सत्यनारायण भगवान की कथा लिखित में

  1. Shri Satyanarayan Vrat Katha in Hindi
  2. सत्यनारायण भगवान की कहानी / कथा सुनाइए
  3. सत्यनारायण की व्रत कथा
  4. Satyanarayan Katha
  5. श्री सत्यनारायण भगवान व्रत विधि, कथा और महत्व(Shri Satyanarayan Bhagwan vrat vidhi, katha and importance)
  6. सत्यनारायण भगवान की कथा


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Shri Satyanarayan Vrat Katha in Hindi

Table Of Content सत्यनारायण भगवान की कथा लोक में प्रचलित है। हिन्दू धर्मावलम्बियों के बीच सबसे प्रतिष्ठित व्रत कथा के रूप में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की सत्यनारायण व्रत कथा है। कुछ लोग मनौती पूरी होने पर, कुछ अन्य नियमित रूप से इस कथा का आयोजन करते हैं। सत्यनारायण व्रत कथा के दो भाग हैं, व्रत-पूजा एवं कथा। सत्यनारायण व्रतकथा स्कन्दपुराण के रेवाखण्ड से संकलित की गई है। सत्य को नारायण (विष्णु जी के रूप में पूजना ही सत्यनारायण भगवान की पूजा है। इसका दूसरा अर्थ यह है कि संसार में एकमात्र भगवान नारायण ही सत्य हैं, बाकी सब माया है। भगवान की पूजा कई रूपों में की जाती है, उनमें से भगवान का सत्यनारायण स्वरूप इस कथा में बताया गया है। इसके मूल पाठ में पाठान्तर से लगभग 170 श्लोक संस्कृत भाषा में उपलब्ध है जो पाँच अध्यायों में बँटे हुए हैं। इस कथा के दो प्रमुख विषय हैं- जिनमें एक है संकल्प को भूलना और दूसरा है प्रसाद का अपमान। व्रत कथा के अलग-अलग अध्यायों में छोटी कहानियों के माध्यम से बताया गया है कि सत्य का पालन न करने पर किस प्रकार की समस्या आती है। इसलिए जीवन में सत्य व्रत का पालन पूरी निष्ठा और सुदृढ़ता के साथ करना चाहिए। ऐसा न करने पर भगवान न केवल नाराज होते हैं अपितु दण्ड स्वरूप सम्पत्ति और बन्धु बान्धवों के सुख से वंचित भी कर देते हैं। इस अर्थ में यह कथा लोक में सच्चाई की प्रतिष्ठा का लोकप्रिय और सर्वमान्य धार्मिक साहित्य हैं। प्रायः पूर्णमासी को इस कथा का परिवार में वाचन किया जाता है। अन्य पर्वों पर भी इस कथा को विधि विधान से करने का निर्देश दिया गया है। इनकी पूजा में केले के पत्ते व फल के अतिरिक्त पंचामृत, पंचगव्य, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा की आवश्यकता ...

सत्यनारायण भगवान की कहानी / कथा सुनाइए

सत्यनारायण भगवान की कहानी / कथा सुनाइए |भगवान सत्यनारायण की कथा कब की जाती हैं एवं पूजा विधि –सत्यनारायण की पूजा हिंदू धर्म में बहुत ही खास महत्व रखती हैं. भगवान श्री सत्यनारायण की कथा का स्कंद पुराण में उल्लेख किया गया हैं. सत्यनारायण की कथा सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण करने वाली कथा हैं. समाज के सभी वर्गो को यह कथा सत्यव्रत की शिक्षा प्रदान करती हैं. संपूर्ण भारत वर्ष में और हिंदू धर्म में इस कथा का जितना महत्व हैं उतना महत्व और किसी कथा का नहीं हैं. हिंदू धर्म में सत्यनारायण की कहानी सबसे प्रचलित और कुछ मान्यता के अनुसार यह कथा भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की कहानी हैं. भगवान विष्णु के कई रूपों की पूजा की जाती हैं. लेकिन उनके सत्यनारायण स्वरूप की बात इस कहानी में की गई हैं. दोस्तों आज हम आपको यही बताएगे की यह कहानी/ कथा क्यों की जाती हैं और कहानी के महत्व के बारे में बात करेंगे. और इस कथा के पीछे की कहानी/ कथा के बारे में भी चर्चा करेंगे. तो आइये चलिए जानते भगवान सत्यनारायण की कहानी/ कथा के बारे में संपूर्ण जानकारी. Table of Contents • • • • • श्री सत्यनारायण भगवान की कहानी / कथा एक समय की बात हैं जब नारद जी मृत्युलोक में आए और उन्होंने देखा की सभी प्राणी अपने अपने कर्मो के अनुसार दुःख भोग रहा हैं. यह देखकर उनका ह्रदय द्रवित हो उठा और वे वीणा बजाते हुए श्री हरी के शरण में पहुच गए. और उन्होंने श्री हरी से कहा की हे नाथ अगर आप मुज पर प्रसन्न हैं तो मृत्युलोक के प्राणियों के दुःख हरने का कोई छोटा सा उपाय बताने की कृपा करे. तब श्री हरी ने नारद जी से कहा की “हे वत्स तुमने विश्व के कल्याण की भावना से बहुत ही सुंदर प्रश्न किया हैं. आज में तुम्हे एक ऐसे व्रत के बारे में बताता हु...

सत्यनारायण की व्रत कथा

बहुत समय पहले की बात है, सर्वशास्त्र ज्ञाता श्री सूतजी से हजारों की संख्या में ऋषि-मुनि गण मिलने पहुंचे। वहां पहुंचकर सभी मुनियों ने सूत जी को नमन किया और पूछा, “हे परमपिता! कलयुग के समय में ईश्वर की भक्ति के लिए मनुष्यों को क्या करना होगा? कलयुग में उन्हें मोक्ष की प्राप्ति कैसे होगी? हे प्रभु! कृपया आप हमें किसी ऐसे तप के बारे में बताएं, जिसे करने से मन की मुराद पूरी होने के साथ ही पुण्य की प्राप्ति हो जाए।” एक बार नारद मुनि दूसरों के हित की अभिलाषा लिए कई लोकों के भ्रमण पर निकले। इस भ्रमण के दौरान घुमते-घुमते एक दिन वह मृत्युलोक यानी धरती पहुंचे। यहां नारद मुनि ने देखा कि सभी मनुष्य अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं। इसके कारण सभी दुख से पीड़ित हैं। यह देख उनके मन में एक सवाल आया कि ऐसा कौन-सा उपाय निकाला जाए, जिसका पालन करने से मनुष्यों के दुखों का अंत किया जा सके। अपने इस सवाल को लेकर नारद मुनि विष्णु लोक पहुंच गए। वहां उन्होंने भगवान नारायण की आराधना की। प्रार्थना करते हुए नारद मुनि बोले, “हे प्रभु! आप तो सर्व शक्तिशाली हैं, आपका कोई अंत नहीं है। आप सभी भक्तों के कष्ट को दूर करते हैं, आपको मेरा प्रणाम है। नारद मुनि की यह बातें सुनकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और कहा, “हे नारद मुनि! आपके मन में ऐसा कौन सा सवाल है, जिसके लिए आप यहां पधारे हैं। परमपिता विष्णु की बात सुनकर नारद मुनि बोले, “प्रभु! मृत्युलोक में मनुष्य अपने कर्मों के दुख झेल रहे हैं। भगवन! आप अगर मुझ पर तनिक भी दया करते हैं, तो कृपा करके मुझे बताइए कि मानव ऐसे कौन से काम करे, जिससे उन्हें इस दुख से मुक्ति मिल सके।” विष्णु भगवान ने जवाब में कहा, “हे मुनि ! मानव जाति की भलाई के लिए आपने एक अच्छा सवाल किया है। मैं आप...

Satyanarayan Katha

भगवान सत्यनारायण को विष्णु का अवतार माना जाता है और हिंदू धर्म में भगवान सत्यनारायण की खूब मान्यता है। सत्यनारायण की पूजा अक्सर बहुत ही शुभ कार्यों में खासकर गृह प्रवेश के दौरान जरूर कराई जाती है। गृह प्रवेश के दौरान या फिर शादी के बाद नव जोड़े के लिए सत्यनारायण भगवान की कथा कराई जाती है। आपको बता दें कि साल के बारह महीनों में पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत और पूजा की जाती है। भव‌िष्य पुराण में बताया गया है क‌ि कलयुग में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला अगर कोई व्रत और कथा है तो वह है श्री सत्यनारायण भगवान की है। सत्यनारायण पूजा का महत्व विष्णु अवतार भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा का विशेष महत्व है। कलयुग में उनकी कथा को सुनना बहुत ही प्रभावशाली माना गया है, जो लोग सत्यनारायण पूजा की विधि • इस दिन श्रद्धालु पूरे भक्ति-भाव के साथ सत्यनारायण भगवान के लिए व्रत रखते हैं। शाम के समय ‘भगवान सत्यनारायण’ व “विष्णु जी” की विधिवत पूजा की जाती है। • सबसे पहले श्रद्धालुओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने से पहले जिस जगह भगवान की पूजा करनी है, उस स्थान को गाय के गोबर से पवित्र करना चाहिए। पूजा की चौकी रखी जाए। इस चौकी के चारों पाये के पास केले के पत्ते या फिर वृक्ष लगाएं जाते हैं। इस चौकी पर ठाकुर जी और सत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है। • इस दौरान कथा भी सुनी जाती है। सत्यनारायण भगवान की पूजा शाम के वक्त बहुत ही शुभ मानी जाती है। पूजा की समाप्ति के बाद भक्त प्रसाद वितरण करते है तत्पश्चात दिनभर का उपवास तोड़ते हैं। सत्यनारायण की पूजा में केले के पत्ते व फल के अलावा पंचामृत, पंचगव्य, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा की आवश्यकता होती जिनसे भगवान की पूज...

श्री सत्यनारायण भगवान व्रत विधि, कथा और महत्व(Shri Satyanarayan Bhagwan vrat vidhi, katha and importance)

श्री सत्यनारायण भगवान व्रत विधि, कथा और महत्व (Shri Satyanarayan Bhagwan vrat vidhi, katha and importance):-सत्यनारायण भगवान से अपनी समस्त मनोकामनाएं को पूरा करने के लिए उनका व्रत करना चाहिए। किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के गुरुवार या पूर्णिमा तिथि के दिन व्रत को करना चाहिए। सत्यनारायण भगवान के पूजन सामग्री:-केले के खंम्भे (कदलीस्तम्भ), कलश, चावल, धूप, पुष्पों की माला, पान के पत्ते, तुलसी दल, दिप, नैवेद्य, गुलाब के पुष्प, वस्त्र, आम के पत्तों का बन्धनवार, पांच रत्न, कपूर, रोली, फल, स्वर्ण प्रतिमा, जल, पंचामृत-शक्कर, दही, घी, शहद और तुलसी। प्रसाद:-आटा, शुद्ध गाय का घृत और शक्कर से बना। सत्यनारायण भगवान व्रत की विधि:-व्रत को करने वाले पूर्णिमा, संक्रान्ति या एकादशी के दिन सायंकाल स्नानादि से निवृत होकर, पूजा स्थान में आसन पर बैठकर श्री गणेशजी, गौरी, वरुण, विष्णुजी आदि सब देवताओं का ध्यान करके पूजन करें और संकल्प करें कि मैं श्रीसत्यनारायण जी स्वामी का पूजन व कथा श्रवण सदैव ध्यानपूर्वक करूँगा। श्री गणेशजी, वरुण देव, देवी गोरी और विष्णु जी की षोडशोपचार पूजा करनी चाहिए। षोडशोपचारैंः पूजा कर्म:-इस तरह भगवान विष्णु जी का षोडशोपचारैंः पूजा कर्म करना चाहिए- पादयो र्पाद्य समर्पयामि, हस्तयोः अर्ध्य समर्पयामि, आचमनीयं समर्पयामि, पञ्चामृतं स्नानं समर्पयामि शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, यज्ञोपवीतं समर्पयामि, गन्धं समर्पयामि, अक्षातन् समर्पयामि, अबीरं गुलालं च समर्पयामि, पुष्पाणि समर्पयामि, दूर्वाड़्कुरान् समर्पयामि, धूपं आघ्रापयामि, दीपं दर्शयामि,नैवेद्यं निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, ताम्बूलं पूगीफलं दक्षिणांं च समर्पयामि।। पुष्प हाथ में लेकर श्रीसत्यनारायण ज...

सत्यनारायण भगवान की कथा

सत्यनारायण भगवान की कथा | Satyanarayan Bhagwan Katha आदि देव भगवान विष्णु के उपासक पर सदैव कृपा बनी रहती है। जो भी मनुष्य जीवन में भगवान श्री विष्णु का पूजन और आराधना करता है, उसे मनुष्य जन्म से युग-युगातंर तक मुक्ति मिल जाती है। विष्णु के उपासक को भगवान विष्णु के चरणों में स्थान मिलता है। उपासना के तरीकों में से एक है सत्यनारायण भगवान की कथा करवाना या श्रवण करना है। हिंदू धर्म की पौराणिक और धार्मिक मान्यताओं की मानें तो जो भी मनुष्य पूर्णिमा तिथि को सत्यनाराण भगवान की कथा का आयोजन या श्रवण करता है, तो उसके जीवन से दरिद्रता समाप्त हो जाती है। उसके परिवार में समृद्धि और सुख की छाया सदैव बनी रहती है। इसलिए आज हम पोस्ट के जरिए आपके लिए श्री सत्यनारायण भगवान की कथा लेकर आए हैं, यदि आप मोबाइल फैंडली हैं, तो समय निकालकर कथा को एक बार अवश्य पढ़े। कारण कई बार श्रवण करते समय हम कथा का पूरा अर्थ समझ नहीं पाते हैं। एक बार नेमिषा रन्य में तपस्या करते हुए शौनकादि ऋषियों ने सूत! जी से पूछा की जिसके करने से मनुष्य मनोवांछित फल प्राप्त कर सकता है ऐसा व्रत या तप कौन सा है सूत! जी ने कहा की प्राचीन काल में काशीपुरी में एक अति निर्धन और दरिद्र ब्राह्मण रहता था वह भूख प्यास से व्याकुल हो भटकता रहता था एक दिन उसकी दशा से व्यतीत होकर भगवान विष्णु ने बड़े ब्राह्म के रूप में प्रकट होकर उस ब्राह्मण को सत्य नारायण व्रत का विस्तार पूर्वक विधान बताया और अंतर्ध्यान हो गए| ब्राह्मण अपने मन में श्री सत्य नारायण जी के व्रत का निश्चय करके घर लोट आया और इसी चिंता में उसे रात भर नींद नहीं आयी सवेरा होते ही वह सत्य नारायण भगवान के व्रत का संकल्प करके भिक्षा मांगने के लिए चल दिया| उस दिन उसे थोड़ी सी मेह्नत में ...