सम्राट अकबर ने रानी दुर्गावती के पास क्या पैगाम भेजा था

  1. महान गौंड राज्य की महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती
  2. Rani Durgavati defeated the Mughal emperor Akbar's army thrice
  3. रानी दुर्गावती
  4. मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध Class 8 इतिहास Chapter 1 Notes
  5. महान गौंड राज्य की महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती
  6. Rani Durgavati defeated the Mughal emperor Akbar's army thrice
  7. रानी दुर्गावती
  8. मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध Class 8 इतिहास Chapter 1 Notes


Download: सम्राट अकबर ने रानी दुर्गावती के पास क्या पैगाम भेजा था
Size: 74.36 MB

महान गौंड राज्य की महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती

5/5 - (1 vote) Rani DurgaVati Jabalpur : मुग़ल सम्राट अकबर की सेना में जिसने खौफ और डर पैदा कर रखा था, साथ ही बुंदेलखंड के राजाओं का विस्तार वादी सेना को कभी गौंड राज्य की सीमा में घुसने ही नहीं दिया वो गौंड महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती थी जिनकी सेना में अफगान लडके भी तैनात थे गौंड राज्य का वैभव भारत के इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में मौजूद बहुत सी वीरांगनाओ का जिक्र है। जिन्होंने अपने त्याग और बलिदान से भारत के इतिहास को गौरव पल प्रदान किये। रानी दुर्गावती जोकि गौंडवाना राज्य की रानी थी। इन्होनें अपने शौर्य और बलिदान से गौरवशाली इतिहास लिखा। Madan Mahal Kila Jabalpur रानी दुर्गावती का जीवन परिचय (Rani DurgaVati Jabalpur) रानी दुर्गावती कालिंजर के शासक कीर्ति सिंह चंदेल की पुत्री थी। दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को हुआ था। इनका जन्म हिन्दू धर्म के पवित्र त्यौहार नवरात्री के दुर्गाअष्टमी के दिन हुआ था। इस कारण से इनका नाम दुर्गावती रखा। कहते है की इनके मुख तेज़ बिलकुल माँ जगत जननी जैसे ही था। दुर्गावती घुड़सवारी , तलवारबाजी और तीरंदाजी में बहुत ही उत्क्रष्ट थी। यह बाघों के शिकार करने की बहुत ही शौकीन थी। रानी दुर्गावती का विवाह गोंडवाना राज्य के शासक संग्राम शाह के बेटे राजा दलपत शाह के साथ हुआ था। विवाह के पश्चात रानी दुर्गावती और राजा दलपत शाह अपने सिंगौर गढ़ के महल में रहते थे।गढ़ मंडला में यह मुख्य रूप से शासन करते थे। राजा दलपत शाह और रानी दुर्गावती के विवाह के बाद एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम वीर नारायण रखा गया। विवाह के 4 वर्ष बाद राजा दलपत शाह की असमय मृत्यु हो गई। जिसके बाद रानी ने वीर नारायण को राजा घोषित कर स्वयं उसके संरक्षक के रूप में शास...

Rani Durgavati defeated the Mughal emperor Akbar's army thrice

रानी दुर्गावती (Rani Durgavati) भारत की एक ऐसी वीरांगना थीं जिनके युद्ध कौशल के सामने बड़े से बड़े मुग़ल सम्राट भी टिक नहीं पाये. अकबर समेत कई मुग़ल शासकों ने रानी दुर्गावती के राज्य पर आक्रमण किया, लेकिन रानी दुर्गावती ने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुग़लों से अंतिम सांस तक युद्ध किया. रानी दुर्गावती हर उस शख़्स को करारा जवाब दिया जिसने भी उनके राज्य की ओर आंख उठाकर देखी. ये भी पढ़ें- कौन थीं रानी दुर्गावती? रानी दुर्गावती 1550 से 1564 तक ‘गोंडवाना’ की रानी थीं. उनका जन्म 5 अक्टूबर 1524 को ‘महोबा के क़िले’ में हुआ था. दुर्गावती के पिता का नाम पृथ्वी सिंह चंदेल था, जो गढ़मंडला राज्य के राजा थे. दुर्गावती राजा पृथ्वी सिंह चंदेल की इकलौती संतान थीं. नाम के अनुरूप ही तेज़, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण दुर्गावती की प्रसिद्धि देशभर में फैल गयी. दुर्गावती को बचपन से ही तीर व बंदूक चलाने का शौक था. युवा अवस्था में आने तक वो कुशल योद्धा बन गयी थीं. रानी दुर्गावती का विवाह गोंडवाना साम्राज्य के राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह मडावी से हुआ था, लेकिन विवाह के 4 वर्ष बाद ही पति की असमय मृत्यु के बाद दुर्गावती ने अपने पुत्र वीरनारायण को सिंहासन पर बैठाकर उसके संरक्षक के रूप में स्वयं शासन करना प्रारंभ किया. इस दौरान उन्होंने अनेक मठ, कुएं, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाईं और उनके शासन में राज्य की काफ़ी उन्नति हुई. अकबर के सेनापति को को चटाई धूल रानी दुर्गावती, मुगल सम्राट अकबर के सेनापति आसिफ़ ख़ान को शिकस्त देने के लिये भी जानी जाती हैं. सन 1563 में अकबर की सेना रानी दुर्गावती के राज्य ‘गोंडवाना’ पर कब्ज़े के मकसद से निकली थी, लेकिन दुर्गावती के हौसलों के आगे ये संभव न हो पाया. गोंडवाना पर हमला ...

रानी दुर्गावती

अनुक्रम • 1 ऐतिहासिक परिचय • 2 इन्हें भी देखें • 3 ग्रन्थसूची • 4 बाहरीकड़ियाँ ऐतिहासिक परिचय [ ] रानी दुर्गावती मडावी गोंडो का यह सुखी और सम्पन्न राज्य पर अगले दिन 24 जून 1564 को मुगल सेना ने फिर हमला बोला। आज रानी का पक्ष दुर्बल था, अतः रानी ने अपने पुत्र नारायण को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया। तभी एक तीर उनकी भुजा में लगा, रानी ने उसे निकाल फेंका। दूसरे तीर ने उनकी आंख को बेध दिया, रानी ने इसे भी निकाला पर उसकी नोक आंख में ही रह गयी। तभी तीसरा तीर उनकी गर्दन में आकर धंस गया। रानी ने अंत समय निकट जानकर वजीर आधारसिंह से आग्रह किया कि वह अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दे, पर वह इसके लिए तैयार नहीं हुआ। अतः रानी अपनी कटार स्वयं ही अपने पेट में भोंककर आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गयीं आदिवासी रानी मर गई लेकिन किसी और की सत्ता के कदम नहीं छुआ। महारानी दुर्गावती मर्रावी ने अकबर के सेनापति आसफ़ खान से लड़कर अपनी जान गंवाने से पहले पंद्रह वर्षों तक शासन किया था। जबलपुर के पास जहां यह ऐतिहासिक युद्ध हुआ था, उस स्थान का नाम रानी दुर्गावती के सम्मान में 1983 में जबलपुर विश्वविद्यालय का नाम बदलकर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कर दिया गया | भारत सरकार ने 24 जून 1988 रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर एक डाक टिकट जारी कर रानी दुर्गावती को याद किया। जबलपुर में स्थित संग्रहालय का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर रखा गया | मंडला जिले के शासकीय महाविद्यालय का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर ही रखा गया है। रानी दुर्गावती की याद में कई जिलों में रानी दुर्गावती की प्रतिमाएं लगाई गई हैं और कई शासकीय इमारतों का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर रखा गया है। इन्हें भी देखें [ ] • • • ग्रन्थसूची [ ] • पुस्तक: ...

मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध Class 8 इतिहास Chapter 1 Notes

Class 8 इतिहास BSEH Solution for chapter 1 मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध notes for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 8 History mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer in hindi are available of हमारा भारत III Book for HBSE. Also Read – HBSE Class 8 इतिहास / History in hindi मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध / Mughal samrat avam unka prarambhik pratirodh notes for Haryana Board of chapter 1 in Hamara Bharat III Solution. मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध Class 8 इतिहास Chapter 1 Notes पाठ के बारे में – 1526 ई. में बाबर ने मुगल राजवंश की नींव रखी 1527 ई. में खानवा के युद्ध में राणा संग्राम सिंह ने बाबर का प्रतिरोध किया। हेमचंद्र विक्रमादित्य ने दिल्ली एवं आगरा से मुगलों को हराकर हिंदू साम्राज्य को पुनः स्थापित किया रानी दुर्गावती और महाराणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता को अस्वीकार किया। इस अध्याय में मुगल वंश के विरुद्ध होने वाले प्रतिरोधों को बताया गया है। मुगल शासक और उनका कार्यकाल— मुगल मूल रूप से मध्य एशिया के लोग थे। वे तुर्क मंगोल जाति का मिश्रण माने जाते हैं। मुगल चगताई भाषा बोलते थे, जो तुर्की की ही एक भाषा है। • बाबर ( 1526 -1530 ई. ) • हुमायूं ( 1530 – 1540 व 1555-1556 ई. ) • अकबर ( 1556 – 1605 ई. ) • जहांगीर ( 1605 – 1627 ई. ) • शाहजहां ( 1627 – 1658 ई. ) • औरंगजेब ( 1658 – 1707 ई. ) • उत्तरवर्ती ग्यारह मुगल शासक ( 1707 – 1857 ई. ) 1526 में भारत की राजनीतिक स्थिति अच्छी नहीं थी भारत छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटा था। ...

प्रश्नसमुच्चय

सामग्री • १ आधुनिक भारत का इतिहास • २ मध्यकालीन भारत • ३ मराठा राज्य • ४ मुगल साम्राज्य • ५ सूफी आंदोलन • ६ भक्ति आंदोलन • ७ विजयनगर साम्राज्य • ८ सल्तनत काल • ९ पूर्व मध्यकालीन भारत (दक्षिण भारत) • १० पूर्व मध्यकालीन भारत (उत्तर भारत) आधुनिक भारत का इतिहास [ ] • किसके काल में ‘बोर्ड ऑफ रेवन्यू’ की स्थापना हुई — हेस्टिंग्स के • किस अंग्रेज को प्रशासनिक सेवा का जनक कहा जाता है — कॉर्नवालिस को • कलकता में स्थित फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना किसने की — लॉर्ड वेलेजली ने • टैंसी एक्ट या काश्तकारी अधिनियम कब लागू हुआ — 1822 में • बैरकपुर में सैन्य विद्रोह कब आरंभ हुआ — 1824 में • किस गर्वनर जनरल का कार्यकाल शिक्षा सुधारों के लिए माना जाता है — विलियम बैंटिंक • कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की स्थापना कब और किसने की — 1835 ई., विलियम बैंटिंक ने • बालिका हत्या पर प्रतिबंध कब लगाया गया — 1830 में • किसे ‘भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता’ कहा जाता है — लॉर्ड चाल्र्स मेटकॉफ को • ‘इनाम कमीशन’ की स्थापना किसने की — लॉर्ड डलहौजी ने • किस कर व्यवस्था के अंतर्गत किसानों से उपज का 50% वसूला जाता था — रैयतवाड़ी व्यवस्था • नरबलि प्रथा का अंत किस गवर्नर के काल में हुआ —लाॅड डलहौजी • भारत से ब्रिटेन की ओर ‘संपत्ति के अपवहन’ का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया — दादाभाई नौरोजी • भारत में टेलीग्राफ लाइन किसके द्वारा शुरू की गई — कलकत्ता व आगरा,लाॅड डलहौजी • भारत में पहली सूती वस्त्र मिल कहाँ स्थापित की गई — mumbai • भारत में अंग्रेजों की लूट किस महत्वपूर्ण घटना के बाद शुरू हुई — प्लासी के युद्ध के बाद • भारत में प्रथम रेलवे लाइन किसने बिछवाई — जार्ज क्लार्क • भारत में ब्रिटिश भू-राजस्व प्रणाली का अधिक लाभ किसे प...

महान गौंड राज्य की महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती

5/5 - (1 vote) Rani DurgaVati Jabalpur : मुग़ल सम्राट अकबर की सेना में जिसने खौफ और डर पैदा कर रखा था, साथ ही बुंदेलखंड के राजाओं का विस्तार वादी सेना को कभी गौंड राज्य की सीमा में घुसने ही नहीं दिया वो गौंड महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती थी जिनकी सेना में अफगान लडके भी तैनात थे गौंड राज्य का वैभव भारत के इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में मौजूद बहुत सी वीरांगनाओ का जिक्र है। जिन्होंने अपने त्याग और बलिदान से भारत के इतिहास को गौरव पल प्रदान किये। रानी दुर्गावती जोकि गौंडवाना राज्य की रानी थी। इन्होनें अपने शौर्य और बलिदान से गौरवशाली इतिहास लिखा। Madan Mahal Kila Jabalpur रानी दुर्गावती का जीवन परिचय (Rani DurgaVati Jabalpur) रानी दुर्गावती कालिंजर के शासक कीर्ति सिंह चंदेल की पुत्री थी। दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को हुआ था। इनका जन्म हिन्दू धर्म के पवित्र त्यौहार नवरात्री के दुर्गाअष्टमी के दिन हुआ था। इस कारण से इनका नाम दुर्गावती रखा। कहते है की इनके मुख तेज़ बिलकुल माँ जगत जननी जैसे ही था। दुर्गावती घुड़सवारी , तलवारबाजी और तीरंदाजी में बहुत ही उत्क्रष्ट थी। यह बाघों के शिकार करने की बहुत ही शौकीन थी। रानी दुर्गावती का विवाह गोंडवाना राज्य के शासक संग्राम शाह के बेटे राजा दलपत शाह के साथ हुआ था। विवाह के पश्चात रानी दुर्गावती और राजा दलपत शाह अपने सिंगौर गढ़ के महल में रहते थे।गढ़ मंडला में यह मुख्य रूप से शासन करते थे। राजा दलपत शाह और रानी दुर्गावती के विवाह के बाद एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम वीर नारायण रखा गया। विवाह के 4 वर्ष बाद राजा दलपत शाह की असमय मृत्यु हो गई। जिसके बाद रानी ने वीर नारायण को राजा घोषित कर स्वयं उसके संरक्षक के रूप में शास...

Rani Durgavati defeated the Mughal emperor Akbar's army thrice

रानी दुर्गावती (Rani Durgavati) भारत की एक ऐसी वीरांगना थीं जिनके युद्ध कौशल के सामने बड़े से बड़े मुग़ल सम्राट भी टिक नहीं पाये. अकबर समेत कई मुग़ल शासकों ने रानी दुर्गावती के राज्य पर आक्रमण किया, लेकिन रानी दुर्गावती ने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुग़लों से अंतिम सांस तक युद्ध किया. रानी दुर्गावती हर उस शख़्स को करारा जवाब दिया जिसने भी उनके राज्य की ओर आंख उठाकर देखी. ये भी पढ़ें- कौन थीं रानी दुर्गावती? रानी दुर्गावती 1550 से 1564 तक ‘गोंडवाना’ की रानी थीं. उनका जन्म 5 अक्टूबर 1524 को ‘महोबा के क़िले’ में हुआ था. दुर्गावती के पिता का नाम पृथ्वी सिंह चंदेल था, जो गढ़मंडला राज्य के राजा थे. दुर्गावती राजा पृथ्वी सिंह चंदेल की इकलौती संतान थीं. नाम के अनुरूप ही तेज़, साहस, शौर्य और सुन्दरता के कारण दुर्गावती की प्रसिद्धि देशभर में फैल गयी. दुर्गावती को बचपन से ही तीर व बंदूक चलाने का शौक था. युवा अवस्था में आने तक वो कुशल योद्धा बन गयी थीं. रानी दुर्गावती का विवाह गोंडवाना साम्राज्य के राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह मडावी से हुआ था, लेकिन विवाह के 4 वर्ष बाद ही पति की असमय मृत्यु के बाद दुर्गावती ने अपने पुत्र वीरनारायण को सिंहासन पर बैठाकर उसके संरक्षक के रूप में स्वयं शासन करना प्रारंभ किया. इस दौरान उन्होंने अनेक मठ, कुएं, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाईं और उनके शासन में राज्य की काफ़ी उन्नति हुई. अकबर के सेनापति को को चटाई धूल रानी दुर्गावती, मुगल सम्राट अकबर के सेनापति आसिफ़ ख़ान को शिकस्त देने के लिये भी जानी जाती हैं. सन 1563 में अकबर की सेना रानी दुर्गावती के राज्य ‘गोंडवाना’ पर कब्ज़े के मकसद से निकली थी, लेकिन दुर्गावती के हौसलों के आगे ये संभव न हो पाया. गोंडवाना पर हमला ...

प्रश्नसमुच्चय

सामग्री • १ आधुनिक भारत का इतिहास • २ मध्यकालीन भारत • ३ मराठा राज्य • ४ मुगल साम्राज्य • ५ सूफी आंदोलन • ६ भक्ति आंदोलन • ७ विजयनगर साम्राज्य • ८ सल्तनत काल • ९ पूर्व मध्यकालीन भारत (दक्षिण भारत) • १० पूर्व मध्यकालीन भारत (उत्तर भारत) आधुनिक भारत का इतिहास [ ] • किसके काल में ‘बोर्ड ऑफ रेवन्यू’ की स्थापना हुई — हेस्टिंग्स के • किस अंग्रेज को प्रशासनिक सेवा का जनक कहा जाता है — कॉर्नवालिस को • कलकता में स्थित फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना किसने की — लॉर्ड वेलेजली ने • टैंसी एक्ट या काश्तकारी अधिनियम कब लागू हुआ — 1822 में • बैरकपुर में सैन्य विद्रोह कब आरंभ हुआ — 1824 में • किस गर्वनर जनरल का कार्यकाल शिक्षा सुधारों के लिए माना जाता है — विलियम बैंटिंक • कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की स्थापना कब और किसने की — 1835 ई., विलियम बैंटिंक ने • बालिका हत्या पर प्रतिबंध कब लगाया गया — 1830 में • किसे ‘भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता’ कहा जाता है — लॉर्ड चाल्र्स मेटकॉफ को • ‘इनाम कमीशन’ की स्थापना किसने की — लॉर्ड डलहौजी ने • किस कर व्यवस्था के अंतर्गत किसानों से उपज का 50% वसूला जाता था — रैयतवाड़ी व्यवस्था • नरबलि प्रथा का अंत किस गवर्नर के काल में हुआ —लाॅड डलहौजी • भारत से ब्रिटेन की ओर ‘संपत्ति के अपवहन’ का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया — दादाभाई नौरोजी • भारत में टेलीग्राफ लाइन किसके द्वारा शुरू की गई — कलकत्ता व आगरा,लाॅड डलहौजी • भारत में पहली सूती वस्त्र मिल कहाँ स्थापित की गई — mumbai • भारत में अंग्रेजों की लूट किस महत्वपूर्ण घटना के बाद शुरू हुई — प्लासी के युद्ध के बाद • भारत में प्रथम रेलवे लाइन किसने बिछवाई — जार्ज क्लार्क • भारत में ब्रिटिश भू-राजस्व प्रणाली का अधिक लाभ किसे प...

रानी दुर्गावती

अनुक्रम • 1 ऐतिहासिक परिचय • 2 इन्हें भी देखें • 3 ग्रन्थसूची • 4 बाहरीकड़ियाँ ऐतिहासिक परिचय [ ] रानी दुर्गावती मडावी गोंडो का यह सुखी और सम्पन्न राज्य पर अगले दिन 24 जून 1564 को मुगल सेना ने फिर हमला बोला। आज रानी का पक्ष दुर्बल था, अतः रानी ने अपने पुत्र नारायण को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया। तभी एक तीर उनकी भुजा में लगा, रानी ने उसे निकाल फेंका। दूसरे तीर ने उनकी आंख को बेध दिया, रानी ने इसे भी निकाला पर उसकी नोक आंख में ही रह गयी। तभी तीसरा तीर उनकी गर्दन में आकर धंस गया। रानी ने अंत समय निकट जानकर वजीर आधारसिंह से आग्रह किया कि वह अपनी तलवार से उनकी गर्दन काट दे, पर वह इसके लिए तैयार नहीं हुआ। अतः रानी अपनी कटार स्वयं ही अपने पेट में भोंककर आत्म बलिदान के पथ पर बढ़ गयीं आदिवासी रानी मर गई लेकिन किसी और की सत्ता के कदम नहीं छुआ। महारानी दुर्गावती मर्रावी ने अकबर के सेनापति आसफ़ खान से लड़कर अपनी जान गंवाने से पहले पंद्रह वर्षों तक शासन किया था। जबलपुर के पास जहां यह ऐतिहासिक युद्ध हुआ था, उस स्थान का नाम रानी दुर्गावती के सम्मान में 1983 में जबलपुर विश्वविद्यालय का नाम बदलकर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कर दिया गया | भारत सरकार ने 24 जून 1988 रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर एक डाक टिकट जारी कर रानी दुर्गावती को याद किया। जबलपुर में स्थित संग्रहालय का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर रखा गया | मंडला जिले के शासकीय महाविद्यालय का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर ही रखा गया है। रानी दुर्गावती की याद में कई जिलों में रानी दुर्गावती की प्रतिमाएं लगाई गई हैं और कई शासकीय इमारतों का नाम भी रानी दुर्गावती के नाम पर रखा गया है। इन्हें भी देखें [ ] • • • ग्रन्थसूची [ ] • पुस्तक: ...

मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध Class 8 इतिहास Chapter 1 Notes

Class 8 इतिहास BSEH Solution for chapter 1 मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध notes for Haryana board. CCL Chapter Provide Class 1th to 12th all Subjects Solution With Notes, Question Answer, Summary and Important Questions. Class 8 History mcq, summary, Important Question Answer, Textual Question Answer in hindi are available of हमारा भारत III Book for HBSE. Also Read – HBSE Class 8 इतिहास / History in hindi मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध / Mughal samrat avam unka prarambhik pratirodh notes for Haryana Board of chapter 1 in Hamara Bharat III Solution. मुगल सम्राट एवं उनका प्रारंभिक प्रतिरोध Class 8 इतिहास Chapter 1 Notes पाठ के बारे में – 1526 ई. में बाबर ने मुगल राजवंश की नींव रखी 1527 ई. में खानवा के युद्ध में राणा संग्राम सिंह ने बाबर का प्रतिरोध किया। हेमचंद्र विक्रमादित्य ने दिल्ली एवं आगरा से मुगलों को हराकर हिंदू साम्राज्य को पुनः स्थापित किया रानी दुर्गावती और महाराणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता को अस्वीकार किया। इस अध्याय में मुगल वंश के विरुद्ध होने वाले प्रतिरोधों को बताया गया है। मुगल शासक और उनका कार्यकाल— मुगल मूल रूप से मध्य एशिया के लोग थे। वे तुर्क मंगोल जाति का मिश्रण माने जाते हैं। मुगल चगताई भाषा बोलते थे, जो तुर्की की ही एक भाषा है। • बाबर ( 1526 -1530 ई. ) • हुमायूं ( 1530 – 1540 व 1555-1556 ई. ) • अकबर ( 1556 – 1605 ई. ) • जहांगीर ( 1605 – 1627 ई. ) • शाहजहां ( 1627 – 1658 ई. ) • औरंगजेब ( 1658 – 1707 ई. ) • उत्तरवर्ती ग्यारह मुगल शासक ( 1707 – 1857 ई. ) 1526 में भारत की राजनीतिक स्थिति अच्छी नहीं थी भारत छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटा था। ...