सत्यनारायण व्रत कथा हिंदी में

  1. Shree Satyanarayan Vrat Katha
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  4. SHREE SATYNARAYAN VRAT KATHA I श्री सत्यनारायण व्रत कथा


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Shree Satyanarayan Vrat Katha

श्री सत्यनारायण व्रत कथा सामग्री : केले के खम्बे ,पंच पल्लव ,कलश ,पंचरत्न ,चावल ,कपूर ,धुप ,पुष्पों की माला ,श्रीफल ,ऋतुफल ,अंग वस्त्र ,नैवेद्य ,कलावा ,आम के पत्ते ,यद्योपवीत ,वस्त्र ,गुलाब के फूल ,दिप ,तुलसी दल ,पान ,पंचामृत (दूध ,दही ,घृत ,शहद ,शक्कर ),केशर ,बन्दनवार ,चौकी। पूजा विधि : व्रत करने वाला पूर्णिमा व संक्रान्ति के दिन सायंकाल को स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा -स्थान में आसन पर बैठकर श्रध्दापूर्वक श्री गणेश ,गौरी ,वरुण ,विष्णु आदि सब देवताओं का ध्यान करके पूजन करे और संकल्प करे की मैं सत्यनारायण स्वामी का पूजन तथा कथा -श्रवण सदैव करूँगा। पुष्प हाथ में लेकर नारायण का ध्यान करे ,यज्ञोपवीत ,पुष्प ,धुप ,नैवेद्य आदि से युक्त होकर स्तुति करे --हे भगवान ! मैंने श्रध्दापूर्वक फल ,जल आदि सब सामग्री आपके अर्पण की है ,इसे स्वीकार कीजिए। मेरा आपको बारम्बार नमस्कार है। इसके बाद सत्यनारायण जी की कथा पढ़े अथवा श्रवण करे। श्री सत्यनारायण व्रत कथा पहला अध्याय एक समय नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादि अठ्ठासी हजार ऋषियों ने श्री सूत जी से पूछा --"हे प्रभु ! इस कलियुग में वेद -विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिलेगी तथा उनका उध्दार कैसे होगा ,इसलिए हे मुनिश्रेष्ठ ! कोई तेसा तप कहिए जिससे थोड़े समय में पुण्य प्राप्त होवे तथा मनवांछित फल मिले ,वह कथा सुनने की हमारी इच्छा है। सर्वशास्त्रज्ञाता श्री सूतजी बोले --"हे वैष्णवों में पूज्य !आप सबने प्राणियों के हित की बात पूछी है। अब मैं उस श्रेष्ठ व्रत को आप लोगों से कहूंगा ,जिस व्रत को नारदजी ने लक्ष्मीनारायण से पूछा था और लक्ष्मीपति ने मुनिश्रेष्ठ नारद से कहा था ,सो ध्यान से सुनो --- एक समय योगिराज नारदजी दूसरों के हित की इच्छा से...

सत्यनारायण व्रत

Read in English हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान सत्यनारायण व्रत करने से और कथा सुनने से पुण्य फल प्राप्त होती है। श्री सत्यनारायण पूजा भगवान नारायण का आशीर्वाद लेने के लिए की जाती है जो सत्यनारायण पूजा और व्रत की पौराणिक कथा पौराणिक कथा के अनुसार एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु से कहा कि हे भगवान, पृथ्वी पर सभी लोग बहुत दुखी नजर आ रहे हैं, इसका कोई उपाय नहीं है। इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि सत्यनारायण का व्रत करने से सबके कष्ट दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी सत्य को ईश्वर समझकर उसकी पूजा करेगा, उसके सारे पाप कट जाएंगे और उसे शुभ फल की प्राप्ति होगी। संबंधित अन्य नाम सत्यनारायण पूजा, पूर्णिमा व्रत, श्री नारायण पूजा सुरुआत तिथि पूर्णिमा कारण भगवान विष्णु उत्सव विधि घर में प्रार्थना, भजन, कीर्तन According to Hindu religious belief, fasting of Bhagwan Satyanarayan and listening to the story gives virtuous results. Shri Satyanarayana Puja is performed to seek the blessings of Shri Narayana who is one of the forms of Bhagwan Vishnu. In this form the Bhagwan is considered to be the embodiment of Truth. Though there is no fixed day to perform Satyanarayan Puja, it is considered extremely auspicious to do it during Purnima or Purnima. शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है ऐसा माना जाता है। पूजा सुबह के साथ-साथ शाम को भी की जा सकती है और शाम को सत्यनारायण पूजा करना अधिक उपयुक्त माना जाता है। ❀ इस दिन सुबह जल्दी उठकर जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। ❀ इसके बाद सत्यनारायण की मूर्ति को स्थापित करें और उसके चारों ओर केले के पत्ते बांध दें। ❀...

सत्यनारायण व्रत कथा PDF

यदि आप Shri Satyanarayan Vrat Katha PDF in Hindi ढूंढ रहे हैं, तो आप सही जगह पर हैं। इस पोस्ट के अंत में, हमने श्री सत्यनारायण व्रत कथा पूजा विधि के साथ सीधे मुफ्त में डाउनलोड करने के लिए एक बटन जोड़ा है। Satyanarayan Vrat Katha in Hindi पवित्रकरण बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की अनामिका से निम्न मंत्र बोलते हुए अपने ऊपर एवं पूजन सामग्री पर जल छिड़कें मंत्र ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा । यः स्मरेत्‌ पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यंतरः शुचिः ॥ पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं, पुनः पुण्डरीकाक्षं । आसन निम्न मंत्र से अपने आसन पर उपरोक्त तरह से जल छिड़कें- ॐ पृथ्वी त्वया घता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता । त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु च आसनम्‌ ॥ 1.ॐ केशवाय नमः स्वाहा, 2.ॐ नारायणाय नमः स्वाहा,3.माधवाय नमः स्वाहा । यह बोलकर हाथ धो लें- ॐ गोविन्दाय नमः हस्तं प्रक्षालयामि । सत्यनारायण व्रत कथा प्रथमोऽध्यायः (संस्कृत में) व्यास उवाच एकदा नैमिषारण्ये ऋषयः शौनकादयः । प्रपच्छुर्मुनयः सर्वे सूतं पौराणिकं खलु ॥1॥ ऋषय उवाच व्रतेन तपसा किं वा प्राप्यते वांछितं फलम्‌ । तत्सर्वं श्रोतुमिच्छामः कथयस्व महामुने ॥2॥ सूत उवाच नारदेनैव संपृष्टो भगवान्कमलापतिः । सुरर्षये यथैवाह तच्छृणुध्वं समाहिताः ॥3॥ हिन्दी अर्थ:-श्री व्यासजी ने कहा- एक समय नैमिषारण्य तीर्थ में शौनक आदि हजारों ऋषि-मुनियों ने पुराणों के महाज्ञानी श्री सूतजी से पूछा कि वह व्रत-तप कौन सा है, जिसके करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है। हम सभी वह सुनना चाहते हैं। कृपा कर सुनाएँ। श्री सूतजी बोले- ऐसा ही प्रश्न नारद ने किया था। जो कुछ भगवान कमलापति ने कहा था, आप सब उसे सुनिए। एकदा नारदो योगी परानुग्रहकांक्षया । पर्...

SHREE SATYNARAYAN VRAT KATHA I श्री सत्यनारायण व्रत कथा

श्री सत्यनारायण भगवान् की कथा प्रारम्भ प्रथम अध्याय श्री सत्यनारायण व्रत कथा श्री सत्यनारायण भगवान जी की जय हो श्री सत्यनारायण भगवान जी की कथा ] एक समय नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादि अट्ठासी हजार ऋषियों ने श्रीसूत जी से पूछा- हे प्रभु! इस कलियुग में वेद विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिलेगी तथा उनका उद्धार कैसे होगा ? हे मुनि श्रेष्ठ! कोई ऐसा तप कहिए जिसमें अल्प प्रयास से ही कम समय में पुण्य प्राप्त हो तथा मनवांछित फल भी प्राप्त हो | वह कथा सुनने की हमारी इच्छा है। सर्वशास्त्र ज्ञाता श्रीसूत जी बोले हे वैष्णवों में पूज्य ! आप सबने प्राणियों के हित की बात पूछी है। अब मैं उस श्रेष्ठ व्रत को आप लोगों से कहूंगा जिस व्रत को नारद जी ने श्री लक्ष्मीनारायण भगवान् से पूछा था और श्री लक्ष्मीपति ने मुनि श्रेष्ठ नारद जी से कहा था यह कथा ध्यान से सुनो – श्री सत्यनारायण भगवान जी की जय हो |एक समय योगीराज नारदजी दूसरों के हित की इच्छा से अनेक लोकों में घूमते हुए मृत्युलोक में आ पहुंचे। यहां अनेक योनियों में जन्मे हुए प्रायः सभी मनुष्यों को अपने कर्मों द्वारा अनेकों दुखों से पीड़ित देखकर विचार करने लगे कि किस यत्न के करने से निश्चय ही मानवों के दुखों का नाश हो सकेगा ऐसा मन में सोचकर भगवान् नारद विष्णु लोक को गये। वहां श्वेत वर्ण और चार भुजाओं वाले देवों के ईश नारायण का जिनके हाथों में शंख, चक्र, गद और पदम थे तथा वरमाला पहने हुए थे, देखकर स्तुति करने लगे। हे भगवान आप अत्यन्त शक्ति से सम्पन्न हैं। मन तथा वाणी भी आपको नहीं पा सकती आपका आदि मध्य अन्त नहीं है। निर्गुण स्वरूप सृष्टि के कारण भक्तों के दुखों को नष्ट करने वाले हो। आपको मेरा नमस्कार है। नारदजी से इस प्रका की स्तुति सुन...