सर्व पितृ अमावस्या 2022

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  5. Sarva Pitru Amavasya 2022
  6. Sarva Pitru Amavasya 2022: पितरों के लिए सर्व पितृ अमावस्या क्यों है महत्वपूर्ण? जानें तिथि, तारीख और महत्व
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Sarv Pitru Amavasya 2022 10 Faces Of Pitr: सर्व पितृ अमावस्या पर जरूर रखें भोज, इन 10 रूपों में तृप्त होकर देंगे सुख समृद्धि का आशीर्वाद Sarv Pitru Amavasya 2022 date time tithi 16 tithiya pind daan shraddh puja vidhi mahatva katha upay dos and donts niyam pitra tarpan shraddh karm pitra dosh dharm latest news

Sarv Pitru Amavasya 2022 10 Faces Of Pitr: सर्व पितृ अमावस्या पर जरूर रखें भोज, इन 10 रूपों में तृप्त होकर देंगे सुख समृद्धि का आशीर्वाद Sarv Pitru Amavasya 2022 date time tithi 16 tithiya pind daan shraddh puja vidhi mahatva katha upay dos and donts niyam pitra tarpan shraddh karm pitra dosh dharm latest news - News Nation नई दिल्ली : Sarv Pitru Amavasya 2022 10 Faces Of Pitr: पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना शुभ माना जाता है. भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू हुए पितृपक्ष अश्विन मास की अमावस्या तिथि को समाप्त होंगे. अश्विन मास की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जानते हैं. इस बार सर्व पितृ अमावस्या 25 सितंबर को है. इस दिन उन पितरों का भी श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु की तिथि का पता न हो या फिर किसी कारण वश पहले श्राद्ध न पाया हो. सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है. माना जाता है कि सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों के साथ-साथ इन अलग अलग रूपों में पितृ साक्षात घर आते हैं और भोजन पाकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद देकर पुनः लौट जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितृ किन रूपों में दर्शन देते हैं. यह भी पढ़ें: गाय गाय को भी श्राद्ध के लिए भोजन करना चाहिए. पितरों को श्राद्ध करते समय एक भाग गाय के लिए जरूर निकालें. इसके अलावा घर के पश्चिम दिशा में गाय को महुआ या पलाश के पत्तों पर भोजन कराना शुभ माना जाता है. कुत्ता ब्राह्मणों को भोजन कराने से पांच भागों में से एक भाग कुत्ता के लिए निकाला जाता है. कौवा श्राद्ध के समय कौए को भी भोजन कराएं. माना जाता है कि पितर कौवे के रूप में भी आकर भोजन ग...

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Sarva Pitru Amavasya: सर्व पितृ अमावस्या पितृ पक्ष का सबसे खास दिन माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन माह की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इसे मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहा जाता है। जो 25 सितंबर यानि कि आज है। वहीं अगर आपने अपने पितरों का पिंड दान श्राद्ध पक्ष में नहीं किया है तो इस दिन कर सकते हैं। इस दिन श्राद्ध के लिए बनाए गए भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, चीटियों और देवों के लिए भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिए। फिर किसी ब्राह्मण कराना चाहिए। आइए जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या की तिथि और ऐसे करें पितरों की विदाई… सर्वपितृ अमावस्या की तिथि वैदिक पंचांग के मुताबिक आश्विन मास की अमावस्या तिथि रविवार, 25 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 11 मिनट से शुरू होगी और सोमवार, 26 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 23 मिनट पर खत्म हो जाएगी। इसलिए सर्वपितृ अमावस्या 25 सितंबर को पूरे दिन मनाई जाएगी। इस तरह दें पितरों को विदाई इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। साथ ही सबसे पहले सूर्य देव को जल दें। क्योंकि सूर्य देव आत्मा और पिता दोनों के कारक माने जाते हैं। इसके बाद सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए। फिर पितरों के नाम से तर्पण करना चाहिए। तर्पण करते समय ध्यान रखें कि आपका मुख दक्षिण की तरफ होना चाहिए। तांबे के लौटे में गंगा जल भरें। उसमें काले तिल, कच्चा दूध और कुश डालकर तर्पण करें। तर्पण करते समय इस मंत्र का जाप जरूर करें- ऊं पितृ गणाय: विधमहे जगधारणीय धी महे तनो पितरों प्रचो दयात। इसके बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। इस दिन ब्राह्मण भोजन जरूर कराएं। साथ ही यथासंभव दान- दक्षिणा भी दें। खीर का भी इस दिन विशेष महत्व है। साथ ही

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Sarva Pitru Amavasya 2022: कल है सर्व पितृ अमावस्या, बन रहा है ये शुभ योग हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस योग में जो भी काम किया जाता है वह सफल होता है और उसका परिणाम भी उत्तम निकल कर आता है. 25 सितंबर, रविवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के कारण सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस योग में जो भी काम किया जाता है वह सफल होता है और उसका परिणाम भी उत्तम निकल कर आता है. 25 सितंबर, रविवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के कारण सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सभी नक्षत्रों में श्रेष्ठ माना गया है. साथ ही इस दिन बुधादित्य योग और त्रिकोण योग का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है. 25 सितंबर 2022 को सर्वपितृ अमावस्या के दिन प्रातः 8 से 11 बजे के दौरान एक सूखे नारियल में एक सुराख करके उसमें चीनी, चावल, आटा बराबर मात्रा में मिक्स करके भरें तथा पीपल के वृक्ष के पास गढ़ा खोदकर उसमें इस प्रकार दबायें कि ऊपर से सुराख वाला हिस्सा ही नजर आये ताकि कोई बड़ा जानवर उस नारियल को न निकाल पाए. यह उपाय करने से बहुत सारे कीड़े-मकौड़े इस भंडारे को ग्रहण करेंगे और पीपल वृक्ष को अर्पण करके ही यह कार्य करें क्योंकि श्री कृष्ण जी ने स्वयं कहा है कि - वृक्षों में पीपल का वृक्ष मैं ही हूं. सभी प्रकार के अर्पण श्री विष्णु जी को ही प्राप्त होते हैं और जिस आत्मा के निमित्त वह कर्म किया जाता है, उस आत्मा तक वह पुण्य पहुंचाना श्री विष्णु जी के ही अधीन होता है इसीलिए ही यह उपाय पीपल वृक्ष के नीचे किया जाए तो बहुगुणा प्रभाव बनाता है.

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Sarva Pitru Amavasya 2022: आज है सर्व पितृ अमावस्या, जानिए मुहूर्त और इसका महत्व Sarva Pitru Amavasya 2022: हिंदू धर्म में वर्ष के सोलह दिनों को अपने पितृ या पूर्वजों को समर्पित किया गया है. इसे पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष कहते हैं. इसे महालय के नाम से भी जाना जाता है. इस बार पितृ पक्ष या महालय 10 सितंबर से शुरू हुए थे. आज पितृ पक्ष समाप्त हो रहा है. सर्वपितृ अमावस्या के दिन धरती से विदा लेते हैं पितृ हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है. इसे महालया या मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहा जाता है. यह पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है. शास्त्रों के अनुसार, सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितृ धरती लोक से विदा लेते हैं. इस दिन पिंडदान और तर्पण करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके बाद शुरू होंगे शारदीय नवरात्र आश्विन अमावस्या की समाप्ति के अगले दिन से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो जाते हैं. मां दुर्गा के विभिन्न रूपों के आराधक और तंत्र साधना करने वाले इस अमावस्या की रात्रि को विशिष्ट तांत्रिक साधनाएं करते हैं. जानिए आज का पंचांग अश्विन - कृष्ण पक्ष - अमावस्या - रविवार नक्षत्र - उत्तरा फाल्गुनी महत्वपूर्ण योग- शुभ योग चंद्रमा का सिंह के उपरांत 11:18 पर कन्या राशि पर संचरण गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए आज सायंकाल नदी के किनारे सात मिट्टी के छोटे-छोटे पात्र में गाय का कच्चा दूध और सभी के समक्ष वटवृक्ष के पत्ते पर सफेद मिठाई अथवा एक-एक बताशा रखकर तिल या सरसों के तेल में दीपक प्रज्वलित कर अपने पितरों को याद करते हुए अपनी मनोकामना का स्मरण करें. लौटते समय मुड़कर ना देखें. आचार्य विक्रमादित्य की भविष्यवाणी आने वाले समय में क्रूड ऑयल, पेट्र...

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Sarva Pitru Amavasya 2022: पितरों के लिए सर्व पितृ अमावस्या क्यों है महत्वपूर्ण? जानें तिथि, तारीख और महत्व

पितृ पक्ष की अंतिम तिथि सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जानी जाती है. ज्ञात और अज्ञात सभी पितर इस दिन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि से तृप्त हो जाते हैं. पितृ पक्ष की अंतिम तिथि सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) के नाम से जानी जाती है, इसे आश्विन अमावस्या भी कहते हैं. कुछ लोग इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं. पितृ पक्ष के 16 दिनों में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन सभी प्रकार के ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है. हर व्यक्ति को अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करना चाहिए, इससे पितर भी तृप्त रहते हैं और अपने परिवार में भी सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते है सर्व पितृ अमावस्या की तिथि, तारीख और महत्व के बारे में. सर्व पितृ अमावस्या 2022 पंचांग के अनुसार, आश्विन अमावस्या की तिथि की शुरूआत 25 सितंबर 03:12 एएम से होगी और इस तिथि का समापन 26 सितंबर को 03:23 एएम पर होगा. ऐसे मे सर्व पितृ अमावस्या 25 सितंबर को है यानि इस दिन आश्विन अमावस्या है. ये भी पढ़ेंः कब है आश्विन अमावस्या? जानें तिथि, स्नान-दान मुहूर्त सर्व पितृ अमावस्या का महत्व जैसा कि आपको पता है कि जिस व्यक्ति का निधन किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की जिस तिथि को होता है, पितृ पक्ष में उस तिथि को ही उसका श्राद्ध होता है. कई बार लोगों को अपने पितरों के निधन की तिथि ज्ञात नहीं होती है और कई ऐसे पितर होते हैं, जिनके बारे में उनके संतानों को ज्ञात नहीं होता है. इस वजह से इन सभी पितरों का श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दिन होता है. ज्ञात और अज्ञात सभी पितर इस दिन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन आदि से तृप्त हो...

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Sarva Pitru Amavasya 2022: कल है सर्व पितृ अमावस्या, बन रहा है ये शुभ योग हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस योग में जो भी काम किया जाता है वह सफल होता है और उसका परिणाम भी उत्तम निकल कर आता है. 25 सितंबर, रविवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के कारण सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस योग में जो भी काम किया जाता है वह सफल होता है और उसका परिणाम भी उत्तम निकल कर आता है. 25 सितंबर, रविवार के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के कारण सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र सभी नक्षत्रों में श्रेष्ठ माना गया है. साथ ही इस दिन बुधादित्य योग और त्रिकोण योग का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है. 25 सितंबर 2022 को सर्वपितृ अमावस्या के दिन प्रातः 8 से 11 बजे के दौरान एक सूखे नारियल में एक सुराख करके उसमें चीनी, चावल, आटा बराबर मात्रा में मिक्स करके भरें तथा पीपल के वृक्ष के पास गढ़ा खोदकर उसमें इस प्रकार दबायें कि ऊपर से सुराख वाला हिस्सा ही नजर आये ताकि कोई बड़ा जानवर उस नारियल को न निकाल पाए. यह उपाय करने से बहुत सारे कीड़े-मकौड़े इस भंडारे को ग्रहण करेंगे और पीपल वृक्ष को अर्पण करके ही यह कार्य करें क्योंकि श्री कृष्ण जी ने स्वयं कहा है कि - वृक्षों में पीपल का वृक्ष मैं ही हूं. सभी प्रकार के अर्पण श्री विष्णु जी को ही प्राप्त होते हैं और जिस आत्मा के निमित्त वह कर्म किया जाता है, उस आत्मा तक वह पुण्य पहुंचाना श्री विष्णु जी के ही अधीन होता है इसीलिए ही यह उपाय पीपल वृक्ष के नीचे किया जाए तो बहुगुणा प्रभाव बनाता है.

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Sarva Pitru Amavasya 2022: पितरों के लिए सर्व पितृ अमावस्या क्यों है महत्वपूर्ण? जानें तिथि, तारीख और महत्व

पितृ पक्ष की अंतिम तिथि सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जानी जाती है. ज्ञात और अज्ञात सभी पितर इस दिन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि से तृप्त हो जाते हैं. पितृ पक्ष की अंतिम तिथि सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) के नाम से जानी जाती है, इसे आश्विन अमावस्या भी कहते हैं. कुछ लोग इसे पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं. पितृ पक्ष के 16 दिनों में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन सभी प्रकार के ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है. हर व्यक्ति को अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करना चाहिए, इससे पितर भी तृप्त रहते हैं और अपने परिवार में भी सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते है सर्व पितृ अमावस्या की तिथि, तारीख और महत्व के बारे में. सर्व पितृ अमावस्या 2022 पंचांग के अनुसार, आश्विन अमावस्या की तिथि की शुरूआत 25 सितंबर 03:12 एएम से होगी और इस तिथि का समापन 26 सितंबर को 03:23 एएम पर होगा. ऐसे मे सर्व पितृ अमावस्या 25 सितंबर को है यानि इस दिन आश्विन अमावस्या है. ये भी पढ़ेंः कब है आश्विन अमावस्या? जानें तिथि, स्नान-दान मुहूर्त सर्व पितृ अमावस्या का महत्व जैसा कि आपको पता है कि जिस व्यक्ति का निधन किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की जिस तिथि को होता है, पितृ पक्ष में उस तिथि को ही उसका श्राद्ध होता है. कई बार लोगों को अपने पितरों के निधन की तिथि ज्ञात नहीं होती है और कई ऐसे पितर होते हैं, जिनके बारे में उनके संतानों को ज्ञात नहीं होता है. इस वजह से इन सभी पितरों का श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दिन होता है. ज्ञात और अज्ञात सभी पितर इस दिन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन आदि से तृप्त हो...