स्टडी विलेज

  1. केस स्टडी विधि के उद्देश्य, विशेषताएं और इस विधि की उपयोगितायेँ
  2. फॉलिक्युलर स्टडी टेस्ट क्या है? प्रक्रिया, परिणाम व लागत


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केस स्टडी विधि के उद्देश्य, विशेषताएं और इस विधि की उपयोगितायेँ

केस स्टडी के उद्देश्य • विद्यार्थी स्वतंत्र होकर, स्वयं ही सृजनात्मक ढंग से समस्या पर विचार कर सकेंगें। • वे समस्या समाधान ( Problem based learning)तक पहुंचने में सक्रिय हो सकेंगें। • वे अपने पूर्व ज्ञान का प्रयोग करते हुए प्रमाणों को संग्रह कर सकेंगें। • घटनाक्रम में नवीन तथ्यों को जान सकेंगे। • स्वयं अपने अनुभव से सीखते हुए ज्ञान प्राप्त कर सकेंगें। • व्यक्तिगत, सामाजिक संबंधों को उत्तम ढंग से स्थापित कर सकेंगे। • छात्रों में अभिप्रेरण एवं अभिव्यक्ति की क्षमता में वृद्धि हो सकेगी। • छात्रों की उपलब्धियों का मूल्यांकन हो सकेगा। केस स्टडी की विशेषताएं- 1. शिक्षण-अधिगम की समस्याओं का समाधान व्यक्तिगत रूप में किया जाता है। 2. व्यक्तिगत अध्ययन में लिखित कार्य को विशेष महत्व दिया जाता है। शिक्षक छात्र को सीखने के लिए परिस्थिति (विषयवस्तु) प्रदान करता है, जिसमें छात्र अभ्यास तथा अनुक्रिया करता है। सीखने के साथ-साथ मूल्यांकन भी किया जाता है। छात्र अपने कार्यों का स्वयं मूल्यांकन भी करता है। 3. व्यक्तिगत अध्ययन में प्रत्येक छात्र को अपने ढंग से सीखने का अवसर दिया जाता है। इस विशेषता को स्वयं गति का सिद्धान्त भी कहते है। 4. इसमें छात्र बहुआयामी माध्यमों से सीखता है। कुछ छात्र सुनकर, कुछ देखकर तथा कुछ करके अधिक सीखते है। कुछ छात्र पढ़कर तथा कुछ लिखकर अधिक सीखते है। 5. व्यक्तिगत अध्ययन में शिक्षक अधिक उत्तरदायी होता है क्योंकि उसे प्रत्येक छात्र को व्यक्तिगत रूप से सिखाना होता है। 6. इसके अंतर्गत प्रत्येक छात्र को उसकी कठिनाईयों को दूर करने का अवसर दिया जाता है। सीखते समय पुनर्बलन तथा निरन्तर अभिप्रेरणा दी जाती है। केस स्टडी की उपयोगिता- 1. इससे छात्रों में अधिगम अधिक प्रभावशाली होता...

फॉलिक्युलर स्टडी टेस्ट क्या है? प्रक्रिया, परिणाम व लागत

Image: Shutterstock कई महिलाओं को इनफर्टिलिटी के कारण गर्भधारण करने में परेशानी आ सकती है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई तरह के टेस्ट किए जा सकते हैं, जिनमें से एक फॉलिक्युलर स्टडी टेस्ट भी है। इस टेस्ट की मदद से गर्भधारण करना आसान हो सकता है। अगर आपको पता नहीं है कि फॉलिक्युलर स्टडी टेस्ट क्या होता है, तो मॉमजंक्शन के इस लेख के माध्यम से इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस लेख में दी गई जानकारी वैज्ञानिक रिसर्च के आधार पर है। फॉलिक्युलर स्टडी किसे कहते हैं? प्रत्येक महिलाओं के अंडाशय (ओवरी) में ओवेरियन फॉलिकल पाए जाता है, जो तरल पदार्थ से भरी एक तरह की थैली होती है। ये फॉलिकल्स महिलाओं में जन्म से ही लाखों की संख्या में होते हैं। हर फॉलिकल में अपरिपक्व अंडे होते हैं, जिनमें से कुछ मासिक धर्म के समय विकसित होने लगते हैं। जब महिला मासिक धर्म चक्र के मध्य में पहुंची है, तो सिर्फ एक अंडा पूरी तरह से विकसित हो पाता है, जिसे डॉमिनेंट फॉलिकल यानी प्रधान फॉलिकल कहा जाता है इसके अगले भाग में हम बताएंगे कि फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग को किस लिए किया जाता है। फॉलिक्युलर स्टडी की जरूरत क्यों है? कुछ महिलाओं को बांझपन संबंधित समस्या का सामना करना पड़ता है। इसमें सुधार करने के लिए फॉलिक्युलर स्टडी की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा जब किसी महिला को पीरियड्स बराबर नहीं आते और वो गर्भवति होने का प्रयास कर रही है तो भी डॉक्टर फॉलिक्युलर स्टडी की सलाह दे सकते हैं। फॉलिक्युलर मॉनिटरिंग की आवश्यकता तब ज्यादा होती है, जब कोई महिला IVF (इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन) का सहारा लेकर गर्भधारण करने का प्रयास करती है। इस मॉनिटरिंग की सहायता से यह पता लगाया जा सकता है कि महिलाओं में ओवुलेशन...