रूप में उनकी जन्मस्थली मधेपुरा को अपने संसदीय सफर के लिए चुना था. अन्य पिछड़ी जातियों को सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाली मंडल आयोग की रिपोर्ट को वी पी सिंह सरकार ने केंद्र में लागू किया था, जिसमें शरद वरिष्ठ सदस्य थे. लालू और नीतीश के साथ मिलकर शरद ने किया ये काम शरद ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के साथ और बिहार के निवर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर 1990 में नौकरियों में कोटा की इस सिफारिश को लागू करने का मार्ग प्रशस्त करने वाले "मंडल आंदोलन" में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 73 वर्षीय शरद पिछले कई दिनों से दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती हैं और इसलिए उनकी बेटी ने उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए इसबार के बिहार विधानसभा चुनाव ...

शरद यादव: सामाजिक न्याय के बड़े योद्धा को जीवन भर झेलनी पड़ी राजनीति की धूप छांव

इसकी पुष्टि इंस्टीट्यूट और शरद यादव की बेटी दोनों ने की. इंस्टीट्यूट की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि उन्हें अचेतावस्था में लाया गया था और डॉक्टरों के अथक प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. वहीं बेटी सुभाषिनी शरद यादव ने रात के 11 बजे से थोड़ी देर पहले ट्वीट किया, "पापा नहीं रहे." भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में उन्हें डॉक्टर लोहिया के विचारों से प्रभावित नेता बताया और लिखा, ''मैं उनकी यादों को संजो कर रखूंगा.'' शरद यादव इन दिनों लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल से जुड़े थे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी समाजवादी राजनीति में उनके योगदान को याद किया. दरअसल, शरद यादव पिछले कुछ समय से स्वास्थ्यगत मुश्किलों का सामना कर रहे थे, लेकिन चार महीने पहले उनकी तबीयत में सुधार होने लगा था. चार महीने पहले उनके दक्षिण दिल्ली के उनके आवास पर बिहार के नेताओं ने मुलाकात भी की थी. उम्मीद की जाने लगी थी कि वे सार्वजनिक राजनीति में फिर से सक्रिय होंगे. सितंबर महीने में वे दो दिनों के लिए पटना भी गए. राजनीतिक गलियारों में यह कयास भी लगाए जाने लगा था कि 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्ष की एकजुटता में उनकी अहम भूमिका हो सकती है. वे ख़ुद भी इसको लेकर उत्सुक थे, लेकिन स्वास्थ्य ने उनका साथ नहीं दिया. क़रीब 50 साल की समाजवादी राजनीति का सफ़र अब थम चुका है. वैसे तो बीते पांच साल से शरद यादव एक तरह से राजनीतिक बियाबान में थे और पिछले साल दिल्ली के जंतर मंतर स्थित उन्हें वह सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ा था, जो क़रीब 22 साल तक उनकी राजनीतिक गतिविधियों के केंद्र में रहा. ये भी पढ़ें- © Getty Images शरद यादव का सफ़र आज की पीढ़ी क...

एमपी और यूपी से लेकर बिहार तक शरद यादव का सफर

राजनीति की पहली सीढ़ी कही जाने वाली छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद यादव ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया है. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराने वाले शरद यादव बिहार की सत्ताधारी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. सात बार लोकसभा में पहुंचने वाले शरद यादव के राजनीतिक सफर पर एक नजर... राजनीति की पहली सीढ़ी कही जाने वाली छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद यादव ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया है. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराने वाले शरद यादव बिहार की सत्ताधारी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. सात बार लोकसभा में पहुंचने वाले शरद यादव के राजनीतिक सफर पर एक नजर... 1. 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक गांव में किसान परिवार में जन्म हुआ. 2. पढ़ाई के समय से ही राजनीति में दिलचस्पी रही और 1971 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज, जबलपुर मध्यप्रदेश में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. 3. डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर सक्रिय युवा नेता के तौर पर कई आंदोलनों में हिस्सा लिया और MISA के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में हिरासत में लिए गए. 4. मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने वाले में अहम भूमिका निभाई. 5. पहली बार 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. यह जेपी आंदोलन का समय था और वह हल्दर किसान के रूप में जेपी द्वारा चुने गए पहले उम्मीदवार थे. 6. 1977 में भी वह इसी लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे. उस वक्त वह युवा 7. 1986 में वह राज्यसभा से सांसद चुन...

A Look At The Political Life Of Revolutionary JDU From Sharad Yadav

नई दिल्ली: बिहार की राजधानी में पटना में जहां सीएम और JDU अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है, वहीं बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद से बगावत के रास्ते चल पड़े शरद यादव ने बागी नेताओं के साथ मिलकर जन अदालत नाम से अलग से सम्मेलन बुलाया है. पटना में बागी नेताओं ने पटना में कुछ पोस्टर लगाए हैं, जिनमें लिखा है, 'जन अदालत का फैसला....महागठबंधन जारी है.' इन पोस्टरों पर शरद यादव, जदयू के राज्यसभा सदस्य अली अनवर और पूर्व मंत्री रमई राम की तस्वीरें हैं. ऐसी खबरें हैं कि पार्टी में दो फाड़ होने पर शरद यादव गुट JDU के चुनाव चिन्ह पर भी दावा ठोक सकता है. छात्र राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले • शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक किसान परिवार के यहां हुआ था. पढ़ाई के दिनों से ही शरद की रुचि राजनीति में थी. शुरुआती शिक्षा के बाद उन्होंने 1971 में इंजीनियरिंग करने के लिए जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया और यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई. इसी कॉलेज में वह छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए. • शरद यादव ने डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर कई राजनीतिक आंदोलनों में हिस्सा लिया और MISA के तहत 1969-70, 1972, और 1975 में हिरासत में लिए गए. उन्होंने मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करवाने में भी अहम भूमिका निभाई. • 1974 में मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से शरद यादव पहली बार सांसद चुने गए. यह जेपी आंदोलन का समय था. इसके बाद 1977 में भी शरद यादव यहां से जीते. इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के बदायूं से चुनाव जीता. • इसके बाद शरद यादव ने बिहार का रुख किया. उन्होंने बिहार के मधेपुरा में 1991, 1996, 1999 औ...

JDU Senior Leader Sharad Yadav political life at a glance, who flaunted the politics

बिहार में महागठबंधन की सरकार से नाता तोड़ बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के नीतीश कुमार के फैसले से नाराज चल रहे जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव गुरुवार को बिहार दौरे पर आ रहे है. शरद यादव नीतीश के बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के फैसले बाद से पहली बार बिहार में होंगे और जनता से संवाद करेंगे. बिहार में राजनीतिक उठा-पठक के बाद सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड में नीतीश कुमार और पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव के बीच संबंध सुधरने के बजाय बिगड़ते ही जा रहे हैं. नई दिल्ली: बिहार में महागठबंधन की सरकार से नाता तोड़ बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के नीतीश कुमार के फैसले से नाराज चल रहे जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव गुरुवार को बिहार दौरे पर आ रहे है. शरद यादव नीतीश के बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के फैसले बाद से पहली बार बिहार में होंगे और जनता से संवाद करेंगे. बिहार में राजनीतिक उठा-पठक के बाद सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड में नीतीश कुमार और पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव के बीच संबंध सुधरने के बजाय बिगड़ते ही जा रहे हैं. बिहार जेडीयू के अध्यक्ष ने वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि उनका या उनकी पार्टी का इस कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं है. उनके इस पूरे दौरे को पार्टी के खिलाफ बताते हुए वशिष्‍ट नारायण सिंह ने स्पष्‍ट कर दिया है कि उनकी ये गतिविधियां अगर जारी रहीं तब पार्टी भविष्‍य में कोई भी निर्णय ले सकती है. और पढ़ें: जेडीयू से शरद यादव की विदाई तय, नीतीश लेंगे बड़ा फैसला! इसका मतलब साफ़ है कि नीतीश ने देर-सवेर अब शरद से राजैनतिक सहयोगी का संबंध विच्‍छेद करने का अब मन बना लिया है.मध्यप्रदेश में जन्मे शरद यादव ने छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक पहचान बनाई है. उन्होंने बिहार ...