श्री सूक्त

  1. Shree Suktam Path Vidhi
  2. सूक्त
  3. साम्पुटिक श्रीसूक्त पाठ
  4. [PDF] श्री सूक्तम पाठ अर्थ सहित
  5. [Path PDF] श्री सूक्त पाठ
  6. Sri Suktam: श्री सूक्त का पाठहिंदी अर्थ सहित
  7. Sri Suktam (श्री सूक्त ) PDF
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Shree Suktam Path Vidhi

श्री सूक्तम् – देवी लक्ष्मी जी की आराधना के लिए उनको समर्पित संस्कृत में लिखा मंत्र है जिसे हम श्री सूक्त पाठ भी कहते है या लक्ष्मी सूक्त भी कहते है | यह सूक्त ऋग्वेद से लिया गया है | जो जातक जीवन में हर तरह से सुख भोगना चाहते है – जीवन से गरीबी दूर करना चाहते है | एश्वर्य प्राप्त करना चाहते है उन्हें Shree Suktam Path Vidhi को केवल अपने कानों से सुने और माँ लक्ष्मी का मनन करें | श्री सूक्त पाठ माँ लक्ष्मी जी को अति प्रिय है इसलिए मन में माँ लक्ष्मी जी के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखते हुए इस पाठ(स्त्रोत) को करें | Shree Suktam Path Vidhi श्री लक्ष्मीसूक्तम्‌ पाठ हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥1॥ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥2॥ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम् । श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥3॥ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥4॥ प्रभासां यशसा लोके देवजुष्टामुदाराम् । पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥5॥ आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः । तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥6॥ उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह । प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥7॥ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् । अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद गृहात् ॥8॥ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् । ईश्वरींग् सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥9॥ मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि । पशूनां रूपमन...

सूक्त

सूक्त प्राप्त होते हैं। सूक्त की परिभाषा करते हुए वृहद्देवताकार कहते हैं- सम्पूर्णमृषिवाक्यं तु सूक्तमित्यऽभिधीयते अर्थात् मन्त्रद्रष्टा ऋषि के सम्पूर्ण वाक्य को सूक्त कहते हैँ, जिसमेँ एक अथवा अनेक मन्त्रों में देवताओं के नाम दिखलाई पड़ते हैैं। सूक्त के चार भेद:- देवता, ऋषि, छन्द एवं अर्थ। अनेक सूक्त ईश्वर (विष्णु,शिव व ब्रह्मा) अथवा शक्ति (त्रिदेवी) को जो समर्पित है। इनमे साकार व निराकर दोनो ईश्वर को मान्यता प्राप्त है यह वेदो के सूक्त होते है अर्थात वेद हि होते है, यह भी अनुक्रम • 1 सूक्त • 1.1 मुख्य सूक्त • 1.2 गौण सूक्त • 2 अग्नि सूक्त • 3 सवितृ सूक्त • 4 विष्णु सूक्त • 5 इन्द्र सूक्त • 6 रुद्र सूक्त • 7 बृहस्पति सूक्त • 8 अश्विनौ सूक्त • 9 वरुण सूक्त • 10 उषस् सूक्त • 11 सोम सूक्त • 12 शिवसंकल्पसूक्त • 13 इन्हेंभीदेखें • 14 बाहरीकड़ियाँ सूक्त [ ] मुख्य सूक्त [ ] • • आ नो भद्राः सूक्त • ओषधि सूक्त • कुमार सूक्त • गणपति सूक्त / गणेश सूक्त • गोष्ठ सूक्त • गोसमूह सूक्त • त्रिसुपर्ण सूक्त • दुर्गा सूक्त • तन्त्रोक्तदेवी सूक्त • • ध्रुव सूक्त • नवग्रह सूक्त • नष्टद्रव्य प्राप्ति सूक्त • नक्षत्र सूक्त • • • पवमान सूक्त • पितृ सूक्त • • कृत्यापहरण सूक्त / बगलामुखी सूक्त • ब्राह्मणस्पति सूक्त • भाग्य सूक्त / प्रातः सूक्त • • • • रक्षोघ्न सूक्त • रात्रि सूक्त • राष्ट्र सूक्त • लक्ष्मी सूक्त • वरुण सूक्त • वास्तु सूक्त • • विष्णु सूक्त • • श्रद्धा सूक्त • संवाद सूक्त / आख्यान सूक्त • संज्ञान सूक्त • सरस्वती सूक्त • सर्प सूक्त • सूर्य सूक्त / सौर सूक्त • स्वस्ति सूक्त • हनुमान सूक्त • • शिवसंकल्पसूक्त गौण सूक्त [ ] • अघमर्षण सूक्त • • आयुष्य सूक्त • Balitha Sūktam • भू सूक्त • ब्...

साम्पुटिक श्रीसूक्त पाठ

Table of Contents • • • ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः | ॐ ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्ण रजतस्रजां | चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह || दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता | ॐ दुर्गे स्मृता हरसिभीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभं ददासि | ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः | ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीं | यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहं || दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता | ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः | ॐ दुर्गे स्मृता हरसीभीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि | ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद प्रबोधिनीं | श्रियं देवी मुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषतां || दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता | ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः | ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि | ॐ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीं | पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहो पह्वये श्रियं || दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता | ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः | ॐ दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि | ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियम लोके देवजुष्टामुदारां | तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्ये अलक्ष्म...

[PDF] श्री सूक्तम पाठ अर्थ सहित

पुस्तक का एक मशीनी अंश श्रीसूक्त – श्रीसूक्त ऋग्वेद का खिल सूक है। ऋग्वेद के पांचवें मण्डल के अन्त में यह उपलब्ध होता है। सूक्त में मन्त्रों की संख्या पन्द्रह है। सोलहवें मन्त्र में फलश्रु ति है। बाद में ग्यारह मन्त्र परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध होते हैं। इनको लक्ष्मीसूक्त के नाम से स्मरण किया जाता है। ऋषि – आनन्द, कर्दम, श्रीद और चिक्कीत ये चार श्रीसूक्त के ऋषि हैं। इन चारों को श्री का पुत्र बताया गया है। श्रीपुत्र हिरण्यगर्भ को भी श्रीसूक्त का ऋषि माना जाता है। छन्द – चौथा मन्त्र बृहती छन्द में है। पांचवाँ और छटा मन्त्र त्रिष्टुप छन्द में है। अन्तिम मन्त्र का छन्द प्रस्तारपंक्ति है। शेष मन्त्र अनुष्टुप छन्द में है। देवता – श्रीशब्दवाच्या लक्ष्मी इस सूक्त की देवता हैं । विनियोग – इस सूक्त का विनियोग लक्ष्मी के आराधन, जप, होम आदि में किया जाता है। महर्षि बोधायन, वशिष्ठ आदि ने इसके विशेष प्रयोग बतलाये हैं। श्रीसूक्त की फलश्रुति में भी इस सूक्त के मन्त्रों का जप तथा इन मन्त्रों के द्वारा होम करने का निर्देश किया गया है। सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे । भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतकरि प्रसीद माम् ॥८॥ हे भगवति ! आप कमल में वास करती हो, आपके हाथों में कमलपुष्प हैं, आप प्रति श्वेत वस्त्र, चन्दन माला से सुशोभित हो, आप भगवान् की प्रेयसी हो, सुन्दर हो तथा त्रिलोकी को ऐश्वर्य प्रदान करने वाली हो, आप मुझ पर प्रसन्न हों । विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम् । लक्ष्मों प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लमाम् ॥६॥ हे लक्ष्मि ! आप विष्णु पत्नी हैं, दयामयी हैं, प्रकाशमयो हैं, माधव की प्रिया माधवी हैं, लक्ष्मी हैं, विष्णु की प्रिय संगिनी हैं विष्णु की प्रेयसी हैं। ...

[Path PDF] श्री सूक्त पाठ

3.1) श्री सूक्त पीडीएफ कैसे डाउनलोड करें? Sri Suktam Hindi PDF Download श्री सूक्त पाठ | Sri Suktam in Hindi PDF download : नमस्कार भक्तो स्वागत है आपका! श्री सूक्त या श्री सूक्तम महालक्ष्मी की उपासना के लिए ऋग्वेद में वर्णित एक स्तोत्र है श्री सूक्त का पाठ महालक्ष्मी की प्रसन्नता एवं उनकी कृपा प्राप्त कराने वाला है साथ ही व्यापार में वृद्धि, ऋण से मुक्ति और धन प्राप्ति के लिए भी इसका पाठ तथा अनुष्ठान किया जाता है हमने आपको श्री सूक्त पाठ जिसे श्री सूक्तम भी कहा जाता है को PDF में डाउनलोड करने का लिंक नीचे दिया हैं। Shree Suktam Path PDF Article श्री सूक्त पाठ | Sri Suktam PDF PDF Size 0.20 MB No. of Pages 8 Download Link Link given at the end of Article / डाउनलोड लिंक पोस्ट के अंत में दिया गया है Shri Sukt Paath Hindi PDF श्री सूक्त स्पष्ट रूप से सबसे प्रारंभिक संस्कृत भक्ति भजन है, जो श्री को धन, समृद्धि और उर्वरता की हिंदू देवी लक्ष्मी के रूप में पूजता है। यह लक्ष्मी स्तुति ऋग्वेद से ली गई है और बहुत प्रभावी मानी जाती है। श्री सूक्तम को पढ़ना या सुनना धन और समृद्धि प्राप्त करने का सबसे अच्छा उपाय है। श्री सूक्त पाठ PDF हिंदी में 1- ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।। अर्थ➠ हे जातवेदा (सर्वज्ञ) अग्निदेव! आप सुवर्ण के समान रंगवाली, किंचित् हरितवर्णविशिष्टा, सोने और चाँदी के हार पहननेवाली, चन्द्रवत् प्रसन्नकान्ति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी का मेरे लिये आह्वान करें। 2- तां म आ वह जातवेदो, लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं पुरूषानहम् ।। अर्थ➠ हे अग्ने! उन लक्ष्मीदेवी का, जिनका कभी विनाश नहीं होता तथा जिनक...

Sri Suktam: श्री सूक्त का पाठहिंदी अर्थ सहित

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Sri Suktam (श्री सूक्त ) PDF

• • संस्कृत भाषा में धर्म शास्त्र कई हैं, जैसे कि मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य स्मृति, वैष्णव धर्मशास्त्र, शिव धर्मशास्त्र, बौद्ध धर्मशास्त्र आदि। संस्कृत साहित्य में व्याकरण भी एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। पाणिनि का अष्टाध्यायी संस्कृत व्याकरण का मूल ग्रंथ है। संस्कृत न्याय शास्त्र भी महत्वपूर्ण है, जो कि तर्कशास्त्र के रूप में जाना जाता है। न्याय सूत्रों, न्यायवैशेषिक और मीमांसा शास्त्र भी संस्कृत साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इसके अतिरिक्त, आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनेक उपन्यास, कहानियां, कविताएं, नाटक, विज्ञान, इतिहास, धर्म, समाज और संस्कृति से संबंधित अन्य विषयों पर भी लेखन उपलब्ध है। अधिकतम शब्द सीमा के लिए, यह बताया जा सकता है कि संस्कृत साहित्य में अनेक विषयों पर लगभग २०,००० से भी अधिक पुस्तकें उपलब्ध होती हैं।

श्री सूक्तम पाठ

श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path हिन्दी PDF डाउनलोड करें इस लेख में नीचे दिए गए लिंक से। अगर आप श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस लेख में हम आपको दे रहे हैं श्री सूक्तम पाठ | Sri Suktam Path के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का direct डाउनलोड लिंक। ऋग्वेद के अनुसार, श्री सूक्तम जिसे लक्ष्मी सूक्तम के नाम से भी जाना जाता है, एक भक्ति भजन है जो देवी लक्ष्मी को समर्पित है। माँ लक्ष्मी धन, समृद्धि और बहुतायत की देवी हैं और श्री सूक्तम का पाठ माँ लक्ष्मी का आह्वान और पूजा करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि श्री यंत्र के सामने श्री सूक्त का पाठ करने वाले को कभी भी दरिद्रता नहीं आती है। इस सूक्तम के पंद्रह छंदों के अक्षर, शब्दांश और शब्द सामूहिक रूप से लक्ष्मी के ध्वनि शरीर का निर्माण करते हैं जो इस भजन की अधिष्ठात्री देवी हैं। माता लक्ष्मी (त्रिदेवी के सदस्यों में से एक) को श्री के रूप में भी जाना जाता है जिसका अर्थ है शुभ गुणों का अवतार। श्री सूक्तम पाठ करने से उपासकों को समृद्धि, अच्छाई, स्वास्थ्य, धन और कल्याण का आशीर्वाद मिलता है। सूक्तम का पाठ सहित तरीके से करने पर व्यक्ति को श्री, तेज, आयु, स्वास्थ्य से युक्त होकर शोभायमान रहता है। वह धन-धान्य व पशु धन सम्पन्न, पुत्रवान होकर दीर्घायु होता है। श्री सूक्तम पाठ हिंदी | Sri Suktam Lyrics in Hindi 1- ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्णरजतस्त्रजाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आ वह ।। अर्थ:- हे जातवेदा (सर्वज्ञ) अग्निदेव! आप सुवर्ण के समान रंगवाली, किंचित् हरितवर्णविशिष्टा, सोने और चाँदी के हार पहननेवाली, चन्द्रवत् प्रसन्नका...