सहर्ष स्वीकारा है कविता की व्याख्या

  1. सहर्ष स्वीकारा है ( सप्रसंग व्याख्या ) ( आरोह
  2. सहर्ष स्वीकारा है भावार्थ, व्याख्या और प्रश्न उत्तर कक्षा 12
  3. NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aaroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है
  4. NCERT Solutions for Class 12 Hindi Core
  5. NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है
  6. Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 Summary सहर्ष स्वीकारा है
  7. सहर्ष स्वीकारा है
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सहर्ष स्वीकारा है ( सप्रसंग व्याख्या ) ( आरोह

परिचय यह कविता कवि के निजी अनुभवों पर आधारित है | इस कविता का ‘तुम’ माँ है या पत्नी, प्रेयसी, बहन या कोई और- इसका रहस्य बना हुआ है | कवि स्वीकार करता है की उसके जीवन में जो भी कमजोरियां या उपलब्धियां हैं उन्हें उसके प्रिय का प्रेम और समर्थन प्राप्त है | सन्दर्भ :- प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘आरोह-भाग -2’ में संकलित कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की कविता ‘सहर्ष स्वीकारा है’ से लिया गया है | प्रसंग :- ज़िंदगी में जो कुछ है, जो भी है सहर्ष स्वीकारा है; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है। गरबीली गरीबी यह, ये गंभीर अनुभव सब यह विचार-वैभव सब दृढ़ता यह, भीतर की सरिता यह अभिनव सब मौलिक है, मौलिक है इसलिए कि पल-पल में जो कुछ भी जाग्रत है अपलक है- संवेदन तुम्हारा है ! व्याख्या इस काव्यांश में कवि अपने रहस्यमय प्रिय को संबोधित करता है,परन्तु स्पष्ट रूप से उसका नाम , लिंग आदि नहीं बताया गया है | अपने प्रिय का प्यार कवि को सब कुछ सहने की क्षमता भी प्रदान करता है | कवी ने स्पष्ट किया हुआ है कि उसने अभी तक अपने जीवन में जो भी उपलब्धि हासिल की है उसे जो भी कुछ प्राप्त हुआ है उसे उसने खुशी खुशी स्वीकार किया है | चाहे वह गरीबी हो या अनुभव, विचार, बहार की दृढ़ता हो या अन्दर की तरलता, ये सब उसके लिए नए हैं | यह गरीबी गर्वीली है ये अनुभव गंभीर हैं ये विचार वैभवशाली है कभी इन सबको हर्ष के साथ इसलिए स्वीकार कर रहा है क्योंकि वह स्वयं को अपने प्रिय से अलग करके नहीं देख सकता वह अपने प्रिय से इतना घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है कि उसकी खुशी में ही कवि अपनी खुशी देखता है और कवि की प्रिय कवि की सभी स्थितियों को प्यार करती है | कवि कहता है कि उसके जीवन में हरपल घटित होने वाली स्थितियां जागृ...

सहर्ष स्वीकारा है भावार्थ, व्याख्या और प्रश्न उत्तर कक्षा 12

सहर्ष स्वीकारा है कविता की व्याख्या और प्रश्न उत्तर कक्षा 12 जिंदगी में जो कुछ है, जो भी है सहर्ष स्वीकारा है; इसलिए कि जो कुछ भी मेरा है वह तुम्हें प्यारा है। सहर्ष स्वीकारा है कविता का प्रसंग– प्रस्तुत पद्यांश हमारी हिन्दी की पाठ्य-पुस्तक ‘ आरोह‘ में संकलित ‘ सहर्ष स्वीकारा है‘ कविता से उद्धृत है। इसके कवि ‘ गजानन माधव मुक्तिबोध‘ जी है। इस कविता में उन्होंने जीवन जीने का सही संदेश प्रदान किया है। जीवन के सभी पक्षों को शान्त स्वभाव के साथ स्वीकार कर लेना ही जीवन की सच्ची कला है। सहर्ष स्वीकारा है कविता की व्याख्या–‘मुक्तिबोध’ जी इस कविता के माध्यम से मानव जाति को यह संदेश देना चाहते हैं कि ज़िन्दगी के समय में जो कुछ भी अच्छी-बुरीघटनाएँ, यादें, बातें आती हैं, उन्हें हमें खुशी-खुशी स्वीकार कर लेना चाहिए। क्योंकि कवि का विश्वास है कि जो कुछ भी मेरे भाग्य में ईश्वर ने लिखा हुआ है वह सब उसने सोच-विचार कर ही लिखा है। कवि को सभी सुख-दुखों को देने वाला भगवान ही है और भगवान को उसके सभी भावों के साथ लगाव है। भावार्थ यह है कि जिन्दगी में भगवान के द्वारा दिए सभी कार्यों को प्रसन्नतापूर्वक करना चाहिए। सहर्ष स्वीकारा है कविता का काव्य विशेष (क) भाव पक्ष के ज़िन्दगी के सभी सुख – दुख हमें साहस व खुशी के साथ अपनाने चाहिए। एक सिक्के के दो पहलुओं के समान सुख-दुख भी जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए है। (ख) कला पक्ष 1- सरल, सरस प्रवाहपूर्ण भाषा का सुन्दर प्रयोग हैं। 2- तुकबंदी के कारण काव्य में गेयता का गुण विद्यमान 3- सहर्ष स्वीकारा अनुप्रास अलंकार का सौन्दर्य दिखाई देता है। सहज शब्दावली में भी कवि ने विचारों की गहनता व गम्भीरतापूर्ण बात को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। 4- सहर्ष भाव को विशेषण रूप ...

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aaroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है

Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा हैNCERT Solutions for Class 12 Hindi Aaroh is very useful that help in revising the chapter properly and prepare yourself well before examinations.These NCERT Solutions are helpful resources that can help you not only cover the entire syllabus and getting command over the subject.सहर्ष स्वीकारा है is written by गजानन माधव मुक्तिबोध that can be used to enrich knowledge. बहलाती सहलाती -बहलाती, सहलाती आत्मीयता का अर्थ हैबहलाने, सहलानेवाला अपनापन। मनुष्य समाज में रहता है| हर मनुष्य की किसी न किसी के साथ अटूट संबंध होताहै कि हर स्थिति में वेएक-दूसरे का साथ देने के लिए तत्पर रहते हैं। परन्तु इस कविता मेंकवि जीवन सेइतना दुखी और निराश हो चुका है कि उसे अपनापन भी अच्छा नहीं लग रहा| इन पंक्तियों में कवि अपनी प्रेयसी को याद करते हुए कहता है कि उसके साथ न जाने उसका कैसा संबंध है कि जितना वह अपनेभीतर समाए हुए प्रेयसी के प्रेमरूपी जल को बाहर निकालता है वह फिर से चारों ओर से सिमटकर उसके पास वापस चला आता है। कवि को यह देखकर ऐसे लग रहाकि कहीं मेरे हृदय में प्रेम का कोई झरना तो नहीं बह रहा है जिसका जल समाप्त होने को ही नहीं आता। कवि केमन में प्रेम है और ऊपर से प्रेयसीकाचाँद जैसा मुस्कराता हुआ सुंदर चेहरा रात भरअपने अद्भुत सौंदर्य के प्रकाश सेकवि कोनहलाता रहता है। (ग) इस स्थिति से ठीक विपरीत ठहरने वाली स्थिति इस प्रकार है-'तुमसे ही परिवेष्टित आच्छादित रहने का रमणीय यह उजेला कवि ने प्रियतम की आभा से सदैव घिरे रहने की स्थिति को उजाले के रूप में व्यक्त किया है। उजाला मनुष्य को रास्ता दिखाता है। इसी प्रकार प्रेयसीका प्रेम-उजाला उसे जीवन पथ पर चलने के लिए प्रोत्साहित करता...

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Core

Contents • 1 NCERT Solutions for Class 12 Hindi Core – काव्य भाग – सहर्ष स्वीकारा है • 1.1 कवि परिचय • 1.2 कविता का प्रतिपादय एवं सार • 1.3 व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न • 1.4 काव्य-सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न • 1.5 पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न • 1.6 अन्य हल प्रश्न • 1.7 स्वयं करें NCERT Solutions for Class 12 Hindi Core – काव्य भाग – सहर्ष स्वीकारा है कवि परिचय जीवन परिचय– प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के श्योपुर नामक स्थान पर 1917 ई० में हुआ था। इनके पिता पुलिस विभाग में थे। अत: निरंतर होने वाले स्थानांतरण के कारण इनकी पढ़ाई नियमित व व्यवस्थित रूप से नहीं हो पाई। 1954 ई. में इन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से एम०ए० (हिंदी) करने के बाद राजनाद गाँव के डिग्री कॉलेज में अध्यापन कार्य आरंभ किया। इन्होंने अध्यापन, लेखन एवं पत्रकारिता सभी क्षेत्रों में अपनी योग्यता, प्रतिभा एवं कार्यक्षमता का परिचय दिया। मुक्तिबोध को जीवनपर्यत संघर्ष करना पड़ा और संघर्षशीलता ने इन्हें चिंतनशील एवं जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने को प्रेरित किया। 1964 ई० में यह महान चिंतक, दार्शनिक, पत्रकार एवं सजग लेखक तथा कवि इस संसार से चल बसा। रचनाएँ- गजानन माधव ‘मुक्तिबोध’ की रचनाएँ निम्नलिखित हैं (i) कविता-संग्रह- चाँद का मुँह टेढ़ा है, भूरी-भूरी खाक-धूल। (ii) कथा-साहित्य- काठ का सपना, विपात्र, सतह से उठता आदमी। (iii) आलोचना- कामायनी-एक पुनर्विचार, नई कविता का आत्मसंघर्ष, नए साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ एक साहित्यिक की डायरी। (iv) भारत-इतिहास और संस्कृति। काव्यगत विशेषताएँ- मुक्तिबोध प्रयोगवादी काव्यधारा के प्रमुख सूत्रधारों...

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास कविता के साथ प्रश्न 1. टिप्पणी कीजिए-गरबीली गरीबी, भीतर की सरिता, बहलाती सहलाती आत्मीयता, ममता के बादल। (CBSE-2011) उत्तर: (क) गरबीली गरीबी- कवि ने गरीब होते हुए भी स्वाभिमान का परिचय दिया है। उसे अपनी गरीबी से हीनता या ग्लानि की अनुभूति नहीं होती। वह स्वयं पर गर्व करता है भले ही वह गरीब हो। (ख) भीतर की सरिता- इसका अर्थ है-अंत:करण में बहने वाली भावनाएँ। कवि के मन में असंख्य कोमल भावनाएँ हैं। उन भावनाओं को ही उसने भीतर की सरिता कहा है। नदी में पानी के बहाव की तरह कवि की भावनाएँ भी बहती रहती हैं। (ग) बहलाती- सहलाती आत्मीयता-किसी व्यक्ति से बहुत अपनापन होता है तो मनुष्य को अद्भुत सुख व शांति मिलती है। कवि को प्रियतमा का अपनापन, प्रेमपूर्ण व्यवहार हर समय बहलाता रहता है। उसका व्यवहार अत्यंत प्रेमपूर्ण है तथा वह कवि के कष्टों को कम करता रहता है। (घ) ममता के बादल- ममता का अर्थ है-अपनत्व या स्नेह। जिसके साथ अपनत्व हो जाता है, उसके लिए सब कुछ न्योछावर किया जाता है। कवि की प्रियतमा उससे अत्यधिक स्नेह करती है। उसके स्नेह से कवि अंदर तक भीग जाता है। प्रश्न 2. इस कविता में और भी टिप्पणी योग्य पद-प्रयोग हैं। ऐसे किसी एक प्रयोग का अपनी ओर से उल्लेख कर उस पर टिप्पणी करें। उत्तर: ‘भर भर फिर आता है-इससे कवि का आशय है कि जिस प्रकार पानी का रहट बाल्टियों को खाली करके फिर भर देता है ठीक वही स्थिति मेरी है। मैं भी इस वर्ग पर जितना, प्यारे उड़ेलता हूँ यह और अधिक बढ़ता जाता है। मेरा और इस वर्ग का आपसी रिश्ता बहुत गहरा है। मैंने इस वर्ग के लोगों से आत्मीय संबंध बना रखे हैं, इसी कारण मैं स्वयं को इस वर्...

Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 Summary सहर्ष स्वीकारा है

सहर्ष स्वीकारा है Summary Notes Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है कविता का सारांश गजानन माधव मुक्तिबोध नई कविता के प्रमुख कवि हैं। वे लंबी कविताओं के कवि हैं। ‘सहर्ष स्वीकारा है’ मुक्तिबोध की छोटी कविता है जो छायावादी चेतना से प्रेरित है। इस कविता में कवि ने जीवन में मनुष्य को सुख-दुख, राग-विराग, हर्ष-विषाद, आशा-निराशा, संघर्ष-अवसाद, उठा-पटक आदि भावों को सहर्ष अंगीकार करने की प्रेरणा प्रदान की है। इसके साथ यह कविता उस विशिष्ट व्यक्ति या सत्ता की ओर संकेत करती हैं जिससे कवि को प्रेरणा प्राप्त हुई है। कवि उस विशिष्ट सत्ता को संबोधन करके कहता है कि मेरे जीवन में जो कुछ भी सुख-दुख, राग-विराग, संघर्ष-अवसाद, हर्ष-विषाद आदि मिला है उसको मैंने सहर्ष भाव से अंगीकार किया है। इसलिए वह जीवन में सब कुछ उसी सत्ता का दिया हुआ मानता है। गर्वयुक्त गरीबी, गंभीर अनुभव, भव्य विचार, दृढ़ता हृदय रूपी सरिता सब कुछ उनके जीवन में मौलिक हैं, बनावटी कुछ भी नहीं। इसलिए उन्हें गोचर जगत अदृश्य शक्ति का भाव लगता है। वे सोचते हैं कि न जाने उस असीम सत्ता से उनका क्या रिश्ता-नाता है कि बार-बार वे उनके प्रति प्रेम रूपी झरने को ख़त्म करना चाहते हैं लेकिन वह बार-बार अपने-आप भर जाता है, जिसे चाहकर भी वे समाप्त नहीं कर सकते। उन्हें रात्रि में धरती पर मुसकुराते चाँद की भाँति अपने ऊपर असीम सत्ता का चेहरा मुसकुराता हुआ दिखता है। कवि बार-बार उस प्रभु से अपनी भूल के लिए दंड चाहते हैं। वे दक्षिण ध्रुव पर स्थित अमावस्या में पूर्ण रूप से डूब जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें अब प्रभु द्वारा ढका और घिरा हुआ रमणीय प्रकाश सहन नहीं होता। अब उन्हें ममता रूपी बादलों की कोमलता भी हृदय में पीड़ा पहुँचाती है। उनकी आत्...

सहर्ष स्वीकारा है

• कविता में जीवन के सुख – दुख ‚ संघर्ष – अवसाद ‚ उठा – पटक को समान रूप से स्वीकार करने की बात कही गई है। • स्नेह की प्रगाढ़ता अपनी चरम सीमा पर पहुँच कर वियोग की कल्पना मात्र से त्रस्त हो उठती है। • प्रेमालंबन अर्थात प्रियजन पर यह भावपूर्ण निर्भरता ‚ कवि के मन में विस्मृति की चाह उत्पन्न करती है।वह अपने प्रिय को पूर्णतया भूल जाना चाहता है | • वस्तुतः विस्मृति की चाह भी स्मृति का ही रूप है। यह विस्मृति भी स्मृतियों के धुंधलके से अछूती नहीं है।प्रिय की याद किसी न किसी रूप में बनी ही रहती है| • परंतु कवि दोनों ही परिस्थितियों को उस परम् सत्ता की परछाईं मानता है।इस परिस्थिति को खुशी–खुशी स्वीकार करता है |दुःख-सुख ,संघर्ष –अवसाद,उठा–पटक, मिलन-बिछोह को समान भाव से स्वीकार करता है|प्रिय के सामने न होने पर भी उसके आस-पास होने का अहसास बना रहता है| • भावना की स्मृति विचार बनकर विश्व की गुत्थियां सुलझाने में मदद करती है| स्नेह में थोड़ी निस्संगता भी जरूरी है |अति किसी चीज की अच्छी नहीं |’वह’ यहाँ कोई भी हो सकता है दिवंगत माँ प्रिय या अन्य |कबीर के राम की तरह ,वर्ड्सवर्थ की मातृमना प्रकृति की तरह यह प्रेम सर्वव्यापी होना चाहता है | उत्तर:-कवि को अपनी स्वाभिमानयुक्त गरीबी, जीवन के गम्भीर अनुभव विचारों का वैभव, व्यक्तित्व की दृढ़ता, मन की भावनाओं की नदी, यह सब नए रूप में मौलिक लगते हैं क्यों कि उसके जीवन में जो कुछ भी घटता है वह जाग्रत है, विश्व उपयोगी है अत: उसकी उपलब्धि है और वह उसकी प्रिया की प्रेरणा से ही संभव हुआ है। उसके जीवन का प्रत्येक अभाव ऊर्जा बनकर जीवन में नई दिशाही देता रहा है |

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 सहर्ष स्वीकारा है

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