राज योग कुण्डली

  1. विपरीत राज
  2. राज योग
  3. जानें कुंडली में मौजूद विशिष्ट राज योगों के बारे में जो बदल सकते हैं आपकी जिंदगी
  4. कुंडली में ये शुभ योग, होते हैं आपकी तरक्‍की का राज
  5. कैसे करें बुध ग्रह की शान्ति


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विपरीत राज

Apr 23, 2023 Photo by विपरीत का अर्थ है प्रतिकूल, अहितकर या विरुद्ध, और राज-योग का अर्थ है "राजा जैसा योग"। कुण्डली में 6वें, 8वें और 12वें भाव को दशाटन या दुष्ट स्थानों कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में दुष्ट स्थानों हानिकर है। यहाँ तक कि उनके स्वामी भी जीवन में बाधाएँ, कष्ट, कठिनाइयाँ, पीड़ा और प्रतिकूल प्रभाव पैदा करते हैं। विपरीत राज योग दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं या कष्टों के माध्यम से शक्ति प्राप्त करके अचानक सफलता लाता है। यह योग अवसरों के द्वार खोलता है और समृद्धि की ओर ले जाता है। यह दुश्मनों, बीमारियों, दुर्भाग्य और गुलामी से सुरक्षा प्रदान करता है। यह विपरीत राज-योग दुष्ट स्थानों के हानिकारक प्रभावों को नष्ट कर देता है। तीन प्रकार के विपरीत राज योग हैं: 1. हर्ष योग 2. सरल योग 3. विमल योग जब कुंडली में ६ वें भाव का स्वामी ६वें(6) भाव में हो, ८ वें भाव का स्वामी ८ वें (8)भाव में हो, १२वें भाव का स्वामी १२वें (12) भाव में हो, विपरीत राजयोग लागू नहीं होता। हर्ष योग: "हर्ष" का अर्थ है आनंद, खुशी और प्रसन्नता। जब छठे भाव का स्वामी आठवें 8 या बारहवें भाव 12 में हो तो हर्ष योग बनता है। इस योग के कारण जातक सौभाग्यशाली, प्रसिद्ध, सुखी और शारीरिक रूप से बलवान होता है। जातक को अचानक किसी की हानि के कारण नौकरी में सुनहरा मौका या पदोन्नति का अवसर प्राप्त हो सकता है। जीवन में आकस्मिक परिवर्तन होता है फिर समृद्धि की ओर ले जाता है। यह शत्रुओं को परास्त करने की शक्ति प्रदान करता है। अक्सर यह योग उनकी कुंडली में पाया जाता है जो इमरजेंसी सेवाओं के लिए खुद को जोखिम में डालकर सैकड़ों लोगों की जान बचाता है। यह योग बीमारी, विवाद, असहमति या तलाक से होने वाली परेशानी को कम कर सकता है। जातक किसी ...

राज योग

इस संदूक को: देखें • संवाद • संपादन सम्बन्धित Type/Phase: योग के अलग-अलग सन्दर्भों में अलग-अलग अर्थ हैं - आध्यात्मिक आधुनिक सन्दर्भ में, हिन्दुओं के छः राजयोग सभी योगों का राजा कहलाता है क्योंकि इसमें प्रत्येक प्रकार के योग की कुछ न कुछ सामग्री अवश्य मिल जाती है। राजयोग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित अष्टांग योग का वर्णन आता है। राजयोग का विषय चित्तवृत्तियों का निरोध करना है। महर्षि पतंजलि ने समाहित चित्त वालों के लिए अभ्यास और वैराग्य तथा विक्षिप्त चित्त वालों के लिए क्रियायोग का सहारा लेकर आगे बढ़ने का रास्ता सुझाया है। इन साधनों का उपयोग करके साधक के क्लेषों का नाश होता है, चित्तप्रसन्न होकर ज्ञान का प्रकाश फैलता है और विवेकख्याति प्राप्त होती है। योगांगानुष्ठानाद् अशुद्धिक्षये ज्ञानदीप्तिरा विवेकख्यातेः। (1/28) प्रत्येक व्यक्ति में अनन्त ज्ञान और शक्ति का आवास है। राजयोग उन्हें जाग्रत करने का मार्ग प्रदर्शित करता है-मनुष्य के मन को एकाग्र कर उसे समाधि नाम वाली पूर्ण एकाग्रता की अवस्था में पंहुचा देना। स्वभाव से ही मानव मन चंचल है। वह एक क्षण भी किसी वस्तु पर ठहर नहीं सकता। इस मन की चंचलता को नष्ट कर उसे किसी प्रकार अपने काबू में लाना,किसी प्रकार उसकी बिखरी हुई शक्तियो को समेटकर सर्वोच्च ध्येय में एकाग्र कर देना-यही राजयोग का विषय है। जो साधक प्राण का संयम कर,प्रत्याहार,धारणा द्वारा इस समाधि अवस्था की प्राप्ति करना चाहते हे। उनके लिए राजयोग बहुत उपयोगी ग्रन्थ है। “प्रत्येक आत्मा अव्यक्त ब्रह्म है। बाह्य एवं अन्तःप्रकृति को वशीभूत कर आत्मा के इस ब्रह्म भाव को व्यक्त करना ही जीवन का चरम लक्ष्य है। कर्म,उपासना,मनसंयम अथवा ज्ञान,इनमे से एक या सभी उपायों का सहारा लेकर अपना ब्रह्म...

जानें कुंडली में मौजूद विशिष्ट राज योगों के बारे में जो बदल सकते हैं आपकी जिंदगी

आज इस लेख में हम आपको कुंडली में मौजूद राज योग के बारे में जानकारी देंगे। कुंडली में मौजूद राज योग आपके जीवन को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखते हैं। राज योग के कुंडली में होने से कई बार रंक भी राजा बन जाता है। इसलिए कुंडली में पाए जाने वाले सभी राज योग के बारे में जानकारी होना अति आवश्यक है। आइए अब जानते हैं कि राज योग बनते कैसे हैं। अगर आप भी अपनी कुंडली में मौजूद शुभ-अशुभ योगों की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो अभी एस्ट्रोसेज वार्ता से दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात करें और अपने सवालों के जवाब के साथ-साथ उचित परामर्श हासिल करें। राजयोगों के बारे में जानकर अब आपके मन में भी यह सवाल उठ रहा होगा कि, क्या आपकी कुंडली में ये राजयोग मौजूद हैं? ऐसे में आपके इस सवाल का जवाब अभी प्राप्त करें एस्ट्रोसेज की राजयोग रिपोर्ट की अपनी व्यक्तिगत और निजी-कृत रिपोर्ट के माध्यम से। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं कि, आखिर ये राजयोग क्या और कितने प्रकार के होते हैं। राजयोग विशेष इस ब्लॉग के माध्यम से हम आज आपको बताएँगे कि वैदिक एस्ट्रोलॉजी में राज योग क्या मायने रखता है? और यह हमारे जीवन को किस तरह से बदलने की ताकत रखता है? सिर्फ राजयोग ही नही बल्कि हमारी कुंडली में मौजूद कोई भी योग ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर बनते हैं। ऐसे में ग्रहों का अपने जीवन पर प्रभाव जानने की इच्छा रखते हैं तो इसमें बृहत् कुंडली सहायक साबित हो सकती है। बृहत् कुंडली में आपको अच्छे और बुरे योगों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राज योग कुंडली में मौजूद राज योग किसी भी व्यक्ति के जीवन पथ को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब क...

कुंडली में ये शुभ योग, होते हैं आपकी तरक्‍की का राज

सभी चाहते है कि हमें अपने जीवन में हर वो चीज़ मिले जिसे हम पाना चाहते है, चाहे वो अच्छी नौकरी हो, धन-दौलत हो, मनचाहा जीवनसाथी हो। और ये सब पाने के लिए हम बहुत कुछ करते हैं, लेकिन हमें नहीं पाता होता है कि‍ जो उपाय हम कर रहे हैं, वह कितना कारगर है। कौन सा ग्रह या योग हमको अच्‍छा परिणाम देगा और कौन सा अशुभ। भले ही विज्ञान ग्रहों को सिर्फ सौर परिवार का हिस्सा मानता हो, लेकिन ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से ये सिर्फ सौर परिवार का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि समस्त चराचर जगत की गतिविधियां इनसे प्रभावित होती हैं। तमाम अच्छे-बुरे प्रभावों के लिये ग्रह की दशा जिम्मेदार होती है। मनुष्य के जन्म के समय ग्रहों की दशा से ही जातक के स्वभाव का पता लगाया जाता है। जन्म कुंडली में ग्रहों के योग से ही जातक के मंगल और अमंगल भविष्य का पूर्वानुमान लगाया जाता है तो उसकी वर्ष कुंडली बताती है कि आने वाले साल का समय उसके लिये कैसा रहेगा? कई बार जातक की कुंडली में ग्रह कुछ अशुभ योग बनाते हैं जिनके योग से जातक पर जन्म से ही विपदाओं का पहाड़ टूटने लगता है। लेकिन कुछ ऐसे शुभ योग भी होते हैं कि जातक को तकलीफ नाम की चीज का रत्ती भर भी भान नहीं होता।आइये आपको बताते हैं कुंडली के कुछ ऐसे ही योग जो बदल देते हैं आपकी जिंदगी और जिनके होने से आप करते हैं तरक्की दिन दुगनी रात चौगुनी। महालक्ष्मी योग • जातक के भाग्य में धन और ऐश्वर्य का प्रदाता महालक्ष्मी योग होता है। जातक की कुंडली में यह धन कारक योग तब बनता है जब द्वितीय स्थान का स्वामी जिसे धन भाव का स्वामी भी माना जाता है यानीगुरु ग्रह बृहस्पति एकादश भाव में बैठकर द्वितीय भाव पर दृष्टि डाल रहा हो। यह योग बहुत ही शुभ माना जाता है क्योंकि इससे जातक की दरिद्रता दूर होती ह...

कैसे करें बुध ग्रह की शान्ति

किसी भी जातक की जन्म कुण्डली में बुध ग्रह का मजबूत होना बहुत आवश्यक है , क्योंकि बुध ग्रह बुध्दि के कारक ग्रह हैं और जन्मकुण्डली में बुध ग्रह के कारण कई राज योगों का निर्माण होता है जो जातक को जीवन के सुखों के साथ ऊंचाई के शिखर तक ले जाने में मदद करते हैं । बुध ग्रह मिथुन राशि के अलावा कन्या राशि के भी स्वामी हैं । बुध की मूल त्रिकोण राशि कन्या है और रज गुण , वर्ण जाति वैश्य , रंग हरा , उच्च राशि कन्या , नीच राशि मीन , तत्था वाणी के कारक भी माने जाते हैं । 27 नक्षत्रों में बुध्र ग्रह आश्लेषा , ज्येष्ठा और रेवती के स्वामी हैं । बुध ग्रह सूर्य तथा शुक्र से मित्रता का भाव रखता है जबकि मगल , गुरु और शनि से समभाव और चन्द्रमा को शत्रु मानता है । बुध ग्रह कन्या राशि में निश्चित अंश पर उच्च के होते हैं और जब ये स्वग्रही होकर केन्द्र में स्थित हों तो पंच महापुरुष योगों में से एक भद्र योग बनाता है जिसे ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। किसी भी जातक की कुण्डली में बलवान बुध जातक को बुध्दिवान और तर्क शक्ति प्रदान करता है ऐसा जातक संवाद और संचार के क्षेत्र में खूब नाम कमाता है। जातक अपनी वाणी के प्रभाव से सबका ध्यान आकर्षित करता है और स्पष्ट संवाद शैली के चलते सबको मोह लेता है। ऐसा जातक कुशाग्र बुद्धि का तो होता ही है साथ में गणित विषय में तेज और वाणिज्य के क्षेत्र में सफ़लता प्राप्त करता है । इसके अलावा लेखन कार्य , वकालत , एंकरिग , पत्रकारिता , प्रवक्ता और कथावाचन के क्षेत्र में सफ़लता प्राप्त कर सकते हैं । • बुधवार को बुध के वैदिक मन्त्र , लौकिक मन्त्र , बुध गायत्री मन्त्र या बीज मन्त्र का यथाशक्ति जाप करना चाहिये । • गण्पति भगवान को हरी दुर्वा चढानी चाहिये । • बुध यन्त्र...