श्री विष्णु चालीसा

  1. श्री विष्णु चालीसा हिंदी अर्थ सहित
  2. श्री विष्णु चालीसा (Shri Vishnu Chalisa in Hindi)
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  4. श्री विष्णु चालीसा
  5. Vishnu Chalisa
  6. श्री विष्णु चालीसा
  7. श्री विष्णु चालीसा लिरिक्स हिन्दी
  8. Shri Vishnu Chalisa गुरुवार को करें श्री विष्णु चालीसा का पाठ हर कष्ट से मिलेगा छुटकारा


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श्री विष्णु चालीसा हिंदी अर्थ सहित

विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) में भगवान विष्णु की महत्ता, उनके कार्य, विभिन्न रूप तथा उनके द्वारा समय-समय पर की गयी धर्म रक्षा व दुष्टों का संहार इत्यादि का वर्णन किया गया है। श्री विष्णु चालीसा का महत्व (Shri Vishnu Chalisa) तब और अधिक बढ़ जाता है जब इसमें उनके विभिन्न रूपों जैसे कि श्रीराम, श्रीकृष्ण इत्यदि का वर्णन पढ़ने को मिलता है। ऐसे में आपको इस लेख में सर्वप्रथम विष्णु चालीसा हिंदी में लिखी हुई (Vishnu Chalisa In Hindi) पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात विष्णु चालीसा अर्थ सहित आपको समझाई जाएगी ताकि आप इसका संपूर्ण ज्ञान ले सकें। तो आइए पढ़ते हैं श्री विष्णु चालीसा इन हिंदी। विष्णु चालीसा (Vishnu Chalisa) ।। दोहा ।। विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय। कीरत कुछ वर्णन करूँ दीजै ज्ञान बताय।। ।। चौपाई ।। नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी। प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी। सुंदर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत। तन पर पीतांबर अति सोहत, बैजंती माला मन मोहत। शंख चक्र कर गदा बिराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे। सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे। संत भक्त सज्जन मन रंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन। सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन। पाप काट भव सिंधु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण। करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण। धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा। भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा। आप वराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया। धर मत्स्य तन सिंधु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया। अमिलख असुरन द्वंद मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया। देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया। कूर्म रूप धर सिंधु मझाय...

श्री विष्णु चालीसा (Shri Vishnu Chalisa in Hindi)

Table of Contents • • • • • • भगवान विष्णु जी की कृपा पाने एव्ं आराधना के लिए भक्तों को श्री विष्णु चालीसा (Shri Vishnu Chalisa) का पाठ करना चाहिए। श्री विष्णु चालीसा (Shri Vishnu Chalisa in Hindi) ||दोहा|| विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय। कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय॥ ||चौपाई|| नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी। प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥ सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत। तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत॥ शंख चक्र कर गदा बिराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे। सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥ सन्तभक्त सज्जन मनरंजन दनुज असुर दुष्टन दल गंजन। सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन॥ पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण। करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण॥ धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा। भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा॥ आप वाराह रूप बनाया, हरण्याक्ष को मार गिराया। धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया॥ अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया। देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया॥ कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया। शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया॥ वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया। मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया॥ असुर जलन्धर अति बलदाई, हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई॥ सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी। तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥ देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥ हो स्पर्श धर्म क...

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श्री विष्णु चालीसा

सुन्दर रूप मनोहर सूरत। सरल स्वभाव मोहनी मूरत॥ तन पर पीतांबर अति सोहत। बैजन्ती माला मन मोहत॥ शंख चक्र कर गदा बिराजे। देखत दैत्य असुर दल भाजे॥ सत्य धर्म मद लोभ न गाजे। काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥ संतभक्त सज्जन मनरंजन। दनुज असुर दुष्टन दल गंजन॥ सुख उपजाय कष्ट सब भंजन। दोष मिटाय करत जन सज्जन॥ पाप काट भव सिंधु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण॥ करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण॥ धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा॥ भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा॥ आप वराह रूप बनाया। हरण्याक्ष को मार गिराया॥ धर मत्स्य तन सिंधु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया॥ अमिलख असुरन द्वंद मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया॥ देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छवि से बहलाया॥ कूर्म रूप धर सिंधु मझाया। मंद्राचल गिरि तुरत उठाया॥ शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया॥ वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबंध उन्हें ढूँढवाया॥ मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया॥ असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लडाई॥ हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई॥ सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी॥ तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी॥ देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी॥ हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी॥ तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे॥ गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे॥ हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे॥ देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे॥ चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन॥ जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन॥ शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक...

Vishnu Chalisa

Table of Contents • • • • • • • Mark Favorite Vishnu Chalisa and other forms of prayer such as Aarti ( विष्णु चालीसा और प्रार्थना के अन्य रूप जैसे आरती ( Vishnu Chalisa Lyrics | श्री विष्णु चालीसा लिरिक्स vishnu bhagwan ka chalisa, vishnu lakshmi chalisa, vishnu chalisa pdf, bhagwan vishnu chalisa, vishnu chalisa, vishnu chalisa lyrics Vishnu Bhagwan Chalisa Shri Vishnu Chalisa in Hindi | श्री विष्णु चालीसा हिन्दी दोहा विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय । कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥ चौपाई नमो विष्णु भगवान खरारी । कष्ट नशावन अखिल बिहारी ॥1 ॥ प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी । त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥2 ॥ सुन्दर रूप मनोहर सूरत । सरल स्वभाव मोहनी मूरत ॥3 ॥ तन पर पीतांबर अति सोहत । बैजन्ती माला मन मोहत ॥4 ॥ शंख चक्र कर गदा बिराजे । देखत दैत्य असुर दल भाजे ॥5 ॥ सत्य धर्म मद लोभ न गाजे । काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥6 ॥ संतभक्त सज्जन मनरंजन । दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ॥7 ॥ सुख उपजाय कष्ट सब भंजन । दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥8 ॥ पाप काट भव सिंधु उतारण । कष्ट नाशकर भक्त उबारण ॥9 ॥ करत अनेक रूप प्रभु धारण । केवल आप भक्ति के कारण ॥10 ॥ धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा । तब तुम रूप राम का धारा ॥11 ॥ भार उतार असुर दल मारा । रावण आदिक को संहारा ॥12 ॥ आप वराह रूप बनाया । हरण्याक्ष को मार गिराया ॥13 ॥ धर मत्स्य तन सिंधु बनाया । चौदह रतनन को निकलाया ॥14 ॥ अमिलख असुरन द्वंद मचाया । रूप मोहनी आप दिखाया ॥15 ॥ देवन को अमृत पान कराया । असुरन को छवि से बहलाया ॥16 ॥ कूर्म रूप धर सिंधु मझाया । मंद्राचल गिरि तुरत उठाया ॥17 ॥ शंकर का तुम फन्द छुड़ाया । भस्मासुर को रूप दिखाया ॥18 ॥ वेदन को जब असुर डुबाया । क...

श्री विष्णु चालीसा

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श्री विष्णु चालीसा लिरिक्स हिन्दी

पाप काट भव सिंधु उतारण। कष्ट नाशकर भक्त उबारण ! करत अनेक रूप प्रभु धारण। केवल आप भक्ति के कारण !! धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा। तब तुम रूप राम का धारा ! भार उतार असुर दल मारा। रावण आदिक को संहारा !! आप वराह रूप बनाया। हरण्याक्ष को मार गिराया ! धर मत्स्य तन सिंधु बनाया। चौदह रतनन को निकलाया !! अमिलख असुरन द्वंद मचाया। रूप मोहनी आप दिखाया ! देवन को अमृत पान कराया। असुरन को छवि से बहलाया !! कूर्म रूप धर सिंधु मझाया। मंद्राचल गिरि तुरत उठाया ! शंकर का तुम फन्द छुड़ाया। भस्मासुर को रूप दिखाया !! वेदन को जब असुर डुबाया। कर प्रबंध उन्हें ढूँढवाया ! मोहित बनकर खलहि नचाया। उसही कर से भस्म कराया !! असुर जलंधर अति बलदाई। शंकर से उन कीन्ह लडाई ! हार पार शिव सकल बनाई। कीन सती से छल खल जाई !! सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी। बतलाई सब विपत कहानी ! तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी। वृन्दा की सब सुरति भुलानी !! देखत तीन दनुज शैतानी। वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ! हो स्पर्श धर्म क्षति मानी। हना असुर उर शिव शैतानी !! तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे। हिरणाकुश आदिक खल मारे ! गणिका और अजामिल तारे। बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे !! हरहु सकल संताप हमारे। कृपा करहु हरि सिरजन हारे ! देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे। दीन बन्धु भक्तन हितकारे !! चहत आपका सेवक दर्शन। करहु दया अपनी मधुसूदन ! जानूं नहीं योग्य जप पूजन। होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन !! शीलदया सन्तोष सुलक्षण। विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ! करहुं आपका किस विधि पूजन। कुमति विलोक होत दुख भीषण !! करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण। कौन भांति मैं करहु समर्पण ! सुर मुनि करत सदा सेवकाई। हर्षित रहत परम गति पाई !! दीन दुखिन पर सदा सहाई। निज जन जान लेव अपनाई ! पाप दोष संताप नशाओ। भव-बंधन से मुक्त ...

Shri Vishnu Chalisa गुरुवार को करें श्री विष्णु चालीसा का पाठ हर कष्ट से मिलेगा छुटकारा

Shri Vishnu Chalisa: गुरुवार को करें श्री विष्णु चालीसा का पाठ, हर कष्ट से मिलेगा छुटकारा Shri Vishni Chalisa मान्यता है कि श्री विष्णु चालीसा का पाठ करने से सिद्धि-बुद्धि धन-बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है। व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से भी छुटकारा मिल जाता है। तो आइए जानते हैं श्री विष्णु की संपूर्ण चालीसा। नई दिल्ली, Shri Vishnu Chalisa: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की विधिवत तरीके से पूजा करने का विधान है। इस दिन पूजा करने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न रहती हैं। माना जाता है कि गुरुवार के दिन नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए श्री विष्णु चालीसा के साथ इसका पाठ करने का सही तरीका। • सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि करके पीले रंग के कपड़े धारण कर लें। • अगर आप गुरुवार का व्रत रखते हैं को भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। • अब पूजा घर में आसन बिछाकर बैठ जाएं। • भगवान विष्णु को पीला चंदन, अक्षत, फूल, माला, भोग, तुलसी चढ़ाने के बाद विष्णु चालीसा का पाठ आरंभ करें। • अंत में धूप-दीपक करके आचमन कर दें और प्रसाद सभी के बीच बांट दें। श्री विष्णु चालीसा विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय । कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥ चौपाई नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी । प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥ सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत । तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥ शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे । सत्य धर्म मद लोभ न...