श्रीसूक्त का पाठ

  1. श्रीसूक्त के प्रयोग – Vadicjagat
  2. Sri Suktam Path Karne Ki Vidhi
  3. सर्व सौभाग्यप्रदायक स्वयंसिद्ध श्री श्रीसूक्त पाठ विधि ! – श्री ज्योतिर्मणि पीठ
  4. श्री सूक्त का पाठ कैसे करे ? सूक्त हिंदी अनुवाद सहित
  5. [PDF] श्री सूक्तम पाठ अर्थ सहित


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श्रीसूक्त के प्रयोग – Vadicjagat

श्रीसूक्त के प्रयोग १॰ “श्रीं ह्रीं क्लीं।।हिरण्य-वर्णा हरिणीं, सुवर्ण-रजत-स्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह।। श्रीं ह्रीं क्लीं” सुवर्ण से लक्ष्मी की मूर्ति बनाकर उस मूर्ति का पूजन हल्दी और सुवर्ण-चाँदी के कमल-पुष्पों से करें। फिर सुवासिनी-सौभाग्यवती स्त्री और गाय का पूजन कर, पूर्णिमा के चन्द्र में अथवा पानी से भरे हुए कुम्भ में श्रीपरा-नारायणी का ध्यान कर, सोने की माला से कमल-पत्र के आसन पर बैठकर, ‘श्रीसूक्त’ की उक्त ‘हिरण्य-वर्णा॰॰’ ऋचा में ‘श्रीं ह्रीं क्लीं’ बीज जोड़कर प्रातः, दोपहर और सांय एक-एक हजार (१० माला) जप करे। इस प्रकार सवा लाख जप होने पर मधु और कमल-पुष्प से दशांश हवन करे और तर्पण, मार्जन तथा ब्राह्मण-भोजन नियम से करे। इस प्रयोग का पुरश्चरण ३२ लाख जप का है। सवा लाख का जप, होम आदि हो जाने पर दूसरे सवा लाख का जप प्रारम्भ करे। ऐसे कुल २६ प्रयोग करने पर ३२ लाख का प्रयोग सम्पूर्ण होता है। इस प्रयोग का फल राज-वैभव, सुवर्ण, रत्न, वैभव, वाहन, स्त्री, सन्तान और सब प्रकार का सांसारिक सुख की प्राप्ति है। २॰ “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महा-लक्ष्म्यै नमः।। दुर्गे! स्मृता हरसि भीतिमशेष-जन्तोः, स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव-शुभां ददासि। ॐ ऐं हिरण्य-वर्णां हरिणीं, सुवर्ण-रजत-स्रजाम्। चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह।। दारिद्रय-दुःख-भय-हारिणि का त्वदन्या, सर्वोपकार-करणाय सदाऽर्द्र-चित्ता।। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महा-लक्ष्म्यै नमः।।” यह ‘श्रीसूक्त का एक मन्त्र सम्पुटित हुआ। इस प्रकार ‘तां म आवह’ से लेकर ‘यः शुचिः’ तक के १६ मन्त्रों को सम्पुटित कर पाठ करने से १ पाठ हुआ। ऐस...

Sri Suktam Path Karne Ki Vidhi

श्री सूक्त पाठ करने की विधि, Sri Suktam Path Karne Ki Vidhi, Shree Suktam Path Vidhi, Shree Suktam Ka Path Kaise Kare. 10 वर्ष के उपाय के साथ अपनी लाल किताब की जन्मपत्री ( Lal Kitab Horoscope ) बनवाए केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678 नोट : यदि आप अपने जीवन में किसी कारण से परेशान चल रहे हो तो ज्योतिषी सलाह लेने के लिए अभी ज्योतिष आचार्य पंडित ललित त्रिवेदी पर कॉल करके अपनी समस्या का निवारण कीजिये ! +91- 9667189678 ( Paid Services ) 30 साल के फ़लादेश के साथ वैदिक जन्मकुंडली बनवाये केवल 500/- ( Only India Charges ) में ! Mobile & Whats app Number : +91-9667189678 श्री सूक्त पाठ करने की विधि || Sri Suktam Path Karne Ki Vidhi Sri Suktam Path Karne Ki Vidhi श्री सूक्त पाठ करने की सम्पूर्ण जानकारी यहाँ से पाये : हमारे हिन्दू धर्म में धन की देवी माँ लक्ष्मी को समर्पित है. ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति के घर में मां लक्ष्मी देवी विराजमान होती हैं उस घर में कभी दरिद्रता यानी गरीबी कभी नहीं आती. वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में देवी लक्ष्मी को पाने और उसे मनाने के लिए काफी तरह के उपाय, पूजा-विधि व मंत्र बताये गये हैं. लेकिन मां लक्ष्मी देवी को खुश करने का सबसे आसन तरीका श्रीसूक्त का नियमित पाठ करना. ऐसा करने से व्यक्ति अपने जीवन में दुर्भाग्य से कोसों दूर रहता है. आइए जानते हैं इस Sri Suktam Path Karne Ki Vidhi। Online Specialist Astrologer Acharya Pandit Lalit Trivedi द्वारा बताये जा रहे श्री सूक्त पाठ करने की विधि || Sri Suktam Path Karne Ki Vidhi को पढ़कर आप श्रीसूक्त पाठ करने की सही जानकारी प्राप्त कर सकते हो। जय श्री सीताराम !! जय श्री ...

सर्व सौभाग्यप्रदायक स्वयंसिद्ध श्री श्रीसूक्त पाठ विधि ! – श्री ज्योतिर्मणि पीठ

सर्व सौभाग्यप्रदायक स्वयंसिद्ध श्री श्रीसूक्त पाठ विधि ! समस्त साधनाओं के लिए पंजिकरण खोल दिए गए हैं, अब आप वेबसाईट पर अपना खाता बनाकर साधनाओं हेतु पंजिकरण कर सकते हैं ! समस्त दीक्षा/साधना/अनुष्ठान एवं साधनापूर्व प्रशिक्षण की त्वरित जानकारियों हेतु हमारी मोबाईल ऐप इंस्टाल करें ! मोबाईल ऐप इंस्टाल करने हेतु क्लिक करें ! या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः । माँ भगवती आप सब के जीवन को अनन्त खुशियों से परिपूर्ण करें । (श्रीसूक्त के इस प्रयोग को हृदय अथवा आज्ञाचक्र में करने से सर्वोत्तम लाभ होगा, अन्यथा सामान्य पूजा प्रकरण से ही संपन्न करें ।) प्राणायाम आचमन आदि कर आसन पूजन करें :- ॐ अस्य श्री आसन पूजन महामन्त्रस्य कूर्मो देवता मेरूपृष्ठ ऋषि पृथ्वी सुतलं छंद: आसन पूजने विनियोग: । विनियोग हेतु जल भूमि पर गिरा दें । पृथ्वी पर रोली से त्रिकोण का निर्माण कर इस मन्त्र से पंचोपचार पूजन करें :– ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवी त्वं विष्णुनां धृता त्वां च धारय मां देवी पवित्रां कुरू च आसनं ।ॐ आधारशक्तये नम: । ॐ कूर्मासनायै नम: । ॐ पद्‌मासनायै नम: । ॐ सिद्धासनाय नम: । ॐ साध्य सिद्धसिद्धासनाय नम: । तदुपरांत गुरू गणपति गौरी पित्र व स्थान देवता आदि का स्मरण व पंचोपचार पूजन कर श्री चक्र के सम्मुख पुरुष सूक्त का एक बार पाठ करें । निम्न मन्त्रों से करन्यास करें :- 1 ॐ (दीक्षा में प्राप्त हुआ मन्त्र ) अंगुष्ठाभ्याम नमः । 2 ॐ (दीक्षा में प्राप्त हुआ मन्त्र ) तर्जनीभ्यां स्वाहा । 3 ॐ (दीक्षा में प्राप्त हुआ मन्त्र ) मध्यमाभ्यां वष्‌ट । 4 ॐ (दीक्षा में प्राप्त हुआ मन्त्र ) अनामिकाभ्यां हुम्‌ । 5 ॐ (दीक्षा में प्राप्त हुआ मन्त्र ) कनिष्ठिकाभ्यां वौषट । 6 ॐ...

श्री सूक्त का पाठ कैसे करे ? सूक्त हिंदी अनुवाद सहित

ॐ श्री हिरण्यवर्णां इति पञ्चदशर्चस्य श्री सूक्तस्य आद्यमन्त्रस्य लक्ष्मी ऋषिः चतुर्दशमंत्राणां आनंदकर्दमचिक्लीतेईंदिरासुता ऋषयः जात वेदोग्नि दुर्गा श्री महालक्ष्मी देवता आद्यानां तिसृणां अनुष्टुप छन्दः चतुर्थ मंत्रस्य बृहति छन्दः व्यंजनानि बीजानि स्पर्श शक्तयः बिन्दवः कीलकं मम अलक्ष्मी परिहार पूर्वकं दशविधलक्ष्मी प्राप्त्यर्थं यथा शक्ति श्रीसूक्ते पाठे ( जपे-होमे ) विनियोगः | जो अवर्णनीय और मधुर हास्यवाले है, जो सुवर्ण स्वरुप तेजोमय पुंज से प्रसन्न,तेजस्वी, और क्षीर समुद्र में रहनेवाले षडभाव से रहित भावना से प्रकाशमान और सदा तृप्त होने से भक्तो को भी तृप्त रखनारी अनासक्ति की प्रतिक कमल के आसन पर बिराजमान और कमल के जैसे ही मनोहर वर्णवाली लक्ष्मीजी को मेरे घर में आने के लिये में उनका आवाहन करता हु | जो चन्द्रमा के समान प्रकाशमान, सुखद, स्नेह, कृपा से भरपूर वैभवशाली, श्रेष्ठ कान्तिवाली और निर्मल कान्तिवाली जो सर्व देवोसे युक्त है( देवो ने जिनका आश्रय लिया हुआ है ), कमल के जैसी अनासक्त लक्ष्मी के कारण शरण में में जा रहां हु,जिस दुर्गा की कृपा द्वारा मेरी दरिद्रता का विनाश हो इसलिए में माँ लक्ष्मी का वरण करता हु | नमस्ते मेरा नाम आनंद कुमार हर्षद भाई पाठक है। मैंने संस्कृत पाठशाला में अभ्यास कर (B.A-M.A) शास्त्री - आचार्य की पदवी प्राप्त की हुईं है।।। मेरा परिचय ।। आनंद पाठक (आचार्य) ( साहित्याचार्य ) ब्रह्मरत्न अवार्ड विजेता (2015) B.a-M.a ( शास्त्री - आचार्य ) कर्मकांड भूषण - कर्मकांड विशारद ज्योतिष भूषण - ज्योतिष विशारद • ► (76) • ► (18) • ► (23) • ► (16) • ► (15) • ► (4) • ► (103) • ► (4) • ► (3) • ► (3) • ► (28) • ► (3) • ► (15) • ► (26) • ► (9) • ► (12) • ► (100) • ► (6) ...

[PDF] श्री सूक्तम पाठ अर्थ सहित

पुस्तक का एक मशीनी अंश श्रीसूक्त – श्रीसूक्त ऋग्वेद का खिल सूक है। ऋग्वेद के पांचवें मण्डल के अन्त में यह उपलब्ध होता है। सूक्त में मन्त्रों की संख्या पन्द्रह है। सोलहवें मन्त्र में फलश्रु ति है। बाद में ग्यारह मन्त्र परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध होते हैं। इनको लक्ष्मीसूक्त के नाम से स्मरण किया जाता है। ऋषि – आनन्द, कर्दम, श्रीद और चिक्कीत ये चार श्रीसूक्त के ऋषि हैं। इन चारों को श्री का पुत्र बताया गया है। श्रीपुत्र हिरण्यगर्भ को भी श्रीसूक्त का ऋषि माना जाता है। छन्द – चौथा मन्त्र बृहती छन्द में है। पांचवाँ और छटा मन्त्र त्रिष्टुप छन्द में है। अन्तिम मन्त्र का छन्द प्रस्तारपंक्ति है। शेष मन्त्र अनुष्टुप छन्द में है। देवता – श्रीशब्दवाच्या लक्ष्मी इस सूक्त की देवता हैं । विनियोग – इस सूक्त का विनियोग लक्ष्मी के आराधन, जप, होम आदि में किया जाता है। महर्षि बोधायन, वशिष्ठ आदि ने इसके विशेष प्रयोग बतलाये हैं। श्रीसूक्त की फलश्रुति में भी इस सूक्त के मन्त्रों का जप तथा इन मन्त्रों के द्वारा होम करने का निर्देश किया गया है। सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुकगन्धमाल्यशोभे । भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतकरि प्रसीद माम् ॥८॥ हे भगवति ! आप कमल में वास करती हो, आपके हाथों में कमलपुष्प हैं, आप प्रति श्वेत वस्त्र, चन्दन माला से सुशोभित हो, आप भगवान् की प्रेयसी हो, सुन्दर हो तथा त्रिलोकी को ऐश्वर्य प्रदान करने वाली हो, आप मुझ पर प्रसन्न हों । विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम् । लक्ष्मों प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लमाम् ॥६॥ हे लक्ष्मि ! आप विष्णु पत्नी हैं, दयामयी हैं, प्रकाशमयो हैं, माधव की प्रिया माधवी हैं, लक्ष्मी हैं, विष्णु की प्रिय संगिनी हैं विष्णु की प्रेयसी हैं। ...