समाज सुधार के उपाय

  1. Aaj Ka Makar Rashifal: रोजगार की तलाश होगी पूरी, समाज में अच्छे कामों के लिए होगी सराहना
  2. समाज सेवा
  3. न्यायिक सुधार
  4. भीम राव अम्बेडकर के समाजिक परिवर्तन सम्बन्धी विचार। Dr. Bhim Rao ambedhar's views about social change
  5. राजा राममोहन राय – भारतीय समाज सुधारक
  6. लोक शक्ति के उपासक बाबा नागार्जुन की भूमिका समाज सुधार की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है
  7. समाज सुधार (samaaj sudhaar) Meaning in English


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Aaj Ka Makar Rashifal: रोजगार की तलाश होगी पूरी, समाज में अच्छे कामों के लिए होगी सराहना

आज का मकर राशिफल मकर राशि के लोगों का कार्यक्षेत्र में कोई ऐसी घटना घट सकती है, जिससे आपके प्रभाव में वृद्धि होगी. बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्यरत लोगों को पदोन्नति के साथ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी. व्यापार में उन्नति एवं प्रगति के योग हैं. रोजगार की तलाश पूरी होगी, कोई शुभ समाचार मिलेगा. उद्योग धंधे की कोई बड़ी बाधा सरकारी मदद से दूर होगी. इस दौरान राजनीति में नए सहयोगी लाभदायक साबित होंगे. ऐसे में खाद्य पदार्थों के व्यवसाय से जुड़े लोगों को विशेष लाभ होगा, कोर्ट में चल रहे किसी मुकदमे का फैसला आपके पक्ष में होगा. साथ ही कारागार में बंद लोग आज मुक्त होंगे, किसी व्यापारिक यात्रा पर जा सकते हैं, हवाई यात्रा के योग बनेंगे ,समाज में अच्छे कामों के लिए आपकी सराहना होगी ,घर परिवार में कोई मांगलिक कार्य संपन्न होगा. आर्थिक आज आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, व्यापार में आय अच्छी होगी ,रुका हुआ धन वापस मिलेगा, प्रेम संबंधों में आर्थिक मदद मिल सकती है, आय के नए स्रोत खुलेंगे, राजनीति में लाभ का पद मिलेगा, किसी परिजन से धन एवं उपाय प्राप्त होंगे, नौकरी में उच्च अधिकारी से निकटता का लाभ मिलेगा, वाहन, भवन ,भूमि खरीदने की इच्छा पूरी होगी ,घर में भोग विलास सामग्री पर धन अधिक खर्च होगा. भावनात्मक पक्ष आज किसी विपरीत लिंग साथी से निकटता बढ़ने से मन में सुखद अनुभव होगा, प्रेम विवाह की योजना में आपके परिजन सहयोगी बनेंगे. माता पिता की सेवा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करेंगे. ऐसे में किसी अभिन्न मित्र संग मनोरंजन का आनंद लेंगे, आप समाज में बड़ा मान-सम्मान पाएंगे, जिससे खुद पर गर्व महसूस होगा. दांपत्य जीवन में जीवन साथी के सहयोग एवं सानिध्य मिलेगा ,आध्यात्मिक काम में रुचि बढ़ेगी. कैसी रहेगी आप...

समाज सेवा

रूपरेखा:- 1. प्रस्तावना, 2. व्यक्ति और समाज, 3. समाज सेवा क्यों, 4. समाज सेवा के क्षेत्र और 5. उपसंहार। प्रस्तावना:- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला नहीं रह सकता। क्योंकि अकेला रहने से उसकी आवश्यकताएँ पूरी नहीं हो सकती। वैरागी लोगों को भी समाज की आवश्यकता पड़ती है। इस तरह मनुष्य जहाँ भी जाता है, अपनी आवश्यकताओं को अपने साथ ले जाता है। फिर मनुष्यों को अपनी-अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता है और इसीलिए वह समाज की रचना करता है। समाज में एक दूसरे की सहायता से सब के काम हो जाते हैं। व्यक्ति और समाज:- व्यक्तियों के समूह को समाज कहते हैं। व्यक्ति पहले कुटुंब की रचना करता है। जहाँ कई कुटुंब होते हैं उसे गाँव कहते हैं। इसी प्रकार नगर, देश और समाज, व्यक्ति के विकसित रूप हैं। व्यक्ति से समाज अवश्य बनता है, पर बाद में समाज व्यक्ति की उन्नति के लिए प्रयत्न करता है। इस प्रकार दोनों एक दूसरे की उन्नति के लिए सहारा ढूँढते हैं। दोनों का एक दूसरे के प्रति कर्तव्य भी है। जिस समाज में मनुष्य जन्म लेता है, उस समाज की उन्नति करना, उसकी सेवा करना, उसका कर्तव्य है। इसीलिए महान पुरुषों ने समाज सेवा को ही उत्तम कर्तव्य और धर्म माना है। समाज-सेवा क्यों:- हम समाज में ही पैदा होते हैं। समाज में ही रहते हैं और समाज में ही मरते हैं। इसलिए अपनी उन्नति के लिए समाज की उन्नति अनिवार्य है। समाज सुखी रहेगा, तभी हम सुखी रहेंगे। इसलिए हमें समाज की सेवा अवश्य करनी चाहिए। नेहरूजी के शब्दों में-"आज का सबसे बड़ा मंदिर और मस्जिद और गुरुद्धारा वह स्थान है जहाँ मनुष्य मानव कल्याण के लिए काम करता हैं। इससे महान जगह और क्या हो सकती है..... जहाँ हजारों और लाखों लोगों ने काम किया है,...

न्यायिक सुधार

अनुक्रम • 1 भारत के सन्दर्भ में न्यायिक सुधार • 2 सन्दर्भ • 3 इन्हेंभीदेखें • 4 बाहरी कड़ियाँ भारत के सन्दर्भ में न्यायिक सुधार [ ] दशकों से भारतीय न्यायतंत्र में सुधारों की आवश्यकता महसूस की जा रही है क्योंकि सस्ता एवं शीघ्र न्याय कुल मिलाकर भ्रामक रहा है। अदालतों में लंबित मामलों को जल्दी निपटाने के उपायों के बावजूद 2 करोड़ 50 लाख मामले लंबित हैं। विशेषज्ञों ने आशंका प्रकट की है कि न्याय तंत्र में जनता का भरोसा कम हो रहा है और विवादों को निपटाने के लिए अराजकता एवं हिंसक अपराध की शरण में जाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। वे महसूस करते हैं कि इस नकारात्मक प्रवृत्ति को रोकने और इसके रुख को पलटने के लिए न्याय तंत्र में लोगों का भरोसा तुरंत बहाल करना चाहिए। पिछले पांच दशकों से भारतीय न्यायिक सुधारों का कार्यान्वयन नहीं होने के कारणों में से एक के रूप में न्याय तंत्र को कम बजटीय सहायता का भी उल्लेख किया जाता रहा है। 10वीं पंचवर्षीय योजना (2002-2007) के दौरान न्याय तंत्र के लिए 700 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे जो कुल योजना व्यय 8,93,183 करोड़ रुपए का 0.078 प्रतिशत था। नवीं पंचवर्षीय योजना के दौरान तो आवंटन और कम था जो सिर्फ 0.071 प्रतिशत था। यह माना गया है कि इतना अल्प आवंटन न्याय तंत्र की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भी अपर्याप्त है। यह कहा जाता है कि भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद का सिर्फ 0.2 प्रतिशत ही न्याय तंत्र पर खर्च करता है। प्रथम राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग के अनुसार, एक को छोड़कर सभी राज्यों ने अधीनस्थ न्याय तंत्र के लिए अपने संबंधित बजट का 1 ऽ से भी कम उपलब्ध कराया है जो अधिक संख्या में लंबित मामलों से पीड़ित हैं। परंतु संसाधनों का अभाव ज्यादातर नागरिकों, खासतौर पर उन वंचित...

भीम राव अम्बेडकर के समाजिक परिवर्तन सम्बन्धी विचार। Dr. Bhim Rao ambedhar's views about social change

भीम राव अम्बेडकर के समाजिक परिवर्तन सम्बन्धी विचार • डॉ० भीम राव अम्बेड़कर मूलतः एक समाज सुधारक अथवा समाजिक चिंतक थे वह हिन्दु समाज द्वारा स्थापित समाजिक व्यवस्था से काफी असंतुष्ट थे और उन में सुधार की मांग करते थे ताकि सर्व धर्म सम्भाव पर आ आरित समाज की स्थापना की जा सके। • अम्बेडकर ने अस्पृश्यता के उन्मूलन और अस्पृश्यों की भौतिक प्रगति के लिए अथक प्रयास किये। वे 1924 से जीवन पर्यन्त अस्पृश्यों का आंदोलन चलाते रहे। उनका दृढ विश्वास था कि अस्पृश्यता के उन्मूलन के बिना देश की प्रगति नहींहो सकती। अम्बेडकर का मानना था कि अस्पृश्यता का उन्मूलन जाति व्यवस्था की समाप्ति के साथ जुड़ा हुआ है और जाति व्यवस्था धार्मिक अवधारणा से संबद्ध है। समाजिक सुधारों को प्रमुखता / वरीयता • समाज सुधार सदैव डॉ० अम्बेडकर की प्रथम वरीयता रहे। उनका विश्वास था कि आर्थिक और राजनीतिक मामले समाजिक न्याय के लक्ष्य की प्राप्ति के बाद निपटाये जाने चाहिए। अम्बेडकर का विचार था कि अर्थिक विकास सभी समाजिक समस्याओं का समाधान कर देगा। जातिवादी हिंदुओं की मानसिक दासता की अभिव्यक्ति है। इस प्रकार जातिवाद के पिशाच / बुराई के निवारण के बिना कोई वास्तविक परिवर्तन नहीं लाया जा सकता। हमारे समाज में क्रांतिकारी बदलाव के लिए समाजिक सुधार पूर्व शर्त है। • समाजिक सुधारों में परिवार व्यवस्था में सुधार और धार्मिक सुधार भी शामिल है। परिवार सुधारों में बाल-विवाह जैसे कुप्रथाओं की समाप्ति भी शामिल है। अम्बेडकर ने भारतीय समाज में महिलाओं की गिरती स्थिति की कटु आलोचना की। उनका मानना था कि महिलाओं को पुरूषों के समान अधिकार मिलने चाहिए और उन्हें भी शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू धर्म में महिलाओं को सम्मति क...

राजा राममोहन राय – भारतीय समाज सुधारक

राजा राम मोहन राय – भारतीय समाज सुधारक ब्रह्म समाज (पहले भारतीय सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों में से एक) के संस्थापक राजा राम मोहन राय एक महान विद्वान और एक स्वतंत्र विचारक थे।वह एक धार्मिक और समाज सुधारक थे और उन्हें ‘आधुनिक भारत के पिता’ या ‘बंगाल पुनर्जागरण के पिता’ के रूप में जाना जाता है। यह लेख राजा राम मोहन राय – भारतीय समाज सुधारक के बारे में बात करता है।नीचे दिए गए लिंक से राजा राम मोहन रॉय नोट्स पीडीएफ डाउनलोड करें। राजा राम मोहन राय (यूपीएससी नोट्स):- यहां पीडीएफ डाउनलोड करें अपनी आईएएस तैयारी के मार्ग को आसान बनाने में मदद करने के लिए, एनसीईआरटी को प्रभावी ढंग स...

लोक शक्ति के उपासक बाबा नागार्जुन की भूमिका समाज सुधार की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण रही है

लोक शक्ति के उपासक बाबा नागार्जुन की भूमिका समाज सुधार की दिशा में अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही है। वे अपनी दमदार लेखनी से जीवन पर्यन्त वर्चस्व वादी सत्ता के विरुद्ध प्रतिरोध की संस्कृति को समृद्ध करते रहे। उनकी खासियत रही कि जनहित के विरुद्ध काम करने वालों को उन्होंने कभी नहीं बख्सा। उनकी सोच और विचार को दृढ़ संकल्प के साथ साकार किया जाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। ये बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने रविवार को जनकवि बाबा नागार्जुन की 112वीं जयंती पर विद्यापति सेवा संस्थान के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में अपना विचार रखते कहीं। उन्होंने यात्री-नागार्जुन को समतामूलक समाज निर्माण का प्रबल समर्थक बताते हुए इस बात पर निराशा जाहिर की कि उनके बाद कलम के किसी सिपाही ने इस दिशा में आवाज बुलंद करने की जहमत नहीं उठाई। मौके पर उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा निकट भविष्य में ही बाबा नागार्जुन के प्रतिमा स्थल का सौन्दर्यीकरण करने एवं इस स्थल को 'यात्री-नागार्जुन उद्यान' के रूप में विकसित किए जाने की घोषणा की।इससे पहले संस्थान के महासचिव डाॅ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू के साथ विश्वविद्यालय के उप कुलसचिव (प्रथम) डाॅ. कामेश्वर पासवान, केन्द्रीय पुस्तकालय के निदेशक सह पीजी मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो दमन कुमार झा, प्रो उदय शंकर मिश्र, चौधरी फूल कुमार राय, प्रो चन्द्र शेखर झा बूढ़ाभाई, प्रवीण कुमार झा, आशीष चौधरी, दुर्गा नन्द झा, विश्वनाथ ठाकुर, प्रो विजय कांत झा आदि ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय परिसर में स्थापित बाबा यात्री-नागार्जुन की प्रतिमा पर फूल-माला अर्पित कर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। बैजू ने बाबा यात्री ...

समाज सुधार (samaaj sudhaar) Meaning in English

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