श्याम माता की कहानी

  1. खाटू श्याम बाबा की कहानी.
  2. Bal Sahitya: दो भाइयों के प्यार और सूझ
  3. श्याम बाबा का चमत्कार! पीपल के पत्तों में आज भी हैं छेद, महाभारत के बर्बरीक से जुड़ी है घटना
  4. Khatu Shyam Ji Story In Hindi
  5. महाभारत की वीर गाथा { श्याम बाबा } श्याम बाबा की कहानी – Shri Khatu Shyam Ji
  6. 9 खूबसूरत खाटू श्याम जी के भजन
  7. Khatu Shyam Ji Mahabharat Who Was Barbarik And How He Became A Loser Know Khatu Shyam Story In Hindi
  8. शीतला माता की पौराणिक कथा
  9. बर्बरीक कौन था आज है खाटू श्याम पूरी कहानी , Eaarti


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खाटू श्याम बाबा की कहानी.

असल न्यूज़: खाटू श्याम को भगवन श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है ऐसा कहे जाने के पीछे एक पौराणिक कथा हाथ है राजस्थान के सीकर जिले में इनका भव्य मंदिर स्थित जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते है लोगो का विश्वास है की बाबा श्याम सभी की मुरादे पूरी करते है और रंक को भी राजा बना सकते है कौन है बाबा खाटू श्याम बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे ऐसी कथा है की खटु श्याम की अपार शांति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया खाटू श्याम कि कथा लाक्षागृह की घटना में प्राण बचाकर वन-वन भटकते पांडवों की मुलाकात हिंडिबा नाम की राक्षसी से हुआ यह भीम को पति रूप में प्राप्त करना चाहती थी माता कुंती की आज्ञा से भीम और हिंडिबा का विवाह हुआ जिससे घटोत्क्च का जन्म हुआ घटोत्क्च का पुत्र हुआ बर्बरीक जो अपने पिता से भी शक्तिशाली और मायाबी था बर्बरीक देवी का उपासक था देवी के वरदान से उसे तीन दिव्या बाण प्राप्त हुए थे जो अपने लक्ष्य को भेद कर वापस लौट आते थे इनकी वजह से बर्बरीक अजेय हो गया था महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक युद्ध देखने के इरादे से कुरुक्षेत्र आ रहा था श्री कृष्ण जानते थे की अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुआ तो परिणाम पांडवों के विरुद्ध होगा बर्बरीक को रोकने के लिए श्री कृष्ण गरीब ब्राह्मण बनकर बर्बरीक के सामने आए अनजान बनते हुए श्री कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि तुम कौन हो और कुरुक्षेत्र क्यों जा रहे हो जवाब में बर्बरीक ने बताया कि वह एक दानी योद्धा है जो अपने एक बाण से ही महाभारत युद्ध का निर्णय कर सकता है श्री कृष्ण ने उसकी परीक्षा लेनी चाही तो उसने एक बाण चलाय...

Bal Sahitya: दो भाइयों के प्यार और सूझ

आज से तीन बरस पहले की बात होगी, राम और श्याम कन्नौज स्टेशन के पास ही रहते थे. घर से स्कूल थोड़ी दूरी पर था. लोग देखते श्याम अपने बस्ते के साथ-साथ बड़े भाई राम का बस्ता भी उठाकर चलता था. कारण, राम का एक पैर दूसरे पैर से थोड़ा छोटा था. वह ठीक से चल नहीं पाता था. श्याम चाहता था, बड़े भाई राम को कोई तकलीफ न हो. हालांकि राम उम्र में उससे सिर्फ दो वर्ष बड़ा था. लेकिन श्याम उसे बहुत चाहता था. उसे अपने भाई की विकलांगता से बहुत दुःख होता था. एक दिन राम और श्याम स्कूल जा रहे थे कि मोहल्ले के शरारती बच्चे जमा हो गए. वे राम को “लंगड़ा”-“लंगड़ा” कहकर चिढ़ाने लगे. श्याम बस्ता रखकर उन्हें मारने दौड़ा तो उसे धक्का देकर गिरा दिया और दोनों के बस्ते उठाकर भाग गए. बस्ता नहीं था तो दोनों बच्चे स्कूल कैसे जाते? वे रोते हुए घर लौट आए. माता-पिता को सारी बात बताई. रस्किन बॉण्ड की बाल कहानी- नानी का चश्मा अगले दिन पिता दोनों बच्चों को स्कूल छोड़ने गए. प्रधानाचार्य भी क्या करते, शरारती लड़के कोई उनके स्कूल के तो थे नहीं. पिता उन दोनों को दो-तीन दिन तक छोड़ने जाते रहे. मगर कब तक जाते? उन्हें भी तो अपनी नौकरी करनी थी. चौथे दिन राम और श्याम स्कूल गए. रास्ते में फिर उन लड़कों ने इन दोनों बच्चों को तंग किया. जब शाम को घर आकर मां से शिकायत की तो वह बोलीं- “अब तुम लोगों के झगड़े निपटाने रोज-रोज कौन जा सकता है. पिताजी नौकरी करें या तुम्हें छोड़ने जाएं. अपनी समस्याओं को आराम से सुलझाओ. जिस वक्त ये लड़के यहां होते हैं, उससे कुछ देर पहले चले जाया करो या बाद में नहीं तो रास्ता बदल लो.” “पहले ही भैया को चलने में इतनी दिक्कत होती है. रास्ता बदलें तो कितना चलना पड़ेगा” श्याम बोला. “श्याम, मां ठीक कहती है. हम दूसरे...

श्याम बाबा का चमत्कार! पीपल के पत्तों में आज भी हैं छेद, महाभारत के बर्बरीक से जुड़ी है घटना

मान्यता है कि चुलकाना धाम में आज भी पीपल का वह पेड़ है, जिसके समस्त पत्तों में सिर्फ एक बाण से बर्बरीक ने छेद कर दिए थे. इस पीपल के पेड़ के पत्तों में आज भी छेद दिख जाते हैं. आज इस पीपल के पेड़ पर लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए उसकी परिक्रमा करते हैं और मन्नत का धागा बाधते हैं. माना जाता है कि यहां पर मन्नत का धागा बांधने से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है. तब दिखाया था चमत्कार मान्यता है कि पांडव पुत्र भीम के पुत्र घटोत्कच का विवाह दैत्य पुत्री कामकटंकटा के साथ हुआ था. इन दोनों के पुत्र बर्बरीक थे. बर्बरीक को महादेव एवं विजया माता की कृपा से शक्तियां प्राप्त थीं. बर्बरीक जब महाभारत युद्ध में जा रहे थे, तभी श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का वेष धारण कर बर्बरीक की परीक्षा ली थी और तभी उन्होंने अपने एक ही बाण से पीपल के सभी पत्तों में एक साथ छेद कर दिया था. श्रीकृष्ण ने मांग लिया था सिर मान्यता के अनुसार, बर्बरीक की शक्ति को जानकर ब्राह्मण रूप में श्री कृष्ण ने कहा… जो मैं मागूंगा क्या तुम वह दोगे. बर्बरीक ने कहा कि मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं है, फिर भी आपकी दृष्टि में कुछ है तो मैं देने के लिए तैयार हूं. श्री कृष्ण ने शीश का दान मांगा. बर्बरीक ने कहा कि मैं शीश दान दूंगा, लेकिन एक ब्राह्मण कभी शीश दान नहीं मांगता. आप सच बताएं कौन हैं? तब श्रीकृष्ण अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और कहा कि इस युद्ध की सफलता के लिए किसी महाबली की बली चाहिए. धरती पर तीन वीर महाबली हैं मैं, अर्जुन और तीसरे तुम. क्योंकि तुम पांडव कुल से हो, रक्षा के लिए तुम्हारा बलिदान सदैव याद रखा जाएगा. बर्बरीक ने देवी देवताओं का वंदन किया और माता को नमन कर एक ही वार में शीश को धड़ से अलग कर श्री कृष्ण को दान कर दिय...

Khatu Shyam Ji Story In Hindi

यह पृष्ठ खातू श्याम जी कहानी को विस्तार से हिंदी में (Khatu Shyam Ji Story in Hindi) बताता है। राजस्थान के शेखावाटी के सीकर जिले में स्थित है परमधाम खाटू। यहां विराजित हैं खाटू श्यामजी (Khatu Shyam Ji)। खाटू का श्याम मंदिर (Khatu Shyam Temple) बहुत ही प्राचीन है। यहां पर प्रतिवर्ष फाल्गुन माह शुक्ल षष्ठी से बारस तक यह मेला लगता है। श्याम बाबा की महिमा का बखान करने वाले भक्त राजस्थान या भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कोने-कोने में मौजूद हैं। अपको इंटरनेट पे खाटू श्याम जी की कहानी हिंदी में (Khatu Shyam Ji Story in Hindi) बहुत काम मिलेगी। मेने बहुत रिसर्च क्रने के बाद ये कहानी लिखी है और सब कुछ कुछ बताने की कोशीश की है। Khatu Shyam Mandir Rajasthan History खाटूश्याम मंदिर भारत के खाटूश्यामजी, राजस्थान, (सीकर जिला) के गाँव में स्थित एक हिन्दू मंदिर है। यह देवता कृष्ण और बर्बरिका की पूजा करने के लिए एक तीर्थ स्थल है, जिन्हें अक्सर कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है। भक्तों का मानना है कि मंदिर में बर्बरिका या खाटूश्याम के प्रमुख हैं, जो एक पौराणिक योद्धा हैं, जो कुरुक्षेत्र युद्ध के पूर्वाभास के दौरान कृष्ण के अनुरोध पर अपना सिर बलिदान करते हैं। • कोन है खाटू श्याम जी? • किसने या कब बनव्या ये मंदिर? क्या इतिहास है मंदिर का है? • क्यू इने लखदातार और हारे का सहारा कहा जा रहा है? • क्यों लोग उने भगवान श्री कृष्ण जी का ख रूप मानते है.? • क्या सच में वे श्री कृष्ण जी के ही अवतार है …या नहीं? आओ जानते हैं कि कौन है बाबा खाटू श्यामजी (Baba Khatu Shyam Ji) ? क्या है उनकी कहानी। बर्बरीक या खाटू श्याम (Khatu Shyam Ji) कौन हैं? बर्बरीक महाभारत (Mahabharat) के दूसरे पांडव भीम के पोते हैं।...

महाभारत की वीर गाथा { श्याम बाबा } श्याम बाबा की कहानी – Shri Khatu Shyam Ji

• Home • Bhajan Lyrics in Hindi • Khatu Shyam Baba Images • Wallpapers • Mp3 Ringtone • About • Contact • Blog Feed • Privacy Policy • Terms of Use • Khatu Shyam Baba Latest Mobile Photos 2022 • Khatu Shyam Baba Latest HD Wallpapers 2022 • श्याम मिजाज़ी म्हारे आंगणिये आओ जी लिरिक्स SHYAM MIJAI MHARE AANGANIYE LYRICS महाभारत की गाथा में वैसे तो वीर से वीर तथा महापराक्रमी योद्धाओं का उल्लेख किया गया है लेकिन, उनमें एक योद्धा ऐसा भी था जो यदि युद्ध भूमि में शामिल होता तो आज महाभारत का इतिहास कुछ ऐसा होता जिसकी हम कल्पना भी नहीं करना चाहेंगे। यह यशस्वी योद्धा कोई और नहीं बल्कि श्याम बाबा थे, जिन्हें महाभारत काल में बर्बरीक के नाम से जाना जाता था। बर्बरीक, पांचों पांडवों में परम बलशाली भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक अपने बचपन से ही एक कुशल और वीर योद्धा थे और ऐसा कहा जाता है कि युद्ध कला उन्होंने अपनी माता अहिलावती से सीखी थी। बर्बरीक ने भगवान शिव की घोर तपस्या की जिससे भगवान शिव जी ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को तीन अमोघ बाण प्रदान किया था। इसलिए बर्बरीक को “ तीन बाण धारी” के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा अग्निदेव ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को एक धनुष भी प्रदान किया था, जो उसे तीनों लोकों में विजयी बनाने में समर्थ थे। जब बर्बरीक को यह पता चला कि पांडवों और कौरवों में युद्ध अटल है, तब वे स्वयं महाभारत युद्ध का साक्षी बनने के लिए कुरुक्षेत्र की तरफ चल पड़े। परंतु, कुरुक्षेत्र की ओर जाने से पहले उन्होंने अपनी माता को यह वचन दिया कि युद्ध भूमि में, जिसकी सेना अधिक निर्बल होगी वे उसी के पक्ष से युद्ध में भाग लेंगे। अपनी माता को यह वचन देकर बर्बरीक अपने नीले घोड़े पर सवा...

9 खूबसूरत खाटू श्याम जी के भजन

नमस्कार दोस्तों अगर आप यहाँ आये हो तो आप जरूर श्याम बाबा के भक्त होंगे तो बाबा के सभी भक्तो के लिए आज हम Khatu Shyam Bhajan Lyrics चुन कर लाये हैं। तो अब जब कभी भी बाबा के भजन गुनगुनाने का मन हो तो हमारे इस पोस्ट को पढ़ कर आप इसका आनंद ले सकते हैं। खाटू श्याम अपने सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करतें हैं तो बिना किसी संकोच के कहो हाँ मैं श्याम प्रेमी हूँ। आपकी मनोकामना पूरी हो इसी आशा के साथ शुरू करते हैं भजनों का ये एक छोटा सा संग्रह। जय बाबा खाटू श्याम।। आ गया मैं दुनियांदारी, सारी बाबा छोड़ के, लेने आजा खाटू वाले, रींगस के उस मोड़ पै, लेने आजा खाटू वाले, रींगस के उस मोड़ पै। हार गया मैं इस दुनियां से, अब तो मुझको थाम ले, कहा मुझे किसी श्याम भगत ने, बाबा का तू नाम ले, अपने पराए छोड़ गए सब, दिल मेरा ये तोड़ के, लेने आजा खाटू वाले, रींगस के उस मोड़ पै। तीन बाण के कलाधारी, कला मुझे भी दिखा दे तू, जैसे दर्शन सबको देता, वैसे मुझे करा दे तू, अब मैं खड़ा हूँ द्वार तुम्हारे, दोनों हाथ जोड़ के, लेने आजा खाटू वाले, रींगस के उस मोड़ पै। मैं ना जानूँ पूजा अर्चन, तुझको अपना मान लिया, तू ही दौलत तू ही शौहरत, इतना बाबा जान लिया, अपना बना ले इस मित्तल को, दिल को दिल से जोड़ के, लेने आजा खाटू वाले, रींगस के उस मोड़ पै। मुझको है विश्वास मुझे तू, इक दिन बाबा तारेगा, तुझ पे भरोसा करने वाला, जग में कभी ना हारेगा, जिनपे किया भरोसा मैंने, छोड़ गए वो रोड़ पे, लेने आजा खाटू वाले, रींगस के उस मोड़ पै। आ गया मैं दुनियादारी, सारी बाबा छोड़ के, लेके आजा खाटू वाले, रींगस के उस मोड़ पे, लेने आजा खाटू वाले, रींगस के उस मोड़ पै। हाथ जोड़ विनती करू तो सुनियो चित्त लगाये – Khatu Shyam Bhajan Lyrics Song Name ...

Khatu Shyam Ji Mahabharat Who Was Barbarik And How He Became A Loser Know Khatu Shyam Story In Hindi

Khatu Shyam Ji Story: महाभारत के युद्ध में बर्बरीक नाम के धनुर्धर ने बड़ी अहम भूमिका निभाई थी. बर्बरीक की गिनती दुनिया श्रेष्ठ धनुर्धरों में की जाती है. विशेष बात ये है कि बर्बरीक युद्ध न लड़कर पांडवों की जीत की वजह बने. कौन थे बर्बरीक बर्बरीक भीम के पुत्र घटोत्कच के पुत्र थे. बर्बरीक को आरंभ से ही धनुष विद्या में रूचि थी. बर्बरीक को भगवान शिव ने वरदान दिया था कि वह अपने तीन बाणों से तीनों लोक जीत सकते हैं. भगवान शिव ने उन्हे वरदान के साथ तीन अमोघ बाण भी दिए. जब महाभारत का युद्ध आरंभ हुआ तो भगवान कृष्ण इस बात को जानते थे. भगवान श्रीकृष्ण का जब हुई चिंता महाभारत के युद्ध को लेकर भगवान श्रीकृष्ण को यह भय सताने लगा कि अगर बर्बरीक युद्ध में शामिल हुए और कौरवों की तरफ से यदि युद्ध किया तो पांडवों की हार सुनिश्चित है. बर्बरीक को हारे का सहारा कहा जाता है. भगवान की चिंता थी बर्बरीक हारने वाले सेना का साथ देंगे और कौरवों की इस युद्ध में हार हो रही थी. इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को युद्ध से दूर रखने की युक्ति निकाली. अर्जुन के साथ बर्बरीक से मिले भगवान श्रीकृष्ण भेष बदलकर भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन के साथ बर्बरीक से मिलने पहुंचे. बर्बरीक युद्ध के लिए निकलने ही वाले थे. बर्बरीक के तरकश में तीन ही तीर देखकर ब्राह्मण का भेष धरे कृष्ण ने उनका मजाक उड़ाते हुए कहा कि चुनौती दी अगर श्रेष्ठ धनुर्धर हैं तो सामने खड़े पीपल के पेड़ के सारे पत्ते एक ही तीर में गिराकर दिखाएं. बर्बरीक भगवान की बातों में आ गए और तीर चला दिया. जिससे कुछ क्षणों में सभी पत्ते गिराकर तीर श्रीकृष्ण के पैरों के पास चक्कर लगाने लगा. बर्बरीक समझ गए श्रीकृष्ण की बात इस पूरे घटनाक्रम में बर्बरीक की तीरंदाजी का पता करने के लिए...

शीतला माता की पौराणिक कथा

नमस्कार दोस्तों, आज हम आपके लिए शीतला माता की कहानी लेकर आये हैं। इस कहानी को आप विस्तार से पढ़िएगा। कहानी के माध्यम से हमें यह पता चलता है कि किस तरह शीतला माता धरती में प्रकट हुईं और कुम्हार के घर को छोड़ कर बाकी सारे गांव में आग लगी। आप इस कहानी को अंत तक पूरा जरूर पढ़िएगा। एक बार जब शीतला माता को यह जानने की इच्छा हुई कि उनकी पूजा धरती पर कौन-कौन करता है, जिस को जानने के लिए शीतला माता ने धरती में आने का निर्णय लिया और धरती में आते ही शीतला माता ने एक बुजुर्ग महिला का रूप ले लिया। तभी शीतला माता राजस्थान के डूंगरी गांव में पहुंची और इधर-उधर की गलियों में घूमने लगी। जैसे ही शीतला माता गलियों में घूम रही थी तभी अचानक से उनके ऊपर किसी महिला ने चावल का उबलता हुआ पानी डाल दिया। उबला हुआ पानी डालने के कारण शीतला माता की शरीर में छाले निकल आए, जिसके कारण शीतला माता को बहुत जोर से जलन होने लगी और पूरे शरीर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी। जिसके कारण शीतला माता गलियों में सभी के पास गई और कहने लगी मेरी मदद करो, मेरे ऊपर किसी ने गर्म पानी डाल दिया है, जिसके कारण मेरे पूरे शरीर में असहनीय पीड़ा हो रही है कोई मेरी मदद करो। लेकिन किसी ने भी शीतला माता की मदद नहीं की और सभी ने उनको अनदेखा कर दिया। लेकिन थोड़ी दूर चलने के बाद जब शीतला माता एक कुम्हार के पास पहुंची तो उस कुम्हार की पत्नी ने शीतला माता को देखा कि इनके शरीर में तो बड़े-बड़े छाले पड़े हैं और माताजी ने कुम्हार की पत्नी से कहा मेरी मदद करो, मेरे शरीर में असहनीय पीड़ा हो रही है और बहुत तेज जलन हो रही है। जिसके बाद कुम्हार की पत्नी ने शीतला माता को अपने पास बुलाया और उनसे कहा मा जी आप यहां बैठ जाइए। जिसके बाद कुम्हार की पत्नी शीत...

बर्बरीक कौन था आज है खाटू श्याम पूरी कहानी , Eaarti

Barbarik : क्या आपने श्याम बाबा का नाम तो सुना ही होगा ना जिनका मेला राजस्थान में सीकर जिला के खाटू में मेला भरता क्योंकि उन्हें हारा के सहारा के नाम से जाना जाता है आज हम आपको बतायेंगे इनकी पूरी कहानी की इनका वास्तविक क्या नाम था और केसे ये श्याम बाबा बने और कलयुग में बाबा श्याम में लोगो की इतनी श्रधा केसे है तो चलिए आज की कथा शुरू करते है बर्बरीक की दादी हडिंबा थी बर्बरीक को जो भी शिक्षा दीक्षा प्राप्त हुई है वह हडिंबा के द्वारा प्राप्त हुई थी भीम की पत्नी हडिंबा थी वह श्री कृष्ण भक्त थी जब हडिंबा ने बर्बरीक को शिक्षा दी की आप श्री कृष्ण के सानिध्य में और उनकी भक्ति करें Barbarik तो बर्बरीक ने कहा कि श्री कृष्ण कौन है तो हडिम्बा ने बताया की श्री कृष्ण भगवान है और बर्बरीक ने यह भी अपनी दादी माँ से पूछा की किस तरह से आसानी से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं बर्बरीक कौन था • • • barbarik in mahabharat katha तो हडिम्बा ने कहा कि अगर भगवान के हाथों से मरना हो जाए तो मुक्ति तुरंत ही मिल जाती है इसलिए बर्बरीक ने यही सोचा कि श्री कृष्ण के हाथों से मरना है इसलिए बर्बरीक ने यह विचार किया कि किस तरह इसलिए उन्होंने नवदुर्गा की भक्ति की और नवदुर्गा से बर्बरीक ने सारे अस्त्र-शस्त्र ग्रहण किए अस्त्र शस्त्र इतने शक्तिशाली थे कि अगर बर्बरीक चाहे तो वह कुछ भी कर सकता था बर्बरीक तीनों महाभारत के युद्ध की ओर चला उनके मन में एक ही अभिलाषा थी barbarik in mahabharat in hindi कि श्री कृष्ण के द्वारा मुक्ति कैसे पाई जाए जब बर्बरीक महाभारत के युद्ध क्षेत्र के नजदीक पहुंचने ही वाले थे कि उन्हें एक पंडित के भेष में भगवान श्री कृष्ण मिल गए जब पंडित ने बरबरी को यह पूछा कि तुम कहां जा रहे हो तो बर्बरीक ने...