समाज की विशेषताएं

  1. भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं क्या है
  2. समाजवाद
  3. समाज कार्य का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं उद्देश्य
  4. गुप्तोत्तर कालीन समाज की प्रमुख विशेषताएं (सामाजिक व्यवस्था )
  5. भारतीय समाज की विशेषताएं बताइए? 🔘
  6. सामाजिक क्रिया क्या है? अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, सिद्धांत
  7. राजनीतिक व्यवस्था का अर्थ, लक्षण, विशेषताएं
  8. मनोविज्ञान में परिवारों के प्रकार और उनकी संक्षिप्त विशेषताएं


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भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं क्या है

भारत समाज और संस्कृति की मुख्य विशेषता के तत्वों की विवेचना कीजिए भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं क्या है | भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ और भारत की विविधता (Salient features of Indian Society and Diversity of India) भारतीय समाज एवं इसकी मुख्य विशेषताओं को ठीक ढंग से समझने के लिए हमें पहले यह समझना होगा कि समाज क्या है? समाज एक से अधिक लोगों का समूह (Group) है जिसमें सभी मानवीय क्रियाकलाप संपन्न होते हैं। मानवीय क्रियाकलापों से आशय आचरण, सामाजिक सुरक्षा, निर्वाह आदि क्रियाओं से है। दूसरे शब्दों में, समाज मानवीय अंतःक्रियाओं (Interaction) के प्रक्रम की एक प्रणाली है। मानव की कुछ नैसर्गिक तथा अर्जित आवश्यकताएँ, जैसे-काम, क्षुधा, सुरक्षा आदि होती हैं पर वह इनकी पूर्ति स्वयं करने में सक्षम नहीं होता। इन आवश्यकताओं को सम्यक् संतुष्टि के लिए लंबे समय में मनुष्य ने एक समष्टिगत व्यवस्था (Holistic System) को विकसित किया है जिसे समाज कहा गया है। यह व्यक्तियों का ऐसा संकलन है जिसमें वे निश्चित संबंध और विशिष्ट व्यवहार द्वारा एक-दूसरे से बंधे होते हैं। समाज व्यक्तियों की वह संगठित व्यवस्था भी है, जहाँ विभिन्न कार्यों के लिए विभिन्न मानदंडों (Norms) को विकसित किए जाते है और कुछ व्यवहारों को जो कार्य और कुछ को निषिद्ध किया जाता है। समाज में विभिन्न कर्ताओं का समावेश होता है जिनमें परस्परा अंतःक्रिया (Interaction) होती है। प्रत्येक कर्ता अधिकतम संतुष्टि की और उन्मुख होता है। इसी अतःक्रिया की मदद से समाज के अस्तित्व् को अक्षुप्रण बनाया जाता है। अतःक्रिया की प्रक्रिया को संयोजक तत्व संतुलित करते हैं तथा वियोजक तत्व सामाजिक संतुलन में व्यवधान उत्पन्न करते हैं। वियोजक तत्वों के नियंत्रण हेतु...

समाजवाद

• • • • • • • • हम बताते हैं कि समाजवाद क्या है, इसका इतिहास और विशेषताएं। यूटोपियन समाजवाद, वैज्ञानिक और पूंजीवाद के साथ मतभेद। समाजवाद राज्य से सामाजिक और आर्थिक जीवन के संगठन का प्रस्ताव करता है। समाजवाद क्या है? समाजवाद आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विचारों का एक दार्शनिक प्रवाह है, साथ ही साथ राजनीतिक सिद्धांतों, आंदोलनों और सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों का एक विविध सेट है, जिसमें कहा गया है उन सभी के पास सार्वजनिक, सामूहिक या सहकारी संपत्ति की रक्षा समान है अर्थात्, यह दार्शनिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मॉडलों का एक समूह है जिसका उद्देश्य पूंजीवाद के विकल्प का निर्माण करना है और हालाँकि, समाजवाद का कोई एक रूप नहीं है। यह वास्तव में क्या है या इसे राजनीतिक, सामाजिक या आर्थिक रूप से कैसे लागू किया जाना चाहिए, इस पर आम सहमति भी नहीं है। इस प्रकार, अधिक कट्टरपंथी रूप हैं (जिन्हें आमतौर पर कम्युनिस्ट कहा जाता है) जो निजी संपत्ति के उन्मूलन का प्रस्ताव करते हैं, और अन्य इसके बजाय सह-अस्तित्व का प्रस्ताव करते हैं समाजवाद के लक्षण यद्यपि समाजवाद की विशेषताएं इसके कार्यान्वयन के अनुसार बहुत भिन्न हो सकती हैं, निम्नलिखित को आम तौर पर इसकी विशेषताओं के रूप में माना जाता है: • स्वामित्व के सामाजिक या सामुदायिक मॉडल के पक्ष में निजी संपत्ति का कमजोर होना, विशेष रूप से उत्पादन के साधनों (उदाहरण के लिए कारखानों) के संबंध में। • आर्थिक मॉडल जिसका उद्देश्य पूंजी के उत्पादन और संचय के बजाय उत्पादन करना है और राज्य द्वारा निर्देशित है। • धन पुनर्वितरण के विभिन्न तरीकों का अनुप्रयोग, जैसे • राज्य का सशक्तिकरण, जो मामले के आधार पर, लोकतंत्र और राजनीतिक दलों के लिए हानिकारक हो भी सकता है और ...

समाज कार्य का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं उद्देश्य

समाज कार्य एक सहायातामूलक कार्य है जो वैज्ञानिक ज्ञान, प्राविधिक निपुणताओं तथा मानवदर्शन का प्रयोग करते हुए व्यक्तियों की एक व्यक्ति, समूह के सदस्य अथवा समुदाय के निवासी के रूप में उनकी मनो-सामाजिक समस्याओं का अध्ययन एवं निदान करने के पश्चात् परामर्श, पर्यावरण में परिवर्तन तथा आवश्यक सेवाओं के माध्यम से सहायता प्रदान करता है ताकि वे समस्याओं से छुटकारा पा सकें, सामाजिक क्रिया में प्रभावपूर्ण रूप से भाग ले सकें, लोगों के साथ संतोषजनक समायोजन कर सकें, अपने जीवन में सुख एवं शान्ति का अनुभव कर सकें, तथा अपनी सहायता स्वयं करने के योग्य बन सकें। समाज कार्य का अर्थ हमारे देश में गैर शासकीय संगठनों का निर्बलों और असहायों की सहायता करने तथा विकास संबंधी उत्तरदायित्वों को पूर्ण करने का स्वर्णिम इतिहास रहा है। वर्तमान में शहरी व ग्रामीण लोगों की इन संगठनों के प्रति बढती रूचि व विश्वसनीयता के कारण इन संस्थाओं की संख्याओं में लगातार वृद्धि हो रही है। चाहे इन्हें स्वैच्छिक संगठन कहा जाए अथवा गैर सरकारी संगठन या स्वयं सेवी संगठन यह निर्विवाद सत्य है कि विकास के कई क्षेत्रों में इन संस्थाओं ने अति विशिष्ट भूमिका निभाई है। बात चाहे शिक्षा, स्वास्थ्य, जनसंख्या नियंत्रण, पर्यावरण संरक्षण, आय व रोजगार सृजन की हो या फिर महिला - बाल या विकलांगों के कल्याण की, अथवा आदिवासी या पिछड़े वर्गों के कल्याण की, इन संस्थाओं ने समाज व देश की सेवा हेतु सक्रिय योगदान दिया है। इसी कारण अब प्रशासन और सरकारी तंत्र भी इस तथ्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार्य करता है। विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सरकारी तंत्र की अपेक्षा गैर सरकारी तंत्र अधिक सफल और प्रभावी है। गैर शासकीय संगठन के माध्यम से जन सहभागिता और जन...

गुप्तोत्तर कालीन समाज की प्रमुख विशेषताएं (सामाजिक व्यवस्था )

गुप्तोत्तर कालीन समाज की प्रमुख विशेषताएं इस युग का सर्वाधिक विस्मकारी परिवर्तन जातियों का प्रगुणन था, जिसने ब्राह्मण, क्षत्रिय, राजपूतों और शूद्रों-सभी को प्रभावित किया। भूमि से प्रगाढ़ रूप से संबंधित होने के आधार पर निर्मित एक बंद आर्थिक इकाई ने जिस सामंतीय क्षेत्रीयता को पोषित किया और विजयों और ब्राह्मणों को भूमिदान के माध्यम से कबायली लोगों को ब्राह्मणीय व्यवस्था में जिस प्रकार समाविष्ट किया जा रहा था, उनके परिप्रेक्ष्य में नवीन सामाजिक परिवर्तनों को भलीभाँति-समझा जा सकता है। समाज में ब्राह्मणों का सर्वश्रेष्ठ स्थान था- केवल धार्मिक ग्रंथों से ही नहीं वरन विदेशी यात्रियों के वृत्तांत से भी इस बात की पुष्टि होती है। यूनत्सांग ने लिखा है कि अनेक वर्ण और जातियों में ब्राह्मण सबसे अधिक पवित्र हैं और उन्हें सबसे अधिक सम्मान मिलता है। यही विचार अरब यात्री अलमसूदी और अलबीरूमी ने प्रकट किए है। ब्राह्मणों का मुख्य कार्य इस युग में भी अध्ययन-अध्यापन, यजन-याजन (यज्ञ करना और यज्ञ करवाना) और दान लेना था। वे शास्त्रों द्वारा निर्दिष्ट आचार का पालन करते थे, वेद-वेदांग तथा अन्य शास्त्रों में पारंगत होते थे। उन्हें श्रोत्रिय, आचार्य तथा उपाध्याय कहा जाता था। ऐसे ब्राह्मण दान के पात्र समझे जाते थे। अनेक ब्राह्मण पुरोहित कर्म करते थे। धर्मशास्त्रों में वैश्यों के लिए कृषि, पशुपालन और व्यापार-जैसे-व्यवसाय निर्दिष्ट किए गए हैं और पाराशर ने ‘कुसीद वृत्ति’ (सूद पर रुपए उधार देना) वैश्य का व्यवसाय बताया है। बौद्ध, जैन और वैष्णव धर्म में प्रतिपादित अहिंसा-सिद्धांत के प्रभाव से वैश्यों ने सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए कृषि कर्म तथा पालन छोड़ दिया था और व्यापार को अपनी आजीविका का साधन बन...

भारतीय समाज की विशेषताएं बताइए? 🔘

• • • • • • • • • • • • भारतीयसमाजकीविशेषताएं :- सबसेप्राचीनऔरस्थायी– भारतकीसंस्कृतिऔरसामाजिकव्यवस्थासबसेपुरानीऔरस्थिरहै।समयकेसाथ-साथमिस्र, सीरिया, यूनान, रोमआदिदेशोंकीसंस्कृतियाँनष्टहोगयींऔरउनकेअवशेषशेषरहगये, किन्तुहजारोंवर्षोंकेबादभीभारतकीप्राचीनसंस्कृतिएवंसामाजिकव्यवस्थाआजभीजीवितहै। आजभीहमवैदिकधर्मकोमानतेहैं।यज्ञ, हवन, समन्वयात्मकप्रवृत्ति– भारतीयसमाजकीएकअन्यमहत्वपूर्णविशेषताइसकीसमन्वयवादीप्रवृत्तिहै।जनजातियों, हिन्दुओं, मुसलमानों, शकों, हूणों, ईसाइयोंआदिविभिन्नसांस्कृतिकविविधताओंकेप्रभावसेभारतीयसंस्कृतिनष्टनहींहुईहै, बल्किउनमेंसमन्वयऔरएकतास्थापितहोगईहै।अतःकहाजासकताहैकिभारतीयसमाजऔरसंस्कृतिमें आध्यात्मिकता– धर्मऔरअध्यात्मभारतीयसमाजऔरसंस्कृतिकीआत्माहैं।भारतीयसमाजमेंभौतिकसुख-सुविधाएंजीवनकालक्ष्यकदापिनहींहैं।यहाँआत्माऔरईश्वरकेमहत्वकोस्वीकारकियागयाहै।औरभौतिकसुखकेस्थानपरमानसिकऔरआत्मिकसुखकोसर्वोपरिमानागयाहै।भोगऔरत्यागकासुन्दरसमन्वयहै। सहनशीलता– भारतीयसमाजकीसबसेबड़ीविशेषताइसकीसहनशीलताहै।भारतमेंसभीधर्मों, जातियों, प्रजातियोंऔरसंप्रदायोंकेप्रतिउदारता, सहिष्णुताऔरप्रेमपायाजाताहै।भारतसमय-समयपरकईवाह्यसंस्कृतियोंकेप्रभावमेंरहा, लेकिनइसनेखंडनयाबहिष्कारकेबजायसमानरूपसेफलने-फूलनेकेअवसरपैदाकिए।धर्म, जाति, प्रजातिकेआधारपरकभीकोईअमानवीयव्यवहारनहींहुआ। धार्मिकप्रभुत्व– भारतीयसमाजधार्मिकहै।वेद, उपनिषद, पुराण, महाभारत, गीता, रामायण, कुरानऔरबाइबिलकायहांकेलोगोंकेजीवनपरबहुतप्रभावपड़ाहै।इनमहानग्रन्थोंनेलोगोंकोआशावाद, आस्तिकता, त्याग, तपस्या, संयमआदिकापाठपढ़ायाहै, जोकर्मऔरजीवनपद्धतिमेंदिखाईदेतेहैं। कर्मऔरपुनर्जन्मकासिद्धांत– भारतीयसमाजमेंकर्मकोबहुतमहत्वपूर्णस्थानदियागयाहै।ऐसामानाजाताहैकिइसलोकमेंहीनह...

सामाजिक क्रिया क्या है? अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, सिद्धांत

हिलजांन “सामाजिकक्रियाकानूनअथवासामाजिकसंरचनामेंबदलावोंअथवामौजूदासामाजिकव्यवहारोंकेसुधारोंकेलिएनएआंदोलनोंकीदिशामेंनिर्दिष्टप्रयासोंकोइंगितकरतीप्रतीतहोतीहै।” ली “सामाजिकक्रियासामाजिकवातावरणमेंउनतरीकोंसेपरिवर्तनकाप्रयासहै, जिनसेजीवनऔरसंतोषप्रदहोगा।इसकालक्ष्यव्यक्तियोंकोनहींबल्किसामाजिकसंस्थाओं, कानूनों, रिवाजों, समुदायोंकोप्रभावितकरनाहै।” ग्रेसक्वायल “प्रचारतथासामाजिकविधानकेमाध्यमसेजनसमुदायकाकल्याणसामाजिकक्रियाहै।” मैरीरिचमण्ड “सामाजिकक्रियाकेकार्यक्षेत्रमेंसामाजिकविधानबनवानेकेअतिरिक्तआगजनी, बाढ़महामारी, अकालआदिजैसीआपदास्थितियोंकेदौरानकिएगएकार्यकोरेखांकितकियागयाहै।” मूर्थी “सामाजिकक्रियासमाजकार्यकेदर्शनतथाव्यवहारकेढाँचेकेभीतरएकवैयक्तिक, सामूहिकअथवासामुदायिकप्रयासहोताहैजिसकालक्ष्यसामाजिकप्रगतिपाना, सामाजिकनीतियोंकोसंशोधितकरनातथासामाजिकविधानवस्वास्थ्यएवंकल्याणसेवाओंमेंसुधारकरनाहै।” फ्रीडलैंडर सामाजिकक्रियाकीविशेषताएं :- सामाजिकक्रियाकेविशेषताएंनिम्नहै– • सामाजिकक्रियामेंसमाजकार्यकेसिद्धांतोंमूल्यऔरकौशलकाउपयोगकियाजाताहै।इसलिएयहसमाजकार्यकाहीहैअंगहै। • सामाजिकक्रियाकाउद्देश्यसामाजिकन्यायऔर • सामाजिकक्रियाकाप्रयोगआवश्यकताअनुसार • सामाजिकक्रियाकीउद्देश्यकीपूराकरनेकेलिएसामूहिकसहयोगअपेक्षितहोताहै। सामाजिकक्रियाकीपद्धतियां :- सामाजिककार्यकर्ताकेलिएआवश्यकनिर्दिष्टितपद्धतियोंकोचिन्हितकियाजासकताहै।येपद्धतियांसामाजिकक्रियाकेलिएअत्यन्तमहत्वपूर्णहोतीहै, जोनिम्नहै– १संबंधगतपद्धतियां– सामाजिककार्यकर्ताओंमेंसेवार्थी २विश्लेषणात्मकतथाशोधसंबंधीपद्धतियां– सामाजिकक्रियामेंशामिलसामाजिककार्यकर्ताओंसामाजिकसांस्कृतिकऔरआर्थिकविशेषताओंकाअध्ययनकरनेकीयोग्यताहोनीचाहिए।इसकेसाथहीसामाजिककार्यकर्ताओंकोइसमेंसमर्...

राजनीतिक व्यवस्था का अर्थ, लक्षण, विशेषताएं

प्रश्न; राजनीतिक व्यवस्था की अवधारणा का अर्थ स्पष्ट कीजिए। तुलनात्मक शासन के अध्ययन में इसकी उपयोगिता दर्शाइए। अथवा" राजनीतिक व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए। अथवा" राजनीतिक व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? राजनीतिक व्यवस्था के लक्षण बताइए। अथवा" राजनीतिक व्यवस्था से क्या तात्पर्य हैं? राजनीतिक व्यवस्था की विशेषताएं लिखिए। अथवा" राजनीतिक व्यवस्था से क्या आशय हैं? उत्तर-- राजनीतिक व्यवस्था का अर्थ (raajnitik vyavastha kya hai) 'राजनीतिक' और 'व्यवस्था' इन दो शब्दों से मिलकर ही 'राजनीतिक व्यवस्था' की उत्पत्ति हुई हैं। व्यवस्था का अर्थ तो स्पष्ट है परन्तु साहित्य में 'राजनीतिक' की व्याख्या के लिए अनेक परिभाषायें मिलती हैं। राजनीतिक व्यवस्था का प्रमुख लक्षण बल प्रयोग हैं। मैरियन लेवी का विचार है कि शक्ति के वितरण को हम एक प्रकार से राजनीतिक दायित्व मान सकते हैं। इसमें दोनों ही तथ्य सम्मिलित हैं बलपूर्वक मान्यतायें तथा उत्तरदायित्व। उसे राज्य की भी मान्यता प्राप्त होती है और राजनीतिक शक्ति की भी। डेविड एम. वुड राजनीतिक व्यवस्था की परिभाषा के संबंध में कहते है कि राजनीतिक व्यवस्था राजनीतिक रूप से प्रासंगिक समझे जानेव वाले चरों की व्यवस्था हैं, मानों कि वे अन्य चरों से अलग किये जा सकते हों जो कि राजनीति के लिये तत्काल रूप से प्रासंगिक नहीं हैं, उन परस्पर संबंधित चरों की एक व्यवस्था हैं।" दूसरी ओर राजनीतिक व्यवस्था की धारणा की उत्पति के विषय में एस.एच.बियर और ए.बी.उलम की धारणा है कि," राजनीतिक व्यवस्था समस्त सामाजिक व्यवहार को देखने की एक व्यापक प्रणाली से उत्पन्न हुई। इस परिप्रेक्ष्य से राजनीतिक व्यवस्था एक संरचना है जो कि किसी समाज के लिये कोई कार्य करती हैं। थोड़े से थो...

मनोविज्ञान में परिवारों के प्रकार और उनकी संक्षिप्त विशेषताएं

वीडियो: एनआईओएस | कक्षा -12 | मनोविज्ञान (328) | समाधान के साथ शीर्ष सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर विषय • • • • • • • आज हम परिवारों के प्रकार और उनकी विशेषताओं में रुचि लेंगे। यह मुद्दा आधुनिक दुनिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कई परिवार और उनकी "किस्में" हैं। समाज की इकाई की सही परिभाषा संबंधों की सही नीति को बनाए रखने में मदद करेगी, साथ ही बच्चों की परवरिश का भी निर्माण करेगी ताकि उन्हें अधिकतम लाभ और न्यूनतम नुकसान हो। अक्सर, परिवार की विशेषताएं आपको इसके सदस्यों के संबंध में एक प्रकार या किसी अन्य के संभावित खतरे की पहचान करने की अनुमति देती हैं। तो समाज की कोशिकाएँ क्या हैं? वे क्या विशेषता है? उनके पास क्या विशेषताएं हैं? बच्चों की संख्या से परिवारों के प्रकार और उनकी विशेषताएं विविध हैं। तथ्य यह है कि मनोविज्ञान में, किसी भी अन्य क्षेत्र के रूप में विभाजन, विभिन्न पदों से बाहर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, बच्चों की संख्या से। निःसंतान परिवार हैं। या, जैसा कि उन्हें अब "चाइल्डफ्री" कहा जाता है। आमतौर पर ये ऐसे कपल्स होते हैं जिनके कोई बच्चा नहीं होता है: न तो उन्हें अपना लिया जाता है और न ही उन्हें। हम सिर्फ एक पुरुष और एक महिला कह सकते हैं जो विवाहित हैं। एक बच्चे का परिवार केवल एक बच्चे के साथ होता है। रूस में एक काफी सामान्य विकल्प। मनोवैज्ञानिक अर्थ में, इस तरह के निर्णय से कुछ परिणाम सामने आ सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक अहंकारी को ऊपर उठाने की उच्च संभावना है। छोटा - एक परिवार जिसमें, एक नियम के रूप में, दो बच्चे। यह भी बहुत आम है। ऐसी सामाजिक इकाई में मनोविज्ञान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमें रिश्तों के सामंजस्य का पालन करना होगा ताकि दूसरे बच्च...